मेरी प्यारी आँचल के बदन की खुशबू

(Meri Pyari Aanchal Ke Badan Ki Khushbu)

स्वीट राज 2015-11-24 Comments

मैं एक बार फिर आपके सामने अपनी नई कहानी लेकर हाजिर हूँ।
मेरी पिछली कहानी प्रेयसी स्वाति संग प्रथम सहवास पर आप सबने अपनी प्रतिक्रिया भेजी, आप सभी का शुक्रिया।

मैंने अपनी पिछली कहानी में वादा किया था कि स्वाति के साथ अपनी दास्तान को आपके सामने लाऊँगा, लेकिन इस बार मैं एक नई कहानी आपके सामने ला रहा हूँ, स्वाति के साथ की दास्तान फिर कभी आपके सामने लाऊँगा।

हाँ तो मैं मेरी नई कहानी की नायिका का नाम है आँचल… एक खूबसूरत, हसीं, फूलों की जैसी, एक बार देखने पर बार बार देखने को जी चाहे, ऐसी खूबसूरती जिसे देखकर कोई भी दीवाना हो जाये।

आँचल से पहली मुलाकात एक इत्तफ़ाक थी!
मैं एक शाम बस से उतरा, मेरे पीछे एक बस रुकी, उसमें से एक लड़की यानि आँचल उतरी, उसके दोनों हाथों में दो दो शॉपिंग बैग थे। इसके पहले कि वो ठीक से उतर पाती, ड्राइवर ने बस चला दी। आँचल खुद को संभाल नहीं पाई और गिर पड़ी, उसके हाथों के बैग छिटक कर दूर गिर गए। वो थोड़ा संभली, उठ कर बैठी, लेकिन उसने अपने दोनों हाथों से अपने बाएं घुटने को दबा कर रखा था, शायद उसे घुटने में चोट लगी थी।

मैं आगे बढ़ा और उसके बैग को उठाया, और फिर उसे उठाकर बस स्टैंड पर बिठाया। थोड़ी देर वो वैसे ही बैठ रही, फिर धीरे धीरे सामान्य होते गई लेकिन उसके घुटने के दर्द का असर उसके चेहरे पर देखा जा सकता था।

मैंने उससे पूछा- आप डॉक्टर के पास जाना चाहती हो?
वो बोली- ज्यादा चोट नहीं है लेकिन दर्द है, अपने घर जाना चाहती हूँ।
मुझे भी घर जाना था, मैंने उससे पूछा- आप बोलो तो मैं घर छोड़ दूँ?
वो बोली- ठीक है।

आँचल को चलने में दर्द हो रहा था, वो धीरे धीरे चल रही थी, और मैं उसके साथ था।
कुछ देर में हम उसके घर के सामने थे, वो दूसरी मंजिल पर थी, उसे ऊपर चढ़ने में मुश्किल हो रही थी, मैंने उसे सहारा दिया।
उसने अपना एक हाथ मेरे कंधे पर रख दिया और धीरे धीरे हम ऊपर चढ़े लगे।

वो मेरे बेहद करीब थी, उसके बदन की खुशबू मैं महसूस कर रहा था और एक अजीब से सनसनी महसूस हो रही थी।
खैर हम ऊपर पहुँचे, उसने चाभी निकाली और मुझे दी, मैंने दरवाजा खोला और वो अंदर गई और लाइट ऑन की।
वो एक लॉन्ग स्कर्ट और टॉप पहने थे, उसकी स्कर्ट घुटने के पास फट गई थी।

मैंने उससे पूछा- आप अकेले रहती हो क्या?
तो उसने बताया कि वो अपनी सहेली के साथ रहती है लेकिन वो अभी घर गई हुई है।
मैंने उसके बैग वापस दिया और बोला कि अगर आपको कभी दिक्कत हो तो आप मुझे कॉल कर सकती हो!
मैंने अपना नंबर उसे एक कागज के टुकड़े पर लिख कर दे दिया और मैं दरवाजे से ही वापस आ गया।

इस तरह काफी दिन निकल गए, मैं जब भी उस स्टैंड पर जाता मुझे वो याद आ जाती।
करीब तीन महीने बाद एक दिन शाम में मैं अपने ऑफिस से वापस आया, तो वो मुझे दिखी, वो आगे जा रही थी, मैं उसके पास गया और उसे आवाज दी।

उसने पलट कर देखा और मुझे पहचान गई। मैंने उससे उसके चोट के बारे में पूछा, उसने बताया कि मामूली चोट थी, ठीक हो गई।
वो बोली कि वो मुझसे बात करके थैंक्स करना चाहती थी लेकिन मेरा नंबर जो एक कागज के टुकड़े पर मैंने लिख कर दिया था, कहीं खो गया था।

हम साथ साथ चलते रहे और बातें करते रहे, मैंने उससे उसका नाम पूछा और ऐसे ही कुछ कुछ पूछते रहा, अनावश्यक सी बातें करते रहा कि उसका घर आ गया।
मैंने बाय बोला और आगे बढ़ गया।

उसने मुझे आवाज देकर रोका और पास आई और मेरा नाम पूछा, मैंने बताया- मेरा नाम राज है।
मेरा नाम सुनकर वो बोली- बहुत प्यारा नाम है, रोमांटिक सा!
और फिर बोली- अपना नंबर देना!
मैंने अपना नंबर बोला और वो अपने मोबाइल पर डायल करती गई और जैसे ही पूरा हुआ मेरा मोबाइल रिंग होने लगा, मैंने निकाला तो वो बोली कि यह मेरा नंबर है।
इस तरह वो मेरे मोबाइल में आ गई।

कुछ दिन के बाद मैं उसे जब भी कोई त्यौहार आता तो विश करता, वो भी जवाब देती और धीरे धीरे यह अंतराल कम होता गया और हम मैसेज से बातें करने लगे।
वो एक मल्टी नेशनल कंपनी में काम करती थी।
हमारी अच्छी दोस्ती हो गई थी, हम एक दूसरे के साथ जोक्स शेयर करते थे मैसेज से… धीरे धीरे ये जोक नॉन वेज होने लगे।
हम दोनों काफी रात तक एक दूसरे से ऐसे ही बातें करने लगे।

एक दिन सुबह मैं उठा, मोबाइल देखा तो उसका मैसेज था, वो पूछ रही थी कि क्या मैं उसके साथ मूवी देखने चल सकता हूँ।
मैंने उसे वापस मैसेज किया- क्यों नहीं!
उसका तुरत जवाब आया कि तो तैयार होकर आधे घंटे में बस स्टॉप पर मिलो।

मैं जल्दी जल्दी तैयार हुआ और बस स्टॉप पर पहुँचा, थोड़ी देर में वो सामने से आती दिखी, उसके साथ एक और लड़की थी, वो पास आई और हेलो बोला, मैंने भी विश किया।
फिर वो बोली- इससे मिलो, यह मेरी सहेली और रूमेट मीनल!
दोनों बहुत प्यारी लग रही थी।

हम थोड़ी देर में फिल्म देख रहे थे, सबसे किनारे मीनल थी, उसके बाद आँचल और फिर मैं। एक खूबसूरत लड़की मेरे बगल में बैठी थी, अब मेरा दिल मचल रहा था उसे छूने को।
मैंने कभी उसे छुआ नहीं था तो एक डर सा भी था!
काफी कशमकश चल रही थी मेरे मन में!

आँचल मेरे बायीं तरफ बैठी थी, मैं थोड़ा बायीं तरफ झुक गया, मेरे कंधे आँचल के कंधे से सटे, आँचल ने मेरी तरफ देखा, मैं अपनी नजर सामने किये था।
वो कुछ पल मुझे देखते रही फिर वो फिल्म देखने लगी, लेकिन उसने अपना कन्धा हटाया नहीं।
आँचल ने अपना हाथ सीट के हत्थे पर रखा, मैंने थोड़ी देर के बाद अपना हाथ उसके हाथ पर रख दिया।

आँचल ने अपना हाथ हटाया नहीं, तो मैंने समझा कि उसकी भी स्वीकृति है और मैं उसके हाथों को धीरे धीरे सहलाने लगा।
कुछ देर तक मैं वैसे ही करता रहा, फिर इंटरवल हो गया, हमने चिप्स और कोल्ड ड्रिंक लिए और फिर फिल्म शुरू हो गई।

इस बार मैं थोड़ा और बायीं तरफ झुक गया, अब मेरी कोहनी उसके हसीन वक्ष पर थी, वो वैसे ही बैठी रही, तो मैंने अपने हाथ को थोड़ा और पीछे किया और उसके उभारों को कोहनी से दबाने लगा।

मेरा लंड पूरी तरह खड़ा था और आँचल की चूत को सलामी देने को तैयार था।

वक्त का पता नहीं चला, फिल्म ख़त्म हुई, और हम वापस आ गए।
रात में हम दोनों text चैटिंग कर रहे थे, मैंने बोला- बेबी, तुम्हारे बूब्स बहुत सेक्सी हैं।
और मैं उसके उतर का इंतजार कर रहा था।
तभी मेरे मोबाइल स्क्रीन पर मेसेज आया- थैंक्स…

मेरा हौसला बढ़ा मैंने मेसेज किया- आज जो सिनेमा हॉल में जो हुआ, मुझे अच्छा लगा, तुम्हें कैसा लगा?
काफी देर तक कोई जवाब नहीं मिला तो मैंने फिर मेसेज किया- अगर अच्छा नहीं लगा तो सॉरी!
मेरे मोबाइल स्क्रीन पर उसका जवाब मिला- ऐसा नहीं है, मुझे भी अच्छा लगा।
और साथ में दो लव वाले स्माइली!

मैंने मेसेज किया- प्लीज़ मैं तुम्हें अकेले में देखना चाहता हूँ।
आँचल जवाब दी- अकेले में क्या करोगे, नियत तो ठीक है तुम्हारी?
मैंने जवाब दिया- यार यह नियत ही तो ख़राब हो जाती है तुम्हें देख कर, और अकेले में क्या करूँगा वो तो अकेले मिलो तो पता चलेगा।
उसने मेसेज किया- ठीक है देखते हैं!
मैंने मेसेज किया- तो कब मिल रही हो अकेली?
उसने मेसेज किया- जल्दी बता दूंगी।
काफी देर तक हम ऐसे ही बात करते रहे और फिर किस स्माइली देकर सोने चले गए।

कुछ दिन के बाद एक दिन उसका मेसेज आया रात को कि कल मैं अकेली हूँ, तुम आ सकते हो क्या?
मुझे तो विश्वास नहीं हो रहा था, मैंने तुरन्त जवाब दिया- मैं जरूर आऊँगा।

अगले दिन मैं उसके घर गया, वो एक गुलाबी रंग के स्कर्ट और सफ़ेद टॉप में थी।
उसने आज पहली बार अपना हाथ आगे किया, मैंने उसके हाथों को अपने दोनों हाथों में ले लिया और फिर उसके हाथ को धीरे धीरे ऊपर करते गया, और अपने चेहरे के पास लाया और चूम लिया, उसने अपनी आँखें बंद कर ली, मैंने उसके हाथ को छोड़ दिया और दोनों हाथों से उसके चेहरे को थाम लिया।
उसकी आँखें अब भी बंद थी, मैंने उसके चेहरे को थोड़ा झुकाया और उसके माथे को धीरे से चूम लिया, वो अपने आप में सिमट सी गई।

अब मैं और आँचल सोफे पर बैठकर बातें करने लगे, मैंने उससे पूछा- तुम पूछ रही थी कि अकेले में क्या करोगे, अब बताऊँ?
वो मुस्कुरा दी।
अब इसमें कोई शक तो था नहीं कि वो भी तैयार है, यह अलग बात है कि शरमा रही है।

मैं उसके करीब जा कर बैठ गया, उसके कंधे पर अपना हाथ रख दिया, धीरे धीरे हाथ उसके पीठ पर ले गया, फिर उसे अपनी तरफ खींचा और अपनी बाँहों में भर लिया, उसके गालों को चूमने लगा, और फिर उसके होठों को अपने होठों के बीच लेकर चूसने लगा।

मेरे हाथ अब उसके खूबसूरत बदन पर शरारत कर रहे थे, मैं उसके उभारों को अपने हाथ से दबा रहा था और दूसरा हाथ उसके खूबसूरत नितम्ब पर हरकत कर रहे थे।
वह ख़ामोशी से आँख बंद करके मेरी हरकतों को महसूस कर रही थी।
मैंने उसे अपनी गोद में उठाया और बिस्तर पर लिटा दिया।
अब मैं उसके टॉप के नीचे हाथ रखा और धीरे धीरे ऊपर उठाने लगा, उसने अपने हाथों से टॉप को पकड़ लिया और बोली- प्लीज़, नहीं करो।

मैंने उसे काफी देर तक मनाया, मैंने बोला कि मुझे आज देखना है कि मेरी जान कैसी है, कैसा है मेरी जान का खूबसूरत जिस्म। अंततः उसने अपना हाथ हटाया और मैं अब उसके टॉप को उठा रहा था, उसका खूबसूरत पेट मेरी नज़रों के सामने था।
मैं उसके पेट पर अपना हाथ धीरे धीरे घुमाने लगा।

कुछ देर के बाद मैंने उसके टॉप को ऊपर उठाया और एक खूबसूरत काली ब्रा में उसके बड़े बड़े बूब्स मुझे क़यामत से लग रहे थे।
हाँ एक बात और, उसका फिगर 34-30-36 था।
बड़े उरोज़ और चूतड़ मुझे बहुत पसंद हैं।

अब मैंने अपना हाथ उसके पीठ पर ले जाकर उसकी ब्रा के हुक खोल दिया, उसके दूधिया और शानदार उरोज़ अब मेरे हाथों में थे, मैं उन्हें दबाने लगा।
अब आँचल भी उत्तेजित हो गई थी, अब उसने अपनी आँखें खोल दी थी।

अब मैं उसके निप्पल को अपनी लबों के बीच रखकर धीरे धीरे मसलने लगा, फिर मैंने उसको पूरा अपने मुंह में लेकर चूसने लगा, बारी बारी से दोनों निप्प्ल चूसे, अब वो पूरी तरह से साथ दे रही थी।

मैंने जब देखा कि अब आँचल भी तैयार है तो मैंने उसके स्कर्ट के एलास्टिक को दोनों हाथों से पकड़ कर फैलाया और फिर धीरे धीरे नीचे करना शुरू किया।
सबसे पहले उसकी काली फैंसी पैंटी नजर आई, मैं थोड़ा रुका और उसकी पैंटी को थोड़ी देर तक देखते रहा, फिर मैंने अपनी एक ऊँगली ठीक उसके चूत पर रखा और पैंटी के ऊपर से ही, ऊँगली ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर करने लगा।
आँचल ने अपने नीचे वाले होंठ को दांतों से दबा रखा था।

मैंने अब उसके स्कर्ट को उसके पैरों से बाहर निकाल दिया और उसके पैरों को चूमने लगा।
धीरे धीरे मैं चूमते हुए ऊपर बढ़ रहा था और अब मैं उसकी पैंटी को एक झटके में खीच कर उसके घुटने तक ले आया और फिर पैंटी निकाल दिया।
उसकी चूत बड़ी ही प्यारी थी, बिल्कुल चिकनी और गोरी… लगता था कि उसने अपनी चूत के बाल आज ही साफ़ किये थे।

चूत चाटना मुझे बहुत पसंद है और चिकनी चूत हो तो मजा ही कुछ और होता है।
मैंने उसके पैरों ऊपर उठा दिया, मैं उसके पैरों के बीच लेट गया और उसके मस्त चूतड़ों को दोनों हाथों से पकड़ कर मसलने लगा।
अब मैंने उसकी मस्त प्यारी चूत को चूमा और फिर अपनी जीभ को उसकी चूत पर ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर करने लगा।
मैंने उसकी चूत को फैला दिया और अपना जीभ बीच में रख कर चाटने लगा, काफी देर तक मैं आँचल की चूत चाटता रहा फिर मैं अपनी जीभ उसकी चूत के अंदर डाल कर अंदर बाहर करने लगा।

अब मैं भी काफी उत्तेजित हो चुका था, अब मेरा लंड आँचल की चूत में जाने को मचल रहा था, मैंने अपने कपड़े उतार दिए, आँचल मेरे लंड को बड़े गौर से देख रही थी।
आँचल की चूत टाइट थी, लेकिन चूत देखकर मुझे समझ आ गया था कि इस चूत में लंड जा चुका है पहले भी…
फिर भी मैंने उससे पूछा- ऐसे क्या देख रही हो, पहले सेक्स नहीं किया क्या?
आँचल बोली- हाँ अपने एक्स बॉयफ्रेंड के साथ कुछ बार किया था लेकिन काफी समय हो गया।

खैर मैंने आँचल के चूतड़ों के नीचे तकिया दे दिया तो आँचल की चूत थोड़ा ऊपर उठ गई, मैं घुटनों पर बैठ गया और उसकी चूत को थोड़ा फैलाया और लन्ड उसकी चूत पर रखकर धीरे धीरे लंड पर दबाव देने लगा, तो लंड धीरे धीरे चूत में जाने लगा।
मैंने आँचल की चूत चाट कर गीली कर दी थी, तो लंड आराम से अंदर जा रहा था और आखिर पूरा लंड उसकी चूत में चला गया, उसे थोड़ा दर्द हो रहा था। या तो उसकी चूत टाइट थी या मेरे बड़े लंड के कारण हो रहा था या फिर काफी दिन के बाद वो सेक्स कर रही थी।
खैर जो भी वजह हो, टाइट चूत में लंड डालने में अलग मजा है।

अब मैं उसके ऊपर आ गया और उसकी कमर को पकड़ कर झटके देने लगा, आँचल ने दोनों हाथों से बेडशीट पकड़ रखा था और मैं लगातार शॉट मार रहा था, मैं कभी उसके बूब्स चूसता तो कभी उसके होठों को।
हर शॉट के साथ आँचल सिसकारियाँ भर रही थी, और उसकी सेक्सी सिसकारियाँ मेरी आग को और भड़का रही थी।
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मैं अपनी रफ़्तार बढ़ता चला गया और उसकी चूत को जोर जोर से चोदने लगा।
करीब 10 मिनट की चुदाई के बाद वो झड़ गई और बोली- पानी पीना है मुझे।
मैं नीचे उतर गया और वो रसोई में पानी लाने गई।

मैं आँचल के पीछे पीछे रसोई में गया, वो पानी पीने लगी और मैं उसके चूतड़ों से लंड सटा कर खड़ा हो गया। जब उसने पानी का गिलास नीचे रखा तो मैंने पीछे से उसके दोनों बूब्स दोनों हाथों से पकड़ लिया।
क्या फिगर थी, मस्त गांड, शानदार चूचियाँ, लाजवाब हुस्न था।

मेरा लंड अब भी खड़ा था और चूत में जाने को बेकरार था, मैंने आँचल को कमर पकड़ कर उठा लिया और किचन की स्लैब पर बिठा दिया, उसके दोनों पैर भी स्लैब रख दिए उसके दोनों हाथ मेरे गर्दन पर लिपटे थे, मैंने अब अपना लंड उसकी चूत में डाल और फिर शॉट्स देने लगा, मैंने अपने दोनों हाथों से उसके चूतड़ पकड़ रखे थे और उसकी चूत की चुदाई कर रहा था।
मैं थोड़ा पीछे हटता और फिर आगे जाता, बार बार ऐसा हो रहा था, लंड चूत के अंदर बाहर हो रहा था।

आँचल फिर से गर्म होकर चुदने को तैयार हो गई थी।
मैं काफी देर तक उसकी चूत चोदते रहा, फिर उसे गोद में उठा कर बिस्तर पर लेकर आ गया।
मैं बिस्तर पर लेट गया और उसे अपने ऊपर आने बोला।
मैंने अपने लंड को हाथ से पकड़ कर खड़ा किया, वो ऊपर से आकर मेरे लंड पर बैठ गई, लंड का थोड़ा हिस्सा उसकी चूत में गया, फिर मैंने उसकी कमर पकड़ कर नीचे दबाया, थोड़ा जोर मैंने नीचे से लगा दिया और लंड चूत के अंदर चला गया।
मैं उसकी कमर पकड़ कर उसे ऊपर नीचे कर रहा था और लंड अंदर बाहर हो रहा था।
मैं चूत में लंड अंदर बाहर होते देख रहा था।

आँचल अब थोड़ा थकने लगी थी तो मैंने उसे नीचे उतार दिया।
अब मैं बेड के नीचे खड़ा हो गया, आँचल के पैरों को मैंने अपने कंधे पर रख लिया और लंड उसकी चूत पर रखकर एक झटका दिया और पूरा लंड दनदनाता हुआ चूत के अंदर चला गया।
अब मैंने उसकी कमर को पकड़ लिया और पूरी रफ़्तार से उसकी चूत चोदने लगा, हर शॉट पर उसकी चूचियाँ हिलती, उसकी हिलती चूचियाँ देखकर मैं और उत्तेजित हो रहा था और पूरी रफ़्तार से चोद रहा था।

अब मुझे महसूस हुआ कि अब मेरा निकलने वाला है तो मैंने लंड बाहर निकाल कर अपना वीर्य उसकी चूत के ऊपर गिरा दिया।
फिर मैं काफी देर तक उसे अपनी बाँहों में लेकर लेटा रहा और उसके खूबसूरत जिस्म से खेलता रहा।

मैं 10 बजे से 4 बजे तक उसके साथ रहा, हमने तीन बार सेक्स किया।
आँचल की चूत तो मैंने चोद दी, लेकिन उसकी दोस्त मीनल की चूत चोदने का भी ख्वाब मेरे दिल में है, अगर मीनल की चूत मैंने चोदी तो वो कहानी भी आपके सामने जरूर लाऊँगा।

आप सबने मेरी कहानी हमेशा पसंद की है और अपनी प्रतिक्रिया दी है, मैं उम्मीद करता हूँ कि मेरी यह कहानी भी आपको पसंद आएगी। मुझे आपकी प्रतिक्रियाओं का इन्तजार रहेगा।

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