मेरी कामुकता का राज-2

(Meri Kamukta Ka Raaz- Part 2)

मेरी हिन्दी सेक्सी स्टोरी का पिछला भाग: मेरी कामुकता का राज-1

जब इम्तिहान नजदीक आए तो हम रात को भी पढ़ने के बहाने एक दूसरे के घर आ जाती और आधी रात के बाद दोनों पूरी नंगी हो कर एक दूसरे को प्यार करती, एक दूसरी किस करना, तो आम बात थी, अक्सर स्कूल में भी हम एक दूसरी को किस कर लेती थी। मगर जब अकेली होती थी तब एक दूसरी के बूबू चूसने, चूत चाटनी, और फिर गांड में उंगली करनी सब कुछ शुरू कर दिया।

उन्हीं दिनों पायल की एक लड़के से सेटिंग हो गई। फिर पायल का मुझ से मिलना थोड़ा कम हो गया, क्योंकि अब वो उस लड़के के साथ घूमती और फिर बाद मुझे अपनी कहानी सुनाती कि आज हमने ये किया, आज हमने वो किया।
मेरी चूत में भी आग लगती, मेरा दिल भी मचलता, मेरा कोई बॉय फ्रेंड हो और वो मेरे जिस्म से खेले, मैंने उसके जिस्म से खेलूँ। दोनों एक दूसरे को खूब प्यार करें, वो मेरे से सेक्स करे, मैं भी अपनी मामी की तरह से उसके नीचे पड़ी तड़पूँ, उसका लंड अपने मुँह में लेकर चूसूँ।

पायल बताती थी कि जब भी वो और उसका यार मिलते, तो कुछ न कुछ तो करते ही थे। और कुछ ज़्यादा नहीं तो वो पायल को अपना लंड तो ज़रूर चुसवाता था।

एक बार मैंने पायल से कहा- यार अपने बॉय फ्रेंड से कह, मेरी भी अपने किसी दोस्त से बात करवा दे, मेरा भी बहुत दिल करता है ये सब करने को।
तो पायल बोली कि वो बात करेगी।

कुछ दिनों बाद पायल ने कहा कि उसके बॉय फ्रेंड का एक दोस्त है जो मुझसे दोस्ती करना चाहता है।
मैंने तो बिना उसे देखे मन ही मन में हाँ कर दी।

कुछ दिनों बाद मैं और पायल गई और पायल के बॉयफ्रेंड ने मुझे अपने उस दोस्त से मिलवाया। देखने में ठीक ठाक सा था, चशमेश, पढ़ाकू टाईप का… पर मुझे अच्छा लगा, मैंने हाँ कर दी।

फिर एक दिन वो मुझे फिल्म दिखाने ले गया। बेकार सी फिल्म थी, बेकार सा सिनेमा हाल था। गिनती के कुछ लोग थे, हम दोनों बिल्कुल पीछे वाली सीट पर बैठ गए, हमारी लाइन में कोई और नहीं बैठा था।
जब फिल्म शुरू हुई तो उसने अपना एक हाथ मेरे पीछे से घूमा कर मेरे कंधे पर रखा, मुझे पता था कि अब ये कुछ न कुछ करेगा। उसने पहले तो हाथ ऐसे ही ढीला सा रखे रखा.

जब फिल्म 10-15 मिनट की निकल गई, तो उसने इधर उधर की बातों में ही अपना हाथ नीचे करके पूरी तरह से मेरे बूब के ऊपर रख लिया। मैं भी उसके हाथ से निकालने वाली गर्मी को अपने बूब पर महसूस कर रही थी मगर मैं तो खुद चाहती थी कि वो पकड़ कर दबाये.

और फिर उसने मेरे बोबे पर हल्की सी पकड़ बनाई, शायद ये देखने के लिए के कहीं मैं बुरा तो नहीं मानती। मेरी तरफ से आश्वस्त हो कर उसने अपने हाथ में पूरी तरह से मेरा बोबा पकड़ कर दबाया। मैंने कुछ नहीं कहा, मैं तो खुद मजा ले रही थी।
पहले उसने एक हाथ से मेरा एक बूब दबाया, जब मैंने कुछ नहीं कहा, तो उसने दूसरे हाथ से मेरा दूसरा बूब भी पकड़ लिया और दोनों बूब्स को ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा। मैंने खुद भी अपने बूब्स बहुत दबाये थे, पायल ने बहुत दबाये थे, मगर लड़के के हाथ से अपने बूब्स दबवाने का मज़ा ही अलग है।

मैंने उससे पूछा- ये क्या बदमाशी है?
वो बोला- अपनी गर्लफ्रेंड के साथ आया हूँ, इतना तो आम बात है।
मैंने कहा- और थोड़ी देर बाद और आगे बढ़ोगे तो?
वो बोला- आगे तो बढ़ना ही है हमें!
कह कर उसने मुझे अपनी गोद में ही खींच लिया।

अपनी गोद में लिटा कर उसने मुझे देखते हुये अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिये। क्या झनझनाहट हुई उस एक चुम्बन से, इतना ज़बरदस्त एहसास कि मैं बयान ही नहीं कर सकती। मैं मन ही मन बहुत खुश थी कि मेरा बॉय फ्रेंड मेरे होंठों को चूम रहा है।

होंठ चूमते हुये, उसने मेरी कमर के पास हाथ फेरते हुये, मेरी टी शर्ट के अंदर डाल लिया, पहले हाथ मेरी पीठ की तरफ ले गया, मेरी पीठ के सहलाया, और पीठ सहलाते सहलाते, मेरे होंठों को चूसते चूसते उसने मेरे ब्रा की हुक खोल दी। जब ब्रा ढीला हो गया, तो उसने अपना हाथ मेरी पीठ से घूमा कर आगे ले आया और मेरा ब्रा ऊपर उठा कर मेरे बूब्स को पकड़ लिया, कभी ये दबाता तो कभी वो दबाता।

मेरे तो रीढ़ में सिहरन पे सिहरन उठ रही थी, मैं खुद उसके होंठ चूस रही थी, अब मुझसे सब्र नहीं हो रहा था, मेरा दिल तो चाह रहा था कि ये मुझे यहीं फर्श पर लेटा कर चोद डाले।

जब उसने मेरे होंठ चूस लिए, मेरे बोबे दबा लिए तो उसने मेरी जीन्स के अंदर हाथ डाला। मैंने अपनी सांस खींच ली, ताकि मेरा पेट दब जाए और उसे मेरी पैन्ट के अंदर हाथ डालने में आसानी हो। उसने सीधा जीन्स के साथ ही मेरी पेंटी में हाथ डाल दिया और मेरी चूत को छूकर उसमें उंगली फेर कर कहा- तू तो बहुत पानी छोड़ रही है।
मैंने कहा- हाँ, मेरा पानी बहुत गिरता है।

मगर बातों बातों में मैंने महसूस किया किया के मेरे चूतड़ों में पहले तो नहीं था, पर अब कुछ सख्त सा चुभ रहा है।
मैंने जान बूझकर पूछा- ये क्या है सख्त सख्त सा?
उसने मुझे उठाया और अपनी पेंट की ज़िप खोल कर अपना लंड बाहर निकाला।
बेशक रोशनी पूरी नहीं थी, मगर फिर भी मैंने देखा, वैसा ही मामाजी के जैसा काला लंड।

उसने मुझे अपना लंड मेरे हाथ में पकड़ाया। मैंने उसे पकड़ कर हिला कर देखा, और जब थोड़ा ज़ोर लगा कर नीचे को दबाया तो उसका गोल मोटा सा टोपा बाहर को निकल आया। मेरा पूरा ध्यान सिर्फ उसके लंड की तरफ ही थी।
उसने मुझे पूछा- चूसेगी?

मैं कुछ कहती, इससे पहले ही उसने मेरा सर नीचे को झुकाया और मेरा मुँह अपने लंड से लगा दिया। मेरी नाक में अजीब से स्मेल आई, मगर उसने मेरा सर नीचे को दबाना जारी रखा। पता नहीं क्यों मेरे होंठ खुद ब खुद खुल गए और मैं उसका लंड अपने मुँह में ले लिया।
बड़ा ही कसैला सा स्वाद था। मगर कुछ कुछ ऐसा ही स्वाद मैं तब भी महसूस करती थी, जब मैं पायल की चूत चाटती थी।

पहले थोड़ा अजीब सा लगा मगर बाद में मुझे अच्छा लगने लगा। आज मैं समझी कि मैंने जो मामी को मामा का लंड चूसते देखा था, तब उसे भी यही स्वाद आया होगा।

उसने मेरी पैन्ट की हुक और ज़िप खोल दी, जिससे उसका हाथ बड़ी आसानी से मेरी चूत तक पहुँच गया। वो मेरी चूत सहलाता रहा और मैं उसका लंड चूसती रही। जैसे जैसे मेरा उन्माद बढ़ता जा रहा था, मुझे लंड और टेस्टी और मज़ेदार लग रहा था। मुझे लंड चूसना किसी चॉकलेट, टॉफी, कुल्फी, हर चीज़ से ज़्यादा टेस्टी लग रहा था। मैं चूसती गई, वो मेरी चूत को सहलाता रहा। मेरा दिल कर रहा था कि मैं इसका लंड चबा कर खा जाऊँ। जब कभी मैं जोश में उसके लंड को काट लेती तो वो मेरे सर में हल्की सी चपत लगा देता।

एक हाथ से वो मेरे दोनों बोबे बारी बारी मसल रहा था, दूसरे हाथ से मेरी चूत मसल रहा था, मैं उसकी गोद में सर रखे उसका लंड चूसे जा रही थी। फिर अचानक उसके लंड से गर्म गाढ़ा, चिपचिपा
सा लेस सा मेरे मुँह में गिरा।

मैंने अपना मुँह हटाना चाहा तो उसने मेरा सर पकड़ के दबा दिया, मजबूरी में मुझे उसका बहुत सारा वीर्य पी जाना पड़ा। मगर उसके झड़ने के साथ ही मेरा भी काम हो गया। जब मेरी चूत ने पानी छोड़ा तो मैं खुद चाट चाट कर उसका सारा वीर्य खा गई, उसका लंड बिल्कुल सूखा मेरे मुँह से बाहर आया।

अपना अपना पानी निकाल कर हम दोनों ठीक ठाक हो कर बैठ गए।
वो बोला- अब और सब्र नहीं होता जानम, बहुत जल्द हम कहीं मिलेंगे और सेक्स करेंगे.
मुझे क्या ऐतराज हो सकता था, मैंने भी कह दिया- हाँ, जब तुम कहो, जहाँ कहोगे, मैं आ जाऊँगी, बस मुझे प्यार ऐसे ही करते रहना।

उसके बाद हम आधी फिल्म बीच में ही छोड़ कर घर वापिस आ गए।

मगर इससे पहले कि हमारा कोई प्रोग्राम बनता, उसके पापा का ट्रांसफर हो गया, वो मुझे छोड़ कर चला गया।
मैं बहुत रोई, इसलिए नहीं कि मेरा बॉयफ्रेंड चला गया बल्कि इसलिए कि मेरे हाथ से चुदाई का मौका चला गया।

कहानी जारी रहेगी.
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मेरी कामुकता का राज-3

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