मेरी बुर भोसड़ी कैसे बनी

(Meri Bur Bhosdi Kaise Bani)

हां हूँ मैं रंडी, मेरे पास कोई इज़्ज़त नहीं है. मेरी चूत और गांड में कोई फर्क नहीं है. बस बहुत ही पतली दीवार है … और वो दीवार भी न के बराबर है. अगर गौर से देखो, तो पता चलेगा कि मेरी गांड और चुत के बीच दीवार है.

जब मैं हगने जाती हूँ, तो बस यूं ही हो जाता है, मुझे जोर लगाने की जरूरत ही नहीं पड़ती. बस बैठी और सारी टट्टी बाहर आ जाती है. किसी की गांड का छेद होता है, काश मेरा भी होता.

पता है मेरी गांड के छेद का साइज इतना बड़ा है कि लगभग एक लोटा तो समां ही जाएगा. यदि चुत की बात करूं, तो मेरी चुत का माल जब चाहे बाहर निकाल सकती हूँ. अब तो मेरी चुत में दो लौड़े तो छोड़ो, एक टाँग भी फिट हो सकती है.

मेरी चूची में भी रस नहीं रहा, पूरी लटक चुकी हैं. मेरी मूत्र नलिका का दाना जिसे क्लिट कहते हैं, वो बाहर निकला हुआ है. मेरे होंठ भी पहले जैसे नहीं रहे हैं. मेरी गांड पर अभी भी बहुत सारी चोटों के दाग हैं. मेरे गालों पर और जांघों पर भी हैं … और तो और मेरे पेट पर, पीठ पर मुझे सबने बस नोंचा हुआ है. मुझे देख कर कोई भी डर जाएगा. लोग मुझसे डरते हैं. रंडीखाने में भी मुझे कोई नहीं पूछता है. बस किसी तरह से रोज़ी रोटी चलती है. आज तक मेरी शादी नहीं हुई. मैं अपने माँ बाप को अपना चेहरा तक नहीं दिखा सकती.

ये बात तब की है. जब मैंने अपने पापा से एक स्कूटी जिद की … और पापा ने साफ़ इंकार कर दिया. बस तब मैंने नाराज होकर घर छोड़ने की सोच ली. मैंने अपनी सहेली रीता से मदद मांगी और उसने मेरी मदद भी की. मैं भारत से लन्दन चली गई और उधर ही शिफ्ट हो गयी. मेरे पास वहां कोई काम नहीं था, बस मेरे पास 300 अमेरिकन डॉलर थे. मैं काम की तलाश में भटक रही थी. मैं एक कंपनी में जॉब के इन्टरव्यू के लिए गयी.

मेरे बॉस ने मुझसे बोला कि तुम हमारे ग्राहकों के लिए क्या कर सकती हो?
मैंने बोला- जो हो सकेगा, करूंगी.
बॉस बोला- तो पहले मुझे खुश करके दिखाओ.
मैंने पूछा- मतलब?
तो वो बोले- तुम नंगी हो जाओ.

मैं वहां से तुरंत अपना बैग लेकर निकल गयी. मैं वहां 7 दिनों से काम ढूँढ रही थी, पर मुझे कोई काम नहीं मिला.

मेरे पास कोई रास्ता नहीं था. मैं हारकर उसी बॉस के पास गयी. मैंने उसके पैर पकड़े कि कोई दूसरा रास्ता नहीं है?
तब बॉस बोला- यहाँ इज़्ज़त का कोई मोल नहीं है, ये इंडिया नहीं है … लन्दन है. तुम्हें जॉब चाहिए तो मैं जो कहूँगा, तुझे करना होगा.

मैं हार चुकी थी. मैंने हामी भर दी.

मेरे बॉस बोला- जाओ वॉशरूम होकर आओ.
मैं वॉशरूम होकर आयी.

मेरे बॉस ने बोला- सारे कपड़े उतारो और खड़ी हो जाओ.
मैं पूरी नंगी खड़ी हो गई.
उसने पहले मेरी चुत को देखा, मैं पूरी कुंवारी थी. उसने बोला- मैं पूरी रात के तुम्हें 10 हज़ार पौंड दूँगा.
मैं खुश होकर मान गयी.

उसने पहले अपने कपड़े उतारे. हम दोनों पूरे नंगे हो चुके थे. उसने मुझे उठाया और एक कुरसी पर बैठा दिया. फिर उसने मुझसे अपने लंड को चूसने को बोला. मुझे लंड चूसना थोड़ा अजीब लगा. लेकिन मुझे उसे बड़ी रकम मिलने की आस थी. इसलिए मैं राजी हो गई.

मैं जब उसके लंड के पास अपना मुँह लेकर गयी, तो मुझे बहुत बदबू आ रही थी. लेकिन बॉस ने जबरदस्ती मेरे मुँह में लंड पेल दिया. मैं मजबूरी में लंड चूसती रही. करीब 5 मिनट बाद उसके लंड से कुछ बाहर निकला, जो मुझसे गटका नहीं गया. मैंने वहीं पर उलटी कर दी.

फिर मेरे बॉस ने मेरे चूचों को इतना ज़ोर से दबाया कि मेरी तो चीख ही निकल गयी. वो मेरे चूचों को बुरी तरह से काट रहा था, भंभोड़ रहा था. मेरा शरीर एकदम से सिहर उठा था.

जब मेरे चूचों से उसका जी भर गया, तो उसने मेरी चुत को चाटना शुरू किया. मेरी चुत का बुरा हाल हो रहा था. जब मेरी चुत को चाटते चाटते उसका मन भर गया, तो उसने मेरी चुत पर थोड़ा थूक लगाया और अपना लंड को गीला करने के लिए मेरे मुँह में पेल दिया.

फिर उसने मेरी चुत पर लंड सैट किया और इतना तेज झटका मारा कि मैं दर्द के मारे बेहोश हो गयी. मुझे बेहोश होते देख कर बॉस ने मेरे मुँह पे पानी के छींटे मारे. मुझे ऐसा लगा कि पानी थोड़ा नमकीन सा था और उसमें थोड़ी बदबू भी आ रही थी. मैंने आँखें खोलीं तो मुझे समझ आया कि वो बॉस के लंड से निकलने वाली पेशाब की धार का फव्वारा था. मेरी चुत में बहुत दर्द हो रहा था और फर्श पर काफी खून था.

अब बॉस ने फिर अपना लंड मेरी चुत पर सैट किया और एक झटके में ही पूरा का पूरा लंड अन्दर डाल दिया. मेरा तो दर्द के मारे बुरा हाल था. वो मेरी चुत में लंड पेलते ही जा रहे थे. साथ ही वो मेरी चूचियों का हलवा सा बना रहे थे. मैंने एक बकरी सी मिमया रही थी. मुझे दर्द तो हो रहा था लेकिन कुछ देर बाद मुझे चूत में कुछ सनसनी सी भी होने लगी थी. शायद ये चुदाई का मजा था.

करीब 3-4 मिनट में मेरा दर्द कुछ और कम हुआ. अब मुझे भी मज़ा आने लगा था. वो पूरी स्पीड से मुझे चोद रहे थे.

अब मुझे मीठा मीठा दर्द हो रहा था. मैं बोल रही थी- आह … और ज़ोर से चोदो मुझे. … मेरी चुत फाड़ दो … मुझे चोदो …

सच में मुझे बड़ा ही मज़ा आ रहा था. दस मिनट बाद मेरी चुत में कुछ अनुभव सा हुआ, मैंने सोचा कि शायद बॉस ने अन्दर ही पेशाब कर दिया है.

बॉस पेशाब करने के बाद मेरे ऊपर वैसे ही लेटा रहा, मैं थक चुकी थी. मैं वैसे ही वहीं पे उसी हालत में सो गयी. रात को मुझे पेशाब लगी. मैंने बॉस को अपने ऊपर से हटाया और नंगी ही पेशाब करने चल गई. बाथरूम में जब मैं पेशाब कर रही थी, तब मेरी चुत से कुछ सफ़ेद सा गिर रहा था. मैंने उस पर ज्यादा ध्यान न देते हुए सो गई.

जब सुबह हुई, तो मैं लेट सो कर उठी. बॉस बोले- तुम यहाँ तुम 10 माह के लिए रह सकती हो.
मैं तो खुश हो गयी थी.

बॉस बोले- बस तुम्हें हमेशा ही नंगी रहना होगा.
मैंने कहा- ठीक है.
मैं वहां नंगी ही रहने लगी.

वहां 2 से 3 महीने में मेरी मोटापा बढ़ने लगा और 9 महीने बाद मैं बहुत मोटी हो चुकी थी. मेरे पेट में दर्द भी होता था. उन 9 महीनों में पता नहीं क्यों, कई बार मेरी चुत से कितनी ही बार खून की नदियां बही होंगी.

एक दिन अचानक से मेरे पेट में तेज दर्द होने लगा. बॉस अपना काम छोड़कर मुझे हॉस्पिटल ले गए.

डॉक्टर ने मुझे जोर से अन्दर की ओर पुश करने को कहा. मैं समझ नहीं पा रही थी कि मेरे साथ क्या हो रहा है. मुझे बड़ा दर्द हो रहा था.

फिर एक डॉक्टर ने मेरी चुत को थोड़ा काटा, मेरी तो जान निकल गयी. फिर अचानक मेरे पेट की साइज कम हो गई. मैं फिर से पहले जैसी हो गयी थी.

अब मुझे समझ आया कि मुझे एक लड़का हुआ है. बॉस मुझे अस्पताल में ही छोड़ कर चल गए और मेरे लिए एक बैग छोड़ गए. वो एक संदेश भी छोड़ गए थे, जिसमें लिखा था कि मैं बच्चे को ले जा रहा हूँ. तुम्हारे बैग में इंडिया वापस जाने का वीजा और कुछ पैसे हैं, तुम वापस इंडिया चली जाओ.

मैं हक्की बक्की रह गई. मैंने बैग खोला तो उसमें बीस हजार डॉलर थे.

तभी एक नर्स आई और मुझे एक इंजेक्शन लगा कर चली गई. जिससे मुझे नींद आ गई.

मैं दो दिन तक लगातार बिस्तर पर पड़ी रही. फिर हॉस्पिटल से मुझे निजात मिली और मैं भारत वापस आ गई. इस बीच मैंने बॉस से सम्पर्क करने की कोशिश भी की, पर मुझे उसने खुद से मिलने ही नहीं दिया. शायद उसे एक वारिस की जरूरत थी, उसकी माँ की नहीं.

उसने मुझे इंडिया आने पर मजबूर कर दिया. मैंने सोचा था कि इधर वापस आ कर कोई जॉब कर लूँगी. मैंने एक दो जगह काम भी किया … पर सभी जगह मुझे जिस्म काटने वाले भेड़िये ही दिखे.

मुझे भी अब जिस्म की भूख सताने लगी थी. मैं एक दिन रोड साइड खड़ी होकर रंडी बन कर अपने लिए ग्राहक ढूँढने लगी. मेरी जवानी अभी भी मादक थी. मुझे एक रईस आदमी अपने साथ ले गया. उसने मुझे रात भर चोदा और मुझसे दूसरे दिन भी आने को कह दिया.

मैंने उससे कहा- मैं आज यहीं रुक सकती हूँ क्या? मुझे नींद आ रही है.
तब उसने मुझसे मेरी पूरी बात सुनी और जाना कि मेरा इस दुनिया में कोई नहीं है.

उसने मुझे अपनी रखैल बन जाने का ऑफर दिया. मैं उसकी रांड बन गई और उसके दिए एक फ्लैट में रहने लगी. मेरा काम खुद उसको संतुष्ट करना था और उसके लिए नई नई लौंडियां ढूँढ कर लाने का हो गया था.

कुछ साल बाद उसने मुझे भगा दिया. अब मैं एक चकले वाली बन गई थी. इधर कुछ सस्ती रंडी चाहने वालों ने मुझे जी भरके चोदा और मेरी बुर को भोसड़ी में तब्दील कर दिया.

ये मेरी सच्ची कहानी है, जो मैं अपने एक दोस्त के माध्यम से आप सभी तक भेज रही हूँ. यदि आपको मुझसे कुछ कहना हो, तो प्लीज़ मुझे मेल कीजिएगा.
धन्यवाद.
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