मेरा गुप्त जीवन- 175

(Mera Gupt Jeewan- part 175 Train Me Bhabhiyon Ke Yaun Rahasya Khule)

यश देव 2016-06-16 Comments

This story is part of a series:

ट्रेन में भाभियों के यौन रहस्य खुले

मौसी ने सब लड़कियों को अपने अपने कमरों में जाने के लिए कहा तो सब लड़कियाँ कपड़े पहन कर मेरे पास आई और मुझ को एक बड़ी ही हॉट और कामुक जफ्फी मारने लगी और साथ में अभी भी खड़े मेरे लण्ड को चूमती हुई वहाँ से एक एक कर के निकल गई।

अब मौसी ने भी कपड़े पहन लिए थे और मैं भी कपड़े पहन कर जाने के लिए तैयारी कर ही रहा था कि एक बार फिर से दरवाज़ा खटका और जब मौसी ने दरवाज़ा खोला तो रितु भाभी बाहर खड़ी थी।

अंदर आते ही वो बोली- ताऊ जी और चाचा जी अब यहाँ नहीं आ रहे हैं, आप सब आराम से यहाँ बैठिये। और वो सोमू लल्ला कहाँ हैं? मुझको तो उसका फ़िक्र हो रहा है क्यूंकि ताऊ जी बार बार उसके बारे में पूछ रहे थे।

मुझको देख कर वो संयत हो गई और मौसी से बोली- यह अच्छा किया कि आपने सोमू लल्ला को अपने साथ रखा हुआ है क्यूंकि सब वहाँ सोमू के बारे में ही पूछ रहे थे।

फिर रितु भाभी मौसी की तरफ देख कर रहस्मयी तरीके से मुस्कराई और आँखों से मौसी को पलंग पर पड़ी मौसी की रेशमी ब्रा की तरफ इशारा किया और यह जताने की कोशिश कि वो सब समझती कि वहाँ कुछ देर पहले क्या हुआ है।

मौसी ने भी मुस्करा कर अपनी ब्रा को उठा लिया और थोड़ी शर्म से उनका चेहरा हल्का लाल हो गया लेकिन फिर वो संयत होते हुए बोली- रितु जी, आप इस हैंडसम लड़के सोमू के बारे में कुछ जानती हैं क्या?

रितु भाभी थोड़ी सकपका गई और बोली- नहीं मौसी जी, हम दोनों तो अभी लखनऊ से आते हुए सिर्फ ट्रेन में ही मिले हैं। उससे पहले हम एक दूसरे को बिल्कुल नहीं जानते थे हालाँकि हमारे घर लखनऊ में पास पास ही हैं।

तब मौसी ने जैसे थोड़ी हिम्म्त जुटाते हुए मुझसे पूछा- सोमू भैया क्या तुम लखनऊ में किसी स्त्रीरोग के विशेषज्ञ डॉक्टर को जानते हो?
मैं सब समझ गया था कि मौसी क्या पूछना चाहती है लेकिन फिर भी अन्जान बनते हुए पूछा- किस तरह के स्त्री रोग के बारे में पूछ रही हैं? क्या बच्चे वगैरह ना होने के बारे में या फिर किसी अन्य स्त्री रोग के बारे में?

बिमला मौसी और रितु भाभी एक साथ बोल पड़ी- अगर बच्चा ना होता हो तो?
मैंने मौसी से पूछा- क्या यहाँ टेलीफोन मिल सकेगा?
मौसी बोली- हाँ हाँ फ़ोन तो इस कमरे में भी लगा है।

अब मैंने अपनी घड़ी में टाइम देखा तो रात के 10.30 बजे थे, मैंने मौसी के बताए हुए टेलीफोन पर लखनऊ ट्रंक कॉल लगाई और जल्दी ही फ़ोन पर कम्मो की आवाज़ सुनाई दी।

सब हाल पूछने के बाद मैंने कम्मो से कहा- यहाँ दो औरतें मेरे पास खड़ी हैं, ये तुमसे कुछ पूछना चाहती हैं, इनकी बात सुन लो और अगर कोई उपाय है तो इनको बता दो, बाद में तुम मेरे से फिर बात करना।

यह कह कर मैंने फ़ोन का चोंगा मौसी को दे दिया और खुद कमरे के दूसरे छोर पर चला गया ताकि उनकी बातें मुझको सुनाई ना दें।
कोई पांच मिनट की बात दोनों के साथ करने के बाद मौसी ने चोंगा मुझको थमा दिया और मैंने कम्मो को बताया कि कल रात को लखनऊ के लिए चलूँगा और अगली सुबह पहुँच जाऊँगा।

फ़ोन बंद करने के बाद मैंने उन दोनों औरतों की तरफ देखा और दोनों काफी खुश लग रही थी।
मौसी जी बोली- कम्मो ने हमको लखनऊ बुलाया है ताकि वो हमारा चेकअप कर सके और यह जान सके कि किस कारण से हमारे बच्चा नहीं हो रहा है। वो कह रही थी कि तुमको सब कुछ मालूम है।

मैं केवल मुस्करा भर दिया और फिर मौसी और रितु भाभी को लखनऊ आने का निमंत्रण दिया और दोनों ने कहा कि वो जल्दी ही लखनऊ आएँगी।

मैंने मौसी को कहा- आप ज़रूर आओ, चाहे अकेले या फिर मौसा जी के साथ और हमारी कोठी में ही ठहरना पड़ेगा।
और रितु भाभी से कहा कि जब वो लखनऊ वापस आ जाएँ तो हमारी कोठी में ज़रूर आएँ और कम्मो से मिलें। मैं आप दोनों को बता दूँ कि कम्मो बहुत कम ही अपने काम में फेल होती है।

दोनों इतनी खुश हुई कि दोनों ने मेरे को बहुत ही कामुक जफ्फी मारी और मौसी ने पूछा- सोमू लल्ला, तुमने आज मुझको बहुत खुश कर दिया है और हर तरह से मैं बहुत खुश हूँ।
रितु भाभी बीच में बोल पड़ी- सोमू को ताज़ी ताज़ी चूत दिलवा दो, यही इस का इनाम है! क्यों सोमू?

मैं फिर कुछ नहीं बोला और मौसी बोली- चल सोमू तू भी क्या याद करेगा… अभी लाती हूँ तेरे लिये फ्रेश माल! लड़की या फिर भाभी चलेगी ना?
रितु भाभी बोली- चलेगी चलेगी आप लाओ तो सही, सोमू को दिखाओ तो सही, हमको चखाओ तो सही!

मैंने मौसी को रोक दिया और हाथ जोड़ कर कहा- मौसी जी आप तो देख चुकी हैं आज शाम से ले कर कितनी बार यह ससुरी चुदाई का पंगा हो रहा है। मेरे लण्ड को चूत का नाम सुन कर ही उबकाई आ रही है। जैसे बहुत बार दाल खाने से दिल भर जाता है वैसे ही मेरे दिल भी चुदाई से भर चुका है, अब तो मैं सिर्फ सोना चाहता हूँ।

मौसी और रितु भाभी ने एक दूसरी को देखा और फिर मौसी ने कहा- ठीक है तुम अब आराम करो लेकिन तुम्हारा नाईट सूट तो है नहीं तो फिर क्या इन्ही कपड़ों में सो जाओगे क्या?

मैंने कहा- मेरे को इतने ज़ोरों से नींद लग रही है क्या बताऊँ? आप दोनों कहाँ सो रही हो?
दोनों ने कहा- अभी कोई जगह तय नहीं की, जहाँ जगह मिलेगी वहीं पड़ी रहेंगी। तुम सो जाओ निश्चिंत होकर!

मैंने दोनों को अपनी दोनों तरफ लिटा लिया और बिस्तर पर पड़ते ही मैं तो बहुत ही गहरी नींद में सो गया।
रात में एक बार नींद खुली तो महसूस किया कि रितु भाभी मुझको ऊपर से चोद रही थी और दूसरी बार उठा तो देखा कि मौसी मेरे को मज़े से धीरे धीरे चोद रही थी।

लेकिन जब सवेरे उठा तो दोनों ही गायब थी, मेरी पैंट उतरी हुई थी और मेरे पेट पर सफ़ेद सा तरल पदार्थ जम चुका था।

मैं पैंट पहन ही रहा था कि खूबसूरत जस्सी मेरे लिए चाय लेकर आ गई और हम दोनों ने बैठ कर गर्म गर्म चाय पी और साथ में एक दूसरे के शरीर के अंगों से भी छेड़छाड़ की।
थोड़ी चूमा चाटी के बाद वो चली गई और मैं नहाने धोने में लग गया।

फ्रेश होकर मैं नीचे लगे टेंट में आ गया और वहाँ सबके साथ नाश्ता किया। वहाँ पता चला कि बरात की विदाई दोपहर का खाना खाने के बाद होगी।

मैं तीनों भाभियों को ढून्ढ रहा था जिन्होंने मेरे साथ लखनऊ जाना था रात की ट्रेन से!
थोड़ी देर में मुझको नंदा भाभी दिख गई, वो स्वयं ही मेरे पास चली आई और आते ही रात का प्रोग्राम पूछने लगी।

मैंने उनको वृंदा और गौरी भाभी को ढूँढने के लिए कहा, जब वो दोनों भी आ गई तो मैंने उनको बताया कि हमरी गाड़ी रात को 9 बजे जाती है तो हमको स्टेशन पर कम से कम 8 बजे तक पहुँच जाना चाहिए ताकि हम आराम से गाड़ी में बैठ सकें।

उसके बाद मौसी मुझको मौसा जी के साथ आती हुई दिख गई, मैंने आगे बढ़ कर मौसा जी से हाथ मिलाया और वो वाकयी में ही काफी कमज़ोर और बीमार लग रहे थे।
रात वाली लड़के लड़कियों में से कोई नहीं दिख रहा था तो मैंने अंदाजा लगाया कि वो सब अपने अपने घर चले गए होंगे।

खाना समाप्त होने तक मैं कहीं भी नहीं गया और ना ही रात वाले उस कमरे में ही गया जहाँ मैं सोया था क्यूंकि मुझको यह एहसास हो रहा था कि कोई न कोई मुझ को चुदाई के लिए वहाँ घेर लेगा।

बरात डोली लेकर वापस घर आ गई और सब जने दूल्हा दुल्हन के स्वागत में लग गए और मैं छत पर अपने वाले कमरे में जाकर लेट कर आराम करने लगा।

लेटे हुए कोई आधा घंटा ही हुआ था सुंदर और चंचल ऊषा आ गई, उसने कमरे का दरवाज़ा बंद कर लिया और मुझसे आकर लिपट गई, हाथों से मेरे लण्ड को टटोलते हुए उसने पैंट के बाहर निकाल लिया और उससे खेलने और चूमने लगी।

मैंने भी उसके गोल मस्ताने मम्मे हाथों में लेकर उनको टीपना शुरू कर दिया।
ऊषा ने मेरे लण्ड को लहलहाते हुए देख कर अपनी सलवार ढीली की और बालों से ढकी चूत के दर्शन मुझ को करवा कर वो लण्ड पर चढ़ बैठी।

वो ऊपर से पहले धीरे से फिर बाद में तेज़ी से मुझको चोदते हुए जल्दी ही स्खलित हो गई।
फिर वहाँ से जाने से पहले वो काफी भावुक हो गई और रुआँसी होकर बोली- सोमू, हम सब लड़कियाँ तुमको बहुत मिस करेंगी, खासतौर पर तुम्हारे लंडम लाल को जो हर वकत ही चुदाई के लिए तैयार रहता है। काश मेरी शादी तुम से हो जाती… लेकिन यह मुमकिन नहीं लगता क्यूंकि तुम मुमकिन तो कॉलेज में हो?

शाम को मैंने ताऊ जी के परिवार से विदाई ली और तीनों भाभियों के साथ टैक्सी से स्टेशन पहुँच गया।

गाड़ी प्लेटफार्म पर लगी हुई थी, हम अपने कंपार्टमेंट में बैठ गए और मैंने कुछ कोक की बोतलें और थोड़ा बहुत खाने का सामान भी ले लिया।
गाड़ी समय पर छूट गई और थोड़ी देर बाद टी टी हमारी टिकट चेक कर गया तो हमने अपने कूपे को लॉक कर लिया।

मैं गौरी भाभी के साथ बैठा था और नंदा और वृंदा सामने वाली सीट पर बैठी थी। तीनों भाभियों ने बड़ी सुंदर साड़ियाँ पहनी हुई थी और बड़ी ही आकर्षक लग रही थी।

गौरी भाभी काफी देर से एकटक मुझको देख रही थी, मैं थोड़ा लजाते हुए बोला- क्या बात है भाभी जी, आप एकटक मुझको क्यों देख रही हो? क्या मुझ में कोई ख़ास बात देख रही हो?

भाभी शर्माते हुए बोली- नहीं नहीं सोमू, ऐसी कोई ख़ास बात नहीं है, तुमको देखती हूँ तो मुझको अपने छोटे भाई की याद आ जाती है।
मैं मुस्कराते हुए बोला- अच्छा तो आप मुझको अपना छोटा भाई ही समझ लो!

गौरी भाभी शरमाते हुए बोली- धत्त सोमू, अब यह कैसे संभव हो सकता है? लेकिन सोचा जाए तो तुम्हारे और मेरे संबंध मेरे भाई के समान ही हैं।

मैं बोला- अच्छा? लेकिन वो कैसे?
गौरी भाभी ने सामने बैठी दोनों भाभियों की तरफ देख कर कहा- वैसे ही जैसे कल तुम्हारे साथ थे? वो बाथरूम में?

मैं उन क्षणों को याद करके एकदम फड़क उठा और आगे बढ़ कर गौरी भाभी का हाथ अपने हाथों में ले लिया और फिर बोला- क्या सच में आपके सम्बन्ध बिल्कुल वैसे ही थे अपनी छोटे भाई के साथ जैसे कल मेरे साथ बने थे? क्या आपने मुझको अपना छोटा भाई समझ कर अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया था?

गौरी भाभी नीचे देखने लगी और कुछ बोली नहीं।

अब मैंने सामने बैठी दोनों भाभियों से पूछा- सच बताना, दोनों क्या कभी आप के मन में भी अपने भाई या फिर पिता के बारे में कामुक विचार आये थे? या फिर उनमें से किसी एक के साथ आप के यौन सम्बन्ध बन पाये थे?

नंदा और वृंदा भाभी एक दूसरी की तरफ देखने लगी और फिर कुछ समय बाद नंदा भाभी बोली- हाँ सोमू, मेरे भी सम्बन्ध अपने बड़े भाई के साथ थे शादी से पहले और अब भी कभी कभी बन जाते हैं जब मौका मिलता है तो!

सुनंदा भाभी भी अपना सर झुका कर बोली- हाँ मेरे भी यौन सम्बन्ध थे अपने पापा के साथ, उन्होंने ज़बरदस्ती सम्बन्ध बनाए थे मेरी माँ की गैर मौजूदगी में!

अब तीनों मेरी तरफ देखने लगी और मजबूरन मुझको भी बोलना पड़ा- मेरे नाजायज़ सम्बन्ध किसी के साथ नहीं थे अपने घर में लेकिन मैं जब छोटा होता था तो मैं अपनी मम्मी पर जान देता था और कई बार मेरे मन में उनको लेकर बड़े ही सेक्सी ख्याल आते थे।

मुझको धुंधली सी याद पड़ती है कि एक दो बार जब मेरी मम्मी और पापा रात में सेक्स कर रहे होते थे तो मेरी नींद खुल जाती थी और मैं पापा मम्मी को चोदते हुए बर्दाश्त नहीं कर पाता था और खूब शोर मचाता था।
उनकी चूत तो रात को या फिर पलंग में लेटते या फिर उठते दिखाई दे जाया करती थी. इसीलिए शायद मेरी मम्मी ने मुझ को ऐसा करते हुए पकड़ लिया होगा और उन्होंने मुझको अलग कमरे में सुलाना शुरू कर दिया जब मैं 8-9 साल का रहा हूँगा।
लेकिन हमेशा मेरे साथ एक नौकरानी ज़रूर सोती थी कभी बूढ़ी और कभी जवान। वाह क्या ज़माना था यार वो भी !!!!!

वृंदा भाभी बोली- मैंने बचपन में मम्मी पापा को सेक्स करते हुए तो कई बार देखा था और मेरे पापा हमेशा मम्मी को घोड़ी बना कर चोदते थे और मेरी मम्मी हमेशा बड़ी हाय हाय करती थी।

नंदा भाभी बोली- मेरे पापा तो मम्मी को एक रात में कई बार चोदते थे. जहाँ तक मुझ को याद है जब मैं 8 साल की थी तो एक रात जब पापा मम्मी को बार बार चोद रहे थे और मम्मी धीरे धीरे कह रही थी अब बस करो जी. मुन्नी जाग जायेगी और मैं जगी होती थी सिर्फ आँखें बंद करके लेटी रहती थी. तभी से मुझ को अपनी चूत में ऊँगली करने से बड़ा मज़ा आता है।

अब हम सब गौरी भाभी की तरफ देख रहे थे, वो कुछ सोचते हुए बोली- मुझको याद है कि मेरे मम्मी पापा पूरे नंगे होकर एक दूसरे को चोदते थे, चुदाई के मामले में मम्मी बहुत ही शौक़ीन थी और पापा हमेशा उनको ताना देते थे कि तेरा तो दिल कभी भरता ही नहीं। हर वक्त भोसड़ा खोल कर लेटी रहती है साली!

हम सब हंस पड़े।
वृंदा भाभी बोली- मैं भी बचपन से ऊँगली करने की बहुत शौक़ीन रही हूँ और यह सोचता था कि शादी होगी तो उंगली की ज़रूरत ही नहीं पड़ेगी लेकिन ऐसा हुआ नहीं।

मैंने पूछा- क्या आपके पति पूरी तरह से आप की चुदाई नहीं करते और आपको पूरी संतुष्टि नहीं देते?
वृंदा भाभी बोली- अरे कहाँ… अव्वल तो हफ्ते में एक बार चढ़ते हैं और वो भी 5 मिनट में झड़ जाते हैं… अब बताओ सिवाए ऊँगली के दूसरा उपाय भी नहीं ना! शायद इसी कारण से मेरा अभी तक बच्चा नहीं हुआ है. मैं कभी कभी बहुत ही परेशान हो जाती हूँ।

तभी नंदा और गौरी भाभी बोली- बिल्कुल ऐसा ही हमारे साथ भी हो रहा है।
मैं बोला- आप लोग घबराओ नहीं, हर कष्ट का उपाय होता है, आप कोशिश करो आप सबको उपाय मिल जाएगा।

तीनो भाभियाँ मुंह लटका कर बैठी हुई थी और मुझको उन पर बहुत ही तरस आ रहा था।
मैंने उठ कर उन तीनों को कोक की बोतलें पकड़ा दी और खुद गौरी भाभी के साथ सट कर बैठ गया और हम सब मज़े से कोक पी रहे थे और ऐसा करने से सबका ध्यान अपनी दयनीय दशा से हट गया था।

मैं गौरी भाभी के हाथ को अपने हाथ में लेकर उससे खेल रहा था और खेलते हुए मैंने गौरी भाभी से पूछा- वो भाभी आप कैसे अपने छोटे भाई से सेक्स करने लगी ? पहले कैसे शुरू हुआ यह कहानी बताओ ना प्लीज?
नंदा और वृंदा भाभी भी ज़ोर देने लगी- बताइए ना प्लीज।
गौरी भाभी बोली- मैं बता देती हूँ लेकिन आप को भी अपनी अपनी कहानी बतानी पड़ेगी, बोलो मंज़ूर है?

हम सब बोल पड़े- मंज़ूर है।

मैं बोला- आप अपनी कहानी सुनाओ और मैं आपकी चूत की तृप्ति करता रहूंगा जैसा आप चाहेंगी।
वृंदा भाभी बोली- चूत चुदाई पहले कर दो तो कहानी सुनने में ज़्यादा मज़ा आएगा क्यों बहनो?

मैं बोला- जो भाभी अपनी कहानी खत्म करेगी, उसकी चूत को मेरे लण्ड का सलाम मिलेगा जैसे वो चाहेगी। बोलो मंज़ूर है क्या?
तीनों ने हाँ में सर हिला दिया।

कहानी जारी रहेगी।
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