मेरा गुप्त जीवन- 141

(Mera Gupt Jeewan- part 141 Rati Ki Kunvari Chut Ka Sheel Bhang)

यश देव 2016-02-18 Comments

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रति की कुंवारी चूत का शीलभंग

मैंने तीन चार बार ही ऐसा किया कि रति अपनी कमर नीचे से उठाने लगी और मेरे लंड को पूरा अंदर जाने के लिए उकसाने लगी लेकिन कम्मो ने मुझको रोक दिया और कहा- अभी कुछ मत करना, कल इसकी भाभी से सलाह करके ही आगे बढ़ेंगे।

अगले दिन हम फिर कॉलेज साथ साथ ही बाइक पर बैठ कर गए।
डांस रिहर्सल में रति फिर पूरे जोश से मेरे साथ चिपक कर डांस कर रही थी और दूसरी लड़की सलोनी (लोनी) भी बार बार मेरे निकट आने की कोशिश कर रही थी लेकिन मैं काफी सम्भल गया था तो उसको ज़्यादा भाव नहीं दे रहा था।

फिर डांस टीचर के कहने पर मैंने लोनी और 2 अन्य लड़कियों के साथ मिल कर डांस किया और लोनी ने फिर मेरे लंड और चूतड़ों पर हाथ फेरने की कोशिश की, मैंने भी उसको रोका नहीं।
डांस के दौरान दो अन्य लड़कियाँ भी मेरे करीब आने की कोशिश कर रही थी लेकिन मैं उनको कोई मौका ही नहीं दे रहा था।

अगले दिन रविवार था, तकरीबन 6 जोड़ों ने मेरी कोठी में डांस प्रैक्टिस के लिए हामी भर दी थी और हमको यह प्रैक्टिस दोपहर 3 बजे से शुरू करनी थी।
जब मैं रति को लेकर घर पहुँचा तो कम्मो बोली- रति को उसके घर में ही छोड़ दो, क्यूंकि उसकी भाभी उस का इंतज़ार कर रही है।

घर वापस आने पर कम्मो बोली- खुशखबरी है, भाभी ने रति की सील तोड़ने की अनुमति दे दी है और वो स्वयं भी प्रेग्नेंट हो गई है और बड़ी खुश लग रही थी।
मैं भी खुश होकर बोला- चलो, अच्छा है, भाभी की मुराद पूरी हो जाए तो अच्छा है लेकिन यह बात रति को नहीं पता चलनी चाहिए, क्यूंकि अगर उसको पता चल गया तो भाभी और आने वाले बच्चे के लिए उसके मन में इज़्ज़त और प्यार कम हो जाएगा।
कम्मो बोली- वाह छोटे मालिक, कभी कभी आप बहुत ही सुलझे हुए विचार बताते हैं।

मैं बोला- वो तो ठीक है कम्मो रानी लेकिन कल हमारे बंगले में 10-12 कॉलेज के छात्र आने वाले हैं डांस प्रैक्टिस के लिए… उनके स्वागत में कुछ कमी नहीं रहनी चाहिए। शाम का वक्त होगा तो उनके लिए चाय नाश्ते का ही इंतज़ाम करना होगा।

कम्मो मेरे पास आ कर मुझ को बड़ी ही कामुक जफ़्फ़ी डाली और बोली- आप बेफिक्र रहो मेरे आका, यह बांदी आपके हुक्म की ग़ुलाम है, पता नहीं आज आप मुझको बहुत ही सुंदर और कामुक लग रहे हो, जी चाहता है कि आप को चोद दूँ।
मैं बोला- तो देख क्या रही हो? चोद दो ना!

कम्मो थोड़ी सीरियस होते हुए बोली- आज तो रति की चुदाई का समय फिक्स किया है ना… अभी आप थोड़ी देर आराम कर लो, फिर बाद में आपको काफी काम करना है। मैं रति को पीने के लिए एक दवाई उसकी भाभी को देकर आई हूँ। देखो, उसका क्या नतीजा निकलता है?
मैं बोला- कोई ख़ास किस्म की दवाई है क्या?
कम्मो बोली- हाँ छोटे मालिक, यह दवाई पीने के बाद हर औरत और जवान लड़की में फ़ौरन उबाल आ जाता है और वो बहुत ज़्यादा ही कामातुर हो जाती है! देखो रति को क्या होता है?

हम ये बातें कर ही रहे थे कि रति तकरीबन भागते हुए हमारी बैठक में दाखिल हुई और आते ही मुझ को बड़ी ही टाइट जफ़्फ़ी डाल दी और अपने शरीर के सारे अंग मेरे शरीर से रगड़ने लगी।
मैं कहता ही रहा ‘यह क्या कर रही हो रति?’ लेकिन वो तो बिल्कुल बहरी हुई मुझसे और भी ज़्यादा ही चिपकने लगी और मुझको धकेलते हुए वो मेरे कमरे में ले गई।

वहाँ पहुँचते ही रति ने पागलों की तरह से मुझ को चूमना शुरू कर दिया, कभी होटों पर और कभी गालों पर और कभी गर्दन पर।
फिर रति का ध्यान मेरे कपड़ों की तरफ गया और वो जल्दी जल्दी मेरे कपड़े उतारने लगी और एक मिनट में ही उसने मुझको अंडरवियर तक नंगा कर दिया और नीचे बैठ कर उसने मेरे अंडरवियर में हाथ डाला और जैसे ही उसको नीचे किया उसमें से उछलते हुए लौड़ा उसके मुंह की ओर लपका लेकिन मैंने ऐन वक्त पर अपने शरीर को पीछे कर लिया ताकि नई दुल्हनिया को चोट ना लगे।

रति ने झट से लोहे की सलाख के समान अकड़े हुए और लाल सुर्ख हुए लंड को अपने मुंह में ले लिया और उसको बेतहाशा चूसने लगी।
कम्मो यह सब देख कर एकदम दंग रह गई क्यूंकि उसको कतई यह उम्मीद नहीं थी कि रति ने जो दवाई पी थी, उसका इतना गहरा असर होगा इतनी जल्दी।

कम्मो ने रति को पकड़ा और उसके कपड़े उतारने लगी और रति पूरी तरह से अपने को नंगा करने में कम्मो की मदद कर रही थी।
लेकिन कम्मो ने रति को कस कर पकड़ा हुआ था और वो उसको धीरे धीरे बिस्तर की तरफ ले गई, उसको लिटा दिया और उसकी चूत में उंगली डाल कर रति के गीलेपन की जानकारी लेने की कोशिश करने लगी।

यह करके कम्मो उठी और मुझको आँख मारी- रति तैयार है तुम्हारे लिए!
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अब मैं आगे बढ़ा और रति के लबों पर एक अत्यंत कामुक चुम्मी दे डाली और उसकी बगल में चित लेट गया और झट एक हाथ रति की चूत में डाला।
और यह देख कर मैं हैरान हो गया कि रति की चूत एकदम लबालब पानी से भरी हुई थी और रति अपने चूतड़ों को उठा उठा कर अपनी कामुकता का प्रदर्शन कर रही थी।

मैंने कम्मो की तरफ देखा तो उसने जल्दी से रति की चूत के अंदर और बाहर बहुत ज़्यादा कोल्ड क्रीम लगा दी और रति के चूतड़ों के नीचे एक तौलिया भी बिछा दिया ताकि रति की चूत से निकलने वाले खून से चादर खराब ना हो।

ये सब तैयारी के बाद कम्मो ने फिर इशारा किया और मैंने झट रति की टांगों के बीच बैठ कर अपने लंड को रति की गरम चूत के मुंह पर रख दिया, एक हल्का धका लंड का मारा और उसकी टिप चूत में बिना किसी रुकावट के चली गई।
रति नीचे से अपने चूतड़ों को ऊपर उठा कर लंड को पूरा अंदर लेने के लिए अधीर हो रही थी। लेकिन कम्मो की ट्यूशन के मुताबिक कुंवारी चूत में लंड को डालने की कभी जल्दी नहीं करनी चाहिए, धीरे धीरे चूत को मनाते हुए, उसको फुसलाते हुए लंड को अंदर प्रवेश करवाने का काम ही ठीक ढंग का माना जाता है। (वात्स्यायन लिखित काम शास्त्र पृष्ठ संख्या 110 के अनुसार)

जैसे ही लंड मैंने फिर से अंदर डाला तो उसको आगे रुकावट का सामना करना पड़ा और अब मैंने धीरे धीरे लंड का प्रेशर चूत के अंदर स्थित झिल्ली पर डालना शुरू किया और दो तीन धक्कों में छर से अंदर कुछ फटने की हल्की सी आवाज़ आई और रति एकदम दर्द से कराह उठी लेकिन कम्मो ने उसको कस कर बिस्तर पर लिटाये रखा।

मैंने भी धक्के मारने रोक दिया और लंड को चूत की तह तक डाले हुए ही मैं रति के ऊपर लेटा रहा।
फिर जब रति का कांपना थोड़ा कम हुआ तो मैंने धक्कों की स्पीड आहिस्ता से बढ़ा दी और धीरे धीरे नार्मल स्पीड पर आ गया और अब रति के चेहरे पर मुस्कान आने लगी और उसको चुदाई का मज़ा आने लगा।

हालाँकि रति की चूत से काफी खून गिरा था झिल्ली के फटने से लेकिन कम्मो वो साथ ही साथ साफ़ कर रही थी और मेरा लंड भी उसने चुदाई के दौरान ही साफ़ कएर दिया था।

मैं अब इस कोशिश में था कि रति का एक दो बार छूट जाए तभी हमको तसल्ली होगी कि रति की बिमारी कुछ ठीक होती दिख रही है या नहीं।
इस लिए मैं अपनी सारी काम कला के ज्ञान को इस्तेमाल करते हुए रति को कभी धीरे और कभी तेज़ चोदने की कोशिश करने लगा और जल्दी ही इन कोशिशों के कारण रति बहुत आक्रामक तरीके से अपनी चरम सीमा पर पहुंची।

जैसे ही वो छूटने वाली हुई तो उसने मेरे होटों को अपने लबों में लेकर ज़ोर से दांतों से मुझको काट लिया और मैं बिलबिला कर चिल्ला पड़ा और छूटने के बाद रति को अपनी गलती का अहसास हुआ तो वो मुझसे माफ़ी मांगने लगी और साथ ही उसने मेरे लबों को चूम चूम कर खून को साफ कर दिया और फिर मुझ से बड़ी गहरी जफ़्फ़ी डाल दी।

तब कम्मो ने रति को मुझसे अलग किया और हम दोनों साथ साथ लेट गए और रति ने लेटते ही मेरे लंड पर कब्ज़ा किया। वो उसके साथ मज़े मज़े से खेल रही थी, कह रही थी- वाह यार लंडम लाल, ज़िंदगी का मज़ा दे दिया मुझ कुंवारी कन्या को! मेरी चूत का तो हलवा बना ही लेकिन जो आनन्द तुमने दिया है वो ब्यान नहीं किया जा सकता। फिर कब करोगे मोहन प्यारे?

रति की बातें सुन कर कम्मो और मैं हंसी के मारे लोटपोट हो रहे थे।
मैं भी रति की सिल्की बालों से भरी चूत के बालों से खेलता रहा।

कोई दस मिन्ट के खेल के बाद ही रति फिर चुदाई के लिए ज़िद करने लगी और मैं कम्मो के इशारे पर फिर उसको चूमने लगा और उसके मम्मों को चूसने के बाद ही उसकी चूत में हाथ लगाया तो वो फिर बेहद पनिया रही थी।

अब कम्मो ने रति को घोड़ी बनाया और मैंने उसके पीछे बैठ कर लंड को चूत के अंदर डाला तो वो बहुत अधिक टाइट महसूस हुई और बड़ी मुश्किल से लंड को अंदर घुसेड़ पाया।
रति भी ‘आह उह…’ कर रही थी क्यूंकि चूत के अंदर से छिल गई थी और मेरे लंड पर भी खराशें पड़ गई थी लेकिन मैं भी दर्द बर्दाश्त करते हुए रति को बड़े प्यार से हल्के हल्के धक्कों से चोदने लगा।
कहानी जारी रहेगी।
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