मेरा गुप्त जीवन- 139

(Mera Gupt Jeewan- part 139 Rati Ki Ajeeb Bimari Frigidity )

यश देव 2016-02-12 Comments

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रति की अजीब बिमारी

कम्मो ने भाभी को पलंग पर लिटा दिया और उनसे आहिस्ता से बातें करने लगी और मैं दोनों को छोड़ कर बैठक में आ गया।
बैठक में आकर बैठा ही था कि अचानक रति धड़धड़ाती हुई बैठक में आई और उसके पीछे पारो भी उसको रोक रही थी लेकिन वो किसी की भी ना सुने बिना अंदर आ गई और चिल्ला कर बोली- सोमू मेरी भाभी कहाँ है?

मैं हक्का बक्का हुआ उसको देख रहा था लेकिन वो बहुत ही गुस्से में थी।
मैंने उसको रोक कर पूछा- क्या हुआ रति? इतने गुस्से में क्यों हो?
रति बोली- जब से मैं घर आई हूँ तुम्हारे साथ, भाभी घर से गायब है, मेरे खाने का कोई अता पता नहीं? कहाँ गई होगी भाभी?
मैं बोला- बस इतनी सी बात है? पारो अभी रति के लिए कुछ खाने के लिए लाइए। गर्म गर्म परांठा और साथ में सब्ज़ी, फ़ौरन लाइए।

पारो अंदर चली गई तो मैंने रति को बताया- भाभी तो अंदर कम्मो के साथ है कुछ ख़ास काम कर रही हैं।
फिर मैं धीरे धीरे चलता हुआ रति के पास चला गया और उसको बाहों में भर लिया।
पहले तो वो कसमसाई लेकिन फिर वो अपने आप मेरी बाहों में आ गई और मैं उसको हल्के हल्के प्यार से चूमने लगा।
पहले उसके गालों पर थोड़ा चूमा फिर उसकी आँखों पर प्यार की चुम्मी लगाई और फिर उसकी गर्दन के आस पास थोड़ी देर चूमा और फिर उसके रसीले होटों का निशाना बनाया।

रसोई से पारो के आने की आहट सुन कर मैं पीछे हट गया और रति भी सोफे पर बैठ गई।
पारो रति के लिए गर्म गर्म खाना ले आई थी और रति एकदम उस पर टूट पड़ी।

अभी खाना खत्म भी नहीं हुआ था कि उर्वशी भाभी और कम्मो भी मेरे बैडरूम से निकल कर आ गई और रति को देखते ही भाभी को याद आया कि आज तो वो उसके लिए खाना बनाना ही भूल गई थी।
कम्मो जल्दी से रसोई से भाभी के लिए भी खाना ले आई।

खाना खाने के बाद दोनों चली गई और तब मैंने कम्मो से बोला- आज तो फंस जाते अगर में बैठक में ना आ जाता तो! रति ने पकड़ लेना था आज रंगे हाथों।

अगले दिन हम दोनों फिर साथ साथ ही कॉलेज पहुँचे और डांस क्लास में फिर मिलन हुआ।
आज हम को मिलजुल कर अलग अलग पार्टनर्स के साथ डांस करना था।
मेरे साथ एक नई लड़की डांस करने के लिए चुनी गई और वो भी देखने में बेहद ही खूबसूरत थी, लम्बा कद और अच्छा भरा हुआ जिस्म कुल मिला कर काफी स्मार्ट और चुस्त लड़की थी, उसका नाम था सलोनी लेकिन सब उसको लोनी कह कर बुलाते थे और वो पहले दिन से ही मेरे से बड़ी घुल मिल गई थी।

सलोनी के डांस करने का ढंग बड़ा ही बेबाक था और वो झूम झूम कर मेरे आगे पीछे होकर डांस कर रही थी। ऐसा करते हुए दो तीन बार उसके मम्मे मेरे बाजुओं से टकरा चुके थे और एक दो बार मेरा भी हाथ उसके चूतड़ों को छू चुका था।
हम दोनों बड़े ही मज़े से एक दूसरे के साथ डांस कर रहे थे और मैंने तभी नोट किया कि रति हमारे हर डांस स्टेप को बड़े ध्यान से देख रही थी।

लोनी के बाद मैंने और रति ने फिर साथ साथ डांस शुरू कर दिया और डांस के दौरान रति कुछ ज़्यादा ही बोल्ड हो गई थी और काफी खुल कर डांस कर रही थी और वो भी बार बार मेरे जिस्म को छूने की कोशिश कर रही थी, उसने कई बार मेरे लंड को पैंट के ऊपर से फील किया और मैंने भी उसके मम्मों को हल्के से दबा दिया, रति जवाब में थोड़ा मुस्करा दी थी।

डांस करते हुए मुझे और रति को बड़ा ही आनन्द आ रहा था वो भी ख़ास तौर पर शरीर के छुआ छुअन में!

थोड़ी देर बाद लोनी फिर आ धमकी और जान बूझ कर उसने रति को परे धकेल दिया और मेरे साथ चिपक कर डांस करने लगी।
हमारी डांस की टीचर ने यह सब देखा और वो हमारे पास आई, उसने लोनी को डांट दिया और रति और मुझको कहा- मैं चाहती हूँ आप दोनों अपने डांस स्टेप्स की प्रैक्टिस थोड़ी और ज़्यादा करें ताकि आप दोनों एकदम से सही डांस कर सकें। क्या आप दोनों घर में डांस की प्रैक्टिस एक साथ कर सकते हैं?

रति बोली- मैडम हम दोनों के घर साथ साथ ही हैं, हम साथ में प्रैक्टिस कर सकते हैं।
मैं बोला- मैडम, मेरी कोठी तो खाली है, वहाँ हम और अन्य छात्र प्रैक्टिस कर सकते हैं अगर उनकी इच्छा हो तो!

मैडम ने सब डांस मेम्बर्स को इकट्ठा किया और कहा- आप में से कोई जोड़ी भी छुट्टी वाले दिन में सोमू की कोठी में डांस प्रैक्टिस कर सकता है क्यूंकि उसके पास काफी जगह है।
सभी डांस ग्रुप वालों ने मेरे घर में संडे वाले दिन में डांस की प्रैक्टिस करने के लिए हामी भर दी और मेरा एड्रेस भी लिख लिया।

जब हम घर के लिए चले तो रति थोड़ी उदास लग रही थी।
पूछने पर कुछ बोली नहीं लेकिन मैं समझ गया कि उसको मेरे घर में डांस वालों का प्रैक्टिस करना अच्छा नहीं लगा।
कोठी पहुँच कर मैंने रति को उसके घर में छोड़ा और खुद अपनी कोठी में आ गया।

खाना खा कर उठे ही थे कि रति आ गई, आते ही बोली- सोमू, चलो डांस प्रैक्टिस शुरू करते हैं।
मैं भी खुश हो गया और उसको लेकर मैं अपने कमरे में आ गया, वहाँ पहुँच कर रति ने मुझको होटों पर एक गर्म चुम्बन दे दिया और बड़ी ही कसी जप्फी में मुझको बाँध लिया।
मैंने भी उसको आलिंगन में बाँध कर एक गर्म चुम्मी उसके होटों पर जड़ दी।

रति अब कॅाफ़ी बोल्ड हो चुकी थी, उसने बिना किसी हिचक के मेरे लौड़े को पैंट के बाहर से पकड़ लिया और उस पर धीरे धीरे हाथ फेरने लगी।
अब मुझसे रहा नहीं गया, मैं भी उसके सख्त मम्मों को सहलाने दबाने लगा।

रति ने अब मेरे लंड को पैंट के बाहर निकाल लिया और उसके अकड़े हुए रूप को देख कर उसके मुंह से यकलख्त निकल गया- हाय माँ, कितना बड़ा है सोमू तुम्हारा तो?? उफ़्फ़ कैसे अंदर जाएगा यह साला? मेरी तो बड़ी टाइट है।
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मैं बोला- रति, यह क्या कर रही हो? अभी कोई नौकरानी आ जायेगी?
रति बोली- आ जाने दो किसी को भी, मैं तो आज तुमको चोद कर ही दम लूंगी।
मैंने कहा- रुको, मैं कम्मो को बोल आता हूँ कि हम अपनी डांस प्रैक्टिस बिस्तर पर कर रहे हैं, तो किसी को अंदर नहीं आने दे।

मैं कम्मो के पास गया और उसको सारी बात बताई और पूछा- अब क्या करूँ?
कम्मो बोली- वाह छोटे मालिक, आज चूत आपके सामने खड़ी है और आप घबरा रहे हैं? मैं आऊँ क्या?
मैं बोला- नहीं, शायद रति तुम को देख कर झिझक जाए… तुम थोड़ी देर बाद अपने आप ही आ जाना। क्यों, यह ठीक है ना?
कम्मो बोली- ठीक है, मैं दस मिन्ट बाद ही आ जाऊँगी।

मैं अपने कमरे में लौटा और रति को अपनी बाहों में फिर से बाँध कर उसकी सलवार पर हाथ डाला।
फिर जब उसकी सलवार को उतार दिया तो मैंने उसकी कमीज भी उतार दी और फिर उसकी ब्रा भी उतार दी, उसका दमकता हुआ नंगा बदन देख कर मैं एकदम कामुकता से भर गया और उसके मम्मों को चूसना और चूचुकों को मुंह में गोल गोल घुमाना शुरू कर दिया।

रति ने मेरी पैंट में हाथ डाला और उसको जल्दी से उतार दिया और फिर मेरी शर्ट भी उतार दी।
अब मैं और वो आमने सामने नंगे खड़े थे और हम दोनों एक दूसरे के शरीर को देखने में व्यस्त हो गए।

रति का एक हाथ मेरे लंड पर था और वो उसको आगे पीछे कर रही थी जैसे मुठ मार रही हो।
मैंने उसकी चूत में हाथ से महसूस किया तो वहाँ एकदम सूखा छाया हुआ था।
यह देख कर मैं हैरान रह गया क्यूंकि रति की चूत में ज़रा भी गीलापन नहीं आया था।

फिर मैंने उसको पलंग पर लिटा दिया और उसकी संगमरमर जैसी जांघों के बीच में बैठ कर अपना मुंह उसकी सूखी चूत पर लगा दिया।
मैं धीरे धीरे अपनी जीभ से रति की एकदम फ्रेश चूत को चाटने लगा और जीभ को उसकी चूत में डाल कर गोल गोल घुमाने लगा, फिर हल्के हल्के उसके भग को मुंह में लेकर गोल गोल घुमाने लगा लेकिन इस सारी प्रक्रिया के बाद भी रति की चूत में कोई गीलापन नहीं आया और ना ही उसमें कामुकता का वेग जगा!

मैं हैरान था कि ऐसा पहले तो कभी किसी लड़की या औरत के साथ नहीं हुआ था, जीभ और मुंह की चुसाई से लड़की फ़ौरन तैयार हो जाती थी और मुझको काम क्रीड़ा करने में कोई दिक्क्त नहीं आती थी लेकिन आज तो कमाल हो रहा था, इतनी देर की चूत चुसाई के बाद भी रति में काम क्रीड़ा के लिए कोई उत्सुकता नहीं दिख रही थी।

मैं अब उसके मम्मों के चूचुकों को भी चूसने लगा एक एक कर के, फिर भी कोई असर नहीं होता दिखा रति के शरीर में!
मैंने रति से पूछा- रति क्या बात है? क्या तुम को चुदाई पसंद नहीं?
रति कुछ बोले बिना फफक कर रोने लगी।

इतने में कमरे का दरवाज़ा खटका और कम्मो धीरे से कमरे में आ गई और रति एकदम चौंक कर अपनी सलवार को अपने ऊपर डाल कर अपने को ढकने लगी।
कम्मो बोली- रति, घबराओ नहीं, मैं तुम्हारी कम्मो आंटी हूँ।

तब कहीं रति को तसल्ली हुई और फिर मैंने कम्मो को सारी कहानी सुनाई।
कम्मो बोली- छोटे मालिक आप घबराओ नहीं रति को कुछ नहीं हुआ, वो जल्दी ही ठीक हो जायेगी।

मैं अभी भी घबरा रहा था, मैंने बड़ी मासूमियत से कम्मो से पूछा- यह क्या हो रहा है रति के साथ?
कम्मो कुछ देर सोचते हुए बोली- छोटे मालिक, रति को भी एक तरह से एक बिमारी है, इस कारण कई औरतें काम क्रीड़ा के लिए ठंडी पड़ जाती हैं। इसको इंग्लिश में FRIGIDITY कहते हैं।

कहानी जारी रहेगी।
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