मौसी ने अपनी भानजी की चुदाई करायी-2

(Mausi Ne Apni Bhanji Ki Chudai Krayi- Part 2)

कहानी के पिछले भाग
मौसी ने अपनी भानजी की चुदाई करायी-1
में आपने पढ़ा कि अमृता मेरे साथ मूवी देखने सिनेमा हॉल में गई थी जहां मैंने उसकी चूची दबाई. हम दोनों चुदाई का प्रोग्राम बना कर घर आए तो घर पर अनिता भाभी के पति आ गये थे. फिर वो पटियाला वापस चली गई.
अब आगे की कहानी:

बहुत दिन उस जवान चूत की चुदाई की तड़प में ही निकल गये थे. अब तो उससे वीडियो चैट करके लंड हिलाने का भी मौका नहीं मिल पा रहा था.

लेकिन फिर किस्मत ने पलटी मारी. उसकी मौसी यानि कि अनिता जिसने अमृता से मुझे मिलवाया था, उसके पेट में मेरे बच्चे ने दुलत्तियां मारनी शुरू कर दी थीं और उसको पेट में तकलीफ रहने लगी थी. अब अपनी अनिता मौसी की देखभाल के लिए अमृता को फिर से आना पड़ा.

घर में काम वाली बाई तो पहले से ही लगी हुई थी. अमृता के वापस आने से मेरा मन फिर से चुदाई के ख्वाब देखने लगा. मैं बस अमृता के मौसा के बाहर जाने का इंतजार करता रहता था ताकि उनके घर में ही उस कुंवारी चूत की चुदाई कर सकूं.

फिर एक दिन अनिता की तबियत बहुत ही ज्यादा खराब हो गई. उस दिन अनिता को अपने पति के साथ अस्पताल जाना पड़ गया. अमृता घर में अकेली रह गई थी.

उसने मुझे शाम को सात बजे आने का न्यौता भी दे डाला. वो भी अपनी कुंवारी चूत की सील तुड़वाने की तैयारी कर रही थी. मैंने उसको मेंहदी लगाने के लिए बोल दिया था. मेंहदी का रंग मर्द को औरत की चुदाई के लिए और उकसा देता है. मेरा मानना है कि औरत क्रीम लगाने से खूबसूरत नहीं बन पाती है बल्कि उसने अपने आप को आउट लाइन कैसे किया है, बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करता है.

उस दिन मैं तय समय पर शाम को सात बजे अमृता के यहां पहुंच गया. तब तक रात का खाना लेकर अमृता का मौसा भी घर से जा चुका था और मेरा रास्ता साफ हो गया था.
उसने दरवाजा खोला तो उसको देखता ही रह गया. पिंक रंग की ड्रेस पर मेंहदी का रंग उसकी खूबसूरती को अलग ही चमका रहा था. मेरी नजर उससे हटी ही नहीं.
वो बोली- देखते ही रहोगे या अंदर भी आओगे?

जैसे ही उसने मेरे अंदर आने के बाद दरवाजा बंद किया मैंने उसको गोदी में उठा लिया और सीधा उसको बेड रूम में ले गया. अंदर जाकर देखा तो कमरा फूलों से सजा हुआ था. लग रहा था कि जैसे वो सुहागरात मनाने की तैयारी में है.

दोस्तो, अब आगे की कहानी आप अमृता की जुबानी सुनेंगे तो ज्यादा मजा आयेगा.

जब वो मुझे कमरे में लेकर आया तो मेरी धड़कनें तेजी से चल रही थीं. मैंने कभी अपनी कुंवारी चूत को लंड के दर्शन नहीं होने दिये थे. आज मैं किसी ऐसे मर्द से चुदने वाली थी जिसको औरत के जिस्म का कुछ अलग ही नशा रहता था. हर लड़की को चुदाई में कुछ अलग हट कर चाहिये होता है.

हम दोनों अपनी पहली चुदाई को यादगार बनाने की पूरी कोशिश कर रहे थे. इसलिए मैंने उस होनहार मर्द को चुना था ताकि वो मेरी चूत को जमकर बजा सके. मेरे हिसाब से वो लंड मेरी चुदाई के लिए एकदम परफेक्ट था क्योंकि मुझे पता था कि वो मेरी चूत की बदनतोड़ चुदाई करेगा. अगर ऐसी चुदाई मिल जाये तो बरसों की प्यास पर सुकून की बूंदें गिर जाती हैं.

मैं उसकी बांहों में ऐसे जकड़ी हुई थी जैसे किसी ने बच्चे को गोद में भर कर उठा रखा हो और कस कर दबा रहा हो. उसके होंठ मेरे होंठों में ऐसे फंसे हुए थे कि मुझे सांस लेना भी भारी हो रहा था. जब वो मेरे होंठों को खुला छोड़ता था तो मेरी सांसें चलती थीं वरना मैं फिर से उसकी बांहों में तड़पने लगती थी.

उसने मुझे उठा कर कन्धे पर लटकाते हुए मेरा मुंह नीचे कर दिया. चूंकि मुझे भी चुदास चढ़ चुकी थी तो मैंने नीचे ही उसकी पैंट को खोल दिया था और उसकी पैंट को खोलते ही हथौड़े जैसा कोई मोटा सा डंडा उसके कच्छे में छिपा हुआ दिखने लगा था.

इससे पहले मैं उसको बाहर निकालने के लिए हाथ बढ़ाती, मैं बेड पर पटकी जा चुकी थी. उसने मेरी सलवार ऐसे उतार कर फेंकी जैसे उसका मेरे बदन पर कोई काम ही न हो.

मैं उसका पूरा साथ देने की कोशिश कर रही थी लेकिन पता नहीं उस पर कौन सा भूत सवार था कि उसने मुझे गांड उठाने तक का मौका नहीं दिया और मेरी काली पैंटी को अपने हाथों से चीर कर उसके दो टुकड़े करते हुए अलग फेंक दिया.
ऊपर पैंटी उछली तो वो पंखे में जाकर अटक गयी और पंखे ने उसको कहां फेंका मैं नहीं देख पाई. पैंटी निकलते ही मेरी चूत पर ठंडी हवा लगने लगी और मैंने उसको अपने हाथों से छिपाने की कोशिश की.

मगर उसने मेरे हाथों को पकड़ लिया और मेरी कुंवारी चूत के दर्शन करने के बाद अपनी शर्ट और बनियान को एक साथ उतार दिया और मेरी सलवार के ऊपर फेंक दिया. बनियान निकलते ही मर्दाना चौड़ी छाती मेरी आंखों के सामने थी जिस पर हल्के बाल भरे हुए थे. उसकी छाती को देख कर तो मेरे चूचे अपने आप ही टाइट होकर निप्पल तन गये.

मैंने अपने मुंह से पैंट को नीचे खींचना चाहा तो मेरे मुंह पर कुछ गद्दा सा महसूस हुआ.
मेरे यार का लंड अंदर ही अंदर पूरा अकड़ चुका था. मैंने सिर उठा कर देखा तो उसकी तोप मेरी नाक की सीध में चढ़ चुकी थी. मैंने बड़े ही प्यार से कच्छे के अंदर हाथ डाल कर अपने यार के लंड को उसके कच्छे से आजाद कर दिया.

लंड को देख कर ऐसा लगा जैसे कछुए का ऊपरी कठोर भाग अंदर सेक्स के तूफान को दबाये हुए है. मेरे होंठ उसके लंड के पास थे जिसकी गर्मी मुझे अपने होंठों पर महसूस हो रही थी. मैंने प्यार से उसके टोपे को पीछे किया और उसके गुलाबी से सुपारे पर जीभ लगा कर देखा तो टेस्ट बिल्कुल पसंद नहीं आया. मैंने मुंह को वापस हटा लिया.

लेकिन वो भी पूरा खिलाड़ी था. उसने टोपे पर शहद लगाया और मेरे मुंह को खोल कर पूरा लौड़ा मेरे गले तक ठूंस दिया. उसका हथौड़ा लंड मेरे मुंह में पूरा नहीं जा पा रहा था. मेरे यार की ताकत के सामने मेरी छोटी-छोटी कोशिशें नाकाम होती जा रही थीं. मुझे अपने मुंह में खट्टा मीठा टेस्ट आने लगा तो मैं उसके लंड को मुंह में लेकर आगे पीछे करते हुए चूसने लगी.

अगले ही पल मेरी कुर्ती मेरे बदन से खिंचती हुई महसूस हुई.

मेरे कचोरी जैसे चूचे बाहर झांकने लगे. उसने उनको देखते ही अपने हाथों में लेकर ऐसे दबाया जैसे उनका सारा रस एक ही पल में निचोड़ कर रख देगा. ताकत इतनी तेज थी कि मुझे लगने लगा कि मेरे चूचे मेरे जिस्म से उखाड़ लिये जायेंगे.

मैं दर्द से कसमसा रही थी. लेकिन जालिम मर्द को मेरे दर्द के साथ जरा भी सहानुभूति नहीं हो रही थी. वो तो मेरे चूचों को निचोड़ कर उनका रस निकालने पर तुला हुआ था.

कुछ देर के बाद एकदम से शांति छा गई. मैं घबरा गई कि एकदम से ये तूफान थम कैसे गया. जब तक मैंने खुद को संभाला तो रजत रूम से बाहर जा रहा था. इतनी गर्म हो चुकी लड़की को कमरे में नंगी छोड़ कर वो गया तो मुझे हैरानी हुई.

मैंने कम्बल ओढ़ लिया और अपनी चूत पर हाथ फिराने लगी. ठंड लग रही थी लेकिन गर्म चूत को छूने से चुदास उतनी ही तेजी से बढ़ती जा रही थी.

फिर जब कुछ आवाज हुई तो मैंने बाहर झांक कर देखा तो सामने एक आइस क्यूब की ट्रे थी और नारियल तेल की शीशी. मैंने उत्सुकता वश जानने की कोशिश की तो जवाब में एक कातिल मुस्कान ही मिली.

इससे पहले मैं कुछ और समझ पाती मैं फिर से नंगी हो चुकी थी. उसका कछुए के मुख जैसा लंड मेरे सामने झूल रहा था. लग रहा था जैसे पेन्डुलम वाली घड़ी का लटकता घण्टा हो.
मेरी चूत अब उसके बारे में सोच कर ही गीली होने लगी थी.

अब आगे की कहानी मेरे यार रजत की जुबानी:

मेरा मन था कि मैं इन हसीन लम्हों को यादगार बना दूं. इसलिए मैंने अपनी कमसिन कली को अपने पास खींचा और अपने होंठ उसके होंठों से चिपका दिया. मेरे हाथ उसकी कमर पर घूम रहे थे और उसके जिस्म में सेक्स की जो गर्मी भर चुकी थी वो उसकी चूत से भांप बन कर मुझे साफ-साफ बाहर आती हुई महसूस हो रही थी.

दोस्तो, मेरा मानना है कि कुंवारी चूत को जितना गर्म करके खोला जाये उतना ही कम दर्द होता है. साथ ही इससे लड़की के दिल में उठने वाली पहली चुदाई की खुशी भी दोगुनी हो जाती है. अगर जानवर की तरह उस पर चढ़ाई कर दी जाये तो उसको दर्द ज्यादा झेलना पड़ता है. उसमें मर्द को भले ही मजा आये लेकिन औरत घबरा जाती है और वो सहज नहीं हो पाती. इसलिए मैंने पूरी तैयारी कर ली थी.

नारियल तेल की शीशी से तेल निकाला और उसकी जांघों पर मलने लगा. जांघों के साथ ही दो बूंदें मैंने उसकी नाभि पर भी डाल दीं. मैंने पाया है कि औरत या मर्द को नाभि पर वार करके आसानी से झाड़ा जा सकता है.

मैं एक हाथ से उसकी जांघों को मसाज दे रहा था और मेरा लंड सिर्फ अपना कड़कपन गुलाब सी पंखुड़ी वाले हल्के से छोटे से छेद में छूने का अहसास ले रहा था.
अमृता मेरे लंड का मजा लेने के लिए तड़प रही थी और उसकी तड़प उसकी गांड की उचकन से साफ जाहिर हो रही थी. मगर मैं अभी लंड को उसकी चूत में नहीं डालना चाह रहा था.

उसके नाजुक बदन की गर्मी इतनी बढ़ गई थी कि उसके होंठ सूखने लगे थे.

मैंने हल्का सा शहद उसके होंठों पर भी लगा दिया. मेरा एक हाथ उसकी गांड के नीचे था और दूसरा हाथ उसकी चूत के होंठों को मसाज दे रहा था. मेरे होंठों के बीच में फंसा बर्फ का टुकड़ा उसके चूचों पर ठंडक प्रदान करने का कार्य कर रहा था.

अब उससे रहा नहीं गया और उसकी चूत से एक तेज धार फूट पड़ी जिसका गीलापन मैंने अपनी उंगली पर लगाया और उसको चटा दिया.

मुझे अच्छी तरह याद है कि वो ऐसे हांफ रही थी जैसे बहुत लम्बी दौड़ लगा कर आई हो. बर्फ का असर उसके जिस्म पर होने लगा और जल्दी ही वो शांत हो गई.

कु्ंवारी लड़की को किसी मुश्किल पोज में नहीं चोदना चाहिए. इसलिए मैंने उसको करवट के बल लेटने के लिए कहा. चूत अभी भी गर्म थी और रसदार भी. मैंने नारियल तेल की कुछ बूंदें टोपे पर लगाईं और उसकी गांड की तरफ यानि पीछे की ओर से उससे चिपक कर लेट गया. उसकी कमर और पीठ को अपने पेट और छाती से गर्माहट दी.

फिर अपना लंड उसकी गांड के नीचे से निकाल कर उसकी चूत के होंठों पर आगे-पीछे करने लगा.
वो मचल रही थी लंड अन्दर लेने के लिए … लेकिन अभी सही वक्त नहीं था.

मैं अपनी गांड हिला हिलाकर उसको धक्के दे रहा था. अपने लंड का अहसास उसकी चूत की गर्मी को करवा रहा था. चूत का छेद जितना छोटा हो सावधानी भी उतनी ही चाहिए होती है.

मैंने अपने हाथ को आगे ले जाकर उसके छेद को उंगलियों से टटोला ही था कि स्स्शशस्स … की आवाज के साथ ही वो कांप गई. मैंने तुरंत अपने लंड के टोपे का मुंह खोल कर उसके छेद पर अड़ा दिया और हल्के हल्के धक्के ऊपर नीचे देने लगा. उसकी चूत के होंठ अब आपस में सही से खुलने लगे थे. वो भी अपनी गांड को मचका कर मेरा साथ दे रही थी.

तभी मैंने एक हाथ से उसके चूचे को दबाया तो उसका ध्यान ऊपर की ओर गया और उसकी चीख सी निकल गई क्योंकि नीचे से मैंने एक झटका चूत के मुंह में अंदर की ओर मार दिया था.

मुझे बीच में ही कुछ रुकावट सी महसूस हुई और गीलापन सा लगा. मैं लड़की को चीखने देना चाहता था ताकि उसको मजा आये. वो चीख रही थी और मेरी पकड़ से आगे की ओर छूटने की कोशिश कर रही थी. मगर उसकी कोशिशें बेकार हो जा रही थीं क्योंकि मेरी बाजुओं की पकड़ काफी मजबूत थी.
उसकी आंखों से आंसू छलक आये थे.

इधर मेरे लंड पर भी मेरे खून का दबाव सहनशक्ति से बाहर हो रहा था तो मैंने उसके होंठों से होंठों को लगाया और टोपे को बाहर निकाल कर एक जोर का झटका दे मारा. ये झटका इतना तेज था कि उसकी आंखों की पुतली फैल गईं. वो चित पड़ गई.

इसी बीच मेरे लंड ने अंदर तक घुसने के मुकाम को हासिल कर लिया था और ऐसा लग रहा था जैसे मैंने किसी बर्फ के खाने में अपने लंड को दे दिया हो.

कुछ देर तक हम उसी पोज में पड़े रहे. मैं हल्की हल्की मसाज उसकी चूत को देता रहा. वो होश में आयी और बोली- अब जान तो निकाल ही दी है. अब इसको बाहर भी निकाल लो.

लेकिन इतनी मेहनत करने के बाद चुदायी में हमदर्दी जताने का तो कोई सवाल ही नहीं था. मैं धीरे धीरे लंड को हिलाने लगा. वो नॉर्मल होती गई. फिर खुद ही गांड मटकाते हुए मेरा साथ देने लगी.

धीरे धीरे लग रहे झटकों के साथ लंड ने उसकी चूत में जगह बनानी शुरू कर दी. करीब पांच मिनट की धीमी चुदाई के बाद मेरा खून तपने लगा तो मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और उसके मुंह से गाली निकलने लगी- आह्ह … चोद दे मुझे साले … बना ले मुझे अपनी रंडी … ओह्ह … अम्मम … मां …. हाय … स्स्स… चोद साले … चोद मुझे.

जिसको मैं शरीफ समझ रहा था वो जैसे जन्मों की प्यासी लग रही थी. चुदाई रफ्तार पकड़ने लगी. फिर मैं रुका और उसके दोनों पैरों के बीच में आ गया. फिर उसी स्पीड के साथ लंड को अंदर बाहर करने लगा. सारे कमरे में कामुक सिसकारियां गूंज उठीं. आह्ह … आह्ह … श्शस्स्स … उम्म्ह… अहह… हय… याह… निकाल हरामी मेरी गर्मी को.
मैं- साली कुतिया, तेरे इस जिस्म ने मेरा चैन ले रखा था. ले अब साली, खा झटके.

मैंने उसके दोनों चूचे जोर से पकड़ लिये और चोदने लगा. मगर लंड और चूत की लड़ाई में जीत हमेशा चूत की होती है. मैं गर्माहट महसूस नहीं कर पाया और मैंने उसकी गांड को पकड़ लिया और मेरे लंड से निकल रहा लावा उसकी चूत में भरने लगा.

इतने में ही अमृता का शरीर भी अकड़ने लगा. हम दोनों काफी देर तक एक दूसरे से लिपटे रहे.

लेकिन मैंने अभी लंड को चूत से बाहर नहीं निकाला था. कई मिनट के बाद लंड महाराज चूत से थके हारे से बाहर निकले. उसके ऊपर हम दोनों का कामरस लगा था. फिर हम दोनों ने उसकी मौसी की चुदाई की बात शुरू कर दी. उस दिन अमृता को पता चला कि उसकी मौसी के पेट में वो जो बच्चा है वो किसका है.

उसके बाद तो उसको चुदाई की सारी कहानी समझ में आ गयी. फिर हम दोनों अलग हुए तो देखा कि चूत के मुंह पर अभी भी खून लगा हुआ था.

रात के करीब 10 बज चुके थे. हम दोनों को भूख भी लग रही थी और अमृता से खड़ा भी नहीं हुआ जा रहा था तो मैंने उसे बाथरूम में ले जाकर बाथ टब में लेटा दिया और गर्म पानी भर दिया.
उसे थोड़ा आगे करके मैं पीछे बैठ गया और धीरे धीरे उसकी चूत की सिकाई करने लगा। उसको मजा आ रहा था और उसकी चूत जो किसी संतरे की फांक जैसी थी अब वह फूल कर पाव रोटी की तरह हो गयी थी। हल्की सी सूजन थी जो शायद रात भर चुदाई के खेल से जाती।

मैं उठ कर बाहर गया और खाना ऑर्डर कर दिया। अमृता भी उठ कर अपने आप को साफ करने लगी थी.

फिर हम साथ में नहा लिये. मैंने गोदी में भर कर उसको उठाया और बेड पर ले जाकर लेटा दिया. तब तक खाना भी आ गया. हम दोनों ने साथ में खाना खाया. मैंने उसको अपने हाथों से खिलाया. उसके चूचों पर सॉस लगा कर चाटी. उसने मेरे लंड पर आइसक्रीम लगा कर उसको चूसा.

अब वो चुदक्कड़ों की तरह बर्ताव करने लगी तो मैंने उसको गोदी में भरा और पटक कर फिर से चोद डाला. हमारी चुदाई रात के करीब एक बजे तक चली. इस बीच हम दोनों कितनी बार झड़े किसी को कुछ अन्दाजा नहीं. सुबह चुपचाप उठ कर मैं अपने रूम पर आ गया.

दोस्तो, यह मेरे जीवन की सबसे सुन्दर कामरस से भरी घटना थी. अगर इस कहानी में आपको मजा आया हो तो मेरा उत्साह वर्धन करें और यदि कोई गलती हुई तो मुझे और अमृता को माफ करें. उसकी मौसी के वापस आने के बाद की कामरस कथा मैं अगली बार लिखूंगा जब हम तीनों होटल में गये थे और वहां पर चुदाई का एक जबरदस्त दौर चला था.

पाठकों से मेरा अनुरोध है कि अपना कीमती वक्त देकर मुझे मैसेज करें और इस कहानी के बारे में अपना फीडबैक दें ताकि मैं आगे आने वाले समय में आप लोगों के लिए ऐसी ही कामुक स्टोरी लिख सकूं. धन्यवाद।
[email protected]

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top