मास्टर ज़ी ने मुझे चोद डाला-1
(Master Ji Mujhe Chod Dala- Part 1)
मेरा नाम काम्या है.. मैं इस वक़्त चंदौसी के एक इंग्लिश स्कूल में 12वीं क्लास की स्टूडेंट हूँ। मेरी उम्र इस वक्त 18 साल है.. मैं थोड़ी स्थूल हूँ.. मेरा वजन 50 किलो है.. जिसकी वजह से मेरी बॉडी फिगर भी इस उम्र में मेरी हम-उम्र लड़कियों से भी बहुत अच्छी है।
मेरा फिगर 10वीं क्लास से ही बहुत ज्यादा खिल गया था और अब इस वक़्त तो मेरे मम्मे और मेरे चूतड़ों की गोलाई बहुत खूबसूरत.. भारी.. और बड़ी सेक्सी है.. जो कि मेरे चलने से एक अजीब से सेक्सी अंदाज़ में हिलते हैं।
मेरे मम्मे इतने मस्त.. गोल और एकदम टाइट हैं कि मुझे कभी ब्रा पहनने की ज़रूरत ही महसूस नहीं हुई.. जबकि उनका साइज़ 34 है। इस बात पर कई दफ़ा अपनी मम्मी से डांट भी सुन चुकी हूँ कि मैं ब्रा क्यों नहीं पहनती हूँ।
वो कहती हैं कि अगर मैं ब्रा नहीं पहनूँगी.. तो मेरे मम्मे लटक जाएंगे।
खैर.. मेरे सारी ब्रा बिल्कुल नई की नई मेरी ड्रेसिंग टेबल की ड्रावर में पड़ी रहती हैं।
मेरा रंग काफ़ी गोरा है और मेरे गाल बिल्कुल लाल सेब की तरह चिकने और सुर्ख हैं.. ओवरआल मैं काफ़ी आकर्षक और सेक्सी हूँ।
जब मैं 11वीं क्लास में थी.. तो मुझे टयूशन की ज़रूरत महसूस हुई और मैंने ज़िद की कि मुझे भी घर पर टयूटर लगवा दिया जाए।
मेरी ज़िद के आगे हथियार डालकर मेरे पापा ने मेरी लिए होम टयूशन का इंतज़ाम कर दिया।
मेरे टयूटर एक स्मार्ट यंग स्टूडेंट थे.. जिसको अपनी स्टडी कंप्लीट करने के लिए पैसे की बड़ी ज़रूरत थी.. इसलिए वे टयूशन पढ़ाने को राजी हो गए थे।
वो दिखने में बहुत शरीफ और मासूम से लगते थे.. उनकी उम्र लगभग 24-25 साल की होगी। वो अपने मास्टर्स के फाइनल इयर में थे।
वो मुझे रोज़ 3-4 बजे के क़रीब पढ़ाने आते थे और कोई 2 घन्टे मुझे टयूशन देते थे।
हम लोग एक पॉश एरिया में एक अपार्टमेंट में रहते हैं। हमारी छोटी सी फैमिली है.. जिसमें मेरे मम्मी-पापा.. दादी.. एक भाई और मैं हूँ। मेरा भाई मुझसे छोटा है.. और अभी स्कूल में है। इससे पहले कि मैं असल वाकिया बताऊं.. मैं आप सब को ये बता दूँ कि इस वाकिये से पहले ही मैं सेक्स के बारे में काफ़ी कुछ जानती थी.. जो कि मुझे नेट के माध्यम से और कुछ अपने स्कूल की फ्रेंड्स की वजह से जानती थी।
कभी-कभी जब मौका मिलता था.. तो मैं नेट चालू करके सेक्सी साइट्स भी देखती थी और अक्सर मेरी पैन्टी गीली हो जाती थी।
मेरी एक सहेली है कोमल.. उसके साथ मैंने थोड़ी बहुत सेक्सी मस्तियाँ भी की हैं।
कभी मैं उसकी चूत को चूसती और कभी वो मेरी चूत को चूसती थी।
हम दोनों एक-दूसरे के मम्मे भी चूसते थे।
उसी ने मुझे फिंगरिंग की सेन्सेशन के बारे में भी बताया था। हम दोनों कभी-कभी फिंगरिंग भी किया करते थे। लेकिन बहुत ज़्यादा फिंगरिंग नहीं करते थे.. हाँ हम लोग जब अपनी क्लिट को रगड़ा करते थे तो हमें बहुत ज़्यादा मज़ा आता था।
सच में इस चूत रगड़ाई में एक अजीब सा नशा सा महसूस होता है.. सो मैं कभी-कभी अकेले में भी फिंगरिंग का मज़ा लेती रहती हूँ.. तब मेरी चूत बहुत गीली हो जाती है.. रात में सोते वक़्त या नहाते वक़्त बाथरूम में जब मुझे नंगी होने का मौका मिलता.. तो मैं अपनी चूत ज़रूर रगड़ लिया करती थी और खूब मज़ा लेती थी।
मैं ये सब इसलिए बता रही हूँ कि ये बता सकूं कि यह सोच और लोगों का ख्याल का लड़कियाँ सेक्स से दूर भागती हैं.. बिल्कुल ग़लत है।
आज मीडिया और नेट ने सबको ही सेक्स के बारे में सब कुछ अवेयरनेस दे दी है। लड़के और लड़कियाँ अपने वक़्त से पहले जवानी हासिल कर रहे हैं।
हाँ यह सच है कि लड़कियाँ.. लड़कों की तरह इज़हार कम करती हैं और थोड़ा इस बारे में अंतर्मुखी रहती हैं.. जिसकी मुख्य वजह अपने यहाँ की बंदिशें और हमारे संस्कार हैं।
मगर हम-ख्याल लड़कियाँ आपस में आसानी से सेक्स के टॉपिक भी अब खुल कर कर लेती हैं और अपने अनुभवों को भी आपस में साझा करती हैं।
आप लोग जानकर शायद हैरान होंगे कि मैंने पहली कोई भी सेक्सी एक्टिविटी जो की है.. वो बहुत पहले की है।
वो इस तरह हुई थी कि हम लोग पहले एक किराए के मकान में रहते थे.. मकान मालिक का लड़का मेरी हम उम्र का ही था।साला.. मादरचोद.. बड़ा हरामी और चालाक लड़का था.. लेकिन बड़ा मासूम बनता था.. इसलिए मेरी उससे दोस्ती हो गई और उसने मुझे अपने साथ खेलने का ऑफर किया।
मेरा भाई उस वक़्त बहुत ही छोटा था और मुझे खेल-कूद के लिए एक पार्ट्नर की ज़रूरत थी.. सो मैंने थोड़ी सी हिचकिचाहट के बाद उसकी बात मान ली। हम लोग आपस में कई किस्म के गेम्स.. जो बचपन में खेले जाते हैं मसलन लूडो.. छुपन-छुपाई.. कैरम वगैरह खेलते थे।
वो सेक्स के बारे में काफ़ी कुछ जानता था.. लेकिन कभी उसने अपनी किसी हरकत से इसका अहसास नहीं होने दिया और अंजान सा बना रहता था।
इसका एहसास मुझे बाद में हुआ.. जब मेरी स्कूल की फ्रेंड्स ने मुझे सेक्स के बारे में बताया और कुछ मैंने नेट से जानकारी हासिल की। पहले मैं कभी उसके घर और कभी वो मेरे घर आकर खेला करते थे।
एक दिन उसने मेरी मासूमियत और बचपना देख कर मुझसे कहा- चल ऊपर छत पर चल कर खेल खेलेंगे।
मैं राजी हो गई.. फिर हम दोनों छत पर जा कर खेलने लगे।
दरअसल उसने जिस चाहत पर मुझे खेलने के लिए ऑफर किया था.. उसके पीछे उसकी कामवासना थी.. जिसके बारे में मुझे बिल्कुल अहसास नहीं था।
दोपहर में जब सब सो जाते थे.. तो हम ऊपर छत वाले कमरे में जाकर खेलते थे। अक्सर वो ही मुझे बुला कर छत पर ले जाता था।
खेल-खेल में उसने एक दिन मुझे से कहा- चल आज डॉक्टर-डॉक्टर खेलना शुरू करते हैं।
मैं राजी हो गई क्योंकि ये मेरे लिए नया खेल था।
खेल शुरू हो गया.. मुझे भी उसमें मज़ा आने लगा।
इस गेम में हम लोग.. पहले तो एक-दूसरे को कपड़ों के ऊपर से ही चैक किया करते थे।
मैंने महसूस किया कि जब वो मेरा सीना चैक करता था.. तो उसका हाथ काफ़ी देर तक मेरे सीने पर रहता था और मुझे एक अजीब सा मज़े की सेन्सेशन होती थी।
फिर हम एक-दूसरे की सलवार नीचे करके चूतड़.. पैरों पर बाँहों में.. झूटमूट में अपनी उंगली घुसेड़ कर से इंजेक्शन भी लगाने लगे।
उस वक़्त तक मेरे सीने पर छोटे-छोटे चीकू जैसे उभार निकलने शुरू हो रहे थे। खेल खेल में आहिस्ता-आहिस्ता उसने मेरी शर्ट भी ऊपर करके मेरे नंगे सीने को अपने हाथों से चैक करना और चूसना शुरू कर दिया।
वो बड़े प्यार से काफ़ी देर तक मेरे छोटे-छोटे समोसे जैसे उभारों को चूसता रहता था और मेरी गोलियों को अपने हाथों से दबाता भी था।
उसकी इस हरकत से मुझे बड़ा मज़ा आता और मैं भी आँखें बंद किए मज़ा लेते रहती थी। सच बताऊँ तो मैं उस वक्त सिसकारियाँ भरती थी.. और धीरे-धीरे से सीत्कार भी करती रहती थी।
शायद यही वजह रही होगी कि उस उम्र में मेरे मम्मे काफ़ी बड़े हो गए।
उसका मेरे उभारों को चूसना मुझे बहुत मज़ा देता था।
खैर.. फिर बात बढ़ते-बढ़ते यहाँ तक पहुँच गए कि हम लोग अपने सारे कपड़े उतार कर नंगे होकर एक-दूसरे से चिपट जाते थे। उस वक्त उसका लंड कोई 4 इंच लंबा था और लंड के आस-पास थोड़े थोड़े बाल भी उग आए थे।
वो अपना लंड कुछ देर अपने हाथों से मसल कर खड़ा करके मेरे चूतड़ों की दरार में.. और कभी मेरी बिना बालों की फूली हुई चूत के होंठों पर रगड़ता था।
मुझे ऐसा लगता था जैसे कोई गर्म रॉड मेरे चूतड़ों और चूत पर ‘टिंगलिंग’ कर रही हो.. मुझे गुदगुदी होती और इस गेम में बड़ा मज़ा आता था।
मैं बड़े शौक से यह गेम खेला करती थी, इस बात से बेख़बर कि उसकी कामवासना को मैं अंजाने में पूरा कर रही हूँ।
कभी वो मेरे ऊपर लेटकर मुझे अपने दोनों हाथों में पकड़ कर बुरी तरह भींचता था।
जब वो मेरे छोटे-छोटे मम्मों को जोर-जोर से दबाता था.. तो मुझे काफ़ी मज़ा आता था।
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उसने काफ़ी ट्राई किया कि मैं भी उसका लंड अपने मुँह में लेकर चूसूँ… मगर मैंने ज़ुबान तो कई बार उसके लंड पर फेरी.. मगर चूसा कभी नहीं।
इवो मेरी चूत और मेरे छोटे-छोटे उभारों को बड़े मज़े और दिलचस्पी से चूसा करता था.. यहाँ तक कि मेरे उभार लाल-लाल हो जाते थे।
जब वो मेरी चूत चूसता था तो चूत के होंठ भी सुर्ख हो जाते थे।
कई दफ़ा उसने अपनी फिंगर मेरी चूत के होल में भी डाली.. लेकिन ज्यादा अन्दर तक नहीं किया। वो मेरी चूत और गाण्ड में उंगली डाल कर उसे अन्दर-बाहर करता.. या वो मेरी छोटी सी क्लिट को अपनी फिंगर में मसलता.. तो मैं मज़े से पागल हो जाती थी और मेरा जिस्म थ्रिल से ज़ोर-ज़ोर से काँपने लगता था।
उसने बहुत बार कोशिश की कि वो क़िसी तरह अपना लंड मेरी चूत या गाण्ड में पेल सके.. मगर मैंने पता नहीं क्यों.. उसको यह करने नहीं दिया।
हम दोनों के बीच यह गेम काफ़ी दिनों तक चलता रहा।
फिर हम लोग वो घर छोड़ कर अपने इस नए फ्लैट में आ गए।
अब मैं आपको असली कहानी की तरफ ले आती हूँ।
तो मैं ये बता रही थी कि मेरे टयूटर मुझे रोज़ 3-4 बजे के क़रीब पढ़ाने आते थे।
एक दफ़ा जब वो आए तो लाइट नहीं थी और उन दिनों गर्मी भी बहुत पड़ रही थी। उस दिन मैंने हल्के रंग की बहुत ही झीनी सी शर्ट पहन रखी थी और उसके नीचे कुछ भी नहीं पहना था.. क्योंकि गर्मी बहुत तेज थी।
दोस्तो.. मेरी सील अभी तक सलामत थी पर मेरी चूत में खुजली तो गाहे बगाहे होती ही रहती थी।
मेरी यह मुराद अब जल्द ही पूरी होने वाली थी पर ये सब कैसे हुआ.. इसकी डिटेल में आपको इस घटना के अगले भाग में विस्तार में लिखूंगी।
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मेरी पोर्न स्टोरी जारी है।
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कहानी का अगला भाग : मास्टर ज़ी ने मुझे चोद डाला-2
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