मालिक की बिटिया की सील तोड़ चुदाई -1

(Malik Ki Bitiya Ki Seal Tod Chudai- Part 1)

This story is part of a series:

दोस्तो, एक बार फिर आप सबके सामने आपका प्यारा शरद एक नई कहानी के साथ हाजिर है।
दोस्तो, इस मार्च मेरे साथ दो घटना घटीं। एक मार्च की शुरूआत में.. तो दूसरी होली पर.. और दोनों ही बहुत ही उत्तेजित कर देने वाली घटनाएँ थीं।

मैं यह सोच रहा था कि मैं पहले कौन सी घटना लिखूँ। क्योंकि दोनों घटनाओं के पात्रों को यह नहीं मालूम है कि मैं सेक्स कहानियाँ भी लिखता हूँ। मैंने बहुत सोचा फिर यही निर्णय लिया कि जिस क्रम में घटना घटी है.. उसी क्रम में कहानी लिखूँ।

तो आज जो कहानी मैं लिखने जा रहा हूँ उसका पात्र एक बहुत ही अमीर घराने की लड़की है, यह एकदम सच्ची घटना है और मैं उसे उसी तरह लिख रहा हूँ.. जैसे यह घटना मेरे साथ घटी थी।

हुआ यूं कि मेरे घर का खर्चा नहीं चल रहा था तो मैंने एक पार्ट टाईम नौकरी ढूंढनी शुरू की और अखबार के एक एड को देखकर एक बंगले पर पहुँच गया।
सब बात फाइनल हो गई कि शाम 6 बजे से 10 बजे रात तक काम करना होगा और कभी-कभी मुझे 10 के बाद भी रूकना पड़ सकता है।

बात तय हो गई.. मेरे मालिक ने मेरा परिचय अपने फैमिली मेम्बरों से कराया और बताया कि मैं कम्प्यूटर पर एंट्री का काम करूँगा और साथ ही साथ मैं कार ड्राईव भी कर लेता हूँ।

यह सुनकर सभी बहुत खुश हुए।
उस घर में रहने वाले मात्र तीन लोग थे, एक बॉस.. उसकी वाईफ और तीसरी सदस्य उसकी बेटी मोहिनी थी।

मोहिनी.. जैसा नाम वैसा ही मन को मोह लेने वाली.. बहुत ही खूबसूरत जिस्म की मालकिन थी।
उस दिन मैं केवल उसके चेहरे की एक झलक ही देख पाया था क्योंकि मेरी हिम्मत ही नहीं हो रही थी कि मैं उससे नजर मिला पाऊँ।

मैंने नौकरी वाली बात अपनी पत्नी को बताई, यह भी बता दिया कि कभी-कभी मुझे घर आने में देर भी हो सकती है। पोजिशन ऐसी थी कि वाईफ को सहमत होना पड़ा।

दूसरे दिन ठीक शाम को छ: बजे मैं उनके बंगले पर पहुँच गया। काम निपटाने के बाद मैं जैसे ही घर के लिए निकलने लगा कि बॉस बोल उठे- हम सभी को एक पार्टी में जाना है.. क्या तुम हमारे साथ जाने के लिए तैयार हो?

पहले ही दिन और रूकना.. मेरा गला सूखने लगा। मना करने की सूरत में हो सकता था कि जॉब चली जाए और न मना करने की सूरत में पहले ही दिन ओवर टाईम करना पड़ सकता था।

खैर.. मैंने फ़ोन पर अपनी पत्नी से यह बात की.. तो उसने भी बेमन से जाने के लिए बोला।
चूंकि मेरा जॉब का पहला दिन था तो मैंने भी थोड़ा फैशनेबल कपड़े पहने हुए थे। जूते वगैरह थोड़े पॉलिश थे इसलिए मुझे कोई परेशानी नहीं हुई थी।
मैं उनके साथ पार्टी में गया। बॉस तो मैचिंग सूट में थे.. मैडम भी किसी से कम न दिखने की होड़ में थीं, उन्होंने स्टाइलिश नीला गाउन पहना हुआ था.. उसमें वो जानमारू माल लग रही थीं।

मोहिनी ने तो सिम्पल टॉप पहना था लेकिन वो इतना छोटा था कि अगर हल्का सा नीचे झुका जाए.. तो उसके तरबूज आसानी से देखे जा सकते थे और जींस की निक्कर पहन रखी थी।
उस कपड़े में मोहिनी की पूरी काया दिख रही थी। अगर उसे एकदम अँधेरे में भी देखा जाए.. तो उसे अच्छी तरह से देखा जा सकता था।

उन्होंने मुझे कार की चाबी पकड़ाई.. मैंने बॉस की तरफ देखते हुए कहा- सर.. ड्राईवर?
‘वो पांच-छ: दिन की छुट्टी पर है.. इसीलिए मैंने तुमसे पहले ही पूछा था कि कार ड्राईव कर लेते हो न?’

मैंने बिना कुछ कहे चाबी उनके हाथ से ली और ड्राईवर सीट पर आकर बैठ गया। साहब और मैम साहब पीछे की सीट पर बैठ गए और मोहिनी मेरे बगल वाली सीट पर बैठ गई। एक बार तो मेरी नजर उसकी गोरी-गोरी मखमली टांगों पर चली गई.. पर फिर खुद पर काबू करते हुए मैंने उनके लोकेशन बताने के बाद गाड़ी स्टार्ट कर दी।

दो ही मिनट बीते होंगे कि कानों में साहब और मैम साहब की बातें जो पार्टी के बारे में बात कर रही थीं.. हालाँकि वो दोनों काफी धीरे-धीरे बातें कर रहे थे.. फिर भी मुझे लगने लगा कि आज रात मुझे देर हो जाएगी।
अब हो जाएगी तो हो जाएगी।

अचानक गाड़ी चलाते हुए मेरी नजर बैक मिरर पर गई। मिरर में देखा कि साहब का एक हाथ मेम साहब के बाएँ चूचे को दबा रहा था.. और दूसरा हाथ उनकी जांघ को सहला रहा था और दोनों ही काफी खुश नजर आ रहे थे।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

लोकेशन पर पहुँचने से पहले मोहिनी ने एक बार भी पीछे मुड़ कर नहीं देखा और न ही उनसे बात करने की कोशिश की।
मुझे लगा कि मोहिनी इन बातों को जानती थी.. इसलिए उसे कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। वो केवल अपने कानों में ईयर फोन लगा कर गाने सुनने में मस्त थी।

खैर.. हम लोग पार्टी वाली लोकेशन पर पहुँच गए।
वहाँ से तीनों उतर कर अन्दर चले गए.. किसी ने मुझसे अन्दर चलने के लिए बोला भी नहीं.. इसीलिए मैं वहीं पर अकेला रह गया।
रात के करीब 2 बज चुके थे और घर से बार-बार फोन आ रहा था। मैं अब न इधर का और न उधर का था।

नौकरी के पहले दिन कुछ गड़बड़ न हो.. सो मैंने अपने मालिक की बात रख ली.. पर अब मुझे लगने लगा कि मैं अगर यहाँ काम करूँगा तो फंस जाऊँगा।
इसलिए मैंने काम छोड़ने का फैसला कर लिया और उनको चाभी पकड़ाने अन्दर जा ही रहा था कि बाहर मोहिनी को आते हुए देखा।

वो अपने पापा को सहारा देकर ला रही थी, साहब ने शराब बहुत ज्यादा पी रखी थी और संभल नहीं पा रहे थे।
मैंने मोहिनी से साहब को लिया और सहारा देकर कार की तरफ जा ही रहा था.. तभी मोहिनी बोली- एक रांड अन्दर और धुत पड़ी है। इस मादरचोद को कार में डाल कर आ.. और उसे भी उठा!

मैं हतप्रभ था.. पर बिना कोई रिऐक्शन दिए साहब को कार में डाला और मोहिनी के पीछे पीछे जाकर मेम साहब को भी उठाया।
मेम साहब के कपड़े भी काफी अस्त-व्यस्त थे।

खैर.. मैंने भी उनको कार में डाला और फिर मैं और मोहिनी दोनों अपनी-अपनी जगह पर बैठ गए और थोड़ी देर बाद ही हम सब बंगले पर थे।
एक बार फिर मैंने सहारा देकर उन सब को उनके कमरे में पहुँचाया और चलने लगा कि तभी मोहिनी बोली- सॉरी यार.. इन माँ के लौड़ों की वजह से तुम्हें काफी देर हुई..
‘कोई बात नहीं.. लेकिन कल से मैं नहीं आ पाऊँगा।’
यह कह कर मैं वापस जाने के लिए मुड़ा..

तो मोहिनी बोली- पहले ही दिन तुम थक गए।
मैंने कहा- थकने वाली बात नहीं है। मैं अपनी इनकम बढ़ाने के लिए मैंने पार्ट टाईम जॉब चुनी.. पर इससे तो मैं न घर का मुँह देख पाऊँगा और न ही अपनी नींद पूरी कर पाऊंगा।
मोहिनी बोली- ठीक है मत करना.. लेकिन कल आ जाओ।

‘ठीक है..’ कहकर मैं चला आया और घर आकर मैंने अपनी बीवी को पूरी बात बताई।
वो बोली- ठीक है.. कल देखो क्या होता है।

दूसरे दिन मैं मोहिनी के कहने पर उसके घर गया.. तो वहाँ साहब बोले- अगर तुम फुल टाईम जॉब यहाँ कर लो.. तुम्हें तुम्हारे हिसाब से सैलरी मिल जाएगी।

मुझे यह ऑफर तो अच्छा लगा.. क्योंकि मेरी वो भी जॉब प्राईवेट थी और ये भी..
फिर भी मैंने एक दिन का समय मांगा, पत्नी से मशवरा करने के बाद मैंने उन्हें हामी भर दी और उनके यहाँ काम करने लगा।

धीरे-धीरे मैं उनके यहाँ काफी घुल-मिल गया। चूँकि मैम और मोहिनी एक बड़े घर की थीं.. तब वो मेरे सामने केजुएल कपड़ों में आने लगीं।
आप सभी समझ रहे होंगे.. मैक्सी, गाउन वगैरह..

उस घर में मेरा एक स्थान बनता जा रहा था और लोग मुझसे खुलते जा रहे थे। मैं उनके घर का सदस्य जैसा हो गया था। उनके घर के किसी भी हिस्से में मैं बेफिक्री से कहीं भी आ जा सकता था।
बॉस जब भी घर में रहते थे.. तो केवल कैपरी ही पहने रहते थे, उनके ऊपर का हिस्सा भी नंगा रहता था और ठीक यही हॉल दोनों आइटमों का भी था, उनकी बुर.. गांड का छेद और चूची के निप्पल छोड़ सब कुछ दिखता था।
उन दोनों महिलाओं के जिस्म पर कम कपड़े देखकर मेरा लंड हर समय फुंफकार मारता रहता था।

मालिक और नौकर के रिश्ते के कारण मैं पहल नहीं करना चाहता था।

पर घटना तो घटनी ही थी.. हुआ यूँ कि जिस दिन यह घटना घटी.. उसके एक रात पहले मैंने जम कर मीट खाया था.. और बदहजमी हो गई थी जिसकी वजह से खट्टी डकार और पाद खूब आ रही थी।
मैं ऐसी स्थिति में जाना जा नहीं रहा था.. पर तबीयत खराब का बहाना बनाने के बाद भी उन लोगों ने मुझे बुला लिया। क्योंकि उन्हें मार्केटिंग करने जाना था और उनके लिए मार्केट करना ज्यादा इर्म्पोटेन्ट था।

ज्यादा सितम यह हो गया कि बिना मुझसे पूछे कि मेरी तबियत कैसी है उन्होंने मुझे गाड़ी ड्राईव करने के लिए कहा।
‘मरता क्या नहीं करता…’ वाली कहावत मेरे साथ हो रही थी।

कार में पीछे वाली सीट पर मैम और मेरे बगल वाली सीट पर मोहिनी बैठ गई.. तभी मेरी पाद छूट गई।
मोहिनी मेरी ओर घूरते हुए बोली- ये क्या.. कितनी बुरी स्मेल कर रहे हो?
‘मैं क्या करूँ मैडम.. मैंने तो आज की छुट्टी मांगी थी।’

मोहिनी मेरी जांघ पर हाथ रख कर बोली- इतनी छोटी सी बात के लिए छुट्टी तो नहीं दी जाती। अभी पापा-मम्मी को एयरपोर्ट भी छोड़ने जाना है।

मैंने मोहिनी की तरफ देखते हुए कहा- इसका मतलब मैडम इतने बड़े बंगले में आप अकेले रहोगी?
तभी मैम बोली- नहीं घर में जितने वर्कर हैं.. वो सब इसके साथ रहेंगे।
‘पर मैडम.. मैं घर नहीं छोड़ सकता।’

मेरे मन में खुशी के मारे लड्डू फूट रहे थे कि अगर मौका मिला तो मोहिनी को चोदूंगा लेकिन मैंने अपने भाव प्रकट नहीं किए।

दोस्तो, इस कहानी में चुदाई का एक जबरदस्त खेल होने वाला है जो आप सबको हैरत में डाल देगा.. बस कल आपके दरबार में हाजिरी लगाता हूँ..
अपने ईमेल मुझ तक जरूर भेजिएगा।
[email protected]

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top