मकान मालिक की लौंडिया ने मेरे लंड से मस्ती की
(Makan Malik Ki Laundiya Ne Mere Lund Se Masti Ki)
दोस्तो, मेरा नाम अभिषेक है, मैं अब चंडीगढ़ में रहता हूँ, वैसे मैं पंजाब के एक छोटे से गांव का रहने वाला हूँ और एक बहुत ही गरीब परिवार से हूँ।
मैं अन्तर्वासना की कहानियाँ, जो कि बेहद रोचक होती हैं, हर रोज पढ़ता हूँ, मुझे ये कहानियाँ बहुत पसंद हैं, मुझे लगा कि मुझे भी अपनी कहानी भेजनी चाहिए.. तो आज आप सबके लिए अपनी कहानी भेज रहा हूँ।
जैसे कि मैंने बताया के मैं एक गरीब परिवार से हूँ और ऊपर से मेरा कद भी कम है.. सिर्फ 5’4″ इंच, शरीर भी पतला है। शायद यही वजह थी कि मेरी आज तक किसी भी लड़की से सेटिंग नहीं हो पाई थी।
दूसरा मैं शर्मीले स्वभाव का हूँ तो ये भी कारण था कि मैं किसी लड़की को दोस्ती के लिए पूछ ही नहीं पाया.. तो भला गर्लफ्रेंड कहाँ से बनती।
भगवान अगर एक कमी देता है.. तो एक खासियत भी देता है। दोस्तो, बताना चाहूँगा कि भगवान ने मुझे लण्ड मस्त दिया है.. लगभग 7.5 इंच लंबा और मोटाई भी 2 इंच से ज्यादा है।
पहले पहल तो मैं इसे छोटा समझता था.. पर मुझे कुछ दिन पहले ही पता चला कि ये लड़कियों के लिए काफी बड़ा है।
मैं एक किराए के कमरे में रहता हूँ, मेरे साथ एक और लड़का मेरे साथ रहता है, वो जॉब करता है और सुबह 6 बजे ही अपनी ड्यूटी पर चला जाता है।
उस दिन भी वो सुबह-सुबह अपनी ड्यूटी पर चला गया.. पर वो मुझे उठाना भूल गया था। कमरे का दरवाजा भी खुला ही पड़ा था। पी.जी. में ज्यादातर पढ़ने वाले लड़के ही थे.. जो अब पेपर हो जाने की वजह से अपने-अपने घर गए हुए थे। इस कारण लगभग सारे कमरे खाली पड़े थे।
हमारा मकान-मालिक बहुत शरीफ आदमी है। उसके परिवार में उसकी बीवी और दो बेटियाँ हैं। बड़ी बेटी की शादी हो चुकी है और छोटी बेटी घर पर ही रहती है। छोटी बेटी थी भी क़यामत। उसको देखते ही मेरे दिल की धड़कनें राजधानी एक्सप्रेस की तरह चलने लगती थीं.. पर मैं बोला कुछ नहीं पाता था। वो मुझसे लंबी है.. उसका 5’7″ इन्च का कद.. दूध जैसा गोरा-चिट्टा रंग.. छोटे-छोटे पर एकदम गोल-गोल चूचियाँ.. सब मिला कर वो एक मस्त माल है।
उस दिन मकान-मालिक कहीं बाहर गया हुआ था.. और सिर्फ वो क़यामत ही घर पर थी।
मकान-मालिक के ना होने के कारण उस दिन वो ही ऊपर चक्कर लगाने आ गई। गर्मी की वजह से मैं सिर्फ अंडरवियर पहन कर सोता हूँ।
लड़कों को तो पता ही होगा कि सुबह सुबह की नींद कितनी प्यारी होती है और साथ ही सुबह-सुबह लण्ड भी तन कर खड़ा होता है।
उसने दरवाजा खटखटाया.. पर मुझे पता नहीं चला, वो खुद ही अन्दर आ गई।
बड़ा लण्ड लड़कियों की कमजोरी होती है, जब उसने मेरा देखा तो उसकी भी हालत खराब हो गई, उसने दरवाजा बंद किया और आकर मेरे पलंग पर बैठ गई।
थोड़ी देर बाद मुझे कुछ महसूस हुआ, आँख खुली तो मैं ये देख कर डर गया कि उसने मेरा अंडरवियर थोड़ा नीचे किया हुआ था और मेरे लण्ड को बड़े प्यार से सहला रही थी।
मैं जल्दी उठा और अपना अंडरवियर झट से ऊपर कर लिया और ऊपर लेने के लिए चादर ढूंढने लगा- अरे आप.. आप यहाँ कैसे? और ये आप क्या कर रही हो?
मैंने हकलाते हुए पूछा।
‘डरो मत… आराम से बैठ जाओ..’ उसने मुझे डरा हुआ देखा तो बोली और उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपने पास बैठा लिया।
‘आप यहाँ कैसे?’
‘यार आज घर पर कोई नहीं था तो पापा ने मुझे बोला था कि मैं सुबह-सुबह ऊपर जा कर देख आऊँ।’ उसने जवाब दिया।
‘वो तो ठीक है.. पर आप ये क्या कर रही थीं?’
अब वो थोड़ा घबराते हुए बोली- मुझे माफ कर दो यार… मैंने दरवाजा तो खटखटाया था.. पर तुम उठे ही नहीं… मैं अन्दर आई तो तुम्हारा हथियार खड़ा था और मैंने आज तक इतना बड़ा किसी का नहीं देखा है… बस मैं अपने आपको रोक नहीं पाई… प्लीज मुझे माफ कर दो..’
‘कोई बात नहीं… माफ़ी तो मुझे माँगनी चाहिए.. मैंने दरवाजा बंद जो नहीं किया था..’
‘इसका तो मुझे फ़ायदा ही हुआ… मैंने तुम्हारा इतना बड़ा ये देख लिया… क्या मैं इसे दुबारा देख सकती हूँ?’
‘अगर आपकी फैमिली में किसी को पता चल गया तो?’
‘तुम उसकी टेंशन मत लो… आज शाम तक कोई नहीं आएगा… घर पर कोई है ही नहीं..’ उसने अपना इरादा साफ़ कर दिया था।
‘पर फिर भी..!’
वो मिन्नत करने लगी- प्लीज.. मैंने जबसे इसे देखा है.. मैं अपने आपको रोक नहीं पा रही हूँ.. प्लीज दिखा दो ना.. मैं आज इससे खेलना चाहती हूँ..’
‘पर आप तो मुझे बड़ी भी हैं और लंबी भी..’
‘तो क्या हुआ… प्लीज दिखा दो ना..’
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लड़की मिन्नत करे और लड़का ना माने ऐसा तो कभी हो ही नहीं सकता।
मैं भी ढीला पड़ गया, मैंने कहा- दिखा दूँगा.. पर एक शर्त है.. तुम्हें इसे इसका नाम लेकर बुलाना होगा।
वो झट से बोली- प्लीज अपना लण्ड दिखाओ।
मैंन अपना अंडरवियर उतार दिया, लण्ड देखते ही वो मदहोश हो गई और मेरे लण्ड को पकड़ कर सहलाने लगी- इसे किस कर लूँ क्या..?
उसने बड़े प्यार से पूछा।
मैं भला कैसे मना कर सकता था, मैंने ‘हाँ’ में सिर हिला दिया।
किस करने के बाद वो बोली- मैं इसे चूस लूँ क्या?
मेरा सिर ‘हाँ’ में हिलाते ही वो लण्ड को अपने मुँह में भर कर चूसने लगी, वो जोर-जोर से मेरा लण्ड चूस रही थी। मेरा ये पहली बार था और वो चूस भी बहुत मस्त रही थी.. इसीलिए मैं तो 3-4 मिनट में ही खलास होने वाला हो गया।
मैंने उसको बताया तो वो बोली- मुँह में ही निकाल दो.. मैं इसे वेस्ट नहीं करना चाहती।
कुछ सेकंड्स के बाद ही मेरा सारा पानी उसके मुँह में निकल गया और मैं ढीला पड़ गया।
अब तक उसको भी पता चल गया था कि मैं इस खेल में नया हूँ, अब तो हर तरह से पहल उसे ही करनी थी।
उसने मेरे होंठों पर होंठ रख दिए और चूसने लगी, मैं भी धीरे-धीरे उसके होंठ चूसने लगा।
उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी टी-शर्ट के ऊपर से ही अपनी चूचियों पर रख दिया, मैं उसकी मुलायम और नरम चूचियों को मसलने लगा।
मैं बता नहीं सकता कि मुझे कितना मज़ा आ रहा था।
उसने सिर्फ टी-शर्ट और लोवर ही पहना हुआ था और अन्दर कुछ भी नहीं था, मैंने हिम्मत करते हुए उसकी टी-शर्ट उतार दी।
उसने कुछ नहीं कहा बल्कि अपनी गोल-गोल चूचियों को उभार कर मेरे सामने कर दिया।
मेरे लिए अपने आपको रोक पाना अब नामुमकिन था, मैंने उसकी चूचियों को अपने हाथों में भर लिया और उससे बोला- वाह मेरी जान… ये चूचे तो बहुत अच्छे हैं… दिल करता है इनका सारा दूध चूस जाऊँ..’
‘अबे लल्लू… तो चूस डाल ना… आज तो सब कुछ तुम्हारा है…जो मर्जी करो..’
मैं उसकी चूचियों को बारी-बारी से चूसने और दबाने लगा, उसकी सिसकारियाँ कमरे में गूंजने लगी थीं।
मैंने बहुत सी ब्लू-फ़िल्में देख रखी थीं। मैंने उस अनुभव का प्रयोग करना शुरू कर दिया और नीचे की ओर बढ़ने लगा। उसके गोरे-गोरे बदन को चूमते हुए मैं नीचे उसके लोवर तक पहुँच गया, मैंने उसका लोवर खोलना शुरू कर दिया, उसने भी अपने चिकने चूतड़ उठा कर लोवर निकालने में मेरा साथ दिया।
लोवर उतारते ही उसकी चूत मेरे सामने थी, मैं पहली बार नंगी चूत साक्षात् देख रहा था, उसकी चूत गोरी-गोरी और गुलाबी रंग की थी। उस पर एक भी बाल भी नहीं था.. बिल्कुल चिकनी चूत थी।
उसने बाद में बताया था कि वो हर तीसरे दिन चूत के बाल साफ़ करती थी।
उसकी चूत में से पानी निकल रहा था, मैंने अपनी जीभ उसकी चूत पर लगाई.. तो वो कराहने लगी और उसकी ‘आहें.. सिसकारियाँ..’ कमरे में गूंजने लगीं।
मैं जीभ को अन्दर तक ले जाकर चाट रहा था। यह मेरा पहला अनुभव था इसीलिए मुझे ज्यादा मज़ा तो नहीं आ रहा था.. पर चूत की खुश्बू बहुत अच्छी लग रही थी।
मेरे चूत के चाटने से वो करीब पाँच मिनट के बाद मेरे मुँह पर ही झड़ गई, नमकीन से स्वाद का पानी मुझे बहुत अच्छा लगा, मैं उसकी चूत का सारा पानी चाट गया।
अब हम एक-दूसरे के साथ लेट गए और एक-दूसरे के अंगों से खेलने लगे। थोड़ी ही देर में वो चुदवाने के लिए तैयार हो गई और मेरे खड़े लण्ड को पकड़ कर बोली- मेरे राजा… अब मेरी चूत की प्यास बुझा दो… तुम्हारा लण्ड देखने के बाद मेरी चूत तुम्हारे मोटे लण्ड को अन्दर लेने के लिए फड़फड़ा रही है… अब नहीं रहा जाता… पेल दे जल्दी से अपना ये मोटा लण्ड मेरी चूत में…
मुझ से भी अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था.. सो मैं उसकी टाँगों के बीच में गया और अपने लण्ड का सुपाड़ा उसकी चूत पर रगड़ा, उसने मेरा लण्ड पकड़ कर अपनी चूत पर टिका लिया और मैंने भी उसकी टाँगें उठा कर अपने कन्धों पर रख ली।
मैं चुदाई के मामले में नया था.. तो जैसे ही मैंने धक्का मारा.. तो लण्ड अपनी जगह से खिसक गया।
मैंने फिर से कोशिश की.. तो इस बार मेरा सुपाड़ा चूत को भेदता हुआ अन्दर चला गया और साथ ही उसके मुँह से चीख निकल गई। मैंने उसके मुँह पर हाथ रख कर उसकी चीख को दबाया।
जब हाथ उठाया तो बोली- ओह्ह.. बहुत मोटा है.. थोड़ा धीरे-धीरे करो यार… तुम्हारा लण्ड बहुत बड़ा भी है..
लण्ड की तारीफ सुन कर मैं बहुत खुश हुआ, मैंने थोड़ी देर रुक कर एक और धक्का लगा कर लण्ड को अन्दर तक सरका दिया, उसे बहुत दर्द हो रहा था।
मैं रुक-रुक कर उसके होंठ चूस रहा था और चूचियाँ मसल रहा था। कुछ देर बाद जब उसका दर्द कुछ कम हुआ तो जोरदार धक्के लगा कर मैंने पूरा लण्ड उसकी चूत में उतार दिया।
अब पूरा लण्ड उसकी चूत में समा गया.. तो वो दर्द से कराहने लगी.. वो हर धक्के पर चीख रही थी।
मैंने उसके होंठ अपने होंठों में दबा रखे थे.. जिससे उसकी चीख बाहर नहीं आ पा रही थी, दर्द के मारे उसकी आँखों से पानी निकल रहा था।
धीरे-धीरे लण्ड ने चूत में अपनी जगह बना ली और अब उसको भी मज़ा आने लगा.. तो वो अपने चूतड़ उठा-उठा कर लण्ड को अन्दर लेने लगी।
मैंने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी थी, अब वो भी मस्ती में बड़बड़ाने लगी थी- आह्ह… राजा… तूने तो मेरी फाड़ दीईईई.. उईईई माँ.. आज तो गईई..
उसकी यह हालत देख कर मुझे और मज़ा आ रहा था, मैं जोश में जोर-जोर से धक्के मार रहा था।
लगभग 6-7 मिनट के बाद वो झड़ने वाली हुई.. तो मुझसे बोली- जोर-जोर से फाड़ जानू.. फाड़ दे आज मेरी.. बुझा दे मेरी चूत की आग..’
ऐसे ही बड़बड़ाते हुए वो झड़ गई पर मैं अपने काम में लगा रहा।
तभी उसने मुझे रुकने को कहा, मैंने पूछा- क्या हुआ?
तो वो बोली- अब मैं ऊपर आती हूँ।
मैंने लण्ड बाहर निकाला और नीचे लेट गया, वो ऊपर आकर धीरे से मेरे लण्ड के ऊपर बैठ गई और अपने चूतड़ ऊपर-नीचे करने लगी।
उसके चूचे हर धक्के के साथ ऊपर-नीचे थिरक रहे थे, इस अदा में वो और भी सेक्सी लग रही थी।
मैंने उसके चूचे पकड़ लिए और मसलने लगा, वो पूरी मस्ती से लण्ड के ऊपर कूद रही थी।
कुछ देर बाद मुझे लगा कि मेरा भी काम होने वाला है.. तो मैंने उसको बताया, वो झट से रुक कर नीचे आ गई और मुझे ऊपर ले लिया और बोली- अभि.. जानू.. सारा माल मेरे अन्दर ही निकाल देना.. मैं तुम्हारे माल का पूरा मज़ा लेना चाहती हूँ… जोर-जोर से चोद कर डाल दे अपना सारा माल मेरी चूत में..
उसी समय मैंने एक जोरदार धार के साथ उसके अन्दर पानी छोड़ना शुरू कर दिया, मेरे वीर्य से उसकी चूत लबालब भर गई थी।
मैं थक कर उसके ऊपर ही लेट गया।
वीर्य की गर्मी से वो भी मेरे साथ एक बार फिर से झड़ गई थी, मैं उसके ऊपर ही लेटा रहा।
उस दिन मैं काम पर नहीं गया और हमने दिन में तीन बार सेक्स किया। उसके बाद भी बीस दिन में कई बार उसकी चुदाई कर चुका हूँ।
मैं अपने लण्ड को हमेशा छोटा समझता था.. पर उसने मुझे बताया कि ज्यादातर लोगों का लण्ड मेरे लण्ड से छोटा होता है और मेरा लण्ड किसी भी चुदक्कड़ औरत को भी ठंडा कर सकता है.. तो मेरा हौसला बढ़ गया।
उसकी बात सुनकर मुझे जिगोलो बनने का ख़याल आने लगा। सोचा कि जब लण्ड शानदार है.. तो क्यों ना प्रयोग करके कुछ कमाई की जाए। मजा का मजा और पैसे का पैसा।
अब आप मुझे बताइएगा कि मेरी कहानी कैसी लगी?
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