मकान मालिक की बेटी का योनि भेदन
(Makan Malik Ki Beti Ka Yoni Bhedan)
अन्तर्वासना के सभी पाठकों का सरस चन्द्र की तरफ से हार्दिक अभिनन्दन। मैं आपका सरस एक बार फिर अपनी जिंदगी की एक नई और बेहतरीन सच्ची न्यू सेक्स स्टोरी आपके सामने लेकर प्रस्तुत हुआ हूं।
मेरी पिछली कहानी
प्रेमिका की चिकनी चूत चुदाई
आप सभी के द्वारा बहुत पसंद की गई और उसके लिए मुझे ढेर सारे मेल भी प्राप्त हुए जिसके लिए मैं आप सभी का तहे दिल से शुक्रगुजार हूं।
मैं उम्मीद करता हूं कि आप सभी का वही प्यार ओर स्नेह फिर से मुझे मेरी आने वाली कहानियों के लिए मिलता रहेगा।
यह कहानी मैं काफी दिन बाद लिख रहा हूं क्योंकि इस बीच मेरी बैंक में नौकरी लग गई। मेरी यह न्यू सेक्स स्टोरी मेरे इन्हीं दिनों को आपके सामने पेश करने की छोटी सी कोशिश है।
इन सभी बातों को यही विराम देते हुए मैं अपनी कहानी शुरू करने की सभी पाठको से इजाजत चाहता हूं और सभी पाठिकाओं से अनुरोध करता हूं अपनी अपनी चूत को खोल के रखें ताकि चूत में उंगली करने में कोई परेशानी नहीं हो! सभी पाठक भी अपना अपना लन्ड निकाल लें जिससे आपको भी मुठ मारने में दिक्कत नहीं हो।
दोस्तो, कहानी शुरू करने से पहले मैं इस कहानी की नायिका के बारे में आपको बता दूं। उसका नाम मोनिका है और 24 साल की कमसिन कली है, बूब्स उसके ज्यादा बड़े नहीं हैं लेकिन उसके होंठ इतने रसीले हैं कि उन्होंने उसके बूब्स की कमी को पूरा कर दिया है।
उसके फिगर से आप सभी उसकी एक मूर्ति बनाने की कोशिश करना… उसका फिगर 28-32-34 का है।
अब हम थोड़ा पीछे चलते हैं…
दोस्तो, जब मुझे मेरी नौकरी ज्वाइन करने के लिए मेल मिला तो बुलाए गये समय पर मैं पहुंच गया और अपनी नौकरी ज्वाइन कर ली।
अब समस्या थी रुकने की… तो मैंने अपने साथी कर्मचारियों के साथ मिलकर किराये का कमरा देखना शुरू कर दिया और थोड़ी मेहनत के बाद मुझे मेरी मंजिल मिल गई।
मैं और मेरा दोस्त एक मकान सामने खड़े थे और मेरे दोस्त ने दरवाजे पर लगी घंटी को बजाया।
दरवाजा एक युवा लड़की ने खोला. ( उसका नाम मोनिका था, मुझे बाद में पता चला था)
और वो हमसे पूछने लगी- कहिए, क्या काम है आपको? किनसे मिलना है?
“हम एक कमरा देख रहे है किराये पर… यहां बैंक में नए भर्ती हुए हैं, क्या आपके यहां कमरा खाली है?” मैंने एक ही सांस में पूरी बात कह डाली।
“आप रुकिए… मैं पिताजी को बुलाती हूं!” यह कहकर मोनिका अंदर चली गई.
और थोड़ी देर बाद उसके पिताजी बाहर आए और हमसे हमारे बारे में पूछने लगे।
सब कुछ तय हो जाने के बाद हमने उन्हें किराये के एडवांस पैसे दिए और अगले दिन आने की कहकर चले गए।
अगले दिन आकर मैंने अपना सामान कमरे में रखा और अपने नियमित जिंदगी जीने लगा।
दोस्तो, आपको तो पता है कि मैं एक साधारण कद काठी वाला लड़का हूं लेकिन लंड मजबूत रखता हूं।
मोनिका से मेरी सामान्य बातचीत कभी कभी हो जाती थी। उसके पापा मुझे अपने कमरे में बाते करने के लिए बुला लेते थे।
मैंने एक दिन गौर किया कि जब भी मैं उसके पापा के पास होता तो मोनिका भी आस पास ही होती और मुझे देखती रहती थी लेकिन जैसे ही मेरी नजर उस पर जाती, वो अपनी नजर घुमा लेती। मैं समझ गया कि लड़की कुछ चाहती है, मैं उससे अब ज्यादा बातें करने लगा। वो भी मुझसे बात करने का कोई अवसर जाने नहीं देती थी।
हम दोनों एक दूसरे को चाहने लगे थे और अपनी प्यास छुपा भी नहीं पा रहे थे तो कह भी नहीं पा रहे थे क्योंकि आप तो जानते हैं दोस्तो कि मुझे लड़कियों से अपनी बात कहने में बहुत झिझक होती है और यही कारण है कि मेरी ज्यादा लड़कियां दोस्त नहीं है।
जिस जगह मैं रहता हूं, वहां गुलाब की खेती बहुत होती है तो एक दिन मैं उसके लिए एक गुलाब लेकर आया। शाम के वक़्त मैंने उसे छत पर बुलाया और गुलाब दिया और अपने प्यार का इजहार किया।
मोनिका भी झट से मान गई, उसने भी मुझे कहा कि वो भी मुझे बहुत प्यार करती है।
एक ही मकान में रहने के बावजूद भी अब हमारी बातें फोन पर होने लगी। जब भी वक़्त मिलता वो मुझे फोन करती ओर मैं कमरे से बाहर आकर उससे फोन चैट करता। वो भी अपने कमरे से बाहर आ जाती। इस तरह हम एक दूसरे को देखते और बात करते रहते।
दोस्तो, कहते हैं ना कि जब किसी को शिद्दत से चाहो तो कायनात भी आपके मिलन की तैयारी करने लग जाती है।
वो दिन भी आ गया जिसका मुझे बेसब्री से इंतज़ार था।
महीने का दूसरा शनिवार था उस दिन उनकी रिश्तेदारी में किसी की मौत हो गई थी, उसके पापा और मम्मी सुबह वहाँ चले गए, इस बात का मुझे पता नहीं था।
जब मैं अपने कमरे से निकला तो देखा घर में उसके और मेरे अलावा कोई नहीं था।
मैंने मोनिका को पूछा- सब कहाँ गये हैं?
“मेरे दूर के दादाजी खत्म हो गये हैं तो मम्मी पापा वहीं गये हैं और मेरा भाई स्कूल गया है।” मोनिका ने उत्तर दिया.
मेरी तो मानो लॉटरी लग गई, मैं तुरंत भाग कर उसके पास गया और उसे अपनी बांहों में ले लिया और जोर से गले लगा लिया। मोनिका भी मुझसे ऐसे लिपट गई जैसे कोई लता किसी पेड़ से लिपटी होती है।
यह हमारा पहला स्पर्श था दोस्तो!
उस दिन मैंने उसे खुल कर महसूस किया था। मैं अपने हाथों से उसकी गान्ड को सहला रहा था और दबाते हुए उसकी गान्ड की नाप ले रहा था। हालाँकि उसके बूब्स इतने छोटे भी नहीं थे लेकिन उनकी कमी उसकी गान्ड ने पूरी कर दी।
मुझे हमेशा से ही बड़े बूब्स और बड़ी गान्ड वाली लड़कियां पसंद हैं। जब मैं उसकी गान्ड को सहला रहा था तब वो आंखें बंद कर मेरे कान के पास किस किए जा रही थी और मेरे कंधे पर सर रखकर गान्ड दबवाने का मजा लेने लगी।
कुछ देर बाद हम एक दूसरे से अलग हुए और एक दूसरे की आंखों में देखने लगे।
“मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूं सरस! आज हमें अवसर मिला है तो मुझे जी भर कर प्यार करना, मेरी सारी प्यास बुझा देना!” मोनिका ने कहा।
मुझे उसकी आंखों में एक अजीब सी शरारत और अनुरोध नजर आया कि आज नहीं तो कभी नहीं।
“मैं भी तुम्हें बहुत प्यार करता हूं मोनिका… और मैं भी तुमको खोना नहीं चाहता।” यह कहते हुए मैंने मोनिका को अपनी गोद में उठाया और उसे अपने कमरे में ले जाकर अपने बिस्तर पर पटक दिया।
अपनी दोनों बांहें फैला कर उसने मुझे अपने ऊपर आने का निमंत्रण दिया जिसे मैंने बिना वक़्त गंवाये स्वीकार कर लिया और मैं उसके ऊपर जा गिरा।
क्या वक़्त था दोस्तो, ऐसा लग रहा था जैसे स्लीपवेल का शानदार गद्दा मेरे नीचे बिछा हुआ हो।
मैं उसके होंठों को चूमने लगा, मोनिका भी मेरा साथ देने लगी। कभी मैं उसके होंठों को चूमता कभी उसकी जीभ को तो कभी उसकी गर्दन को! मोनिका भी मदहोश हुए जा रही थी और मेरे कदम से कदम मिलाकर प्यार का गीत गा रही थी।
मोनिका को किस करते हुए मैंने उसके बूब्स को दबा रहा था, उसके छोटे छोटे निप्पलों को उसकी टीशर्ट के ऊपर से ही अपने दांतों से काट रहा था। जब मैं उसके बूब्स को दबाता या उसके निप्पल को काटता तो वो आनन्द की लंबी सी सिसकारी अपने मुंह से निकलती जो मुझे पागल सा बना देती।
धीरे धीरे हमारे बदन से कपड़े अलग होते जा रहे थे और हमारी बेचैनी अपने सब्र के बांध को तोड़ कर आगे बढ़ती जा रही थी। हम दोनों ही अपने आप पर काबू रख पाने में असमर्थ महसूस करने लगे।
अब तक मैं मोनिका के जिस्म से सारे कपड़े निकाल चुका था और वो मेरे! अब हम पहली बार एक दूसरे के सामने बिल्कुल नग्न अवस्था में थे। मेरे तने हुए सात इंच के लंड को देखकर एक बार तो मोनिका ने शर्म से अपनी आंखें अपने हाथों से ढक ली लेकिन कनखियों से चोरी चोरी वो मेरे लन्ड को देखे जा रही थी जो अब उसका होने जा रहा था.
मैंने उसकी आंखों से उसके हाथों को हटाया और कहा- अब जी भर कर देखो!
तो उसने शर्म से मुझे अपने गले लगा लिया और मेरे सीने में अपना मुंह छिपाए हुए बोली- मुझे बहुत दर्द होगा, प्यार से करना… नहीं तो मैं मर जाऊंगी।
मैंने उसका चेहरा अपनी हथेलियों के बीच में लिया और उसके चेहरे को चूमते हुए कहा- तुम क्यों इतना डर रही हो जानेमन, मैं बड़े ही आराम से तुम्हारी चूत की चुदाई करूंगा। अगर तुम पहली चुदाई में ही मर गई तो दुबारा कौन चूत देगा अपनी?
“तुम बहुत बेशर्म हो!” मेरे सीने पर अपनी हथेली मारते हुए मोनिका बोली।
फिर से मैं उसे चूमते हुए नीचे की तरफ बढ़ने लगा और अपने होंठों से कभी उसकी नाभि को और कभी उसके पेट को चाटने लगा। मोनिका कसमसाने लगी। अपनी जीभ से उसके पेट को गीला करने के बाद मैं नीचे जाने लगा। मेरी जीभ लगातार चलती जा रही थी और चलते चलते मोनिका की छोटी सी चूत पर पहुंच गई।
चूत को चाटने से पहले मैंने सोचा कि जरा इस चिड़िया को जी भर कर देख लिया जाए।
क्या बताऊं दोस्तो… एकदम चिकनी क्लीनशेव की हुई छोटी सी मक्खन लगी हुए पाव के जैसे चूत थी उसकी… अगर हाथ भी लगाओ तो लगे जैसे अभी फट जाएगी। एकदम नरम गुलाबी रसीली चूत थी उसकी।
उसकी चूत से टपकते हुए पानी को देखकर मेरे मुंह में भी पानी आ गया और मैंने भी अपना मुंह उसकी दोनों टांगों के बीच उसकी चूत पर मार ही दिया।
जैसे ही मेरी जीभ उसकी चूत से टकराई, उसके मुंह से ‘आह हम्म्म आह…’ की जोर की आवाज के साथ उसकी गान्ड ने ऊपर उठकर जबरदस्त तरीके से मेरा स्वागत किया। मैंने भी उसके स्वागत को स्वीकार करते हुए अपनी जीभ को उसकी चूत में अन्दर तक डाल दिया और उसको मस्त होकर चूसने लगा।
मोनिका भी मस्त होकर अपनी चूत की चुसाई करवाने लगी और अपने हाथो से मेरे सिर को जोर जोर से अपनी चूत पर दबाने लगी। जब भी मैं अपनी जीभ से उसकी चूत के गुलाबी दाने को छेड़ता वो ‘हम्म उम्म्ह… अहह… हय… याह… उफ्फ…’ की सिसकारियों के साथ अपनी गान्ड उठकर अपनी पूरी चूत मेरे मुंह में भर देती।
मैं उसके इस तरह साथ का पूरा आनंद ले रहा था।
मोनिका की चूत बहुत पानी छोड़ने लगी, उसके मुंह से सिसकारियां तेज़ होने लगी।
हम्मम अःह्ह स्सस स्ससआह हम्म ओह की आवाजें तेज होने लगी, ‘अःह्ह स्सस स्ससआह…’ की आवाज़ों के साथ अपनी गांड को जोर जोर से बिस्तर पर पटकने लगी। पूरा कमरा ‘अःह्ह स्सस स्ससआह हम्म् हम्ममम ओह आह्हहझ…’ की आवाज़ों के साथ हमारे मिलन का गवाही देने वाला था।
“अब और इंतज़ार नहीं होता सरस, चोद दो मेरी चूत को… फ़ाड़ दो इस साली को! बहुत परेशान करती है!” मोनिका बड़बड़ाने लगी।
“इतनी जल्दी भी क्या है मेरी जान… अभी मजे करो चुदाई से पहले के!” मैंने मोनिका के कान में धीरे से कहा और अपना लन्ड उसके होंठों पर लगा दिया।
मेरा लन्ड उठ उठ कर उसके होंठों पर गिरने लगा तो मोनिका ने तुरंत उसे अपने होंठों की गिरफ्त में ले लिया और बड़े प्यार से उसे चूसने लगी।
आह… क्या पल था… लग रहा था जैसे किसी जन्नत कि सैर पर निकला हूं। जब भी वो अपनी जीभ लंड के टोपे पर घुमाती तो मैं जोर से उसके बूब्स दबा देता तो उसके मुंह से आह के साथ आनन्द की सिसकारी निकल जाती, बदले में वो मेरे लन्ड पर अपने दांत लगा देती।
हम दोनों एक अलग दुनिया में थे जहां किसी की फिकर नहीं थी, बस एक दूसरे को भोगने की चाहत और प्यास मिटाने की हसरत थी।
मैं अपने लन्ड से अब उसके मुंह को चोदने लगा था, मेरा लंड उसके गले तक जा लगा, गुं गूं गूं करते हुए वो मेरे पूरे लंड को लेने की कोशिश करने लगी और मैं उसके मुंह में धक्के मारने लगा। कुछ देर बाद मैंने अपना लन्ड बाहर निकाला और फिर से मोनिका की रस से सराबोर हुई चूत को चाटने लगा।
“अःह्ह स्सस स्ससआह हम्मम…” करते हुए अपनी गांड को उठकर अपनी पूरी चूत को उसने मेरे मुंह में भर दिया जैसे कि उसका निमंत्रण हो कि ‘लो खा जाओ मेरी पूरी चूत को।’
उसके मुंह से सिसकारियां तेज़ होने लगी, अहह ओहह अहहह हम्मम की आवाजें मुझे पागल करने लगी। मेरे लन्ड पर इतना जोर बढ़ गया कि लगने लगा यह अब फट जाएगा। मोनिका की कमर बल खाने लगी।
मैंने अब ज्यादा देर करना सही नहीं समझा और अपने लंड मुंड को उसकी गीली चूत के द्वार पर लगा दिया।
चूत भी जैसे इसी पल का स्वागत कर रही थी और हल्के से धक्के के साथ मेरे लंड के अगले हिस्से हो अपने अंदर ले गई।
मोनिका के मुंह से जोर की चीख निकाल गई- मम्मी मर गई रीई…
और मैंने तुरंत उसके होंठ पर अपने होंठ रख दिए और उनको चूसने लगा।
थोड़ी देर बाद उसकी चीख लंबी साँसों में बदल गई और मुझे लगा कि वो अब ठीक है तो मैंने अपने होंठों को उसके होंठों से अलग किया और उसे पूछा- ठीक हो ना?
उसने कहा- हाँ…
अब मैं धीरे धीरे उसकी चूत में धक्के मारने लगा। अब तक धीरे धीरे करके आधा लंड उसकी चूत में जा चुका था और आधे लंड से ही मैं उसकी चूत को चोदने लगा। उसके मुंह से अहह हम्मम आह्ह्हह्ह ओह आह की आवाजें निकल रही थी।
जब मुझे लगा कि वो मेरा आधा लंड आराम से ले रही है तो एक धक्के के साथ अपना पूरा लन्ड उसकी चूत में घुसा दिया और एक लम्बी चीख के साथ मोनिका की आंखें बंद सी हो गई। थोड़ी देर अपने पूरे लंड को उसकी चूत में डाले हुए मैं उसके सहज होने का इंतज़ार करने लगा और उसके होंठों को उसके गर्दन को चूमने लगा।
कुछ देर बाद उसने अपनी आंखें खोली और मुझे शिकायत भरी नजर से देखने लगी। मैंने अपने कान पकड़े तो वो मुस्कुरा दी।
मैंने उसे आगे बढ़ने की इजाजत मांगी तो उसने अपनी गांड उठाकर मेरा साथ दिया। मैंने फिर से धक्के लगाना शुरू किया तो
उसके मुंह से फिर से अःह्ह स्सस स्ससआह अहह हम्मम आह्ह्हह्ह ओह आह… की आवाजें आने लगी।
मैं लगातार उसे चोदे जा रहा था. कुछ देर बाद वो अकड़ने लगी और मुझसे जोर से चिपक गई। मैं समझ गया कि इसकी चूत ने अपना पानी छोड़ दिया है। मैंने कुछ देर के लिये अपने धक्के बंद किए और लंड को चूत में डाले हुए उसे किस करने लगा।
थोड़ी देर उसे किस करने के बाद फिर से मेरे धक्के शुरू हो गये जिनके साथ मोनिका भी अपनी गांड उठाकर साथ देने लगी। मोनिका मेरे धक्कों के साथ अपनी गांड का बेहतरीन तालमेल बना रही थी।
लगभग बीस मिनिट तक मोनिका की शानदार चूत में धक्के मारते रहने के बाद मेरा लंड अपना रस छोड़ने को हुआ। इस बीच मोनिका दो बार अपना कामरस छोड़ चुकी थी, उसकी चूत पूरी तरह से रस से सराबोर थी।
तेजी से धक्के लगाते हुए मैंने मोनिका को पूछा- पानी कहाँ निकालूं मेरी जान?
“ये मेरी पहली चुदाई का पहला शरबत है, मेरी चूत में ही निकल दो। बहुत प्यासी है मेरी चूत!” मोनिका ने सिसकी भरते हुए बुदबुदाते हुए कहा।
और करीब दो मिनट बाद मोनिका की चूत मेरे लन्ड के पानी से पूरी तरह नहा चुकी थी। मैं प्यार की इस जंग में थककर मोनिका के बूब्स पर गिर गया और उसे किस करने लगा।
मोनिका ने मुझे ज़ोर से गले लगा लिया और चंदन के पेड़ पर लिपटे हुए भुजंग की तरह मैं मोनिका से लिपट गया।
थोड़ी देर बाद अपनी साँसों को संभालते हुए हम दोनों अलग हुए और मोबाइल में टाइम देखा तो पता लगा प्यार का ये खेल खेलते हुए हमें दो घंटे हो चुके थे। हम दोनों ने एक दूसरे को फिर से किस किया और मैं अपने कमरे में वापस आ गया।
उस दिन मेरा बैंक जाने का बिल्कुल मन नहीं था… लेकिन जाना पड़ा।
खैर उस दिन के बाद मैंने कई बार मोनिका की चुदाई की और कई रातें और कई दिन रंगीन किए।
अब मेरी बदली गुजरात हो चुकी है इसलिए अब फिर से मैं अकेला हूं।
यदि कोई भी किसी भी तरह का सहयोग मुझसे चाहती हैं तो मुझे उनकी समस्या का समाधान करने में और उनके मन की बात समझने में खुशी होगी।
यदि कोई भी पाठक या पाठिका अपनी कहानी मुझसे लिखवाना चाहे तो मुझे बता सकते हैं।
तो दोस्तो, यह थी मेरी एक ओर चुदाई की दास्तान। मेरी इस न्यू सेक्स स्टोरी पर मुझे आप सभी से मेल का बेसब्री से इन्तजार रहेगा।
मेरी मेल आईडी है [email protected]
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