मैं जवान प्यासी लड़की -2
(Main Jawan Pyasi Ladki- Part 2)
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अब तक आपने पढ़ा..
दो-तीन बार मैं मॉम और पापा के साथ उनके घर भी जा चुकी थी। उन्होंने शादी नहीं की थी। उनका मकान काफ़ी बड़ा और बिल्कुल मॉडर्न था। एकदम फिल्मी सैट की तरह बड़ा सा ड्राइंग रूम.. क़ीमती सोफे.. उम्दा क़ालीन और हर चीज़ बेहद क़ीमती..
अब आगे..
मुझे यह सुन कर खुशी हुई.. लेकिन मॉम ने पापा को कहा- शाज़ी अकेले रहते हैं.. क्या हमारी बेटी का उनके घर में रहना मुनासिब होगा?
पापा ने उन्हें समझाया कि शाज़ी उनका पुराना दोस्त है और वह हमारी बेटी को अपनी बेटी की तरह रखेगा.. तो मॉम मान गईं।
पापा.. मॉम अमेरिका जाने की तैयारी में लग गए और तय तारीख को जब उन्हें फ्लाइट पकड़नी थी.. तो शाज़ी हमारे घर आए। अपने मकान को अच्छी तरह लॉक करके हम लोग उन्हीं की शानदार गाड़ी में हवाई अड्डे के लिए निकले। रास्ते में पापा ने मुझसे कहा- आज से तुम शाज़ी के घर में रहोगी.. लेकिन अंकल को किसी बात के लिए ज़्यादा परेशान मत करना।
इस पर शाज़ी अंकल हँसने लगे और बोले- वो तुम्हारा अपना घर है.. किसी भी चीज़ के लिए झिझकना मत.. पूरे घर में जिस तरह चाहो रह सकती हो.. जिस चीज़ की ज़रूरत हो.. मुझसे पूछे बिना इस्तेमाल कर सकती हो। जो कुछ खाने-पीने का मन करे.. मेरे खास रेस्टोरेंट से फ़ोन करके घर मंगवा सकती हो। घर पर जो स्टाफ हैं.. उन्हें तुम अपने स्टाफ की तरह इस्तेमाल कर सकती हो।
यह सुन कर मॉम भी बहुत खुश हुईं।
पापा और मॉम की फ्लाइट उड़ जाने के बाद शाज़ी अंकल अपने साथ मुझे अपने घर ले कर आ गए। हम लोगों के घर पहुँचने के बाद पुरुष कर्मचारी ने अपने घर जाने की इजाज़त अंकल से माँगी। अंकल ने उसे छुट्टी दे दी। उसकी ड्यूटी शाम छ: बजे तक ही थी। अभी साढ़े छ: बज रहे थे।
अंकल ने कहा- पहले फ्रेश हो लेते हैं..
उन्होंने मुझे भी फ्रेश होने को कहा और ड्राइंगरूम के साथ वाले कमरे को खोल कर उन्होंने कहा- यह रहा तुम्हारा कमरा..
उसके ठीक बगल वाला कमरा अंकल का आफ़िस था। उस कमरे के पीछे एक और कमरा था। जिसका दरवाज़ा केवल उनके आफ़िस में खुलता था। वह उनका बेडरूम था। उनके बेडरूम से बाथरूम अटैच था। मुझे जो कमरा अंकल ने दिया था.. उसमें भी बाथरूम अटैच था। मैं अपने कमरे में जाकर फ्रेश होने लगी।
बाहर आई तो अंकल सोफे पर बैठे कोई फाइल देख रहे थे। मुझे देखते ही उन्होंने फाइल किनारे रखी और मुझसे उन्होंने पूछा- डिनर कहाँ करेंगे.. कहीं बाहर चल कर.. या यहीं मंगा लें?
मैंने कहा- आप जैसा पसंद करें।
उन्होंने कहा- नहीं तुम बताओ..
तब मैंने कहा- आज घर पर मँगा लें.. जब तक मैं पूरा घर भी देख लूँगी।
अंकल ने खाने का आर्डर फ़ोन पर दिया और मुझे अपना पूरा मकान दिखाने लगे। नीचे हिस्से में दस कमरे थे.. सब एक से बढ़ कर एक शानदार। मकान बहुत बड़ी चारदीवारी और सब तरफ फैले हुए बाग बगीचे के बीचों-बीच बना हुआ था।
मेनगेट पर चौकीदार रहता था। यह सब देखने के बाद हम ऊपर आ गए। फिर अंकल अपने आफ़िस में लेकर आ गए और वहीं बैठ कर खाना आने का इंतज़ार करने लगे।
तब मैंने कहा- अंकल आपने अपना बेडरूम तो दिखाया ही नहीं..
उन्होंने कहा- उस रूम में और उससे लगे बाथरूम में आज तक मैंने किसी बाहर के आदमी को नहीं जाने दिया है। केवल सफाई के लिए हमारी एक घरेलू महिला नौकर ही वहाँ जाती है। वह भी तब.. जब मैं घर पर मौजूद होता हूँ। बाक़ी समय मेरा बेडरूम लॉक रहता है और जब मैं सोने जाता हूँ.. तब ही वो खुलता है। मेरे अन्दर जाने के बाद मेरे बाहर आने तक वह बंद ही रहता है।
मैंने पूछा- ऐसा क्यों?
तब अंकल बात बदलने की कोशिश करने लगे.. इतने में खाना आ गया।
मैंने पैकिट खोल कर ख़ाना डाइनिंग-टेबल पर सज़ा दिया।
अंकल ने अपने आफ़िस के फ्रिज से रेड वाईन की बोतल निकाली और आइस-क्यूब बाक्स लेकर डाइनिंग-टेबल पर आ गए।
उन्होंने ने दो गिलास में ड्रिंक डाली.. तो मैंने झिझकते हुए उन्हें कहा- मैं अक्सर नहीं पीती हूँ.. कभी-कभार मॉम-पापा के साथ एक आध पैग ले लेती हूँ..
तब अंकल ने कहा- मैंने तो समझा था कि तुम अपने मॉम-पापा की तरह रोज़ ही लेती होगी.. अगर तुम्हारी इच्छा नहीं है.. तो कोई बात नहीं।
तब मैंने कहा- नहीं अंकल ऐसा नहीं है.. लेकिन आज आपके साथ पहली बार खा रही हूँ.. तो पी लूँगी।
फिर हम खाना खाने लगे.. तो मैंने पूछा- अंकल आपने बताया नहीं कि अपने बेडरूम में आज तक किसी और को क्यों नहीं जाने दिया.. वहाँ ऐसा क्या है?
अंकल ने कहा- कुछ भी नहीं.. बस यूँ ही..
तब मैंने कहा- लेकिन मैं तो आपके बेडरूम में जाऊंगी.. उसे देखने के लिए..
तभी अंकल ने कहा- पहले अपना खाना और ड्रिंक ख़त्म करो..
खाना ख़त्म होने के बाद अंकल मुझे ले कर नीचे बाग में टहलने के लिए आ गए।
आधा घंटा टहलने के बाद हम लोग ऊपर गए.. तो अंकल ने कहा- तुम अपने कमरे में जाकर सो जाओ।
मैंने कहा- लेकिन पहले मैं आपका बेडरूम देखना चाहती हूँ।
तब अंकल ने मुझे अजीब नज़रों से देखा और अचानक पूछ बैठे.. तुम्हारा कोई ब्वॉय-फ़्रेंड है?
मैंने हँसते हुए कहा- नहीं अंकल.. मैंने आज तक कोई ब्वॉय-फ़्रेंड नहीं बनाया। लेकिन अंकल आप बुरा ना मानें.. तो मैं एक सवाल पूछूँ?
उन्होंने कहा- पूछो.. मैं भला तुम्हारी बात का बुरा क्यों मानूँगा?
‘अंकल आपने अब तक शादी क्यों नहीं की?’
यह सुन कर अंकल का चेहरा कुछ उदास हो गया।
उन्होंने कहा- पहली बार किसी ने यह सवाल मुझसे पूछा है.. शायद मुझे तुम्हारे सवाल का जवाब देना चाहिए.. असल में जब मैं यूनिवर्सिटी की पढ़ाई पूरी कर रहा था.. तभी एक कार एक्सीडेंट में मेरे मॉम-पापा की मौत हो गई।
मैं अपनी एक क्लास-मेट से बहुत मोहब्बत करता था। पढ़ाई पूरी करने के बाद हम दोनों ने शादी का प्रोग्राम बना रखा था। मेरे मॉम-पापा भी इस शादी के लिए राज़ी थे.. मगर उनकी मौत के कुछ ही दिनों बाद मेरी माशूक़ा की भी एक कार हादसे में जान चली गई..
मैं अपने मॉम-डैड का इकलौता बेटा था। उनकी मौत के बाद मुझे ही उनका इतना बड़ा बिजनेस संभालना पड़ा। लेकिन अपनी माशूक़ा की मौत के सबब से मेरी ज़िंदगी एकदम सूनी हो गई। किसी चीज़ में मेरा दिल नहीं लगता था। किसी दूसरी लड़की से शादी के बारे में मैं सोच भी नहीं सकता था.. मगर बिजनेस तो मुझे संभाले रखना था.. इसलिए मैंने शादी ना करने का फ़ैसला कर लिया।
यह सुन कर मुझे बहुत दुख हुआ और मैं एकटक उनका चेहरा देखती रही। इतना खूबसूरत जवान मर्द.. इतनी दौलत.. मगर ज़िंदगी इतनी सुनसान..
पता नहीं मुझे क्या हुआ कि मैं अचानक ही अंकल के सीने से लग गई। अंकल मेरे सर और पीठ पर हाथ फेरने लगे। अपने दोनों हाथ मैंने उनकी गर्दन पर कस लिए.. जिससे मेरे मम्मे उनकी सख़्त चौड़ी छाती में गड़ने लगे। मुझे अजीब तरह का एहसास हुआ।
हालाँकि मैं अक्सर ही अपने पापा के आफ़िस जाते समय मैं उनके गले से लग जाती थी.. और वो मेरा माथा चूम कर मुझे विश करते हुए आफ़िस चले जाते थे। मगर ऐसा एहसास कभी नहीं हुआ था। मेरे बदन में लहू गर्म होने लगा.. मुझे लगा कि मैं पूरी ताक़त से उनसे चिपट जाऊ।
अंकल मेरी यह हालत अच्छी तरह महसूस कर रहे थे.. वो मुझे इसी तरह अपने सीने से लगाए खड़े थे। तब मुझे अपनी हालत का एहसास हुआ और मैं आहिस्ता से उनके सीने से अलग हो गई.. मगर एकदम चुप।
तब अंकल ने मेरा बाज़ू पकड़ा और मुझे लेकर अपने आफ़िस में दाखिल हुए..। वहाँ टेबल के दराज से उन्होंने चाबी निकाली और अपना बेडरूम खोला। मुझे लिए हुए वो अपने बेडरूम में दाखिल हो गए। बेडरूम का डोर अपने आप लॉक हो गया।
यहाँ का नज़ारा देख तो मेरी नज़रें झुक गईं.. मेरी साँसें तेज़ चलने लगीं। दीवारों पर हर तरफ़ बेहद कामुक बड़ी-बड़ी तस्वीरें लगी हुई थीं। औरत और मर्द सेक्स की हालत में एक-दूसरे में समाए हुए.. एक-दूसरे के कामुक अंगों को चाटते चूसते हुए दिख रहे थे। इतना आकर्षक कामुक दृश्य.. मैंने पहले कभी नहीं देखा था। ब्लू फिल्में मैंने पहले देखी हैं.. लेकिन ऐसा दिल में तूफान मचा देने वाला मंज़र मैंने पहले कभी नहीं देखा था। ना चाहते हुए भी मैं इन तस्वीरों को देखने पर मजबूर हो गई। अंकल बस एकटक मुझे देखे जा रहे थे और मैं इन कामुक तस्वीरों में खोई थी। फिर जब मुझे अंकल के साथ होने का एहसास हुआ.. तो मैंने अपना सर नीचे झुका लिया।
इस पर अंकल ने मेरा चेहरा अपने हाथों से ऊपर उठाते हुए कहा- इसमें शरमाने वाली क्या बात है। तुम बालिग हो और मैं समझता हूँ कि तुम्हें औरत और मर्द के रिश्तों के बारे में सब कुछ पता होगा।
चूँकि मैं ज़्यादा संकोची या दकियानूसी ख़यालों वाली लड़की नहीं थी.. इसलिए मुझे लगा कि अंकल से अब फ्रेंकली बातचीत करने में मुझे ज़्यादा शरमाने की ज़रूरत नहीं है।
इसलिए मैंने कहा- अंकल दरअसल ऐसी तस्वीरें मैंने पहले कभी नहीं देखी.. इसलिए और फिर आपके सामने.. मुझे थोड़ी झिझक लग रही है।
तब अंकल एकदम से हँस पड़े.. बोले- तुमने खुद ज़िद की थी कि मेरा बेडरूम देखोगी.. मुझे लग रहा था कि तुम्हारे जैसी मॉडर्न लड़की भी मेरा बेडरूम देख कर शर्मा जाएगी। लेकिन चलो कोई बात नहीं.. अब तुमने देख ही लिया है तो यह बताओ कि यह तस्वीरें कैसी हैं? मैंने इन्हें पेरिस से मंगवाया है।
मैंने कहा- यह तो बहुत खूबसूरत और हॉट हैं। मैंने पहले कभी इतनी हॉट तस्वीरें नहीं देखी हैं।
उन्होंने कहा- अकेली जिन्दगी में यही मेरी साथी हैं।
मुझे उन पर बहुत तरस आया.. मैंने कहा- अंकल आपको शादी कर लेनी चाहिए.. एक से एक सुंदर लड़की आपको मिल जाएगी.. अभी ना तो आपकी बहुत उम्र हुई है.. और न ही आप कोई मामूली आदमी हैं.. पढ़े-लिखे.. इतना बड़ा बिजनेस.. दौलत.. सब कुछ तो आपके पास है..।
दोस्तो, मैं अपनी जिन्दगी के सबसे हसीन पल आप सबसे रूबरू कर रही हूँ। मैं चाहती हूँ कि आप अपने विचारों को मेरे दोस्त की ईमेल पर भेज दें.. मुझे उनसे यह सब जानकारी हो जाएगी।
कहानी जारी है।
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