बहन का लौड़ा -65

(Bahan Ka Lauda-65)

पिंकी सेन 2015-07-27 Comments

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अभी तक आपने पढ़ा..

राधे- क्या तेरा दिमाग़ खराब है क्या.. कल तो 5 दिए थे.. अब मेरे पास कुछ नहीं देने को.. समझा!
नीरज- अच्छा.. कुछ नहीं है.. देखो ना भाभी जी.. आपके पास इतने पैसे हैं और ये मुझे थोड़े से पैसों के लिए मना कर रहा है.. अब आप ही समझाओ ना इसे..
मीरा- वो पैसे हराम के नहीं हैं.. मेरे पापा की मेहनत के हैं.. समझे.. तुमको जितना दिया.. बहुत हो गया.. अब अपनी मनहूस सूरत लेकर यहाँ से चले जाओ वरना ठीक नहीं होगा..
नीरज- अबे चुप साली रंडी.. मैं इसको तेरी बड़ी बहन बना कर लाया था.. आज इसको तू यार बना कर मेरे को आँख दिखा रही है साली.. इसका लौड़ा तेरे को भा गया क्या.. एक बार मेरे से भी चुद कर देख.. मज़ा आ जाएगा..

अब आगे..

राधे ने जब यह सुना तो गुस्सा हो गया और उसने नीरज की तरफ गुस्से से देखा और उसको कहने लगा- अपनी ज़ुबान को काबू में रख नीरज.. अगर तू मेरा दोस्त ना होता ना.. तो मैं तेरा मुँह तोड़ देता.. चल माफी माँग मीरा से..
मीरा- नहीं राधे.. इस कुत्ते को पुलिस के हवाले कर दो.. सारी अकल ठिकाने आ जाएगी।

नीरज- अच्छा.. ये तेवर हैं तुम दोनों के.. बुलाओ पुलिस को.. अच्छा ही होगा तुम दोनों तो पैसे दोगे नहीं.. तो तुम्हारे पापा से ही माँग लेता हूँ हा हा हा.. कुछ समझ आया जानेमन.. मैं क्या कहना चाहता हूँ।
राधे- नीरज तुम हमें बेकार में परेशान कर रहे हो।

नीरज- हाँ कर रहा हूँ.. और आगे भी करूँगा.. तू साला दोस्त होकर मुझे डांटता है.. अब चुपचाप पैसे दे दो.. नहीं तो मैं उस बूढ़े को सब बता दूँगा.. और तुम्हारा खेल ख़त्म हो जाएगा।

अब मीरा और राधे दोनों के हलक सूख गए.. नीरज से उनको ऐसी उम्मीद भी नहीं थी.. वो बोलते तो क्या बोलते..

नीरज- अरे अरे.. देखो तो दोनों को साँप सूंघ गया क्या.. अभी तो साली बहुत ज़ुबान चल रही थी तेरी.. हा हा हा.. तेरे बाप को डबल झटका लगेगा.. एक तो ये कि ये राधे साला उसकी बेटी नहीं है.. और दूसरा ये कि उसकी बेटी ने उसको धोखा दिया.. अपने यार से चुदवाती रही और बाप को धोखा देती रही.. हा हा हा.. नहीं नहीं.. मैं कहानी को बदल दूँगा.. मैं कहूँगा.. तू पहले से राधे से प्यार करती थी.. यह सारी चाल तेरी ही थी.. इसको बहन बना कर यहाँ लाना.. तो सोच तेरा बाप तो उसी समय लुढ़क जाएगा। अब बता.. पैसे प्यारे हैं या बाप हा हा हा..

नीरज एकदम शैतान की तरह हँस रहा था। एक तो नशा और ऊपर से अपने आप पर घमण्ड.. उसको कुछ ज़्यादा ही भयानक दिखा रहे थे।

राधे- नीरज तू इतना गिर जाएगा.. मैंने सोचा भी नहीं था.. तेरे जैसे दोस्त को तो जिंदा ज़मीन में गाड़ देना चाहिए।
नीरज- अबे चुप साले.. सारी जिंदगी वहाँ रंडी बनकर नाचता रहता तू.. मैंने तुझे यहाँ तक पहुँचाया है.. समझा.. और इस रसमलाई के लिए तूने मुझे भुला दिया साले.. अब देख तेरे सामने इस साली को नंगा करके चोदूँगा.. हा हा हा हा.. और तू कुछ नहीं बोल पाएगा। इसकी चूत को नया लौड़ा देकर रंडी बना दूँगा साली को..

नीरज की बात सुनकर राधे का पारा सातवें आसमान पर चढ़ गया। वो गुस्से में नीरज की तरफ गया। नीरज ने उसको अपनी तरफ आते देखा तो वो हँसता हुआ बिना पीछे देखे.. पीछे की ओर हटा.. तभी.. दोस्तों अब इसे इत्तफ़ाक कहो या कुदरत का खेल.. कि नीरज का सन्तुलन बिगड़ गया और वो नशे की झोंक में पूरा घूम गया और सड़क के बीच में चला गया.. बस तभी एक ट्रक स्पीड से वहाँ से गुजरा और नीरज को उड़ाता हुआ निकल गया।

राधे तो बस देखता ही रह गया कि अचानक ये क्या हुआ। वो ज़ोर से चिल्लाया.. मगर तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
राधे- नीरज नीरज.. नहीं नहीं..
मीरा भी एकदम हतप्रभ हो गई कि अचानक ये क्या हो गया?

दोस्तो, आज तो आपका कलेजा मुँह को आ गया होगा.. मगर क्या करें बुराई का अंजाम बुरा ही होता है। अब राधे का इरादा ऐसा बिल्कुल नहीं था। मगर नीरज के पाप का घड़ा शायद भर गया था.. या रोमा की हाय उसको खा गई.. जो यह हादसा हुआ।

अरे अरे नहीं.. क्या सोच रहे हो.. मैं जो ये ज्ञान दे रही हूँ.. तो कहानी खत्म हो गई.. ऐसा कुछ नहीं है। अभी कुछ ट्विस्ट बाकी है मेरे दोस्तो..

आप शायद भूल गए नीरज के पीछे कुछ लड़के आए थे.. वो कहाँ गए.. तो जब नीरज और राधे के बीच ये तमाशा चल रहा था.. वो लड़के कुछ दूर खड़े होकर ये सब देख रहे थे और जब ये हादसा हुआ वो सब स्पीड से नीरज की तरफ़ भागे। मगर कुछ ही देर में वहाँ भीड़ जमा हो गई।
उन्होंने नीरज को उठाया और हॉस्पिटल लेकर गए।

इधर राधे तो एकदम सुन्न सा हो गया उसके हाथ-पाँवों ने काम करना बंद कर दिया था।
मीरा- राधे.. राधे.. क्या हुआ कुछ बोलो?
राधे- मीरा देखो मैंने अपने दोस्त को खो दिया.. उउउ.. उउउ.. मैंने अपने दोस्त को खो दिया उउउ..

मीरा- राधे प्लीज़ चुप रहो.. नीरज को कुछ नहीं होगा.. वो उसको हॉस्पिटल ले गए हैं.. अब चलो यहाँ से.. प्लीज़ ऐसी कोई भी बात मुँह से मत निकालो.. कोई सुन लेगा तो मुसीबत हो जाएगी। तुमने कुछ नहीं किया.. यह बस एक हादसा हुआ है.. ओके.. प्लीज़ चलो यहाँ से..
बड़ी मुश्किल से मीरा ने राधे को समझाया और वहाँ से घर ले गई।

राधे- मीरा हमें उसके पास जाना चाहिए.. वो ठीक तो होगा ना?
मीरा- नहीं.. हमारा वहाँ जाना ठीक नहीं होगा.. समझो बात को.. पापा को पता चल जाएगा। मैं किसी तरह पता लगा लूँगी। मगर प्लीज़ तब तक तुम घर पर ही रुकना.. ओके..
राधे- नहीं मीरा.. अगर उसको कुछ हो गया.. तो मैं कभी अपने आपको माफ़ नहीं कर पाऊँगा. वो कैसा भी हो.. मेरा दोस्त था.. प्लीज़ चलो..
मीरा- मेरा विश्वास करो.. उसको कुछ नहीं होगा। मैं जाकर आती हूँ ना.. प्लीज़ तब तक तुम बस यहीं रहो।
मीरा वहाँ से वापस निकल गई और राधे एकदम सुन्न सा होकर वहीं बैठ गया।

दोस्तो, मुझे पता है कुछ ज़्यादा ही हो गया.. मगर अब कहानी के अंत का समय है.. जैसे मोमबत्ती बुझने के पहले ज़्यादा लौ देती है.. वैसे ही यह कहानी भी अपने अंत के समय ज़्यादा उत्तेजित करेगी।

दोस्तो, उम्मीद है कि आपको मेरी कहानी पसंद आ रही होगी.. मैं कहानी के अगले भाग में आपका इन्तजार करूँगी.. पढ़ना न भूलिएगा.. और हाँ आपके पत्रों का भी बेसब्री से इन्तजार है।
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