बहन का लौड़ा -64
(Bahan Ka Lauda-64)
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अभी तक आपने पढ़ा..
रोमा ने अपने दिल का हाल टीना को सुनाना शुरू किया कि कैसे नीरज ने उसको बहला कर उसकी इज़्ज़त के साथ खिलवाड़ किया और धोखे से वीडियो बना कर रात को उसने क्या धमकी दी.. और टीना के साथ जो सुलूक किया.. वो भी रोमा ने बताया.. तो टीना की आँखों में भी आँसू आ गए।
टीना- छी: .. इतना घटिया निकला वो.. उसने अपने गंदे हाथों से मुझे छुआ.. छी:.. सोच कर घिन आती है.. थैंक्स रोमा.. तुमने रात को मेरी जान बचाई.. मगर अब हम क्या करेंगे?
रोमा- यार समझ नहीं आ रहा.. अगर शाम को हम उसके पास नहीं गए.. तो ना जाने वो क्या करेगा?
टीना- तू पागल है.. मैं नहीं जाने वाली उस हरामी के पास.. हम मॉम को सब बता दें या पुलिस को बता दें।
रोमा- अरे नहीं.. ऐसे में तो वो मेरा वीडियो नेट पर डाल देगा।
टीना- यार मुझे बहुत डर लग रहा है.. हम वहाँ गए.. तो वो मेरे साथ भी.. छी: छी:.. नहीं नहीं.. प्लीज़..
रोमा- अरे ऐसा कुछ नहीं होगा.. मैं हूँ ना.. अगर तुझे कुछ होता तो रात को ही हो जाता.. मेरे रहते तू डर मत.. बस किसी तरह उसका फ़ोन हमें लेना है.. उसके बाद उसको अच्छा सबक़ सिखा देंगे..
टीना- हाँ ये सही रहेगा.. मगर हमें बहुत ध्यान से सब करना होगा यार..वो दोनों काफ़ी वक्त तक बातें करती रही और बस अलग-अलग प्लान बनाती रही कि शाम को कैसे नीरज से फ़ोन लेना है।
अब आगे..
नीरज अपने कमरे में नशे में पड़ा हुआ बड़बड़ा रहा था- साली रंडी की ये मज़ाल.. मुझे मारती है.. आज देख साली का क्या हाल करता हूँ.. बस एक बार उनको यहाँ आने दो.. साली को मज़ा चखा दूँगा..
नीरज ना जाने क्या से क्या बोल रहा था.. तभी उसका फ़ोन बजने लगा।
नीरज- अरे मेरे दोस्त.. मेरे भाई.. कैसा है तू.. सॉरी यार सुबह मैं नहीं आ पाया.. बस अभी निकलता हूँ.. शाम तक तेरे पास आ जाऊँगा ओके..
राधे- तू ऐसे कैसे बोल रहा है.. तूने बहुत पी रखी है क्या?
नीरज- अरे नहीं यार.. तू फ़ोन रख, मैं निकलता हूँ.. मैं तो भूल गया था..
दोनों ने काफ़ी देर बात की.. उसके बाद नीरज ने फ़ोन रख दिया।
दोस्तो.. नीरज उसी हालत में नीचे गया और अपनी गाड़ी में बैठ गया। तभी कुछ लड़के एक कार में वहाँ आए.. उन्होंने नीरज को देखा और उससे बात करनी चाही या वे उससे कुछ पूछना चाह रहे थे.. मगर तब तक नीरज ने गाड़ी आगे बढ़ा दी थी।
दोस्तो, अब गाड़ी के साथ-साथ जाने का क्या फायदा.. चलो इसको जाने दो.. रोमा और टीना ने एक प्लान बनाया.. वो सुन लो।
टीना- यार वो कितना घटिया आदमी होगा.. मेरे साथ भी सेक्स करना चाहता है.. ऐसे तो हर बार उसकी डिमाण्ड बढ़ेगी.. आज मैं.. कल वो किसी और के बारे में बात करेगा.. आज उसका खेल ख़त्म करना ही होगा।
रोमा- हाँ हमारा आइडिया अगर ठीक काम किया.. तो समझो आज से उसका सताना खत्म हो जाएगा.. उसके बाद वो कभी हमें परेशान नहीं कर पाएगा।
टीना- बस भगवान से प्रार्थना करो.. हमने जो सोचा.. वो हो जाए और उस कुत्ते से हमारी जान बच जाए।
दोस्तो, इन्होंने तो प्लान बना भी लिया.. मगर क्या.. यह तो मुझे भी नहीं पता। अब शाम होने पर ही पता लगेगा। तो चलो जल्दी से कहानी को फॉरवर्ड करके शाम का सीन देखते हैं।
नीरज ने राधे को फ़ोन करके अपने आने की खबर दे दी थी.. और मीरा और राधे दोनों वहाँ पहले ही पहुँच गए थे।
ये दोनों मेन हाइवे पर खड़े थे यहाँ गाड़ियाँ बिजली की रफ़्तार से दौड़ती हैं यहीं साइड में एक ढाबा है.. जो बहुत मशहूर है.. इसकी चाय और खाना बहुत मशहूर है.. कई बार लोग अपनी गाड़ी को साइड में लगा कर यहाँ रुकते हैं।
नीरज और राधे भी यहीं मिलते हैं.. मगर आज राधे ढाबे से थोड़ा दूर नीरज का इन्तजार कर रहा था।
मीरा- ये आया क्यों नहीं अभी तक?
राधे- अरे आ जाएगा..
वो दोनों अभी बातें कर ही रहे थे.. तभी वहाँ नीरज आ गया.. जिसे देख कर दोनों चुप हो गए।
राधे- वो देखो आ गया.. उसको देखो कैसे पागल की तरह गाड़ी चला रहा है.. या तो खुद मरेगा या किसी को मारेगा..
मीरा- हाँ दारू के नशे में लगता है.. तभी इतना तेज भाग रहा है..
नीरज ने गाड़ी रोकी और उतर कर लहराता हुआ उनकी तरफ आया।
नीरज- हैलो मेरे दोस्त.. कैसे हो.. ओह.. साथ में भाभी जी भी आई हैं.. वाह.. भाई मज़ा आ गया.. आज तो मेरे स्वागत के लिए दोनों आए हो।
नीरज अभी भी नशे में धुत्त था.. उसके मुँह से शराब की बदबू आ रही थी। मीरा को उस पर बड़ा गुस्सा आया।
राधे- हाँ बोल भाई.. क्या बात हो गई.. जो मुझे यहाँ बुलाया है?
नीरज बड़ी ही गंदी निगाहों से मीरा के मम्मों को घूर रहा था।
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मीरा- ओ हैलो.. मुझे घूरना बन्द करो और राधे ने जो पूछा है.. उसका जबाव दो.. क्या काम है?
नीरज- अरे वाह.. आपको गुस्सा भी आता है.. आप बहुत सुन्दर हो इसलिए नज़र है कि हटने का नाम ही नहीं ले रही।
राधे- देख नीरज.. ये सब बात जाने दे.. तू इतनी शराब पीकर आया है.. तुझे पता भी नहीं.. कि तू क्या बोल रहा है। अब जिस काम के लिए आया है.. वो बता दे ताकि हम भी जाएं.. ओके…
नीरज- ठीक है.. बात को घुमाने से क्या फायदा.. तू मेरे को 10 लाख दे दे.. मैं चला जाऊँगा बस..
राधे- क्या तेरा दिमाग़ खराब है क्या.. कल तो 5 दिए थे.. अब मेरे पास कुछ नहीं देने को.. समझा..!
नीरज- अच्छा.. कुछ नहीं है.. देखो ना भाभी जी.. आपके पास इतने पैसे हैं और ये मुझे थोड़े से पैसों के लिए मना कर रहा है.. अब आप ही समझाओ ना इसे..
मीरा- वो पैसे हराम के नहीं हैं.. मेरे पापा की मेहनत के हैं.. समझे.. तुमको जितना दिया.. बहुत हो गया.. अब अपनी मनहूस सूरत लेकर यहाँ से चले जाओ वरना ठीक नहीं होगा..
नीरज- अबे चुप साली रंडी.. मैं इसको तेरी बड़ी बहन बना कर लाया था.. आज इसको तू यार बना कर मेरे को आँख दिखा रही है साली.. इसका लौड़ा तेरे को भा गया क्या.. एक बार मेरे से भी चुद कर देख.. मज़ा आ जाएगा..
आपको मेरी कहानी पसंद आ रही होगी.. मैं कहानी के अगले भाग में आपका इन्तजार करूँगी.. पढ़ना न भूलिएगा.. और हाँ आपके पत्रों का भी बेसब्री से इन्तजार है।
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