बहन का लौड़ा -56
(Bahan Ka Lauda-56)
This story is part of a series:
-
keyboard_arrow_left बहन का लौड़ा -55
-
keyboard_arrow_right बहन का लौड़ा -57
-
View all stories in series
अभी तक आपने पढ़ा..
ममता की चूत और गाण्ड को जम कर चोदने के बाद अब राधे आराम से लेटा हुआ था और ममता भी नंगी उसके सीने पर सर रख कर पड़ी थी.. तभी फ़ोन की घंटी बजी..
अब आगे..
राधे- अरे मेरी जान.. जा देख.. किसका फ़ोन है?
ममता गई और फ़ोन उठाया तो दिलीप जी का फ़ोन था और वो राधा से बात करना चाहते थे।
ममता ने राधे को बताया और वो पापा से बात करने चला गया या गई।
कुछ देर बात करने के बाद राधे के चेहरे पर अलग ही भाव आ गए.. वो कुछ परेशान सा दिख रहा था।
ममता- क्या हुआ मेरे राजा जी.. पापा ने कहीं कोई लड़का पसन्द कर लिया क्या?
राधे- अरे नहीं.. तू हर बार ऐसा क्यों सोचती है… चल कपड़े पहन ले और खाना बना ले.. तब तक मीरा भी आ जाएगी।
ममता- अरे हुआ क्या.. कुछ बताओ भी मुझे?
राधे- अरे होना क्या था… पापा शाम को आ रहे हैं.. अब तू जा.. मुझे थोड़ा आराम करने दे।
ममता अपने काम में लग गई और राधे बिस्तर पर बैठा कुछ सोचने लग गया।
दोपहर को जब मीरा आई.. तब राधे कमरे में आराम कर रहा था और ममता बर्तन साफ कर रही थी। उसने मीरा को बता दिया कि पापा का फ़ोन आया था उसके बाद राधे कुछ उदास सा लग रहा है।
मीरा- अच्छा ठीक है.. मैं बात कर लूँगी.. तुम ऐसा करो.. अभी चली जाओ हम शाम को पापा के साथ आज बाहर ही खाना खा लेंगे।
ममता- आप खाना खा लो.. मैं बर्तन साफ करके चली जाऊँगी।
मीरा- नहीं.. अभी भूख नहीं है.. तुम जाओ.. मैं कर दूँगी।
ममता- ठीक है बीबी जी.. जैसा आप ठीक समझो।
ममता जब तक चली ना गई.. मीरा वहीं रही.. उसके जाने के बाद वो कमरे में गई.. राधे सोया हुआ था।
मीरा ने कपड़े चेंज किए और राधे के पास जाकर उसके बालों को सहलाने लगी।
राधे- अरे मीरा तुम कब आईं?
मीरा- मुझे आए हुए आधा घंटा से ज़्यादा हो गया.. देखो कपड़े भी बदल लिए मैंने.. चलो अब बहुत भूख लगी है.. खाना खा लेते हैं.. मैंने ममता को घर भेज दिया है.. आज मैं अपने पति देव को अपने हाथों से खाना खिलाऊँगी।
राधे- नहीं मीरा.. मुझे भूख नहीं है.. तुम खा लो जाओ.. मुझे तुमसे एक जरूरी बात करनी है।
मीरा- अरे उठो भी अब.. चलो मुझे पता है वो जरूरी बात.. अब खड़े हो जाओ।
राधे सवालिया नज़रों से मीरा को देख रहा था।
मीरा- क्या हुआ?
राधे- तुम्हें कैसे पता पापा से बात तो मैंने की है?
मीरा- ओहोह.. पापा जब गए तुम बाहर थे.. वो मुझे बताकर गए थे और आज उनका फ़ोन आया.. उन्होंने तुमको भी वही कहा होगा.. बस यही ना?
राधे- नहीं तुम्हें नहीं पता.. कुछ भी नहीं समझी..
मीरा- सब पता है.. तुमको सुनना है तो सुनो.. पापा ने कहा कि बेटी अब मुझसे भाग-दौड़ नहीं होती.. इसलिए मैं सारी प्रॉपर्टी बेचने जा रहा हूँ.. बस यही बात थी ना.. आज पापा ने कहा होगा.. सब काम निपटा कर वो आ रहे हैं।
राधे- हाँ यही बात है.. लेकिन इसके आगे भी है.. उन्होंने कहा शाम को वो बैंक मैनेजर के साथ घर आएँगे.. उन्होंने सब कुछ बेच कर नकद कर लिया है और शाम को हम दोनों के खातों में आधा-आधा पैसा डाल देंगे।
मीरा- अरे तो इसमे टेन्शन वाली क्या बात है.. सब कुछ हमारा ही तो है.. तुम भी ना..
राधे- नहीं मीरा.. ये पैसा हमारा नहीं.. तुम्हारा है.. मैं तो बस एक बहुरूपिया हूँ.. प्लीज़ किसी भी तरह पापा को समझाओ.. मुझे पैसा नहीं.. बस तुम चाहिए..
मीरा- अरे बुद्धू.. मेरे पास रहेंगे.. तब भी हमारे होंगे ना.. अब पापा को थोड़ी पता है कि हम अलग-अलग नहीं.. एक साथ शादी करेंगे.. इसलिए उन्होंने आधा-आधा किया है..
राधे- तुम बात को समझो.. मेरे पास पैसे आएँगे.. तो गड़बड़ हो जाएगी। तुम्हें याद है वो 5 लाख.. जो मेरे पास थे.. वो नीरज ले गया।
राधे ने पूरी बात मीरा को बताई।
मीरा- तुम उसे कुछ मत बताना.. उसके इरादे ठीक नहीं लगते और वो पैसे उसी के थे.. जो वो ले गया.. मुझे तुम मिल गए उसकी वजह से..
सॉरी दोस्तों.. आप सोच रहे होंगे.. मैं क्या फालतू बात लेकर बैठ गई। दोस्तो, अब सब चुदाई हो गई कहानी में.. ये बात भी अहम है.. तो आपको बता रही हूँ.. चलो अब आगे देखो..
काफ़ी देर तक दोनों में बातें होती रहीं.. इस दौरान उन्होंने खाना भी खा लिया और बस बातें करते रहे।
शाम को सब सामान्य रहा.. दिलीप जी आ गए और करोड़ों रुपये दोनों बहनों के नाम डाल दिए.. बस घर को नहीं बेचा मगर वो भी दोनों के नाम कर दिया।
राधा- पापा अपने ये सब क्यों किया? इतनी भी क्या जल्दी थी आपको?
दिलीप जी- बेटी मैं दिल का मरीज हूँ.. कभी भी कुछ भी हो सकता है.. मेरे बाद तुम दोनों कहाँ भागती फ़िरोगी.. अगर तुम लड़का होतीं.. तो कोई बात नहीं थी.. मगर आजकल के जमाने में ये सब संभाल पाना जरा मुश्किल था.. इसलिए सब बेच कर नकद तुमको दे दिए।
मीरा- क्या पापा आप भी कहाँ की बात लेकर बैठ गए.. अभी आप को बहुत साल हमारे साथ रहना है।
दिलीप जी- नहीं बेटी.. ये मुमकिन नहीं है और राधा मुझे माफ़ करना.. इतने साल तुम मुझसे दूर रही हो.. मैं तुम्हें प्यार ना दे पाया और अब भी मैं तुम्हारे साथ गलत कर रहा हूँ।
राधा- अरे पापा.. इतने सालों में जो नहीं दिया.. अब दे दो.. और मेरे साथ क्या गलत किया आपने?
दिलीप जी- तेरी शादी की उमर हो गई मगर मेरा स्वार्थ है कि तू चली जाएगी तो मीरा अकेली रह जाएगी.. तुम दोनों को एक साथ विदा करना चाहता हूँ.. मगर मीरा अभी छोटी है और जब इसकी शादी का वक़्त आएगा.. तब मैं शायद जिन्दा ना रहूँ.. तो तुम मुझसे वादा करो कि अपनी बहन का ख्याल रखोगी.. इसके पहले शादी नहीं करोगी..
राधा- पापा प्लीज़ रुलाओगे क्या.. मैं कसम खाती हूँ.. अगर मैं शादी करूँगी तो मीरा के साथ ही करूँगी.. वरना नहीं करूँगी।
मीरा- हाँ पापा हम दोनों एक साथ शादी करेंगे.. आप बेफिकर रहो..
बस-बस दोस्तो, फैमिली ड्रामा बन्द करो.. बहुत हो गया.. आपको तो ये बिल्कुल पसन्द नहीं आ रहा होगा.. मगर लाइफ में सेक्स ही सब कुछ नहीं होता.. कभी नॉर्मल स्टोरी भी पसन्द किया करो। अच्छा गुस्सा मत हो आप.. लो नहीं सुनाती.. बस चलो नीरज के पास वहाँ आपके काम का सीन आएगा।
नीरज अपनी खास दोस्त शीला के पास बैठा हुआ था।
शीला- अरे क्या हुआ मेरे राजा.. आजकल आता ही नहीं.. लगता है उस लड़की को बराबर ठोक रहा है।
नीरज- हाँ जानेमन बहुत मज़ा आ रहा है.. साली मेरे लौड़े की दीवानी हो गई है।
शीला- इतने दिन हो गए.. अब तक तो उसके आगे-पीछे के सारे छेद ढीले कर दिए होंगे तूने?
नीरज- अरे कहाँ.. बस चूत को ढीला किया.. साली गाण्ड नहीं मरवाती.. कहती है शादी की रात सुहागरात को मरवाऊँगी..
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
शीला- हा हा हा तू उससे शादी करेगा.. क्या राजा?
नीरज- अबे हट.. ऐसी लड़की से कौन शादी करेगा.. जो शादी के पहले चुदवा कर ढीली हो गई है।
शीला- राजा तुझे तो चूत मिल गई.. मुझे अब तू कहाँ याद करता है..
नीरज- अबे साली नाटक मत कर.. तुझे याद नहीं करता होता.. तो यहाँ आता क्या.. अभी चल अब कुछ आइडिया दे.. उसकी गाण्ड कैसे मारूँ.. साली ने कसम दे दी है।
शीला- तू बस आइडिया लेने आता है अपनी शीला के लिए कुछ लाता नहीं है।
नीरज- अबे लाया हूँ ना.. साली ये देख तेरे लिए एकदम चमचमाता सोने का हार लाया हूँ।
कहानी जारी रहेगी।
[email protected]
What did you think of this story??
Comments