लखनऊ से दिल्ली की ट्रेन में चुदाई का मजा-1
(Lucknow Se Delhi Ki Train Me Chudai Ka Maja- Part 1)
मैं सबीहा खान हूँ. मुझे अन्तर्वासना की सेक्स कहानी बहुत पसंद हैं. मैं 21 साल की हूँ और लखनऊ, उत्तर प्रदेश में रहती हूँ. मेरी फिगर 34सी-28-35 है, रंग एकदम दूध सा गोरा है और कद 5 फुट 4 इंच है.
मेरी बेस्ट फ्रेंड का नाम सलमा है.. वो 22 साल की है. मुझसे एक इंच छोटे कद की है, उसका फिगर 36सी-30-38 का है. रंगत मेरे जैसी ही है. सलमा की बड़ी बहन की शादी हो चुकी है और वो दिल्ली में रहती है.
मेरे एग्जाम हो चुके थे, मैं दिल्ली में एडमिशन के लिए दिल्ली आना चाहती थी तो सलमा ने मुझसे कहा कि वो भी दिल्ली में अपनी बहन के यहां गर्मी की छुट्टियां बिताना चाहती है. मैंने उससे सहमति जताते हुए साथ चलने को कहा.
सलमा ने कहा कि उसका एक क्लासमेट शिशिर भी दिल्ली में एडमिशन के लिए दिल्ली जाने वाला है.. इसलिए मैंने उससे हम दोनों के दिल्ली के लिए रिजर्वेशन के लिए कह दिया.
शिशिर की उम्र 21 साल की है और कद 5 फुट 10 इंच का है वो एक बड़ा ही हैंडसम लड़का है. वो हम दोनों से खुला हुआ था हम दोनों उससे हर तरह की बात कर लेती थी. लेकिन अब तक हम दोनों ने उससे कभी कोई अश्लील हरकत नहीं की थी.
सब तय हो गया, तीन दिन बाद जाना था. मैं अपना लगेज लेकर सलमा के घर गई, जहां वो मेरा इन्तजार ही कर रही थी. आज सलमा बड़ी स्मार्ट लग रही थी. मैं भी आज खूब मेकअप करके आई थी.
हमने ऑटो लिया और रेलवे स्टेशन को चल दिए. शिशिर पहले ही स्टेशन पर पहुँच चुका था. स्टेशन पर ट्रेन नहीं आई थी और अभी आने में कुछ देरी होने की सूचना थी.
रात का सफ़र था और ट्रेन बीच में कहीं रुकती भी नहीं थी इसलिए मैंने शिशिर से कहा कि रास्ते के समय को काटने के लिए कोई मैगजीन ले आए. वह कुछ बुक्स ले आया. दस मिनट बाद ट्रेन आई तो हम लोग अपने केबिन में बैठ गए. इस केबिन में केवल 4 बर्थ थीं, जिसमें से तीन हमारी थीं और एक किसी और की थी.
कुछ देर बाद ट्रेन ने सीटी दी और सरकने लगी, तभी एक जवान खूबसूरत लम्बा सा आदमी केबिन में आया. चौथी बर्थ उसी की थी. उसकी उम्र लगभग 25 साल की थी, वो एक बांका गबरू जवान था. उसकी लम्बाई 5 फुट 11 इंच थी और रंग एकदम साफ़ था.
जब ट्रेन चल दी तो उसने डोर लॉक कर दिया और अपनी बर्थ पर जाकर लेट गया. ट्रेन रफ्तार पकड़ चुकी थी. इस केबिन में दो जवान लड़कियां और दो जवान मर्द सफ़र कर रहे थे. मैं और शिशिर नीचे की बर्थ पर थे और सलमा और वह अजनबी ऊपर की बर्थ पर. मैंने शिशिर से मैगजीन मांगी तो उसने अपने पास से एक छोटी सी बुक निकाल कर दे दी.
बुक के कवर पर ही एक जवान और खूबसूरत गर्ल की न्यूड फोटो थी. पहले पहल तो मैं नंगी लड़की की तस्वीर देखकर हिचकिचाई, लेकिन फ़िर मेरे मन में उस बुक को अन्दर से देखने की ललक जाग उठी. नंगी फोटो ने मेरे बदन में झुरझुरी पैदा कर दी थी. मैंने शिशिर को गुस्से से देखा तो वह मुस्कुराने लगा और खुद भी एक छोटी सी बुक निकाल कर पढ़ने लगा.
वह अजनबी भी न्यूजपेपर पढ़ने लगा. सिर्फ सलमा ही कुछ पढ़ नहीं रही थी, बल्कि वो उस अजनबी को घूर रही थी.
ओह नो, जब मैंने वो बुक पढ़ना शुरू की तो मैं हैरान रह गई. उसमें बहुत ही सेक्सी चुदाई की एडल्ट स्टोरी थी, जिसे पढ़कर मैं बेचैन हो गई और कामुकता वश पूरी स्टोरी पढ़ ली.
उस सेक्स स्टोरी में एक पाकिस्तानी लड़की के भाई के दोस्त भी लड़की को भाई के साथ मिलकर चोदते हैं. मैं सेक्स स्टोरी पढ़ते हुए कामोत्तेजित हो गई और अपने एक हाथ को चुत पर ले जाकर चुत सहलाने लगी, अपने हाथ को शलवार के अन्दर डाल कर चुत सहलाते हुए दाने को मसलने लगी. मेरी चुत से पानी लीक होने लगा था. मैं आँखें बंद कर के मस्ती ले रही थी.
तभी मुझे लगा कि कोई मेरे जम्फर के ऊपर से मेरे मम्मों को चूस रहा है. मैंने आँखों को खोला तो वह कोई और नहीं बल्कि सलमा का क्लासमेट शिशिर था. वह मेरे पास आकर घुटने के बल बैठ कर मेरी चुचियों को मुँह में लेकर चूस रहा था और दूसरे हाथ से दूसरी चुची को दबाने लगा था. उसे ज़रा भी डर नहीं था कि केबिन में और लोग भी हैं. मैं तो खुद मस्त थी, इसलिए मैंने शिशिर की गर्दन में हाथ डाल कर उसे अपने चेहरे पर झुका लिया.
अब उसके गर्म होंठ मेरे होंठ से चिपक गए. ओह बड़ा ही मज़ेदार चुम्बन था. शिशिर अपनी जीभ को मेरे मुँह में डालकर चुम्बन कर रहा था. मैं भी अपनी गुलाबी गर्म जीभ को उसके मुँह में डालकर चारों तरफ़ घुमाने लगी. हम लोगों की चुम्मा चाटी की आवाजें केबिन में गूँज रही थीं लेकिन हमें किसी की परवाह नहीं थी.
शिशिर ने मेरे जम्फर के बटनों को खोल दिया और मेरी संतरे के बराबर चुचियों को नंगा कर दिया. फ़िर एक चूची को दोनों हाथ से पकड़ कर दबाते हुए चूसने लगा. मैंने उसके सिर को हाथ से पकड़ कर अपनी चुचियों पर दबा लिया ताकि वह सही से चूची चूस सके.
चुदाई की मस्ती में मैं यह भी भूल गई थी कि सलमा और एक अजनबी आदमी ऊपर की बर्थ पर लेटे हैं.
अब शिशिर मेरे ब्राउन कलर के निप्पलों को दबा दबाकर चूस रहा था और दूसरी चुची को दबा रहा था. मैं अपनी चूसी जा रही चुची को देख रही थी.
एकाएक मेरी नज़र ऊपर की बर्थ पर चली गई. ऊपर देखा तो हैरान हो गई. सलमा शायद शिशिर को मेरे साथ मजा लेते देखकर जोश में आ गई थी. वह उस जवान अजनबी के साथ लिपटी हुई थी. सलमा खुद उस अजनबी की बर्थ पर चली गई थी और मेरी तरह उसके साथ मजा ले रही थी.
वह अजनबी सलमा के गोरे बदन पर हाथ चला रहा था और सलमा अपनी टाईट चुचियों को उसके चौड़े सीने पर रगड़ रही थी.
उसने अपनी कुर्ती को खोल कर अलग कर दिया था और बर्थ पर कोने में डाल दिया था. सलमा उस आदमी के होंठों को अपने मुलायम होंठों में दबा कर चूस रही थी. तभी सलमा ने अपनी एक चुची को उसके मुँह पर रखकर दबाया तो वह अजनबी उसके ब्राउन कलर के निप्पल को दबा दबाकर चूसने लगा. उसकी चूचियां बहुत टाईट हो गई थीं और ब्राउन कलर के निप्पल तन गए थे.
इधर शिशिर मेरी चूचियों को बारी बारी से चूस रहा था. मैं मजा लेती हुई अपने हाथों से उसे दूध पिला रही थी. मेरी चूत मेरी गोरी-गोरी जांघों के बीच गीली हो गई थी और उससे चुत का रस टपक रहा था. तभी शिशिर अपना एक हाथ नीचे लाया और मेरी शलवार का इजारबंद खोल कर उसे सरका दिया और मैं नीचे से एकदम नंगी हो गई.
मेरी चुत जब नंगी हुई तो वह अपने हाथ से मेरी चुत पर उगी घनी घनी झांटों को सहलाने लगा. मेरी झांटें चुत के पानी से भीग गई थीं.
तभी उसने अपनी उंगली मेरी चुत में डाली, तो मैं बोल पड़ी- ओह शिशिर डार्लिंग, बहुत मजा आ रहा है. राजा अपने लंड को मेरी चुत में पेल कर फाड़ दो मेरी चुत को.. हय अपने लंड का पानी मेरी चुत को पिला कर इसकी प्यास बुझा दो.
वो चालाक छोकरा था, मुझे सिसकारते देखकर ही समझ गया कि लौंडिया चुदने के लिए तैयार है. मेरी बेचैनी देखकर वह मुस्कुराने लगा. वो मुझसे अलग हुआ और अपने कपड़े उतारने लगा. जब वह नंगा हुआ तो उसका अनकट मोटा और 7 इंच लम्बा लंड आजाद होकर फ़ुदकने लगा. पहले तो मैं सलमा की वजह से डर रही थी, पर सलमा खुद हम दोनों को आपस में उलझे देख कर उस अजनबी जवान के साथ लिपटी थी. सलमा की तरफ़ से मेरा डर और शर्म खत्म हो गई थी.
फ़िर मैंने उसके कड़क लंड को पकड़ा तो मेरा बदन काँपने लगा. मैं उसके लंड को सहलाते हुए अपनी चूचियों को दबवा रही थी. उसका लंड चिपचिपा गया था, जिससे मेरी उंगलियां भी लिसलिसा गईं और मेरा मन उसके प्रीकम को चाटने का हुआ.
मैं बोली- ओह शिशिर, मैं तुम्हारे लंड को अपने मुँह में लेकर चूसना चाहती हूँ. मुझे इसका रस चाटना है..
मेरी बात सुन कर वह अपना लंड मेरे गुलाबी गालों पर रगड़ने लगा. गाल पर गर्म लंड का टच मुझे सिहराने लगा. इतने पास लंड को देखकर मेरी प्यास बढ़ गई और मैंने होंठ खोल दिए.. तो शिशिर ने अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया. उसका लंड काफी मोटा था और केवल आगे का हिस्सा ही अन्दर गया. मैं उस पर लगे नमकीन रस को चाटने लगी. शिशिर अपने लंड को मेरे मुँह में अन्दर बाहर करते हुए मेरे मुँह को ही चोदने लगा.
मैं भी उसके लंड पर अपना मुँह दबा दबाकर उसका लंड चूस रही थी.
तभी वह उठा और मेरे मुँह से लंड निकाल कर मेरी टांगों के बीच आ गया, उसने मेरी जांघों को फैलाया और बीच में बैठ गया, उसने मेरे पैरों को अपने कंधे पर रख लिया, जिससे मेरी चुत उसके लंड से टच करने लगी. मेरी चुत लंड से चुदने को बेकरार थी, पर वह अपने लंड को चुत के चारों तरफ़ रगड़ने लगा.
कुछ देर बाद लंड को चुत के छेद पर लगाकर दबाया तो उसका 1/4 लंड मेरी गीली चुत के अन्दर चला गया. लंड अन्दर जाते ही मैंने अपने पैरों से शिशिर की गर्दन कस ली और उसके पूरे लंड को खाने के लिए कमर को उछालने लगी. मेरा मन शिशिर के पूरे लंड को निगलने को हो रहा था.
चुत में लंड जाते ही शिशिर लंड को धक्का देने लगा और मैं चुत को उसके मोटे लंड से चिपकने की कोशिश करने लगी. हर धक्के के साथ लंड मेरी टाईट चुत में पिस्टन की तरह जाने लगा. मुझे हल्के दर्द के साथ जन्नत का मजा मिलने लगा.
अब शिशिर धक्का लगाते हुए मेरी रसीली चुत में अपने मोटे लंड को पेल रहा था. तभी मेरी नज़र ऊपर की बर्थ पर चली गई. सलमा और वह अजनबी एकदम नंगे थे. सलमा उस अजनबी के ऊपर लेटी थी और अपनी चुत को उसके खड़े 8 इंच लम्बे और किसी मोटे खीरे जैसे लंड पर दबा कर रगड़ रही थी.
फ़िर सलमा ने उसके लंड को पकड़ कर अपनी चुत के छेद पर लगा कर कमर को दबाया तो उसका लंड सलमा की चुत में सरकने लगा. सलमा उसके लंड को खाने के लिए कमर उछाल उछाल कर धक्के लगाने लगी, उसके नाज़ुक बदन का भार उस अजनबी के ऊपर था, जिससे उसकी बड़ी बड़ी चुचियां उसके मुँह से रगड़ खा रही थीं. अब वह अजनबी उसकी एक चुची को मुँह में लेकर चूसते हुए दूसरी को मसल रहा था और सलमा की कमर को अपने पैरों से जकड़ कर नीचे से धक्का लगा रहा था.
तभी सलमा की नज़र मुझसे मिली, तो उसने मुस्कुराने की कोशिश की, पर मस्ती की वजह से मुस्कुरा ना सकी. वह उस अजनबी से चुदवाने में मस्त थी. सलमा के चूतड़ उसके लंड पर फिरकी की तरह नाच रहे थे.. और उसकी चुत में लंड फचाफच अन्दर बाहर हो रहा था. सलमा अपनी चुचियों को चुसवाते हुए धचाधच लंड को चुत में ले रही थी. उसकी चुत से चुदाई का पानी बह रहा था. उसकी आँखें लाल हो गई थीं और वह मदहोशी के आलम में चिल्ला रही थी- ओह ओह डार्लिंग.. मेरे राजा.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… अह.. बहुत मजा आ रहा है.
वह कराहते हुए बोल रही थी. उसे ज़रा भी होश नहीं था कि केबिन में और लोग भी हैं. मैं समझ गई कि वह खल्लास होने वाली है. वह बड़ी तेजी से अपनी गांड उठा उठा कर धक्के लगा रही थी.
तभी एक ज़ोरदार धक्के के साथ सलमा उस अजनबी के ऊपर गिरकर उससे चिपक गई. मैं समझ गई कि उसकी चुत ने चूतरस छोड़ दिया है. उस अजनबी ने उसे कसकर अपने बदन से चिपका लिया था. सलमा उससे चिपक कर ज़ोर ज़ोर से साँसें ले रही थी.
इधर शिशिर अपने लंड को मेरी चुत में जड़ तक पेलकर धक्के लगा रहा था. वह अपने पूरे लंड को अन्दर बाहर कर करके तगड़े धक्के के साथ चुत के अन्दर तक पेल रहा था. मैं अपने पैरों से उसके कंधे को जकड़ते हुए उसकी गांड के छेद को कुरेद रही थी. उसकी मस्ती भी लगातार बढ़ रही थी.
मैंने अपनी एक रसीली चुची को हाथ से पकड़ कर उसे चूसने का इशारा किया तो वह अपने मुँह को चुची पर लाया और फ़िर खूब सा थूक उस पर गिरा कर जीभ से उसे पूरी चुची पर लगाने लगा. फ़िर दोनों चुचियों पर थूक लगा कर एक को मसलते हुए दूसरी को चूसने लगा.
वो मेरे एक निप्पल को उंगली से मींज रहा था, जिससे मुझे जन्नत का सा मजा मिल रहा था.
तभी सलमा उस अजनबी के बदन से अलग हुई और वे दोनों हम लोगों के पास आ गए. उस अजनबी का लंड अभी भी टाईट था और उस पर सलमा की चुत का गाढ़ा सफ़ेद रस लगा था. तभी उस अजनबी ने शिशिर के पीछे आकर उसके चूतड़ को सहलाया और फ़िर एक उंगली शिशिर की गांड में पेल दी. एकाएक गांड में उंगली जाने से शिशिर दर्द से कराह उठा और मेरी चुची उसके मुँह से बाहर हो गई.
वह अजनबी शिशिर के दर्द की परवाह ना करते हुए उसकी गांड में उंगली करने लगा.
तभी सलमा एकदम नंगी ही मेरे पास आई और शिशिर के थूक से भीगी मेरी चुचियों को चाटने लगी.
अब केबिन में हम चारों लोग एक दूसरे से उलझे थे. वो अजनबी अपने मूसल लंड को धीरे धीरे शिशिर की गांड में पेल रहा था और शिशिर का लंड मेरी रिस रही चुत में उस अजनबी के धक्के के साथ आ जा रहा था. सलमा मेरी चुचियों को मजा दे रही थी और मैं उसकी चुत पर लगे चुदाई के रस को उंगली में ले लेकर चाटने लगी.
जब उस अजनबी का पूरा लंड शिशिर की गांड में चला गया तो वह गांड मारने लगा और मैं उसके हर धक्के के साथ नीचे से अपनी गांड उचका उचका कर शिशिर के लंड को निगल रही थी.
केबिन में हम चारों की आवाजें गूँज रही थीं जिससे बड़ा ही अनोखा संगीत बज रहा था. सलमा को चोदने में वह अजनबी झड़ा नहीं था इसलिए वह शिशिर की गांड में झड़ने को बेकरार था. काफी देर बाद शिशिर का गाढ़ा पानी मेरी चुत में गिरने लगा तो मैंने उसकी गरदन को मज़बूती से अपने पैरों में जकड़ा और खुद भी झड़ने लगी.
इधर वह अजनबी भी शिशिर की गांड में अपना रस छोड़ने लगा. शिशिर अपनी गांड में गर्म पानी महसूस कर कांपने लगा. मैंने झड़ते हुए सलमा के सिर को अपनी चुचियों पर कस लिया था. हम सभी झड़ने के बाद सुस्त हो गए थे.
कुछ देर बाद उस अजनबी ने अपना लंड शिशिर की गांड से बाहर किया तो शिशिर भी मुझसे अलग हुआ.
मेरी चुत से शिशिर के लंड का रस बाहर आने लगा और उसकी गांड से भी रस बाहर गिरने लगा. सलमा ने अपनी समीज से मेरी चुत साफ़ की. फ़िर मैं और सलमा कपड़े पहन कर टॉयलेट चले गए. वहां जाकर हम दोनों ने पेशाब किया और बिना कुछ बोले वापस आ गई.
ट्रेन में चुदाई की यह सेक्स कहानी जारी रहेगी.
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कहानी का दूसरा भाग : लखनऊ से दिल्ली की ट्रेन में चुदाई का मजा-2
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