गदराई लड़की के जवान बदन का चोदन- 2

(Love Sex Feeling Story)

लव सेक्स फीलिंग स्टोरी में मैं अपने ऑफिस की एक लड़की को पसंद करता था पर मैं डरता था कि वह मुझे नापसंद ना कर दे क्योंकि मैं काफी काले रंग का हूँ. फिर भी एक दिन मैंने अपने दिल की बात कह दी.

कहानी के पहले भाग
जवान बदन को पाने की इच्छा
में आपने पढ़ा कि

मैं नीति को इतना समझाने में कामयाब हो गया कि रंग रूप ही सब कुछ नहीं होता, मर्द को दिल का अच्छा होना चाहिए.
कुछ टाइम और बीत गया पर कोई रास्ता नीति के दिल में उतरने नहीं दिख रहा था.
समय बीत रहा था; मेरी बेचैनी बढ़ रही थी.

अब आगे लव सेक्स फीलिंग स्टोरी:

ऐसे में मुंबई ऑफिस ने मुझे बुलाया एक कॉन्फ्रेंस और ऑफिस अपडेशन के लिए जिसमें एक ऑफिस स्टाफ को भी लाने को कहा गया.

इस बात की जानकारी मैंने जब नीति को दी तो मुझे कहीं से नहीं लगा कि नीति को मेरे साथ साथ जाने में कोई प्रॉब्लम है.
न ही उसकी माँ को लगा!

यह ट्रिप करीब दस दिन का था.

तय समय में मैं और नीति मुंबई के लिए उड़ गए.
मुंबई में पूरा दिन काम करके जब फ्री हुए तो होटल पहुंच के मैंने उसको डिनर के लिए नीचे बुलाया.

वह एक प्रिंटेड स्कर्ट और टी पहन के नीचे आई.
बला की खूबसूरत लग रही थी वह!

मैंने उससे पूछा कि क्या वह वाइन पीयेगी.
तो उसने मना कर दिया.

पर थोड़ी देर में खुद ही बोली- मुझे बीयर टेस्ट करनी है.
मैंने तुरत बीयर आर्डर कर दी.

शुरुआत में कड़वे स्वाद के कारण उसने थोड़ा मुँह बनाया.
पर उसने धीरे धीरे अपनी बोतल खाली कर दी.

उसे हल्का नशा हो गया था.

फिर मैंने उसके साथ मरीन ड्राइव घूमने का प्लान किया और कैब बुक करके वहां पहुंच गए.

रात हो चली थी, करीब 12 बजे का टाइम था.
पर वहां की रौनक देख कर उसका दिल खुश हो गया.
उसको इस तरह की भीड़ की कोई उम्मीद नहीं थी. ना ही उसने ऐसा माहौल देखा था.

जगह जगह जोड़े से लोग बैठे थे.
चाय, गुब्बारे, सींग दाना (मूंगफली) बेचने वालों की भी भीड़ थी.

इस खुशनुमा माहौल में मैंने उसको अपने दिल की बात कहने का मन बना लिया.
डर भी था … तो हिम्मत नहीं जुटा पाया की कह दूँ.

हम दोनों ऐसे ही घूमते रहे.
नीति मेरे साथ खुश थी.

हाँ वहां बैठे जोड़े जरूर हम दोनों की बेमेल जोड़ी देख कर हैरान थे और हंस भी रहे थे.
उनको शायद नीति के ऊपर तरस भी आ रहा था.
पर नीति भी को कोई फर्क नहीं पड़ रहा था.

हाँ उनका रिएक्शन देख कर वह मेरे और पास करीब सी हो गई और मेरे साथ घूमती रही.

रोज़ शाम हम दोनों ऐसी ही मुंबई की नए नए जगह जाकर वहां का आनन्द लेते.
कभी कभी नीति मेरा हाथ भी पकड़ लेती.

शुक्रवार की शाम को हमने अगले दो दिन का प्लान बनाया क्योंकि दो दिन छुट्टी थी.

मैंने भी सोच लिया कि आज कह ही दूंगा, जो होगा, देखा जायेगा.

एक अच्छे कैंडल नाइट डिनर का प्लान किया मैंने!

नीति ने उस दिन मेरी दी हुई ड्रेस पहनी.
होटल के एक कोने में मंद रोशनी में मैंने नीति से कहा- मुझे तुमसे बात करनी है कुछ पर्सनल!

तब एकदम बिना किसी भूमिका के मैंने कहा- नीति, मुझे तुमसे प्यार है और मैं तुम्हारे साथ अपना बाकी का जीवन गुजारना चाहता हूँ!

नीति को शायद इसकी उम्मीद नहीं थी.
या थी भी … पर उसका रिएक्शन कुछ भी नहीं हुआ.

मैं डर सा गया, मैं बोला कि वह चाहे इन्कार भी कर सकती है. इस बात से उसकी प्रोफेशनल लाइफ में कोई असर नहीं आएगा.
नीति फिर भी कुछ नहीं बोली.

मैंने फिर कहा- देखो नीति, तुमको मेरे रंगरूप से अगर कोई समस्या है तो तुम बेशक मना कर सकती हो, तुमको पूरा हक़ है. और मुझे इसका बुरा भी नहीं लगेगा क्योंकि मुझे इसकी आदत है!
नीति फिर भी चुपचाप डिनर करती रही.

वह डिनर ख़त्म करके गुड नाइट बोल के जाने लगी तो मैंने फिर कहा- कम से कम ना तो कर दो!
नीति ने एक बार देखा मुझे और चुपचाप रूम में चली गई.

मैं वहीं बैठा हताश कुंठा से भरा समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूं?
दिल कहता था कि आत्महत्या कर लूं या फिर हर लड़की से बदला लूं!
कुछ भी अनाप शनाप सूझ रहा था.

इसी हताशा में एक और बीयर मंगा के एक झटके में पूरी पी गया.

फिर मैं बार में जाकर बीयर पीने लगा.

करीब एक घंटे बाद नीति का फ़ोन आया- आप कहाँ हैं?
मैं कुछ नहीं बोला.

उसने फिर पूछा.
मैं फिर नहीं बोला.

तो वह बोली- आप अपने रूम में जाइये तुरंत! वरना मैं अभी नीचे आ रही हूँ.

तब तक मुझे नशा सा भी हो चला था, मेरी आवाज़ में लड़खड़ाहट थी.
नीति को शायद समझ में आ गया था कि मैं किस हाल में हूँ.

उसने फ़ोन काट दिया और सीधे नीचे आ कर मेरे को ढूंढती हुई बार में आ गई.
तभी उसने मेरा हाथ पकड़ा और वेटर को बुला के बिल पर सिग्नेचर किये और मेरे को वहां से लेकर चल पड़ी.

मैं भी बेवकूफों सा उसके साथ चल पड़ा.
साथ ही मैं बड़बड़ा भी रहा था- तुम मना कर दो, मुझे नहीं जाना है, मेरा हाथ छोड़ो, ये क्या जबरदस्ती है!

खैर नीति ने मेरा हाथ नहीं छोड़ा और मुझे अपने कमरे में ले गई और बिस्तर पे लिटा दिया.
नशा, क्षोभ और बेचैनी से भरा मैं कब सो गया, पता ही नहीं चला.

देर सुबह जब उठा, तब मेरा सर भारी था.

मेरी नज़र जब नीति पे पड़ी तो देखा कि वह काउच पर सो रही थी.
मासूम सा चेहरा, पवित्र सा बदन … नीति नाइट ड्रेस में लिपटी बहुत ही प्यारी लग रही थी.

मैंने रूम में चारों तरफ देखा तो समझ में आ गया कि यह नीति का कमरा है.

मैं दूर हट के नीति को निहारने लगा.
अपने रंग रूप से मुझे पहली बार कुछ नफरत सी हुई.

तभी नीति कुनमुनाई और उसकी आँख खुल गई.
मुझे उसको एकटक निहारते देख कर वह थोड़ा अजीब सा महसूस करने लगी.

तभी मैं ही उसको थैंक्स बोल कर अपने रूम में चला गया.
अपने पीछे गुमसुम सी, परेशान सी, हालत में नीति को छोड़ कर!

आज संडे था तो हमको कहीं जाना नहीं था.
फिर भी रूम में जाकर सीधा बाथरूम में घुस कर ठण्डे पानी के नीचे खड़ा हो गया.

ठण्डे पानी की धार ने मेरा नशा और भारीपन काफी हद तक उतार दिया.
पर फिर भी मैं बहुत देर पानी के नीचे खड़ा कल रात को याद करता रहा.
नीति के मखमली जिस्म को याद करने लगा कि उसकी चूत कैसी होगी, झांट होगी या नहीं! उसकी चूचियां कैसी होंगी, निप्पल, निप्पल का एरोला, तने हुए निप्पल उसके हल्के उठे हुए चूतड़!

बस फिर क्या था … मेरा लण्ड तो फुंकारने लगा.
मेरे हाथ स्वतः लण्ड पर जाकर सहलाने लगे. मेरा हाथ खुदबखुद लण्ड की चमड़ी को आगे पीछे करने लगा और कुछ ही पलों में वीर्य की एक तेज धार निकल पड़ी जो शावर के पानी में बह गई मेरे अरमानों सी!

तभी मुझे दरवाजा खटखटाने की आवाज़ सुनाई दी.
मैंने दरवाज़ खोला तो नीति खड़ी थी.
जबकि मैं रूम सर्विस की सोच रहा था.

उस वक़्त मैं सिर्फ एक टॉवल में था, मेरे काले जिस्म पे सफ़ेद टॉवल कुछ अजीब सा लग रहा था.

मैंने फटाक से दरवाज़ा वापस बंद कर दिया और ड्रेस पहन के फिर दरवाज़ा खोला.
तो नीति तब भी सामने खड़ी थी.

मैंने उसको अंदर बुलाया तो वह चुपचाप आ गई.

तब मैंने दरवाज़ा बंद करके पलट के देखा तो सलवार सूट में नीति खूबसूरत लग रही थी.

शायद वह भी शावर लेकर आई थी.
पीठ पर गीले बालों की वजह से कमीज पीछे से थोड़ा गीला था.

तभी उसने अपने हाथों से बाल आगे किये तो गीले शर्ट में पीठ पे काली ब्रा चमक उठी.
खुमार तो था ही … पर हिम्मत नहीं थी.

वह आगे जाकर पलटी तो मुझे अपनी तरफ देख कर पूछा- क्या हुआ?

मैं कुछ नहीं समझा पर मैं हड़बड़ाया सा उसके सामने बैठ गया और उसको सॉरी बोलने लगा.
कुछ देर तक वह सुनती रही.
फिर अचानक बोली- अब आप चुप रहिये, बहुत हो गया. जो आपको बोलना था, वह आप रात को आप बोल चुके हैं. अब आप के पास कुछ बोलने को नहीं है!

मैं अपराध बोध लिए सर झुकाये उसकी बात सुनता रहा.
बीच बीच में मैं उसे देख लेता पर उसका गंभीर चेहरा देख कर सर झुका लेता.

:आप नीचे चल के ब्रेकफास्ट करेंगे मेरे साथ या मैं अकेले जाऊं?”
मैं हकबकाया सा उसके साथ नीचे जा के ब्रेकफास्ट करने लगा शांत सा … खाने का कुछ मन तो नहीं था, बस नीति को फील न हो तो खाये जा रहा था.

पर मैं सोच रहा था नीति के व्यवहार के बारे में … कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या चाहती है.
मैं उसे पसंद हूँ या नहीं?

लव सेक्स फीलिंग के कारण उलझन सी बनी हुई थी मेरे मन में!

हम वहां से अपने रूम में आ गए.
नीति भी मेरे साथ मेरे रूम में आ गई और कहने लगी- मुझे शॉपिंग करनी है, आप भी साथ चलो.

फिर हम दोनों क्राफोर्ड मार्किट, उसके आस पास फिर बांद्रा लिकिंग रोड और फिर वापसी में गेटवे ऑफ इंडिया के पास स्ट्रीट मार्किट घूम के वापिस होटल आ गए.

पूरा दिन मैं परेशान सा यही सोचता रहा कि इसको कोई फर्क ही नहीं पड़ता है.

शाम को मेरे से रहा नहीं गया, मैंने पूछ ही लिया- तुमने जवाब नहीं दिया?
नीति- क्यों? हर बात का जवाब देना जरूरी होता है क्या?
मैं- हाँ, जब इंसान की जिंदगी और मौत का सवाल हो तो देना जरूरी हो जाता है.
नीति- मैं कुछ नहीं जानती, जवाब आप खुद ढूंढ लो!

मैंने उसके हाथ को अपने हाथ में लिया और फिर से बोल दिया- आई लव यू नीति! क्या तुम मेरे साथ अपना पूरा जीवन बिताना चाहोगी?

नीति ने अपनी आँखें झुका ली जो बहुत कुछ कह गई.

वह काउच पर बैठी थी.

मैं उसके सामने घुटनों पर हुआ और मैंने हिम्मत करके अपना सर उसकी गोद में रख दिया.
तो नीति अपने मुलायम हाथों से मेरे बालों को सहलाने लगी.
तब मुझे लगा कि उसकी सहमति ही थी.

मेरे हाथ उसकी गर्दन पर गए और उसको अपनी तरफ झुका सा लिया.

नीति के गहरे लम्बे काले बालों ने मेरा चेहरा ढक लिया.

सिर्फ हम दोनों की आँखें एक दूसरे को देख रही थी.
उसकी आँखों में देख कर कहीं भी ऐसा महसूस नहीं हो रहा था कि उसको मेरे रंगरूप से कोई परेशानी है. उन नेत्र द्वय में मुझे अपने लिए प्यार ही दिख रहा था केवल!

समय की गति रुक सी गई हो जैसे!

मैं उसकी गर्दन सहलाते हुए अपना हाथ उसके नर्म गालों पे ले आया. मेरी नजर अब उसके गोरे गालों और गुलाबी लबों पर थी.
पर मैं बहुत बड़ा उल्लू था जो प्यार और वासना में अन्तर नहीं समझ पा रहा था.

नीति ने कजरारी आँखों से मेरी आँखों में एक बार देखा. दोनों की नज़र टकराई और उसके आँखों की चमक में मुझे लालिमा नज़र आई!

मैं उसके गुलाबी होंठों के और करीब आ गया.
बात तो कुछ हो नहीं रही थी.
पर जैसे ही मेरे होंठ उसके होंठों के और पास आये, नीति ने एक पल को मुझे निहारा और अगले ही पल शर्मोहया से उसकी पलकें झुक सी गई.

लव सेक्स फीलिंग से होश तो मैं खो ही चुका था, इसलिए मैंने उसके रस से भरे रेशम से होंठों को अपने होंठों से छुआ.
और इस हल्की सी छुअन से नीति का जिस्म थरथरा सा गया, गर्म सांसें तेज़ हो गई, बदन गर्म सा हो गया.

वह कुछ कहने को हुई पर उसका जिस्म दिमाग और दिल सब उसका साथ छोड़ चुके थे.
बस हल्की आआह कर के रह गई वो!

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धन्यवाद.
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