ललितपुर वाली गुड़िया के मुंहासे-5

(Lalitpur Wali Gudiya Ke Munhase-Part 5)

This story is part of a series:

स्नेहा जैन ने आज मुझे अपनी सेक्सी चुत चटवा कर उसका सारा रस निकाल कर अपने मुंहासों का इलाज़ करवाने बुलाया है.
मैंने स्नेहा जैन को समझाया- बेटा, डरने की बात नहीं है. जिस काम के लिए मैं आया हूँ, वो मुझे ठीक से करने दो… अगर तुम कोआपरेट करोगी तो सब कुछ सही होगा, तुम को भी अच्छा लगेगा और मुझको भी!
उसने सहमति में सिर हिला के मुझे ग्रीन सिग्नल दिया पर मुंह से कुछ न बोली.

उसकी सहमति पाकर मैंने फिर से उसकी कमर में हाथ डाल कर अपने से लिपटा लिया उसे और धीरे धीरे उसकी पीठ सहलाने लगा. मेरी हथेली उसकी कमर से लेकर ऊपर गर्दन तक फिसलती रही, बीच में कहीं कोई अवरोध महसूस नहीं हुआ, मतलब साफ़ था कि वो ब्रा नहीं पहने थी.

उसके शरीर की तपन मुझमें गजब की मस्ती भरने लगी और मैंने उसकी गर्दन के पिछले भाग पर अपने होंठ जमा दिए और वहाँ चूमने लगा. फिर कान के नीचे और फिर कान की लौ अपने होठों में दबा ली मैंने और उसे जीभ से छेड़ा.
बस इतने से ही उसके बदन ने झुरझुरी ली और लगा कि उसका रोम रोम तन गया.

उसके कान की लौ चुभलाते हुए मैंने उसका दायाँ स्तन कुर्ते के ऊपर से ही अपनी हथेली से ढक दिया, विरोध स्वरूप उसका हाथ मेरे हाथ पर आया और दूर हटाने को लड़ने लगा, हाथापाई करने लगा, पर जीत मेरे ही हाथ की होनी थी और हुई भी… जीत की ख़ुशी कुछ यूं जैसे मैंने वो क्षेत्र, वो प्रदेश, वो अंग जीत लिया हो. फिर जैसे मालिकाना हक़ से मैंने अपना हाथ कुर्ते के भीतर घुसा कर उसका नग्न स्तन दबोच लिया, लगा जैसे कोई फूलों का गुच्छा पकड़ लिया हो, फिर बहुत ही हौले से स्तन को दबाया. फिर दूसरे वाले को भी दबाया, मसला.
रुई के फाहे जैसे सुकोमल स्तन जैसे थरथरा कर रह गये, आनन्द की लहरें उनमें हिलौरें लेने लगीं और उसके निप्पल या चूचुक पहली बार उत्तेजित होकर कड़क हो गये जिन्हें मैं अपनी चुटकी में ले के प्यार से यूं उमेठने लगा जैसे घड़ी में चाभी भरते हैं.

‘अंकल जी बस!’ उसके मुंह से अस्फुट से स्वर निकले.
उसका यूं कहना एक स्वाभाविक प्रतिक्रिया थी. पहली बार वो किसी मर्द के पहलू में यूं बैठी थी और मर्दाना हाथ उसकी कामनाओं को जगा रहे थे. उसका बदन पहली बार नये नये तजुर्बों से गुजर रहा था नई नई अनुभूतियाँ उसके तन मन में बिजलियाँ चमका रहीं थी.

‘अंकल जी, ये सब करने की बात नहीं हुई थी. आप चीटिंग कर रहे हैं!’
‘नहीं गुड़िया, ये चीटिंग नहीं है, उसी क्रिया का पार्ट है!’
‘नहीं… आप तो वही ट्रीटमेंट दे दो जिसकी बात हुई थी, और कुछ मत करो!’
‘अरे वही सब तो कर रहा हूँ जो तुम्हें उस वीडियो में दिखाया था, शुरुआत तो ऐसे ही होती है न!’

‘लेकिन मुझे पता नहीं कैसा कैसा लग रहा है और घबराहट सी भी हो रही है.’
‘देखो स्नेहा बेटा, तुम किसी बात का टेंशन मत लो. जो हो रहा है उसे होने दो और एन्जॉय करो. अपना तन और मन पूरी तरह से मुझे सौंप दो, फिर देखना बहुत जल्दी तेरे मुंहासे गायब हो जायेंगे जैसे कभी थे ही नहीं!’
‘ठीक है अंकल जी. तो फिर जल्दी जल्दी कर लो जो जो करना है!’ वो बोली.

फिर मैंने उसे बाहों में उठा लिया और बेडरूम में लेजाकर बिस्तर पर लिटा दिया और उसके ऊपर मैं चढ़ गया और उसके होंठ अपने होठों की गिरफ्त में ले लिये. फूल से कोमल कुंवारे होंठों का वो रस आज भी भूल नहीं पाता मैं…
बहुत देर तक मैं उसके ऊपर लेटा हुआ उसके दोनों मम्में अपनी मुट्ठियों में भर कर उसके अधरों का रसपान करता रहा, उसके गालों को चूमता चाटता काटता रहा और वो मेरे नीचे बेसुध सी पड़ी यौवन की इन प्रथम अनुभूतियों से परिचित होती रही, अपने अंग प्रत्यंग में हो रही सनसनी और उत्तेजना को वो आँखें मूंदे महसूस करती रही.
इधर मेरा लंड भी दम से खड़ा हो गया था और मुझे कपड़ों के नीचे से परेशान करने लगा था.

जब मैंने उसका कुर्ता उतारा तो उसने मामूली सा विरोध किया जैसे मुझे अपना विरोध जता दिया हो. कोई ख़ास प्रतिरोध नहीं किया.
ब्रा तो उसने पहनी ही नहीं थी. कमर से ऊपर उसका बदन नग्न हो चुका था. जैसे ही उसका कुर्ता उतरा, उसने अपने पैर एक के ऊपर एक रख के कस कर भींच लिए जैसे अपनी लाज के अंतिम आवरण को बचाये रखना चाहती हो.

उसके मम्मे ज्यादा बड़े नहीं थे यही कोई 28-30 साइज़ के रहे होंगे जो उसके बदन के हिसाब से बिल्कुल परफेक्ट थे. मुझे वैसे भी कमसिन छोरियों के छोटे छोटे बूब्स ही ज्यादा पसन्द हैं जिन्हें दोनों मुट्ठियों में भींच के धुआंधार चुदाई कर सकूं.
उसके मम्मे… लगता था जैसे दो मुलायम गुलाबी संतरे उग आये थे उसके सीने पर… किशमिश जैसे निप्पल और उनका घेरा हल्के भूरे से रंग का था.
मैंने बिना देर किये एक निप्पल अपने होठों में भर लिया और चूसने लगा और दूसरे वाले मम्मे से खेलने लगा.
स्तन चूसने और उन्हें मसलने उनसे खेलने का ऐसा आनन्द जीवन में मुझे इससे पहले कभी नहीं मिला था. मैं किसी अबोध शिशु की तरह उसके दूधों से लिपटा हुआ अमृत पान करता रहा और वो मेरे सिर को सहलाती हुई, बालों में उंगलियाँ पिरो कर कंघी करती हुई अपना स्नेह जताती रही.

बीच बीच में मैं उसके होंठ भी चूसता जाता और गाल भी चूमता काटता जाता. लड़की के होंठ, मम्में और लगभग सारा बदन ही किसी सिस्टम के तहत उसकी चूत से जुड़ा होता है. बदन पर कहीं भी प्यार करो, चूमो या सहलाओ लड़की की चूत इन अठखेलियों का स्वतः संज्ञान ले लेती है और गीली हो जाती है, लंड के स्वागत के लिए उसका प्रवेश सुगम बनाने के लिए रस का सिंचन करने लगती है.

सो मेरी कामकेलि से स्नेहा जल्दी ही चुदासी हो उठी और उसने अपने पैर जो आपस में भींच रखे थे, खोल दिए और अपनी जांघें दायें बाएं फैला कर अपनी चूत को जैसे कैद से आजाद कर दिया.

अब मैं उसे चूमता हुआ नीचे की तरफ बढ़ चला उसका समतल चिकना पेट, गहरी नाभि कूप चूमने के बाद मैं उसके पैरों के पास बैठ गया और और दोनों पैर उठा कर तलवे चूमने चाटने लगा, पैरों की उंगलियाँ अपने मुंह में भर के चूसने लगा.

मेरे ऐसा करते ही वो जल बिन मछली की तरह मचलने लगी और अपना एक पैर मेरी गर्दन के पीछे फंसा कर मुझे अपने ऊपर दबाने लगी- उफ्फ अंकल जी… अब सहन नहीं होता, जल्दी से ट्रीटमेन्ट दे दो मुझे!
‘बस थोड़ी देर और… फिर ट्रीट करता हूँ तुम्हारी चूत को!’ मैं उसकी पिंडलियाँ चूमते हुए बोला.
फिर मैंने सलवार के ऊपर से ही उसकी दोनों जांघें चूम डालीं और और हल्के हल्के काटने लगा.

उसकी सलवार का नाड़ा मेरी नाक के ठीक ऊपर ही बंधा था सो मैंने उसे दांतों से पकड़ कर खींचना शुरू किया.
‘अंकल जी, पहले एक वादा करो?’ उसने अपना नाड़ा खुलने से पहले ही पकड़ लिया.
‘हाँ बोलो गुड़िया रानी?’
‘पहले वादा करो कि आप मेरे साथ सेक्स नहीं करोगे. मेरा कुंवारापन छीनोगे नहीं!’
‘ठीक है, वादा करता हूँ!’ मैं बोला.
‘ऐसे नहीं ठीक से बोल के वादा करो!’
‘स्नेहा, मैं तुम्हारे साथ तुम्हारी इच्छा के विरुद्ध जबरदस्ती सेक्स या ऐसा कोई भी काम नहीं करूंगा जिसमें तुम्हारी मर्जी न हो!’
‘भगवान की कसम खा के कहो?’
‘मैं भगवान की कसम खा के कहता हूँ कि तुम्हारे साथ जबरदस्ती संभोग नहीं करूंगा. ओके नाउ?’
‘हाँ अब ठीक है!’ वो बोली और उसने खुद सलवार के नाड़े का एक सिरा ऊपर तक खींच दिया.

हालांकि सलवार का नाड़ा खुल चुका था परन्तु अभी भी अटका हुआ था. मैंने स्नेहा की कमर के नीचे से सलवार खिसकाई तो उसने भी सहयोग देते हुए कमर को ऊपर उठा कर सलवार नीचे से निकल जाने दी.
उसने पेंटी भी नहीं पहन रखी थी, उसके चिकने मुलायम नितम्बों को मैंने मसल दिया. बदले में उसके मुंह से सिसकारी निकल गई ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’

सलवार नीचे से निकल चुकी थी लेकिन उसकी चूत के ऊपर अभी भी अटकी हुई थी. उसकी चूत के दर्शन अब होने ही वाले थे, मेरे दिल की धड़कन तेज हो गई वो नज़ारा मेरे सामने अब आने ही वाला था जिसकी कल्पना कर कर के न जाने कितनी बार मैंने मुठ मारी थी, कितनी ही बार मैंने इसी चूत की सोच सोच के अपनी बीवी को चोदा था. मैंने एक गहरी सांस ली और थोड़ा रुक गया.
मित्रो लड़की के बूब्स के बाद उसकी चूत ही ऐसा अंग है जिसे देखने छूने की हसरत हम सभी की होती है.

मैंने आँखें बंद करके उसकी सलवार उतार कर एक तरफ फेंक दी और उसके दोनों घुटने पकड़ कर पेट की तरफ मोड़ कर जांघें दायें बाएं फैला दीं. फिर आँखें खोल कर उसकी चूत को निहारा.
‘वाह…’ मेरे मुंह से अपने आप ही निकल गया.

स्नेहा की सेक्सी चुत फूली हुई कचौड़ी की तरह गुदगुदी और उभरी हुई सी थी, चूत के दोनों होंठ आपस में चिपके हुए थे और बीच की दरार में से रस सा रिस रहा था. उसकी चूत पर छोटी छोटी रेशमी झांटें थी जो मुझे बेहद पसन्द हैं.

मित्रो, पिछले एक दो वर्ष से चूत के बारे में मेरी पसन्द बदल गई है. पहले मुझे चिकनी क्लीन शेव्ड चूत पसन्द हुआ करती थी लेकिन अब मुझे झांटों वाली चूत ज्यादा सेक्सी ज्यादा मनोहर लगती है. झांटें छोटी छोटी हों जिनमें से चूत के लिप्स की स्किन भी दिखती रहे, ज्यादा घनी नहीं!
नेट पर पोर्न देखने के मामले में भी मैं काली झांटों वाली लड़की ज्यादा प्रेफर करता हूँ.

लड़की की भग (चूत) अगर मुग्ध भाव से देखो, निहारो तो भग का सौन्दर्य, इसका ऐश्वर्य विलक्षण होता है, आप इसे एकटक देखते रहिये आपको अनजाना सा अलौकिक आनन्द मिलेगा. लेकिन इस नज़र से कम लोग ही चूत का दर्शन कर पाते हैं. ज्यादातर लोगों अनुसार चूत ‘मारने’ के लिए होती है बस… उनके पास वो सौन्दर्य बोध वो दृष्टि ही नहीं होती जो उन्हें चूत के मनोहारी रूप के दर्शन करा सके.
ओह सॉरी मित्रो, मन भी कहाँ इन दार्शनिक बातों में भटक गया लिखते लिखते!

‘स्नेहा बिटिया, अपनी चूत खोल के तो दिखा जरा!’ मैंने कहा.
पहले तो उसने इन्कार में सिर हिलाया लेकिन बाद में शर्माते हुए अपने दोनों हाथ अपनी चूत पर रखे और हौले से पट खोल दिए.

चूत के भीतर रसीले लाल तरबूज जैसा नजारा था. उसकी चूत की नाक पेन्सिल जितनी मोटी कोई आधा पौना इंच लम्बी थी जिसकी टिप पर उसका दाना मटर के दाने जितना बड़ा था जो उसके अत्यधिक कामुक और चुदासी होने का ऐलान कर रहा था.
चूत के दाने के नीचे कुछ गहराई सी थी जिसमें से उसका चिपका हुआ छेद दिख रहा था जिसमें लंड घुसाते हैं. उसकी चूत के छेद और नीचे गांड के छेद में मुश्किल से दो अंगुल का फासला रहा होगा. चूत की कुल लम्बाई या चीरा कोई तीन चार अंगुल के बीच रही होगी. हाँ उसकी चूत के होंठों की रंगत सांवली सी थी जैसी कि अपनी भारतीय लड़कियों की होती ही है.

कोई लड़की जब इस तरह अपने दोनों हाथों से अपनी चूत खोल के सामने लेटती है तो वो सीन गजब का सेक्सी लगता है.

सेक्सी चुत की कहानी जारी रहेगी.
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