कोरोना काल में मिला अंकल के लंड का सहारा- 1
(Ladki Ki Chut Ki Kahani)
लड़की की चूत की कहानी में पढ़ें कि मुझे चुदाई का बहुत शौक है. लेकिन लॉक डाउन के कारण मुझे अपनी चूत के लिए लंड नहीं मिल रहा था. तो मैंने क्या किया?
इस कहानी को लड़की की वासना भरी आवाज में सुनें.
दोस्तो, मेरा नाम फेहमिना इक़बाल है.
आप सभी मुझे अच्छी तरह से जानते ही होंगे. मगर जो लोग मुझे नहीं जानते या अन्तर्वासना पर नए जुड़े हैं, उनके लिए मैं उन्हें अपना परिचय फिर से दे देती हूँ.
मैं फेहमिना इक़बाल, मेरी उम्र 27 साल और मेरा फिगर 34 28 34 है.
मैंने अभी तक शादी नहीं की है. ये जानकारी उन लोगों के लिए है जो अक्सर मुझे मेरी शादी को लेकर सवाल पूछते हैं।
मैं आप सभी से हाथ जोड़कर माफ़ी मांगती हूँ इतने दिनों बाद आने के लिए!
मगर मुझे सच में इतना समय ही नहीं मिला कि मैं कोई नयी कहानी लिख सकूँ। लेकिन फिर भी आप सबने अपना प्यार मेरे साथ बनाये रखा; उसके लिए सबका खुली चूत से धन्यवाद।
मेरी पिछली कहानी थी: बेडरूम में अनजान लड़के के साथ नया साल
खैर आप सब की फेहमिना एक नयी कहानी लेकर आप सबके सामने हाजिर है.
अब सभी लोग लड़की की चूत की कहानी का मज़ा लीजिये और अपने सेक्सी वाले विचार मुझे जरूर बतायेगा।
तो दोस्तो, जैसा कि आप सभी जानते ही हैं कि पूरी दुनिया की माँ चुदी पड़ी है इस कोरोना नामक बकचोदी से!
ऐसे में हमारा देश कैसे पीछे रह सकता था.
तो मार्च के महीने में हमारे यहाँ भी बकचोदी शुरू हो गयी और सब अपने अपने घरों में क़ैद हो गए. मेरा भी काम अब घर से ही चल रहा था.
मगर इन सबमें एक बात बहुत सही हुई थी. वो थी मुझे मेरे चूतिया बॉस से आज़ादी मिल गयी थी. मेरा मतलब उसकी थकी हुई चुदाई से मैं बच गयी थी.
ऐसा नहीं कि मुझे उसके साथ मज़ा नहीं आता था. मगर वो साला ठहरा 55 साल का बुड्डा और मैं 27 साल की माल दीखने वाली लड़की जिसकी हवस सिर्फ एक जवान मर्द ही मिटा सकता था.
हालाँकि वो साला बुड्ढा चुदाई देर तक करता था. मगर उसका लंड मेरी चूत के हिसाब से बच्चों वाला था.
चूँकि वो मेरा बॉस था तो उसे खुश रखना मेरी मजबूरी थी.
मगर अब मैं आजाद थी. भले ही कुछ दिन के लिए ही सही … मगर मैं थी।
शुरू में लगा कि ये दिन आराम से निकल जायेंगे.
और ऐसा हुआ भी!
3-4 दिन तो आराम से निकल गए. मगर उसके बाद चूत में आग और मन में बोरियत होने लगी.
धीरे धीरे चूत की आग और ज्यादा बढ़ती चली गयी जो अब बर्दाश्त करना भी नामुमकिन सा लगने लगा.
कुछ दिन तो चूत में डिल्डो, खीरा, मूली, बैंगन और पता नहीं क्या क्या डालकर चूत की आग शांत करने के नाकाम कोशिश करती रही.
मगर इन सबका उल्टा ही असर होने लगा. चूत की आग शांत होने की बजाय और ज्यादा बढ़ने लगी.
अब मुझे मेरे बुड्ढे बॉस की चुदाई भी याद आने लगी; सोचने लगी कि काश वो बुड्ढा ही यहाँ आ जाये और मेरी चूत की आग को शांत कर दे.
मगर यह भी संभव नहीं था।
मेरी बहन आयेशा और भाई साहिल भी मुझसे दूर थे. वरना उन्ही के साथ कुछ करके शांत हो जाती.
उधर जब भी आयेशा से बात होती तो वो भी अपना हाल-ए-दर्द मुझे बताती और बोलती- यार अब ये चूत की आग बर्दाश्त नहीं हो रही हैं.
इस बात पर मुझे कभी कभी हंसी भी आ जाती थी.
कभी कभी साहिल मैं और आयेशा तीनो वीडियो कॉल पर सेक्स चैट कर लेते थे.
मगर वो सेक्स चाट भी अब आग में घी का काम कर रहा था.
अब चूँकि काम तो कुछ था नहीं तो मैं अक्सर शाम को अपनी बालकनी में आकर बैठ जाती थी और वहां से सड़क पर जो भी 1-2 लड़के आते जाते दिख जाते थे, उन्हें घूर कर मज़े ले लेती थी।
फिर ऐसे ही बहुत दिन बीत गये मगर कोई मुर्गा हाथ नहीं आ रहा था.
मगर मैंने कोशिश जारी रखी.
तभी मैंने नोटिस किया कि मेरी बगल वाले फ्लैट में जो अंकल रहते थे, वो अक्सर मुझे घूरा करते थे.
मैं आपको थोड़ा सा उनके बारे में बता दूँ.
उनकी उम्र 60 साल के आस पास होगी और वो उस फ्लैट में अपनी अकेले रहते थे क्यूंकि उनकी पत्नी का कुछ साल पहले देहांत हो गया था.
उनके दो बच्चे थे. 1 लड़का नीतीश (28 साल) और 1 लड़की तनया (26)
दोनों बच्चे कनाडा में नौकरी करते थे।
अक्सर हम दोनों की बात हो जाया करती थी. मगर मैंने गौर किया कि इन दिनों वो मुझसे कुछ ज्यादा ही बात करने के बहाने ढूंढने लगे थे।
खैर मैं भी उनसे बात कर लिया करती थी जिससे मेरा भी टाइम पास हो जाता था.
फिर 1 दिन हम दोनों अपनी बालकनी में खड़े होकर बात कर रहे थे तो उन्होंने मुझसे मेरे बॉयफ्रेंड के बारे में पूछा.
तो मैंने उन्हें बताया कि मेरा कोई बॉयफ्रेंड नहीं है.
जिस पर वो हैरान होकर बोले- तुम जैसी हुस्न की परी का कोई बॉयफ्रेंड नहीं है? मैं ये नहीं मान सकता!
तो मैंने मन में सोचा ‘मत मान … माँ चुदा … ही ही ही ही’
लेकिन मैंने उनसे ये बोला नहीं, बल्कि मैंने उनको बता दिया कि मेरा मेरे बॉयफ्रेंड के साथ ब्रेकअप हो गया था.
मगर इस बात पर उन्होंने जो कहा उसे सुनकर मैं चौंक गयी.
उन्होंने बोला- फिर अब सेक्स कैसे करती हो? अब तो रेगुलर सेक्स भी नहीं मिल पता होगा?
उनके मुंह से ये बात सुनकर मुझे झटका लगा तो मैंने अपनी गर्दन शर्म से झुका ली और अंदर चली गयी.
अंदर आकर मैं सोचने लगी कि इस साले बुड्ढे को ऐसा पूछते हुए शर्म नहीं आई?
फिर मेरे दिमाग में आया कि साले की पत्नी का देहांत भी हो गया है. हो सकता है सेक्स के लिए तड़प रहा हो!
खैर ये सोचते सोचते मैं सो गयी.
अगले दिन जब मैं बालकनी में गयी तो अंकल वहीं थे.
मुझे देखते ही वे सॉरी बोलने लगे.
तो मैं मुस्कुराकर बोली- कोई बात नहीं अंकल।
मेरी इस बात पर वो थोड़ा रिलैक्स हुए और स्माइल करने लगे.
थोड़ी देर हम दोनों चुप रहे. फिर वो बोले- तुमने बताया नहीं?
तो मैंने पूछा- क्या?
वो बोले- तुमने कल वाली बात का जवाब नहीं दिया?
तो मैं मुस्कुराकर बोली- जब मेरा बॉयफ्रेंड ही नहीं है तो सेक्स कैसे होगा?
वो भी मेरी इस बात पर हंसने लगे.
तभी उन्होंने मुझे दूसरा झटका दिया और बोले- सेक्स करने के लिए बॉयफ्रेंड की जरूरत नहीं होती. सिर्फ 1 मर्द की जरूरत होती है!
उनकी इस बात पर मैंने उनकी तरफ देखा और मुस्कुरा दी.
फिर उन्होने मुझसे पूछा- बताओ ना … मैं सही कह रहा हूँ ना?
तो मैंने उनकी तरह देखकर हां में गर्दन हिला दी.
फिर वो बोले- तुम्हें भी इस बारे में सोचना चाहिए।
तो मैं बोली- किस बारे में?
वो बोले- सेक्स के बारे में!
इस पर मैं बोली- लेकिन किसके साथ?
तो वो बोले- देख लो … तुम्हारे आसपास कोई न कोई तो होगा जो तुमसे बात करता हो!
मैं समझ गयी कि बुड्ढा अपनी बात कर रहा है.
फिर भी मैंने बात को और ज्यादा आगे ले जाने की सोची.
मैं बोली- अंकल, यहाँ तो कोई है ही नहीं जिसके साथ मैं बात करती हूँ या सेक्स कर सकूँ!
और फिर मैंने उदास होने की एक्टिंग की.
तब अंकल बोले- बेटा, ऐसे उदास नहीं होते! मैं हूँ ना!
इस बात पर मैंने उन्हें घूर कर देखा.
तो वो थोड़ा डर गए.
मैंने कहा- अंकल आपको शर्म नहीं आती? मैं आपकी बेटी जैसी हूँ.
तो वो बोले- बेटी तो नहीं हो ना!
फिर मैंने मन मन में सोचा कि साला बुड्ढा सच में बहुत हरामी है.
उसकी इस बात पर मुझे हंसी आने लगी तो मैंने अपना मुंह दूसरी तरफ कर लिया और हंसने लगी.
मैं नहीं चाहती थी कि मेरी हंसी बुड्ढे को दिखाई दे।
फिर वो बोले- बेटा, इस बारे में सोचना जरूर! हम दोनों की जरूरत पूरी हो सकती है.
अब वो खुलकर बोलने लगे.
तो मैंने सोचा कि यार मुझे भी कोई नहीं मिल रहा है तो क्यूं न इन अंकल को ही इस्तेमाल किया जाये!
फिर मैंने उन्हें सोचकर बताने को कहा और मैं चली गयी.
रात भर मैंने इस बारे में सोचा कि अंकल के साथ करने सेफ भी रहेगा और कोई प्रॉब्लम भी नहीं होगी. और थोड़ा सा सही लेकिन शायद मज़ा भी आ सकता है.
चूँकि इस लॉक डाउन की वजह से मुझे सैलरी भी बहुत कम मिल रही थी तो मैंने सोचा कि ये अंकल अमीर भी बहुत हैं, ये मेरा खर्चा उठाएंगे.
मैंने आयेशा को कॉल करके सारी बात बता दी तो उसने भी मुझे बोला- 1 बार कोशिश करके देख ले. शायद बुड्ढे में जान हो और तुझे भी मज़ा आ जाये.
उससे बात करने के बाद मैंने सोचा कि ऐसा तो है नहीं कि मैंने पहले इतनी उम्र के बुड्ढों के साथ सेक्स नहीं किया था.
मेरे बॉस अक्सर मुझे ऑफिस में ही चोद दिया करते थे.
और किसी किसी बुड्ढे में जान भी बहुत होती थी.
ऊपर से ये वाले अंकल तो हरियाणा के जाट थे. इनमें जान होने के ज्यादा चांसेस थे.
ये सब सोचते सोचते मैं कब सो गयी पता नहीं चला.
सुबह दास बजे के आस पास मेरी आँख खुली तो जैसे ही मैं बाहर आई वैसे ही दरवाजे पर एक दस्तक हुई.
मैंने गेट खोला तो सामने वो अंकल ही खड़े थे.
उनके हाथ में 1 कटोरी थी.
वो बोले- थोड़ी चीनी मिलेगी?
उन्हें मैंने अंदर आने को कहा और खुद उनके आगे आगे चलने लगी.
मैंने उस वक़्त 1 ढीला सा टॉप और शॉर्ट्स पहने हुए थे, अंदर न तो ब्रा थी और ना ही पैंटी.
तो जाहिर है कि अंकल मेरी गांड घूरते हुए ही आ रहे होंगे.
उनकी गांड जलाने के लिए मैंने अपनी गांड को और ज्यादा मटकाकर चलने लगी.
फिर हम दोनों रसोई में आ गये और मैं उनकी कटोरी में चीनी भरने लगी.
तो वो बोले- तुमने कुछ सोचा चुदाई के बारे में?
उनके मुंह से चुदाई शब्द सुनकर मैंने झटके से उन्हें देखा और मेरी हंसी निकल गयी.
और ये अंकल के लिए ग्रीन सिग्नल का काम कर गया.
वो हँसते हुए मेरे पास आए और मेरी कमर में हाथ डालकर मुझे अपनी तरफ खींचा और मेरे होंठों से अपने होंठ मिला दीए.
अंकल मुझे जबरदस्त वाला किस करने लगे.
उन्हें देखकर लग रहा था कि ये जन्मों से सेक्स के प्यासे हैं.
लेकिन उनकी बाँहों में जाकर मुझे उनकी मर्दागनी का अहसास हुआ.
वो अब किस के साथ साथ पीछे से मेरी गांड भी दबाने लगे.
थोड़ी देर मेरी गांड दबाने के बाद वो मेरे बूब्स दबाने लगे और मेरी टॉप को उठाने लगे.
अब मैंने उन्हें रोक दिया और बोली- बस, आज के लिए इतना बहुत है. बाकी बाद में!
इतना बोलकर मैं उनसे दूर हट गयी और दूर जाकर मुस्कुराने लगी.
इस पर वो तड़प कर रह गये और पास आकर गिड़गिड़ाते हुए बोले- जान, ऐसा मत कर! बहुत दिनों का प्यासा हूँ. एक बार मेरी प्यास बुझा दे, फिर तू जैसे बोलेगी वैसे करेंगे.
उनकी इस मासूमियत पर मैं पिघल गयी और बोली- अच्छा ठीक है. क्या करना चाहते हो?
तो वो बोले- मुझे तेरे बूब्स बहुत पसंद हैं. मैं तेरे बूब्स चूसना चाहता हूँ और तुझे नंगी करके अभी चोदना चाहता हूँ.
मेरी फिर से हंसी निकल गयी.
मैं बोली- चुदाई अभी नहीं, वो रात को सोचेंगे. अभी आप सिर्फ मेरे बूब्स चूस सकते हो.
यह सुनते ही वो भाग कर मेरे पास आये और मेरी टीशर्ट को एक झटके में मेरे बदन से अलग करके मुझे ऊपर से नंगी कर दिया.
उनकी इस स्पीड को देखकर मैं चौंक गयी.
तभी उन्होंने अपना मुंह मेरे बूब्स पर लगा दिया और चूसने लगे.
मैं भी किसी बच्चे के तरह उन्हें अपना बूब चुसवाने लगी.
वो बदल बदल मेरे बूब्स चूस रहे थे और पीछे से मेरी गांड भी दबा रहे थे.
तभी उन्होंने अपना हाथ मेरी गांड से हटाकर मेरी चूत में लगा दिया जिससे मुझे जोर का झटका लगा.
मैंने उनका हाथ वहां से हटा दिया.
वो फिर से मेरी गांड दबाने लगे.
अब वो मेरी शॉर्ट्स को उतारने लगे तो मैंने उन्हें रोक दिया.
इस पर वो मेरी तरफ देखकर इशारे में ‘क्यूं रोक दिया’ ये पूछने लगे.
तो मैंने कहा- सब कुछ अभी करोगे या कुछ रात के लिए भी छोड़ोगे?
वो बोले- मेरी जान अब बर्दाश्त नहीं हो रहा. मन तो ऐसा कर रहा है कि तुझे अभी नंगी करके अपना मूसल लंड तेरी चूत में डाल दूँ!
तो मैंने बोला- थोड़ा सा इंतज़ार करो. इंतज़ार का फल बहुत मीठा होता है.
यह सुनते ही उन्होंने अपना पजामा उतार दिया.
उन्होंने अंदर कुछ नहीं पहना था.
दोस्तो, मुझे मेल करके और कमेंट्स करके बताना कि आपको कहानी में मजा आ रहा है या नहीं?
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लड़की की चूत की कहानी का अगला भाग: कोरोना काल में मिला अंकल के लंड का सहारा- 2
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