हर चूत पर लिखा होता है चोदने वाले का नाम

(Kuvari Xxx Chut Kahani)

आलोक जयपुर 2021-02-04 Comments

कुंवारी Xxx चुत कहानी में पढ़ें कि मेरे पड़ोसी लड़के ने मेरे कमरे में अपनी मंगेतर को बुलाकर सुहागरात मनाने का कार्यक्रम बनाया. लेकिन उस रात क्या हुआ?

हैलो फ्रेंड्स, मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ. मैं अपने पहले सेक्स की कहानी बताने जा रहा हूँ.

एक बहुत पुरानी कहावत है कि दाने दाने पर लिखा होता है खाने वाले का नाम ..’
लेकिन मेरे साथ जो हुआ, उससे एक नई कहावत बन गई कि हर चूत पर लिखा होता है … उसको चोदने वाले का नाम.

ये कहावत कैसे बनी, आइए मेरे साथ इस कुंवारी Xxx चुत कहानी में जानते हैं.

मेरा नाम आलोक शर्मा है. मैं जयपुर राजस्थान का रहने वाला हूँ. वैसे तो मैं एक सामान्य सा दिखने वाला लेकिन आकर्षक लगता हूँ.

वर्तमान में इसे आप मेरा शौक बोल सकते हैं कि मैं घर जाकर महिलाओं के शरीर की मसाज करता हूँ. इससे मुझे किसी किसी महिला के साथ सेक्स करने को भी मिल जाता है.

ये सेक्स कहानी तब की है … जब मैं दिल्ली रहकर अपनी ग्रेजुएशन कर रहा था. दिल्ली में मैं द्वारका में कमरा लेकर रह रहा था. उस घर मैं अंकल आंटी जी और उनका इकलौता बेटा था.

अंकल जी का प्रॉपर्टी का काम था, जिसमें उनका बेटा रिलेश उनकी मदद करता था.

बात उस समय की है, जब रिलेश की शादी में सात दिन रह गए थे. अंकल आंटी को रिलेश भैया के ससुराल वालों के साथ कपड़ों की खरीददारी करने के लिए जयपुर के किसी परिचित के शोरूम पर जाना था. वो लोग मुझे और निलेश भैया को घर में छोड़ कर अगले दिन आने की बोल कर गए थे.

मेरा कमरा ऊपर है तो मैं अपने रूम पर था.

तभी रिलेश भैया आए और बोले- यार आलोक … तू मेरी एक छोटी सी हेल्प करेगा?

मैं- भैया आप बड़े हैं, बस आदेश कीजिए … मैं आपके लिए क्या कर सकता हूँ.
भैया- यार आज मैं और तेरी होने वाली भाभी मिलना चाहते हैं. हमारे दोनों के मम्मी पापा घर पर नहीं हैं और दोनों के ही मम्मी पापा कल आने की बोल कर जयपुर गए हैं.

मैं- भैया ये सब मुझे मालूम है. आप तो बिंदास बोलिए कि मैं आपके लिए क्या कर सकता हूँ.
वो- यार मैं प्रिया (उनकी मंगेतर) को सरप्राईज देना चाहता हूँ.

मैं- वाऊ ग्रेट भैया.
भैया- मैं चाहता हूँ कि रूम को फूलों और मोमबत्तियों से सजा कर आज की रात को ऐसी यादगार बना दूँ … जिसे वो कभी ना भूल सके. मैं अपने रूम में ये सब नहीं कर सकता क्योंकि शादी का टाईम है. अगर कोई आ गया … तो तू जानता है कि क्या हो सकता है.

मैं- हम्म … भैया आप बात तो सही बोल रहे हैं.
वो- तो मैं ये चाहता हूँ कि आज की रात तू नीचे सो जा, मैं डेकोरेशन वाले को बुला कर तेरा रूम सजवा देता हूँ.

मैं- ठीक है भैया … और कोई आ भी गए, तो मैं बोल दूंगा कि भैया बाहर गए हैं … वो कल आएंगे.
भैया खुश होते हुए बोले- हां ये और सही रहेगा. मेनगेट बंद कर दे और घर की चाभी तू रख ले. फिर सुबह जल्दी, जब मैं फोन करूं, तो गेट खोल देना. मैं प्रिया को उसके घर छोड़ आऊंगा.

मैं समझ गया कि भैया शादी से पहले ही चुदाई का कार्यक्रम कर देना चाहते हैं.
हालांकि कुछ दिन बाद उनको खुद ही सुहागरात का मजा मिल जाने वाला था. मगर चुदाई की चुल्ल एक ऐसी बात होती है, जो हर किसी को लगने लगती है.

भैया की चुदाई का सब प्रोग्राम तय हो गया. मेरा कमरा सुहागरात की तरह सजा दिया गया था.

और भैया की मंगेतर प्रिया ने अपनी मम्मी को फोन करके बोल दिया कि आज वो अपनी फ्रेंड के साथ उसी के घर रहेगी.

रात के साढ़े नौ बजे प्रिया भाभी आईं. उन्होंने जींस ओर टॉप पहना हुआ था. मेरी तरफ स्माइल करके भाभी भैया के साथ ऊपर चली गई थीं. मैं नीचे रूम में आ गया. मैंने मेनगेट लॉक कर दिया.

अब मेरे नसीब ने अंगड़ाई ली. रात के अभी ग्यारह बजे होंगे, तभी बाहर किसी ने बेल बजायी.

मैंने सोचा इस समय कौन हो सकता हो सकता है. बाहर आकर गेट पर जाकर देखा, तो मेरी सांसें धक्क से रह गईं … पैरों के नीचे से धरती सरक गई.

मैं- अअआप्प् अंकल जी … आप लोग तो कल आने वाले थे ना?
अंकल- गेट तो खोल, सब बाहर ही पूछ लेगा बेटा.
मैं- सॉरी अंकल जी.

मैंने जल्दी से गेट से ताला खोला.

अंकल आंटी अन्दर आते हुए एक साथ बोले- अरे काम जल्दी हो गया था, तो रुक कर क्या करते!

मैं कुछ नहीं बोला. मेरी बुद्धि काम ही नहीं कर रही थी कि क्या जबाव दूं.

आंटी पूछने लगीं- बेटा रिलेश कहां है?

मेरे समझ में झांट कुछ नहीं आ रहा था कि मुझे क्या बोलना चाहिए.

तभी मेरे मुँह से निकल गया कि आंटी भैया ऊपर हैं. मैं उन्हें नीचे भेज देता हूँ.
आंटी- हां बेटा, उसे भेज दे. फिर मैं अन्दर से भी ताला लगा लूंगी.

मैं ‘जी आंटी ..’ कह कर उनके सामने से हट गया. मैं ऊपर आया और गेट को हल्का सा खटखटा कर बोला- भैया, नीचे अंकल आंटी आ गए हैं. वो आपको नीचे बुला रहे हैं.

ये सुनते ही अन्दर से भैया आवाज आई- क्कक्या … वो तो कल आने वाले थे!
मैंने कहा- हां … पर वो आ गए हैं.

तभी भैया गेट से बाहर आए. उनको देख कर लग नहीं रहा था कि उन्होंने अभी भाभी के साथ कुछ कर लिया है.

भैया- सुन … मैं नीचे जा रहा हूँ … फिर तुझे बताता हूँ कि प्रिया को उसके घर कैसे भेजना है. अभी तू अपनी भाभी के पास रुक.
ये बोल कर भैया चले गए.

मैं रूम में आया … तो देखता ही रह गया.
भाभी लाल साड़ी में बेड पर बैठी थीं. यार क्या बताऊं भाभी कितनी सुन्दर लग रही थीं.
कमरे में रंगीन मोमबत्तियां जल रही थीं. फूलों से पूरा कमरा सजा हुआ था.

मैं अन्दर आया, तो भाभी बोलीं- अगर घर पर पता लग गया तो क्या होगा.
बस वो रोने लग गईं.

मैं उनके पास गया और बोला- आप डरो मत … भैया सब सम्भाल लेंगे.

दोस्तो मैं उनके पास बैठा, तो उनके शरीर से बहुत अच्छी खुशबू आ रही थी.

तभी भाभी के मोबाईल पर कॉल आया.
भाभी ने बात की और बोलीं- आपके भैया बोल रहे हैं कि मैं यहीं रूम में सो जाऊं. मम्मी ने मेनगेट और अन्दर के गेट का ताला लगा दिया है. अब सुबह पांच बजे मम्मी पापा घूमने जाएंगे, तब मैं तुम्हें घर छोड़ आऊंगा.

मैं- भाभी आप बेड पर सो जाओ. मैं फर्श पर बिस्तर लगा कर सो जाता हूँ.
भाभी- नहीं … नीचे ठंड लग जाएगी. आप बेड पर ही सो जाओ.

मैं कुछ नहीं बोला और भाभी के साथ पलंग पर लेट गया. मैं बेड पर एक साईड में सोने का नाटक करने लगा.

इतनी सुन्दर अप्सरा लाल साड़ी में दुल्हन बन कर मेरे बाजू में सो रही हो, तो मुझे क्या झांट नींद आनी थी.

भाभी- सो गए क्या … मुझे नींद नहीं आ रही. थोड़ी देर बात करो ना!
हम दोनों एक ही कम्बल में थे. भाभी मेरे पास सरक आईं.

उनकी गर्म सांसों को मैं महसूस कर रहा था. आज भाभी भैया के लंड से चुदने जा रही थीं, पर उनकी चुदाई नहीं हो पाई थी. जबकि भाभी का फुल मूड बना हुआ था.

हम ऐसे ही बातें कर रहे थे, तभी मेरा पैर उनके पैर से छू गया. मैंने सॉरी बोल कर पैर हटा लिया.

तभी भाभी बोलीं- कोई बात नहीं मुझे बुरा नहीं लगा.

ये बोलकर वो खुद अपना पैर मेरे पैर पर रगड़ने लगीं. मेरा लंड पूरा खड़ा हो गया था. मैं अपने हाथ से अपना पजामा ठीक करने लगा. इससे भाभी को पता लग गया कि मैं लंड के साथ कुछ कर रहा हूँ.

तभी उन्होंने मेरा लंड पकड़ लिया. मेरे शरीर में एकदम से करंट दौड़ गया.
उसी पल भाभी ने अपने सुलगते होंठ मेरे होंठों पर रख दिए और पागलों की तरह चूसने लगीं.

वो मेरे होंठों पर अपनी जीभ घुमाने लगीं.
मैंने भी अपना मुँह खोल दिया और मजा लेने लगा.
भाभी मेरी जीभ को अपने रसीले होंठों में लेकर आईसक्रीम की तरह चूसने लगीं.

मेरे लिए ये एक सपने जैसा था. अब मुझसे रहा नहीं गया. मैं भाभी के ऊपर चढ़ गया और उनकी सुराहीदार गोरी गर्दन को चूमने लगा.

भाभी- आआह हह … बहुत मजा आ रहा है.
मुझे तभी याद आया कि मेरे पास शहद की बोतल थी.

मैं शहद की बोतल लेने के लिए उठा.
तो भाभी बोलीं- मुझे प्यासी छोड़ कर कहां जा रहे हो?
मैं- भाभी बस अभी आया.

और मैं जल्दी से उठ कर शहद की बोतल ले आया.

अब तक भाभी ने कम्बल अलग कर दिया था और उनकी साड़ी अस्त व्यस्त हो गई थी.
मैंने भाभी की तरफ देखा तो भाभी ने मुझे इशारा कर दिया. मैंने हाथ बढ़ा कर भाभी की साड़ी निकाल दी.

उनको भी शायद चुदने की कुछ ज्यादा जल्दी थी, तो उन्होंने अपना ब्लाऊज और पेटीकोट खुद ही निकाल दिया.

अब वो ब्रा पैंटी में मेरे सामने थीं. उनका दूध जैसा गोरा शरीर देखकर मैं खुद के नसीब पर खुश हो रहा था कि आज मैं अपनी पहली चुदाई साक्षात काम देवी के साथ करने जा रहा हूँ, वो भी उसके साथ सुहागरात मनाते हुए.

मैंने बिस्तर पर उनके करीब बैठते हुए उन्हें अपनी बांहों में भर लिया और भाभी की पीठ पर हाथ ले जाकर उनकी ब्रा को खोल दिया. भाभी की ब्रा खुली तो उसमें से दो कड़क कबूतर उछल कर बाहर आ गए.

भाभी के चूचे एकदम गोल नहीं थे, जैसे आमतौर पर लड़कियों के होते है.
उनके दूध तोतापरी आम के जैसे थे. आगे की तरफ लम्बे होते हुए, फिर नुकीले … वैसे थे. भाभी के चूचों के आगे निप्पल पर काला रंग का गोल घेरा था.
कहने का मतलब मम्मे तो एकदम गोरे थे, बस आगे का भाग काले गोले की तरह था.
उनके मम्मों की साईज 36 इंच की थी.

मैंने एक पल मम्मों को निहारा फिर मुझसे रहा नहीं गया और मैं भाभी की एक चूची को अपने मुँह में भरकर चूसने लगा.

भाभी- आआहहह चूसो … आहहहह खा जाओ … बहुत मजा आ रहा है.
मैं- ये तो शुरूआत है भाभी … अभी देखो आपको कितना मजा आएगा.

कुछ देर तक भाभी की चूचियों को चूस कर मजा लेने के बाद मैंने उनकी चूचियों पर बहुत सारा शहद डाल दिया.
भाभी मेरी इस कारगुजारी को मस्ती से देख रही थीं. वो खुद अपनी चूचियों पर शहद टपकते देख कर मस्त हो गई थीं.

फिर मैंने भाभी की आंखों में झांका, भाभी वासना से मेरी आंखों में झाँक रही थीं. मैंने उन्हें देखते हुए ही उनकी एक चूची को मुँह में ले लिया और भूखे शेर की तरह जंगली जानवरों की तरह भाभी के आम चूसने लगा.

भाभी- आह मेरे रराजा … आह आहह हहह तुमने ये कैसी आग लगा दी मेरी चूत में … आहहह खा जाओ मेरे मम्मों को.

भाभी के मुँह से खुले आम चुत और मम्मों जैसे शब्द सुने तो मैं भी खुल गया.
मैंने कहा- आह भाभी … आज आपकी चुत का भोसड़ा बना दूंगा.

मैं अपनी जीभ से चूची को चाट चाट कर मजा लेना शुरू कर दिया. शहद में डूबी चूचियों को मैं खींच खींच कर चूसने लगा. भाभी भी अपने चूची पकड़ कर मुझे चुसवाती जा रही थीं.

कुछ ही पलों बाद भाभी की पोजीशन बहुत गर्म हो गई थी.
वो शायद इस मजे को सहन नहीं कर पा रही थीं. इसलिए भाभी लेटे लेटे ही अपनी गांड उछाल रही थीं और जोर जोर से कामुक सिसकारियां ले रही थीं.

मैं- भाभी ज्यादा आवाज मत करो, किसी ने सुन लिया तो ये मजा यहीं खत्म हो जाएगा.

भाभी गिड़गिड़ाते हुए बोलीं- नहीं, मुझे अपनी पहली चुदाई तुमसे ही करवानी है. मैं तुम्हारी गुलाम बनकर रहूँगी. तुम जो बोलोगे … मैं वही करूंगी.

मैं- अरे ये आप क्या बोल रही हैं. आप जैसी सुन्दर अप्सरा का कौमार्य भंग करके तो मैं धन्य ही हो जाऊंगा. मैं सारी जिंदगी आपका ये एहसान कभी नहीं भूलूंगा.

प्रिया भाभी अपनी गांड उठाते हुए मुझे दूध चूसने का इशारा कर रही थीं और कह रही थीं- आह चूसो न … इसमें अहसान जैसा कुछ भी नहीं है. तुम्हारे साथ जो लड़की भी सेक्स करेगी न … वो किस्मत वाली होगी. जिस तरह तुम मेरे हर अंग की प्यास बुझा रहे हो, शायद ऐसा तो रिलेश के साथ सुहागरात मना कर भी मुझे नहीं मिलता.

भाभी ने ये बोल कर मुझे टाईट हग कर लिया.

अब मैं फिर से उनके स्तनों पर शहद डाल कर चाटने लगा. भाभी दबी हुई आवाज में गर्म सिसकारियां ले रही थीं.

चूचियों के बाद मैंने भाभी की गहरी नाभि में शहद डाला और जीभ घुसा कर चूसने लगा.
भाभी मस्ता उठीं और बोलीं- आज से तुम ही मेरे पति हो … आआआह आइ लव यू जान.

शायद काम की नदी में डूब कर भाभी ये सब बोल रही थीं.

फिर मैं भाभी की पैंटी को निकाले बिना ही पैंटी के ऊपर से ही चूसने लगा. उनकी पैंटी चूत के पानी से पूरी भीगी हुई थी.

भाभी- आहहहह खा जाओ मेरी चुत को पूरी चूस लो … आहहह.

मैं बिना बोले उनको मजा दिए जा रहा था.

इसके बाद मैंने उनकी मांसल जांघों से पैंटी निकाल दी और अपना मुँह उनकी चिकनी चूत पर रख दिया. भाभी जोर से आहहह करने लगी ही थीं कि मैंने हाथ से उनका मुँह दबा दिया.

तभी भाभी का फोन बजा.

भाभी- रिलेश का फोन है. मैं नहीं उठा रही. मुझे बस आज तुमसे चुदना ही है, चाहे मेरी शादी ही क्यों ना टूट जाए.
मैं- भाभी उठा कर तो देखो, ऐसा कुछ नहीं होगा.

भाभी- ठीक है देखती हूँ.
‘हैलो ..’

रिलेश- मेरी जान सो गई थीं क्या … फोन नहीं उठाया!
प्रिया- हां सो गई थी … क्या हुआ!

वो- यार मेरा लंड खड़ा है. बोलो तो मम्मी के कमरे से चाभी चुरा कर आ जाऊं … जल्दी से चोद कर चला जाऊंगा.
भाभी- नहीं फर्श पर पास ही आलोक सो रहा है.

भैया- तुम उसकी चिंता ना करो, वो मेरे कमरे में आकर सो जाएगा.
भाभी- नहीं मुझे नहीं करना, अब शादी के बाद ही होगा सब. मैं सो रही हूँ बाय.

मैं भाभी का चेहरा देख रहा था. एकदम गुस्से से लाल था.

भाभी ने आज मुझसे चुदने के लिए अपने मंगेतर को मना कर दिया था.

वो बोलीं- साला भैनचोद … जल्दी चोदकर जाने की बोल रहा था. उसे नहीं पता कि हर लड़की अपना पहला सेक्स हमेशा याद रखती है. पहले तो मुझे गोली खिला कर गर्म कर गया और अब मादरचोद जल्दी चोदने की बात कर रहा है भोसड़ी का.

मैं बस अपनी किस्मत को सराह रहा था.

भाभी मुझे गले लगाकर बोलीं- मैं तुम्हारा ये एहसान कभी नहीं भूलूंगी. अगर आज मैंने रिलेश के साथ पहली चुदाई की होती … तो मुझे पता ही नहीं चलता कि इस खेल में इतना मजा भी आ सकता है.

मैं बोला- भाभी आपकी अनुमति हो, तो आगे की कार्यवाही शुरू की जाए!
वो हंसते हुए बोलीं- जी जहांपनाह … दासी आपके खड़े लंड की सेवा में अपनी खुली चूत लेकर हाजिर है.

मैं भी भाभी की इस अदा का कायल हो गया.
मैंने भाभी की चूत पर बहुत सारा शहद टपका दिया और सपड़ सपड़ करके चुत चूसने लगा.

भाभी ने अपने दोनों पैरों से मेरी गर्दन को जकड़ लिया और चूत पर मेरा मुँह दबाने लगीं.
मैं अपनी जीभ से कभी चूत के दाने को चाटता, कभी कभी होंठों में लेकर चूस लेता.

भाभी- आहहह जान जल्दी से चोद दो मुझे … अब नहीं सहन हो रहा. मेरी चूत की आग बुझा दो मेरे शेर!

मैंने भी देर करना ठीक नहीं समझा. अपना लम्बा लंड चूत पर रगड़ने लगा.

मेरे पास कन्डोम नहीं था, तो भाभी बोलीं- तुम ऐसे ही चोद दो … मैं दवा ले लूंगी.

मैंने अपने लंड पर थूक लगा कर चुत में घुसाया.
तो उन्हें दर्द हुआ. वो कराहने लगीं.

मैं रुक गया, तो भाभी बोलीं- तुम तो डाल दो पूरा अन्दर … मेरी तरफ मत देखना … मुझे कितना भी दर्द हो.
मैंने ओके कहा और भाभी ने अपनी ब्रा मुँह में डाल कर मुझे इशारा कर दिया कि चोद दो.

मैंने भी अपने लंड पर बहुत सारा थूक लगा कर जोर का धक्का दे मारा.
मेरा आधा लंड चूत में घुस गया. भाभी की आंखों से आंसू और चुत से खून निकल रहा था.

मैं उनको कम दर्द देकर प्यार से चोदना चाहता था. लेकिन भाभी ने बोला- तुम मेरे दर्द को मत देखो … बस चोदते रहो.

मैंने 10-15 जोर से धक्के मारे और रुक गया.

मैं पूरा लंड चुत के अन्दर ही रख कर भाभी को किस करने लगा.

थोड़ी देर में भाभी ने बोला- अब दर्द कम है … अब जंगली बनकर चोदो.
मैं लंड को पूरा जड़ तक घुसा कर भाभी की चुत चोदने लगा.

वो- आह मेरी जान बहुत मजा आ रहा है … और जोर से करो.
मैंने अपनी स्पीड तेज कर दी.

सच में भाभी की चुत बहुत टाईट थी. चुदाई करने में मजा आ रहा था.

कुछ देर में भाभी बोलीं- जान और तेज करो … आह मुझे कुछ हो रहा है.
मैंने और जोर से धक्के लगाने शुरू कर दिए.

बस भाभी आहहहहहह करते हुए झड़ गईं. मेरा हुआ नहीं था तो मैं धक्के लगाता रहा. फिर 15 मिनट बाद मेरा निकलने वाला था, तो मैंने लंड को बाहर निकाल कर हाथ से अपना वीर्य नीचे फर्श पर गिरा दिया.

भाभी ने मुझे सिर पर चूमा और बोलीं- जिस तरह का सेक्स मैं चाहती थी, उससे कहीं ज्यादा मजा तुमने दिया.

उसके बाद हमने एक बार और चुदाई की.

सुबह पांच बचे रिलेश का फोन आया कि जल्दी नीचे आ जाओ, मम्मी पापा घूमने निकल गए हैं.

भाभी ने जाते हुए मुझे हग किया और बोलीं- मुझे भूल ना जाना. अब मैं तुमसे चुदे बिना रह नहीं पाऊंगी.

फिर शादी हो गई. शादी के बाद मैंने मौका पाते ही भाभी को खूब चोदा.

मैं अब भी भाभी से मिलने जाता हूँ और उनको चोद कर ही आता हूँ. क्योंकि भाभी मुझे उसी समय बुलाती थीं, जब वो घर में अकेली होती थीं.

मेरी कुंवारी Xxx चुत कहानी आपको अच्छी लगी या नहीं? मेल जरूर कीजिएगा.
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