कुंवारी लड़की को सुनसान बिल्डिंग में चोदा
(Kunwari Ladki ko Sunsan Building Me Choda)
नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम सचिन है। मेरी उम्र 26 साल है। मैं मुंबई का रहने वाला हूँ। दरअसल मेरी कुछ कहानियाँ पहले अन्तर्वासना पर प्रकाशित हुई थी।
मेरी पिछली कहानी थी
पापा के दोस्त की बेटी संग पिकनिक में चूत चुदाई
आज फिर एक बार मैं एक सच्ची कहानी लिखने जा रहा हूँ।
ये उस वक्त की बात है जब सरकार की तरफ से हमारी बिल्डिंग का पुनःनिर्माण किया जा रहा था। वैसे काम तो पूरा हो चुका था लेकिन कुछ तकनीकी कारणों की वजह से हमें रहने के लिए अभी तक उस बिल्डिंग में कमरे अलॉट नहीं कर रहे थे। बिल्डिंग के पास एक चौकीदार हमेशा चौकीदारी के लिए रहता था. चूंकि मैंने उसके साथ दोस्ती कर ली थी तो मैं कभी भी उस बंद बिल्डिंग में जा सकता था।
उस वक्त मैं मेरी ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रहा था और मेरी लास्ट इयर की परीक्षा होने में दो माह का अवकाश बचा हुआ था। मैं अक्सर उस बिल्डिंग में जाकर पढ़ाई करता था। हमारी बिल्डिंग जहां बनी है उसके एक तरफ बीस फीट पर पहाड़ी सी है जिस पर स्लम एरिया में लोग रहते हैं। मैं जब भी बिल्डिंग में जाता तो एक तरफ की पहाड़ी के घर मुझे सामने ही दिखाई देते थे.
एक दिन सामने के स्लम वाले घर में, जो कि दो मंजिल का मकान था, मैंने एक लड़की को वहाँ कपड़े सुखाते देख लिया। उसका कद पाँच फीट के करीब था, रंग सांवला था उसका मगर दिखने में आकर्षित करने वाले खूबसूरत नैन-नक्श लिए हुए थी। उसकी उम्र 19 साल थी। उसके शरीर में जवानी अभी भर-भर के आ रही थी।
कुछ ही पल में वो फिर से अंदर चली गयी। लेकिन उस दो पल के उसके दर्शन में ही मेरे मन ने उसके बारे में मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया। जब मैं पढ़ाई ख़त्म करके बिल्डिंग के बाहर आया तो मुझे वो लड़की फिर से मेरी नजरों के सामने से गुजरती हुई दिखाई दे गयी.
वो लड़की मुझे चार-पांच दिन तक लगातार वहाँ दिखती रही। मन करता था कि उससे कुछ बात करने का बहाना मिले मगर ऐसा संभव नहीं था क्योंकि मैं ठहरा एक अन्जान लड़का। फिर एक दिन मैंने हिम्मत करके उसको स्माइल दी। उसने भी मुझे कई बार देखा होगा इसलिए उसने भी स्माइल किया। हालांकि मुझे बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि वो मेरी स्माइल का जवाब स्माइल से ही देगी.
मैंने उसका नाम पूछा तो उसने अपना नाम कंचन (बदला हुआ) बताया। फिर यूं ही अक्सर हमारी मुलाकात हो जाती थी लेकिन ज्यादा बात नहीं हो पाती थी। लेकिन मेरे दिमाग में कुछ अलग ही चल रहा था। मैं उससे मिलना चाहता था, बातें करना चाहता था। शायद मैं उसे चाहने लगा था।
एक दिन मैं दूसरी मंजिल पर पढ़ाई कर रहा था जहां से उसके घर की बालकनी और दूसरी मंजिल वाला कमरा बिल्कुल साफ नज़र आ रहा था। कुछ ही समय के अंतराल के बाद मैंने कंचन को उस कमरे में आते हुए देखा। उसके साथ उसकी ही उम्र का कोई लड़का और उसकी सहेली थी। वो उनके साथ बातें कर रही थी। मैं बहुत ध्यान से उसी तरफ देख रहा था। कुछ वक्त के बाद उसकी सहेली वहाँ से चली गई और पूरा नज़ारा ही बदल गया।
उस दूसरी लड़की के जाने के बाद उस लड़के ने अपनी पैंट उतारी और कंचन के सामने अंडरवियर में खड़ा हो गया। फिर देखते ही देखते उसने अपना कच्छा भी उतार दिया और वो नीचे से नंगा हो गया. उसका लंड तन कर खड़ा होने लगा था. उसने अपने लंड को अपने हाथ में लेकर हिलाया और जल्दी उसका लंड पूरा का पूरा तन गया.
उसके इशारे पर कंचन भी नीचे बैठ कर उसके लंड के साथ खेलने लगी और उसे चूमने लगी। उसे उस लड़के के साथ ऐसे करते देखते हुए मुझे थोड़ा दुःख हुआ क्योंकि मैं तो खुद ही चाहता था कि उस लड़के की जगह मैं हो पाता, लेकिन मैं फिर भी उसी तरफ देखता रहा। कंचन ने उसके लंड को चूसना शुरू ही किया था कि वह लड़का फिर रुक गया. उसने लंड को बाहर निकाल लिया.
वो लड़का शायद झड़ गया था क्योंकि वो अपने रुमाल से लंड को पकड़ कर साफ़ कर रहा था और कंचन वहां से बाहर निकल गयी। मैं भी अपनी पढ़ाई ख़त्म कर के वहां से निकल गया। मैं बिल्डिंग से आ तो गया लेकिन पूरी रातभर वो सीन मुझे बार-बार याद आता रहा। मैंने पहली बार उस रात को कंचन के नाम की मुट्ठ मारी और सो गया।
अब मैं कंचन के मिलने का इंतजार कर रहा था मगर वो मुझे दो दिन तक दिखी ही नहीं। फिर अचानक वो मुझे बाजार में सब्जी लेते वक़्त दिखी। मैं भी उसी ठेले पर सब्जी लेने गया जहाँ से वो सब्जी ले रही थी. ये उससे बात करने का अच्छा मौका था और मैं इस मौके को हाथ से जाने नहीं देना चाहता था.
मैंने तुरंत उसको आवाज़ दी- कैसी हो कंचन?
उसने मुझे देखा और बोली- अरे सचिन तुम!
मैंने उससे कहा- मुझे उससे कुछ बात करनी है।
सब्जी खरीदने के बाद हम बाजार के नुक्कड़ पर खड़े होकर बात करने लगे।
उसने मुझसे पूछा- कहो! तुम क्या कहने वाले थे?
मैं- हाँ, वो ऐसे ही तुमसे बात करनी थी।
इतना कह कर मैं सोचने लगा कि इससे क्या कहा जाये?
उसने फिर से पूछा- बोलो ना?
मन बना कर मैंने उससे कहा- कंचन, मैंने उस दिन तुम्हारे घर की दूसरी मंजिल पर तुम्हें उस लड़के के साथ देख लिया था।
यह सुन कर वो एकदम से चौंक गयी।
वो बोली- कौन लड़का? उसने पूछा।
“वही जिसके साथ तुम कुछ कर रही थी। मैंने बिल्डिंग से तुम्हें देख लिया था.” मैंने उसे याद दिलाते हुए कहा।
जब वह जान गयी कि अब उसका राज़ खुल चुका है तो उसका चेहरा उतर गया और वो डर गयी। लेकिन वो कुछ कहे इतने में मैंने उससे कहा- देखो तुम डरो मत, मैं किसी को कुछ नहीं बताऊंगा।
कंचन ने मेरी तरफ अविश्वास की नजरों से देखा. उसके चेहरे पर घबराहट साफ-साफ दिखाई दे रही थी.
मैंने कहा- ऐसा करते हैं कि तुम अपना फोन नम्बर मुझे दे दो और मेरा भी ले लो. अगर तुम्हें मुझ पर भरोसा नहीं हो रहा है तो मैं फोन पर तुम्हें अच्छे तरीके से समझा दूंगा.
हड़बड़ाहट में उसने फोन नम्बर मुझे दे दिया. उसने घर जाकर मुझे मेसेज किया- सच में तुम किसी को कुछ नहीं बताओगे न?
मैंने कहा- मैं वादा करता हूँ कि मैं किसी को कुछ नहीं बताऊंगा लेकिन एक बात तुमको भी माननी पड़ेगी मेरी.
वो बोली- कहो.
मैं कुछ बताऊंगा नहीं, लेकिन क्या वो सब तुम मेरे साथ कर सकती हो जो तुम उस लड़के के साथ कर रही थी?
उसने रिप्लाय किया- मैं पहली बार ऐसा कुछ कर रही थी और वो भी मेरी सहेली के कहने पर। प्लीज किसी को कुछ बताना मत।
उस रात हम दोनों में देर तक बात होती रही और अंतत: मैंने भी उसे एक बार मिलने के लिए मना लिया।
दूसरे दिन जब मैं बिल्डिंग में गया तो वहाँ पर चौकीदार पहले से मौजूद था। मेरी दोस्ती इतनी थी कि मैं वहां उस बिल्डिंग में आराम से जा सकता था, लेकिन वह दोस्ती इतनी भी गहरी नहीं थी कि किसी लड़की को ले जाऊं। मैंने वहाँ जाकर कंचन को आने के लिए तैयार रहने को कहा.
उसके बाद मैं चौकीदार के पास आकर बैठ गया। दस मिनट बात करने के बाद चौकीदार हर रोज की तरह मूतने चला गया और मैंने उतने वक्त में ही कंचन को बुला लिया. कंचन को बिल्डिंग में जाकर तीसरी मंजिल पर रुकने को कहा। जैसे ही चौकीदार वापस आया मैं भी पढ़ाई के बहाने बिल्डिंग में चला गया।
कंचन तीसरी मंजिल पर मेरा इंतजार कर रही थी। मैं उसे लेकर सातवीं मंजिल पर गया जो कि बिल्डिंग की आखरी मंजिल थी। वहाँ जाकर कंचन ने फिर से मुझसे रिक्वेस्ट करना शुरू किया कि मैं किसी को कुछ न बताऊं। मैंने उसे विश्वास दिलाते हुए अपनी बांहों में भर लिया और उसको किस करने लगा।
कुछ देर में वो भी मेरा साथ देने लगी। मैं एक हाथ उसके उभरते हुए संतरों के आकार के जितने स्तनों पर ले गया और उनको कपड़ों के ऊपर से ही से धीरे-धीरे दबाने लगा। उसके साथ पहली बार ये सब हो रहा था। इसलिए वो इतने में ही सी … सी … सी … सी … आह … की तरह की मादक सिसकारियां भरने लगी। मैंने उसके टॉप में हाथ डाल कर उसके मम्मों को पकड़ लिया और दबाने लगा।
मैंने उसे टॉप उतारने को कहा। लेकिन वो डर रही थी क्योंकि हम एक अंडर कंस्ट्रक्शन वाली बिल्डिंग में थे। मेरे विश्वास दिलाने पर वो मान गयी और फिर मैंने ही अपने हाथों से उसका टॉप उतार दिया। उसने ब्रा नहीं पहनी थी तो उसके संतरे मेरे सामने आजाद होते ही नंगे हो गए। मैं उसकी एक चूची मुँह में लेकर चूसने लगा।
वो और कामवासना से मदहोश होती जा रही थी। कंचन के मुंह से निकलने वाली आवाजें तेज हो गई थीं। अच्छा हुआ कि हम सातवीं मंजिल पर थे और वहाँ की आवाज नीचे बैठे चौकीदार तक नहीं पहुंच सकती थी। मैंने एक के बाद एक उसके संतरों को चूसना और दबाना शुरू किया.
काफी देर तक उसकी रसीली चूचियों को चूसने के बाद मैंने उसे नीचे बिठाया और मेरी पैन्ट की जिप खोल दी।
पैंट की चेन खोलने के बाद मैंने उससे कहा- निकाल लो अब बाहर मेरा हथियार और वही करो जो तुम उस दिन उस लड़के के साथ कर रही थी।
उसने मेरी पैंट की खुली हुई चेन के अंदर अपना हाथ डाल दिया, मेरा लौड़ा पहले से ही तना हुआ था. उसका हाथ सीधा मेरे लंड पर जाकर लगा. एक बार तो लंड पर हाथ लगते ही वह दो पल के लिए रुकी मगर फिर उसने मेरे अंडरवियर के कट को टटोलते हुए मेरे अंडरवियर के अंदर अपना हाथ पहुंचा दिया.
उसका नर्म-कोमल हाथ जैसे ही मेरे लंड पर लगा तो मुझे कमाल का अहसास हुआ। मेरे मुंह से इस्स्स … करके एक तेज आवाज़ निकल गई.
उसने मेरे अंडवियर के कट से मेरे लंड को खींच कर बाहर निकाल लिया और जैसे ही मेरा लंड बाहर आया तो वह मेरे तने हुए 6 इंच के लंड को कई पल तक देखती रही. उसके मुंह से निकल गया- तुम्हारा तो काफी बड़ा है!
मैंने कहा- जितना बड़ा होगा, तुम्हें मजा भी उतना ही देगा.
उसने मेरे लंड को एक बार चूमा ही था कि मैंने उसके सिर को पकड़ कर अपना लंड उसके मुंह में घुसा दिया. ऐसा मैंने इसलिए किया क्योंकि मुझसे अब रुका नहीं जा रहा था. मैं बहुत दिनों से कंचन की तरफ आकर्षित था और आज जब वो मेरे साथ यह सब करने के लिए तैयार हो गई थी तो मेरा सब्र हर पल कम होता जा रहा था. मैं कंचन के साथ पूरे मजे लेना चाहता था.
उसके मुंह में लंड को घुसेड़ कर मैंने अपने लंड को आगे-पीछे करना शुरू कर दिया. अब वो मेरे लंड को चूसने लगी थी और मुझसे पूरी तरह खुल गई थी. वो मेरे लंड को चूसने और चाटने में पूरी मेहनत कर रही थी. शायद उसका यह अनुभव पहली बार ही था. इसलिए वो अपनी तरफ से कोई कमी नहीं छोड़ना चाहती थी. मगर जो भी था वो मुझे बहुत मजा दे रही थी.
मैंने पूछा- इससे पहले भी तुमने किसी का मुंह में लिया है क्या?
उसने लंड को अपने मुंह से बाहर निकाला और बोली- मैंने आपको बताया तो था कि उस दिन मैंने पहली बार किसी के साथ ऐसा किया था. वैसे मेरी सहेली ने कई बार मुझे नंगी फिल्में दिखाई थीं इसलिए मुझे ये सब करने के बारे में पहले से पता था.
बस अब तो मैं भी जान गया था कि वह बिल्कुल कुंवारी चूत है. मुझे बस उसकी चूत का रिबन काट कर उसकी चूत का उद्घाटन करना था. इसकी तैयारी मैं पहले से ही करके आया था. मैंने बैग में दो-तीन नैपकिन पहले से रखे हुए थे और एक तौलिया भी रखा हुआ था.
मैंने कंचन को वहीं जमीन पर लेटा दिया और उसकी सलेक्स उतार दी. नीचे से सलेक्स उतरने के बाद वो पैंटी में पड़ी थी.
मैंने उसकी पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत पर हाथ फिराना शुरू कर दिया. मेरा एक हाथ उसकी चूत को सहलाने में लगा था और ऊपर की तरफ मैं उसके चूचों को चूस रहा था. उसकी कामुक सिसकारियाँ अब मेरे अंदर के जोश को बढ़ा रही थी. कुछ ही देर में उसकी पैंटी गीली होना शुरू हो गयी. मैंने उसकी गीली पैंटी को उतार दिया और कंचन मेरे सामने पूरी नंगी लेट गई.
उसकी चूत एकदम सनी हुई थी लेकिन उसने चूत को क्लीन शेव किया हुआ था। उसकी चूत को देख कर लग रहा था कि वो भी पूरी तैयारी में आयी हो। मैंने एक उंगली उसकी चूत में डाली और वो छटपटाने लगी लेकिन मैं नहीं रुका। मैं उंगली को और अंदर डालता रहा। उसे दर्द हो रहा था। मैं बीच-बीच में उसकी योनि पर हाथ फेर कर फिर से उंगली डाल देता था. मेरे बार-बार ऐसा करने के कारण उसकी चूत ने जल्दी ही पानी छोड़ दिया.
उसकी वासना शांत होने लगी थी लेकिन मैं फिर भी नहीं रुका. जब उसकी चूत से सारा पानी बाहर आ गया तो चूत एकदम से चिकनी हो गई और मेरी उंगलियाँ अब अच्छी तरह से अंदर और बाहर होने लगीं.
इसी मौके का फायदा उठाते हुए मैंने अपने लंड को एकदम से उसकी योनि के प्रवेश द्वार पर रख दिया और उसकी चूत के दाने पर रगड़ते हुए उसकी चिकनी चूत के स्पर्श का मजा लेने लगा. मेरे ऐसा करने से वो जल्दी ही फिर से गर्म हो गई. मैंने उसके बाद थोड़ा सा लंड उसकी चूत के मुंह पर रखा और एक इंच तक अंदर डालकर उसके होंठों को चूसने लगा.
उसके मुंह से ऊंह … ऊंह … की आवाज बाहर निकलने की कोशिश कर रही थी मगर मेरे होंठ उसके होंठों से मिले हुए थे इसलिए उसकी आवाज को अंदर ही दबा कर रख रहे थे. वो दर्द से कसमसा रही थी. मगर मैंने प्रयास जारी रखा और धीरे-धीरे करके उसकी चूत में लंड को अंदर तक प्रवेश कराता रहा.
कंचन ने पूरी जान लगा कर मुझे दूर धकेलने की कोशिश की और काफी जोर लगाने के बाद वह अपनी इस कोशिश में कामयाब भी हो गई.
जब मेरा लंड उसकी चूत से बाहर आया तो वह खून से लथपथ था। उसकी आँखों में पानी था और उसका दर्द उसके चेहरे से साफ़ दिखाई दे रहा था। मैंने उसे टॉवेल दिया और चूत साफ़ करने को कहा। अपनी चूत को साफ करते-करते उसने आधा टॉवेल खून से लाल कर दिया।
मैंने उसे दोबारा से उसी पोजीशन में आने के लिए कहा मगर वो दर्द होने के कारण डर गई थी और लंड को अंदर लेने से मना करने लगी. मेरे बहुत समझाने के बाद भी वह बड़ी मुश्किल से लंड को दोबारा चूत में लेने के लिए तैयार हुई. उसने शर्त रख दी कि अबकी बार मैं धीरे से करूंगा तो ही वह लंड को चूत में अंदर लेगी.
जब मैंने दोबारा से लंड को अंदर डालना शुरू किया तो वह फिर से छटपटाने लगी. मगर अबकी बार मैं उसकी सहूलियत के हिसाब से ही लंड को अंदर कर रहा था. जैसे जैसे लंड अंदर जाता गया मेरा लौड़ा उसके खून से फिर से लाल हो गया. मगर मैं उसकी कुंवारी चूत में लंड को अंदर-बाहर करता रहा.
मेरी कोशिश सफल रही और थोड़ी ही देर में उसके मुंह से उम्म्ह… अहह… हय… याह… की कामुक आवाजें निकलने लगीं. वह अब मेरे लंड को आराम से अपनी टाइट चूत में लेते हुए चुदने लगी. उसको मजा आने लगा और मेरे मजे के बारे में तो आपको मैं क्या बताऊं.
मैं तो जैसे जन्नत की सैर कर रहा था. कुंवारी चूत को चोदने का मजा होता ही अलग है.
फिर मैंने धीरे-धीरे अपनी गति बढ़ाई और तेजी के साथ उसकी चूत की चुदाई करने लगा. मेरे धक्कों से पच्च-पच्च की आवाज वहाँ पर गूंजने लगी. चूत बहुत ही ज्यादा टाइट थी इसलिए आनंद विभोर होकर मेरे लंड ने जल्दी ही वीर्यपात उसकी चूत में कर दिया. चुदाई के दौरान वो भी दूसरी बार झड़ चुकी थी.
कसम से दोस्तो, उसकी कुंवारी चूत चोद कर मजा आ गया.
मेरे लंड से चुदने के बाद उसने अपनी चूत को साफ किया. मैंने अपनी पैंट को ऊपर कर लिया और कंचन ने भी कपड़े पहन लिये. अब चौकीदार फिर बीच में आ रहा था. मैं नीचे गया और उसको इधर-उधर की बातों में लगा लिया. इतने में कंचन चुपके से बाहर निकल गई.
उसके निकलने के बाद मैंने कंचन को उसके घर के पास तक छोड़ दिया. एक बार मेरे लंड से चुदने के बाद उसको भी चुदाई का चस्का लग गया. फिर तो मैंने उसको कई बार चोदा.
उसके साथ मैंने और किस-किस तरह से चुदाई की वह सब मैं आपको अगली कहानी में बताऊंगा.
इस कहानी के बारे में आप अपनी राय जरूर मुझे दें. आपकी राय मुझे आपके लिए और गर्म कहानी लिखने के लिए प्रेरित करेगी. आपके सुझावों के लिए मैंने अपनी मेल आई-डी नीचे दी हुई है. आप कहानी पर कमेंट भी कर सकते हैं.
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