कुंवारी पड़ोसन माल से पहले दोस्ती फ़िर चुदाई
(Kunvari Padosan Mal Se Dosti Me Chudai)
मैं अपनी कहानी आप सबके साथ साझा करना चाहता हूँ। यह कहानी ग्रेटर नॉएडा से है.. मैं एक कम्पनी में काम करता था.. मेरा घर ग्रेटर नॉएडा में ही है..
मेरे घर के सामने वाले घर में एक अकेली किराएदार लड़की जिसका नाम दीपा है वह बहुत खूबसूरत थी। उसकी चूचियाँ बहुत मोटी और बहुत उत्तेजित करने वाली थीं।
उसे देखने पर मेरे मन में एक ही ख्याल आता था कि किसी तरह उसको फ्रेण्ड बना कर उसकी चूत को किसी तरह मारी जाए।
इसी ख्याल से मैंने उससे हाय हैलो करनी शुरू की और उससे बात होने लगी।
उसने बताया कि वह यहाँ एमटेक करने आई है.. वह ग्रेटर नॉएडा की नहीं है.. उसने अपना घर कासगंज में बताया था।
एक दिन मेरी कम्पनी की छुट्टी थी, मैं घर के बाहर बैठा था.. तो मुझे दीपा दिख गई, मैं उससे बातें करने लगा।
उससे खुलने के लिये मैंने हिम्मत करके उससे पूछा- दीपा क्या तुम्हारा कोई ब्वॉयफ्रेंड है?
उसने गहरी नजर से मेरी तरफ देख कर कहा- मुझे क्या समझा है तुमने.. क्या तुम्हें मैं इस प्रकार की लड़की लग रही हूँ?
मैंने कहा- नहीं.. मैं तो यूँ ही पूछ रहा था.. आपको बुरा लगा तो सॉरी।
उसने जबाब में कहा- कोई बात नहीं.. ओके.. मैंने माफ़ किया।
फिर मैंने पूछा किया- आप मेरी गर्लफ्रेण्ड बनोगी?
वो थोड़ी घबरा गई- नहीं.. नहीं.. मैं तो बस यहाँ पर पढ़ने आई हूँ.. मैं गलत-सलत काम नहीं करती हूँ।
‘हाँ.. मुझे पता है.. तुम पढ़ने आई हो.. पर दोस्त बनाना कोई गलत काम नहीं होता है..’
यह सुन कर उसका चेहरा लाल हो गया और वो कहने लगी- नहीं.. मैंने तो बस आपसे बात कर ली.. आप मेरा गलत फायदा उठाना चाहते हो।
‘नहीं आप गलत समझ रही हो.. ऐसा नहीं है..’
फिर मैंने उसको अपना फोन नंबर यह कहते हुए दे दिया- आपको कोई जरूरत हो तो मुझे बताना.. शायद मैं आपकी कोई मदद कर सकूं.. मुझ अच्छा लगेगा.. ओके..
‘ओके..’
रात होते ही मुझे दीपा की चूचियाँ याद आने लगीं और पूरी रात मुझे नीद नहीं आई।
जब सुबह मैं जागा और कम्पनी गया वहाँ पर भी मेरा मन दीपा का भरा हुआ शरीर का भोग करना चाहता था.. मेरा मन नहीं माना।
मैं कम्पनी से बीमारी का बहाना करके घर पर वापस आ गया।
अपने घर पर आकर मैं कपड़े उतार रहा था.. तभी दीपा मेरे घर पर आ गई।
मेरा लिंग दीपा की याद में तना हुआ था।
दीपा घर पर आई और मुझे कपड़े उतारते देख कर बोली- सॉरी.. मैं गलत समय आ गई..
मैं- आओ दीपा.. घर आ गई हो तो बैठो.. तुम कॉलेज नहीं गईं आज?
दीपा- नहीं.. गई थी.. पर कोई क्लास नहीं थी.. इसलिए वापस आ गई।
मैंने कहा- ओके..
दीपा मुझे कपड़े उतारते वक्त मुझे देख रही थी, उसकी नजर मेरे तने हुए लिंग पर थी।
दीपा बोली- आज कम्पनी से जल्दी आ गए.. क्या बात है?
मैं- नहीं.. कोई ख़ास बात नहीं है।
फिर कुछ देर रुकने के बाद दीपा अपने रूम पर चली गई और थोड़ी देर बाद दीपा की कॉल आई- क्या आप मेरे रूम पर आ सकते हैं.. मुझे आपसे कुछ काम है।
मैं मन ही मन बहुत खुश था कि आज कोई बात बन सकती है।
मैं उसके पास गया तो बोली- लड़का और लड़की में क्या फर्क है?
मैंने कहा- क्या मतलब?
तो दीपा ने बात बदल दी।
दीपा ने कहा- क्या मैं जान सकती हूँ कि आप मेरे दोस्त क्यों बनना चाहते हैं?
‘बस यूं ही मुझे आप अच्छी लगती हो सो मैंने आपसे दोस्ती करना चाही। अगर आप चाहें.. तो..’
‘ओके फ्रेण्डस…’
मैं खुश हो गया- ओके फ्रेण्डस!
मैं वाकयी बहुत खुश था।
अब हमारी दोस्ती जम गई और अब हम दोनों फोन पर बात करते रहते थे।
बहुत हँसी-मजाक होने लगे थे।
एक दिन दीपा की तबियत ख़राब हो गई.. तो मैंने दीपा से फोन पर पूछा- क्या हुआ है दीपा?
बात ही बात में उसने बताया- कुछ खास नहीं.. बस पीरियड चल रहे हैं।
मैंने कहा- ओके.. ये कब बंद होंगे?
ये बात सुनते ही वह शरमाई और कहा- तुमसे मैंने क्या बता दिया..
मैंने कहा- अच्छे दोस्त आपस में सभी बात कर सकते हैं और जो भी तुम मुझसे पूछना चाहती हो.. पूछ सकती हो।
उसने कहा- जैसे क्या?
‘कुछ भी..’
उसने कहा- एक सवाल पूछूँ?
‘हाँ पूछो?’
‘आदमी के नीचे जो होता है… उसे क्या कहते हैं?’
मैंने कहा- हम सभी उसे लिंग कहते हैं। लड़की को जीवन का सुख यहीं से मिलता है।
दीपा- वो कैसे?
‘जब पास आओगी.. तभी बताऊँगा..’
उसने फोन काट दिया।
उसके बाद दीपा ने मुझसे तीन दिन तक बात नहीं की।
फिर चौथे दिन मैं उसके कमरे पर गया, उसने मुझे आते देख कर कमरे का दरवाजा खोला और कहा- आओ..
मैं अन्दर गया तो उसने अन्दर से दरवाजा बंद कर लिया।
कहा- बैठो.. मैं आती हूँ..
मैं बैठ गया।
मेरे मन में उसकी चूत मारने की ललक थी।
तभी दीपा आई और मेरे सामने बैठ गई। उसकी याद में मेरा लण्ड.. जोकि 6 इंच लंबा और 3 इंच मोटा है एकदम खड़ा हो चुका था। वो मेरे खड़े लंड को ही देख रही थी।
उसने मुझसे इशारा करते हुए पूछा- यह क्या है..? क्या मैं इसे देख सकती हूँ।
मैंने कहा- हाँ जरूर..
मेरा मन बहुत खुश था कि बात बन गई.. आज तो मैं दीपा की चूत मार सकता हूँ।
दीपा ने पूछा- इससे लड़की को क्या सुख मिलता है?
मैंने कहा- जब किसी लड़की की सेक्स की इच्छा होती है तब उसकी इसी इच्छा को लिंग ही पूरा कर सकता है।
‘हम्म..’
मैंने दीपा से पूछा- क्या तुम्हारा मन नहीं करता.. यह सब करने का?
‘करता तो है.. पर डर भी लगता है.. मैंने सुना है कि इस सबमें दर्द बहुत होता है..’
‘पर मजे भी तो आते है डियर..’
मैंने देखा वो हँस रही थी और गर्म हो रही थी.. यहाँ मेरे लोअर में भी हलचल मचने लगी।
‘अगर तुम चाहो.. तो मैं तुम्हें वो मजे दे सकता हूँ।’
मैंने देखा वो अब भी शरमा रही थी।
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‘पर कुछ प्रोब्लम होगी तो..?’
‘नहीं.. कुछ नहीं होगा.. बोलो।’
‘पर मुझे कुछ नहीं पता.. ये सब कैसे होता है..’
‘मैं तो सब जानता हूँ ना।’
वो मुस्कुरा दी और मैं भी हँसने लगा.. बस आज मुझे दीपा को चोदने का मौका मिल गया था।
मैं उठा और उसका हाथ पकड़ लिया.. वो एकदम से उठ गई।
मैंने उसको पीछे से पकड़ लिया।
वो शरमाने लगी..
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‘अगर पूरे मजे लेने हैं.. तो शरमाना छोड़ दो।’
उसका विरोध अब खत्म हो गया, मैंने उसके लबों पर चुम्बन शुरू कर दिया.. और बस वो मस्त होने लगी।
मैंने उसके चूचों को हल्का सा दबाया तो उसने आँखें बन्द कर लीं और मेरा हाथ पकड़ कर अपने सीने को दबवाने लगी। मेरे होंठ उसके होंठों से अलग नहीं हो रहे थे और मैं उसके चूचों को भी दबा रहा था।
मैंने थोड़ा जोर से दबाना शुरू किया.. तो उसके मुँह से आवाज निकली- आ.. आ.. आ.. आह..
मुझे जैसे स्वर्ग मिल गया था.. आज मेरी मन की इच्छा पूरी जो हो रही थी। पंद्रह मिनट तक हम दोनों यूँ ही लगे रहे।
मैंने उसे बिस्तर पर गिरा दिया और उसकी सलवार में हाथ डालने लगा। उसने मेरा हाथ पकड़ लिया.. मैं छुड़ा कर उसकी सलवार खोलने लगा।
जैसे ही उसकी चूत पर मेरा हाथ लगा.. उसके मुँह से ‘आह’ निकल पड़ी। मैं उसकी चूत में हाथ से सहलाने लगा.. वो गीली हो चुकी थी.. मेरे लण्ड का भी बुरा हाल था।
मैंने जैसे ही उसके दाने को छेड़ा.. वो मेरा हाथ पकड़ कर दबाने लगी ‘आह ह हह.. आहह ह्ह ह..’
अब मुझसे नहीं रहा गया.. मैंने उसको उठाया और उसका कमीज उतारने लगा, वो कोई विरोध नहीं कर रही थी।
जिन चूचों को ढके हुए मैं देखता था.. आज वे मेरे हाथ में थे.. वो भी अधखुले और अधनंगे।
उसका दूध सा सफेद बदन देख कर मेरा लण्ड और भी तन गया।
वो अब ब्रा में ही थी.. उसके मम्मों देख कर मुझे ना जाने क्या हो गया.. मैं उसे ब्रा के ऊपर से ही चूमने लगा.. वो मस्त होती जा रही थी.. और आँखें बन्द कर मजे ले रही थी।
मैंने उसकी ब्रा के हुक खोल दिए मेरे सामने दो कबूतर ऐसे निकले जैसे उन्हें पिंजरे से आजाद कर दिया हो। मेरे होश उड़ गए.. क्या मस्त चूचियाँ थीं। इससे पहले मैंने कभी अपनी लाईफ में नंगी लौंडिया नहीं देखी थी। उसकी चूची के ऊपर हल्के भूरे रंग का एक रुपये के सिक्के जितना एरोला था।
मैंने हथेली से वहाँ दबाना शुरू किया.. तो वो मस्त होकर अपना सीना ऊपर उठाने लगी। मैंने दूसरे निप्पल पर चूमना शुरू किया.. तो वो और जोर से मस्त होकर आवाजें निकालने लगी।
मैं उसके लबों को अपने होंठों में लेकर चूसता रहा। फिर मैंने उसकी सलवार को पूरा उतार दिया और उसकी चूत पर अपना गर्म हाथ रखा तो मुझे लगा कि वहाँ पर तो मानो आग लगी है।
मैंने भी अपनी टी-शर्ट व लोअर उतार कर रख दिया, अब हम दोनों पूरे नंगे हो चुके थे।
उसने मुझे देख कर अपनी आँखें बन्द कर लीं।
उसकी चूत में इतना पानी आ गया कि मुझे अब कोई चिकनाई की जरूरत नहीं थी। वैसे भी चुदाई का मजा लेना हो.. तो बिना कन्डोम के.. और बिना तेल के ही लेना चाहिए। बस लौंडिया की चूत के पानी में चुदाई करो.. देखना क्या मजा आता है।
मैंने उससे कहा- मेरा लण्ड पकड़ो।
वो उसे पकड़ कर मेरी मुठ मारने लगी, मुझे मजा आ रहा था।
कुछ देर बाद मैंने उसकी टांगों को खोला.. उसकी छोटे भूरे बालों वाली चूत देखी.. क्या माल था यार..
मैं उसके ऊपर लेट गया और उसकी चूत के बाहर अपना लंड रगड़ने लगा। मेरे लंड का टोपा उसकी चूत के पानी से गीला हो गया। मैंने उसकी चूत पर अपना लंड रखा और दबाने लगा।
मुझे समझ में आ गया था कि उसकी टाईट चूत में लौड़ा घुसाने में थोड़ी जान तो लगानी पड़ेगी.. सो मैंने ताकत लगा दी।
उसके मुँह से आवाज आई- आ.. आह.. आ..
मैंने उसे चुम्बन करना शुरू कर दिया.. ताकि उसके मुँह से आवाज ना आए।
उसने कहा- मुझे दर्द हो रहा है।
‘थोड़ा सा होगा बस.. फिर नहीं होगा।’ मैंने कहा।
‘आराम से करना प्लीज।’
‘ओके.. तुम बस आवाज मत करना।’
फिर मैंने जैसे ही लौड़े को दबाया.. वो अपने चूतड़ जोर-जोर से हिलाने लगी। मैंने उसे कस कर पकड़ा और जोर से एक धक्का लगाया, मेरा पूरा लंड उसकी चूत में घुस चुका था।
‘आ.. आअ.. आह.. मुझे दर्द हो रहा है.. बाहर निकालो इसे।’
वो पागल सी हो गई और मुझे दूर करने लगी। मैंने उसे पकड़ ही रखा था.. वो नहीं छुड़ा पाई.. मैं रूका और कहा- बस अब नहीं होगा..
मैंने फिर आराम से झटके मारने शुरू किए.. वो अब भी कसमसा रही थी.. पर अब कम था।
मैं आराम से उसे चोद रहा था.. फिर मैंने थोड़ा तेज धक्के मारे.. तो वो और आवाज करने लगी।
गाण्ड तो मेरी भी फट रही थी कि इसकी आवाज सुन कर.. कोई आ ना ज़ाए।
पर चुदाई में सब कुछ भूल जाते हैं।
मैं रुका और उसके मम्मों को चूसने लगा.. अब उसे भी मजा आ रहा था। फिर मैंने एक और जोरदार धक्का मारा मेरा लंड पूरा फिर उसकी चूत में घुस गया। वो फिर से मचलने लगी.. पर अब मैं रहम के मूड में नहीं था।
मैंने पूरे जोर से धक्के मारने शुरू कर दिए, उसके नाखून मेरी कमर में गड़ रहे थे.. बस 3-4 मिनट के बाद उसकी आवाज में मजा आने लगा।
अब वो भी मजे लेकर चुदवा रही थी।
मैंने पूछा- अब दर्द हो रहा है?
‘नहीं.. तुम बात मत करो.. बस करते रहो..’
बस मैं भी मजे लेकर उसके ऊपर होकर चुदाई कर रहा था।
दस मिनट बाद उसने मुझे कस कर पकड़ लिया और अपनी तरफ भींचने लगी.. उसकी चूत पानी छोड़ रही थी। मैंने और तेजी से लंड को चलाना शुरू कर दिया।
उसने मुझे तब तक नहीं छोड़ा.. जब तक वो पूरा नहीं झड़ गई।
दो मिनट के बाद वो कुछ ढीली सी हो गई.. पर मैं अभी बाकी था.. मैंने अपना लंड बाहर निकाला उसे उल्टा करके उसकी गाण्ड के नीचे तकिया लगा दिया और उसके पीछे से अपना लंड उसकी चूत में डाल कर चुदाई करता रहा।
कुछ देर बाद मेरा भी पानी निकलने वाला था.. मैंने सारा पानी उसकी पीठ पर डाल दिया। कुछ देर हम निढाल पड़े रहे। फिर हमने कपड़े पहन लिए।
वो कुछ नहीं बोल रही थी।
उसके बाद काफी दिन.. करीबन 2 साल तक यही काम चला और अभी उसका विवाह हो गया है।
आपको मेरी कहानी कैसी लगी मुझे जरूर बताना.. मुझे आपके जबाब का इंतजार रहेगा।
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