कुँवारी नेहा के साथ एक रात

(Kunvari Neha Ke Sath Ek Raat)

रोहित पाल 2016-01-11 Comments

दोस्तो, यह एक सच्ची कहानी है, नेहा मेरे एक अच्छे दोस्त कि बड़ी लड़की है.. जिसे मैं बचपन से जानता हूँ, नेहा को बचपन से मैंने यौवन पाठ पढ़ाये हैं।
अन्तर्वासना मंच के नियमों के मुताबिक मैं वो सब बातें आपके साथ बाँट नहीं सकता। इसलिए नेहा के बालिग होने के बाद यानि उसके अठारहवें साल के बाद की बातें शेयर करूँगा।
ध्यान में रखें कि यह कोई फिक्शन या कल्पना विलास नहीं है, यह एक सच्ची कहानी है।

मैं और नेहा एक ही सोसाइटी में रहते हैं। वह चौथे माले पर और मैं दूसरे माले पर रहता हूँ। नेहा के पापा मेरे अच्छे दोस्त हैं हालाँकि वह मुझसे पंद्रह साल बड़े हैं। फिर भी हमारी अच्छी दोस्ती है।

नेहा से मैंने वादा किया था कि हम उसके अठारह वर्ष के होते ही समागम करेंगे। नेहा नवंबर की 22 तारीख को बालिग हो गई, अपने बर्थ-डे पार्टी में वो बहुत खुश थी.. शायद वह सोच रही थी कि अब समागम का आनन्द ले सकती है।

नेहा के पापा यानि मेरे दोस्त बहुत बार बाहर गाँव जाते हैं और नेहा की माँ भी अक्सर अपने मायके जाती हैं। इसलिए नेहा और मुझे एकांत मिलना कोई बड़ी बात नहीं रही है।
जल्दी ही हमें एक मौका मिला।
नेहा के दादा अचानक बहुत बीमार पड़ गए और नेहा के मम्मी-पापा को उनके घर जाना पड़ा।
जाते-जाते उन्होंने मुझे घर पर और नेहा पर ध्यान देने को कहा, नेहा के क्लास टेस्ट चल रहे थे.. इसलिए वो जा ना पाई।

नेहा की मम्मी ने उसे बताया कि रात में किसी सहेली को अपने साथ बुला लेना।
नेहा ने भी हामी भर दी।
नेहा के मम्मी-पापा गाँव चले गए।
वह अब अकेली ही घर पर थी।

नेहा को मैं बचपन से जानता हूँ। वह एक मध्यम गोरी बदन से भरी-पूरी लड़की है। उसे उसके यौनारंभ काल से ही सेक्स में दिलचस्पी है।
कॉलेज से आते ही नेहा ने फोन कर मुझे रात में घर पर बुलाया।
मैंने भी ‘हाँ’ कह दिया।

रात में करीबन नौ बजने के करीब मैं नेहा के घर गया।
मैंने अपने घर कह दिया था कि आज रात मैं दोस्तों के रूम पर जाने वाला हूँ।
मैं नेहा के घर पहुँचा.. नेहा टीवी देख रही थी।
मुझे देखकर वह मुस्कुराई।

मैंने खाने के बारे में पूछा.. तो वो बोली- खाना खा चुकी हूँ।
मैंने नेहा को गौर से देखा।
उसने हल्के हरे रंग का स्लीबलैस गाउन पहन रखा था.. जो उसके टखनों तक लंबा था।
वैसे पाठकों को बता दूँ कि मैं नेहा के पूरे बदन से अच्छी तरह वाकिफ़ हूँ। फिर भी मैं उसे देखता हूँ.. तो मेरे बदन में सुरसुराहट सी होती है।

नेहा अपनी यौवन काल के चरम पर थी, उसके मम्मे गोल और कड़े थे। बहुत बड़े न होने के कारण वह बिना ब्रेसियर के ज्यादा लटकते भी नहीं थे।
उसके कूल्हे भरे हुए थे, जांघें भी भरी हुई थीं।
नेहा खुद को बहुत अच्छी तरह से मेन्टेन करती थी।
उसे मैंने पहले ही ट्रिमिंग और शेविंग सिखाई थी.. इसलिए वह हमेशा साफ-सुथरी रहेती थी और वैक्सिंग के कारण उसके हाथ-पैर बहुत कोमल रहा करते थे।

हम दोनों टीवी देखने लगे।
हम जहाँ बैठे थे.. वह एक सोफा कम बेड था।
नेहा और मैं एक-दूसरे से सट कर बैठे थे, नेहा के बदन की खुश्बू और गरमाहट मैं महसूस कर सकता था।

नेहा को मैं अच्छी तरह से जानता हूँ। अब तक उसका कौमार्य भंग नहीं हुआ था।

मैंने सबसे पहले उसेक कोमल गोरे-गोरे हाथों को स्पर्श किया और धीरे-धीरे कन्धों से लेकर हथेली तक सहलाने लगा।
नेहा को इस तरह से सहलाना बहुत अच्छा लगने लगा।
मैंने अपनी एक उंगली से सहलाना चालू किया और थोड़ी ही देर में मैंने अपने हथेली से ऊपर से नीचे और फिर नीचे से ऊपर कन्धों की दिशा में सहलाता रहा।

अब नेहा के पूरे बदन पर रोएँ खड़े हो गए और उसने आंखें बंद कर लीं, मैं समझ गया कि नेहा अब खो गई है।
मैंने अपना हाथ धीरे से उसके कड़े और गोल स्तनों पर रख दिया।
स्तनों पर हाथ रखने के कारण नेहा ने अपनी आँखें खोलीं और मुझे अजीब नजरों से देखने लगी, उसे अच्छा लग रहा था।
अजीब सा एहसास हो रहा था.. जो उसने अब तक बहुत बार अनुभव किया था।

वो धीरे से हंसी और उसने फिर से आँखें बंद कर लीं।
अब मुझे जैसे लाइसेंस मिल गया, मैं अपना हाथ उसके टखनों के पास ले गया और उसका गाउन धीरे-धीरे घुटनों के तक ऊपर उठा लिया।
उसकी गोरी-गोरी मक्खन जैसी टाँगों पर मेरा हाथ मानो तैर रहा था।
नेहा के चेहरे परे एक अजीब सी मुस्कराहट थी।

अब मेरा हाथ उसके घुटनों तक आ गया, मेरे भी दिल कि धड़कनें बढ़ गईं, मैंने हल्के से हाथ उसके घुटनों से आगे जांघों की तरफ बढ़ाया।
मैं जानना चाहता था कि नेहा की क्या प्रतिक्रिया है।
मैंने उसके चेहरे की तरफ देखा.. नेहा ने आँखें खोलीं और मुस्कुराते हुए फिर से बंद कर लीं।
मुझे लगा कि उसे अपनी आँखें खुली रखना मुश्किल हो रहा है।

अब मेरा हाथ नेहा की जांघों के अंदरूनी हिस्सों पर घूमने लगा, यह सहलाना सोफे पर बैठे-बैठे हो रहा था।
मैंने सोफे को खींचकर बिस्तर में परिवर्तित कर दिया।
जांघों को सहलाने के बाद उस अठारह वर्षीय बालिका को बैठना मुश्किल हो गया और वह पीठ के बल लेट गई।
नेहा के घुटनों से नीच तक पैर पलंग के नीचे लटकने लगे।

जैसे ही वो पलंग पर लेट गई.. मैंने उसका गाउन धीरे से उसके कमर की तरफ खिसका दिया।
मुझे उसकी दोनों जांघें दिखने लगीं।
नेहा ने भूरे रंग की फूलों वाली पैन्टी पहन रखी थी, उसमें नेहा की योनि का उभार बड़े स्पष्ट दिख रहा था, मेरे लिए वक्त मानो रुक सा गया, मैंने हथेली से नेहा की जांघों के अंदरूनी भाग को सहलाना शुरू किया।

मैंने देखा कि नेहा की पैरों की उंगलियाँ अब नीचे की ओर झुकने लगी थीं.. उसने अपने हाथों से चादर भी पकड़ ली थी।
मैं भी अब जोश में आ गया.. मैंने गाउन पूरी तरह उतार दिया।
अब नेहा पलंग पर पीठ के बल एक काले रंग की ब्रेसियर और पैन्टी में आँखें मूंदकर पड़ी हुई है।
मैंने उसके पूरे बदन पर हाथ फेरना चालू किया, छाती से लेकर टखनों तक।

मैंने ब्रेसियर के बंद कन्धों से हटाए और पुष्ट स्तनों को आजाद किया।
हाँ.. मैंने जानबूझ कर अब तक उसकी पैन्टी पर नहीं सहलाया था।
मैं उसके स्तनों के उभारों को सहलाने और धीरे-धीरे दबाने लगा। उसके मांसल उभारों को दबाने में मुझे भी आनन्द आ रहा था और नेहा को भी।

नेहा के मम्मे कड़े हो गए.. स्तनाग्र खड़े हो गए थे।
सहलाते हुए मैंने उसके स्तनाग्र होंठों में पकड़ लिए और उसे चूसने लगा, दूसरा स्तनाग्र मेरे उगलियों में था.. जिसे धीरे-धीरे मैं हल्का सा दबाते हुए घड़ी की उल्टी और सीधी दिशा में घुमाने लगा।
उसके बदन की भीनी-भीनी खुश्बू मुझे पागल कर रही थी।

मैंने उसके गले पर धीरे से दांतों काटा.. काटने से नेहा के गले से एक ‘गुर्रआहट’ जैसी आवाज निकली.. वह आवाज सुनकर मेरा जोश भी बढ़ गया।
नेहा की भूरे रंग की पैन्टी में योनि का उभार स्पष्ट दिख रहा था जिसे अब तक मैंने छुआ नहीं था।
मैंने अपनी तर्जनी से नेहा की योनि के उभार को धीरे से छुआ और छूते ही मानो नेहा को करंट लग गया, उसका पूरा बदन थरथराया.. पैर और हाथ तन गए।

इस प्रतिक्रिया से मेरा भी जोश बढ़ गया और मैं उसकी पैन्टी पर हाथ फेरने लगा। ऊपर से हाथ फेरते हुए मैं नेहा के चेहरे को निहारने लगा।
उसका गोरा चेहरा अब गुलाबी हो गया था, चेहरे पर मदहोशी छाई हुई थी।

मैंने योनि पर हाथ फेरते हुए उसकी पैन्टी की ऊपर वाली इलास्टिक का घेरा उठाया और अपना हाथ उसकी पैन्टी में सरका दिया और उसके नाभि और योनि के मध्य स्थल (प्यूबिक ट्रायंगल) पर अपनी उंगलियाँ रख दीं।
नेहा सिहर उठी।
उसके पैरों की उंगलियां और तन गईं.. और नीचे की तरफ झुक गईं।
मैंने अपनी उंगलियों को नेहा की एकदम साफ-सुथरी योनि की तरफ सरका दिया और सहलाने लगा। उस गीली योनि पर हाथ घुमाना एक अलग ही मज़ा दे रहा था।

अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था। मैंने नेहा की पैन्टी उतार दी। नेहा पूरी तरह से नग्नावस्था में.. पीठ के बल आँखें मूंदकर और चेहरे पर मदहोशी लेकर मेरे सामने पड़ी थी।

अब मैं उसकी दोनों जांघों को सहलाने लगा, सहलाने के वजह से नेहा ने अपने दोनों पैर एक-दूसरे से अलग कर लिए, उसकी योनि फूलने लगी।
इस अवस्था मैं नेहा का योनि-द्वार मुझे स्पष्ट दिखाई दे रहा था। नेहा का बड़ा और छोटा गुलाबी भगोष्ठ (योनि के ओंठ) बहुत खूबसूरत लग रहे थे।
जहाँ ये दोनों भगोष्ठ मिलते हैं.. वहाँ पर भगशिश्निका (क्लायटोरिस) दिख रही थी।
मैंने नेहा की योनि को सहलाते हुए उसके भगशिश्निका को अपनी दो उंगलियों में पकड़ लिया और हल्के-हल्के दबाने लगा।

इस वजह से नेहा के बदन में मानो तूफान उठ गया, वह सिसकारियाँ लेने लगी, उसने अपनी कमर ऊपर उठा ली।

अब मुझसे रहा नहीं गया और मैंने नेहा के पैर और फैला दिए। उसकी योनि पूरी तरह से खुल गई। मैं अन्दर तक उसका गुलाबी अंग देख सकता था।
नेहा के लघु भगोष्ठ बड़े भगोष्ठ से थोड़े बड़े हैं। मैंने नेहा के उस गुलाबी गीले अंग पर अपने ओंठ टिका दिए.. तभी नेहा ने अपनी दोनों जांघों से मेरा सिर दबा लिया।

जैसे-जैसे मैं उसकी योनि को चाट रहा था.. चूस रहा था.. वैसे-वैसे नेहा मेरा सिर और जोर से दबा रही थी।
मैंने नेहा की भगशिश्निका अपने होंठों में पकड़ ली और उसे चूसने लगा, उसे होंठों में पकड़ कर अपनी जीभ से चाट रहा था, उसकी योनि को नीचे से ऊपर तक पागलों की तरह चाटने-चूसने लगा।

मैं नेहा के शरीर में उठती तरंगों को महसूस कर सकता था, मैं करीब दस से पन्द्रह मिनट योनि का स्वाद लेता रहा।
नेहा की योनि का खट्टा स्वाद मुझे बहुत अच्छा लग रहा था, उससे एक अलग ही मीठी महक आ रही थी।

थोड़ी देर बाद अचानक नेहा के बदन की अकड़न गायब हो गई, उसने अपनी आँखें खोल दीं और इधर-उधर देखने लगी.. जैसे बहुत गहरी नींद से जाग गई हो।
उसने मुझे अपने से दूर कर दिया और थोड़ी देर लेट गई।

मेरे हाल तो बहुत बुरे थे।
नेहा तो चरमावास्था अनुभव करके बाहर आ गई.. पर मेरा स्खलन बाकी था, मेरा लिंग तना हुआ था।
जब नेहा उठ गई.. तो मैंने उससे पूछा- कैसे लगा?
वह तो आकाश में उड़ रही थी, नेहा बहुत खुश थी, उसने चरमावास्था का अनुभव किया था।

मैंने अपनी पैंट उतार दी और नेहा सहम गई, उसने तना हुआ लिंग देखा। उसे पता था कि वह जिस चरम अवस्था से गुजरी है.. वैसे पुरुष भी गुजरते हैं और उनका वीर्यस्खलन होता है।
अगर समागम नहीं हुआ तो पुरुष वीर्यस्खलन के लिए अपने हाथों से लिंग को सहला लेते हैं और उसे हस्तमैथुन कहते हैं।
हर एक जवान पुरुष हस्तमैथुन करता है।
नेहा यह सब मेरे वजह से जानती थी।

उसने पूछा- तुमने मेरे साथ समागम क्यों नहीं किया?
मैंने बताया- अभी तो पूरी रात पड़ी है.. और अभी तो तुमने मुखमैथुन में ही चरम-अवस्था का अनुभव किया है.. इसलिए समागम नहीं किया।
मैंने नेहा से पूछा- क्या तुम मेरे लिए हस्तमैथुन करोगी?
वो खुशी-खुशी राजी हो गई।

मैंने अपना तना हुआ लिंग उसके हाथ में पकड़ा दिया और उसे आगे और पीछे सहलाने को कहा।
नेहा अपने कोमल हथेलियों में मेरा लिंग पकड़कर सहलाने लगी, पहले धीरे-धीरे और बाद में मेरे कहने पर जोर से मुठ्ठ मारने लगी।
थोड़ी ही देर में मेरा वीर्यपात हो गया.. और मैंने भी सुकून महसूस किया।
मैंने और नेहा दोनों ने चरमावस्था का अनुभव किया, हम वैसे ही नग्न अवस्था में एक-दूसरे से लिपटे हुए सो गए।

मित्रो.. अगली कहानी में सुबह-सुबह ही मैंने नेहा के साथ पहला समागम किया और उसका कौमार्यभंग कैसे किया.. उसका विस्तृत विवरण लिखूँगा।

आपके ईमेल के इन्तजार में आपका रोहित।
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