साक्षी संग रंगरेलियाँ-4

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साक्षी के साथ रंगरेलियों का आज दूसरा दिन !

अब तक आपने पढ़ा कि कल विदा होते समय साक्षी कह कर गई थी कि वह सुबह 11 बजे आएगी और अपनी एक और सहेली को चुदाने के लिए लाएगी।

मैं सुबह उठकर जल्दी से तैयार हुआ तथा साक्षी व उसकी सहेली के साथ आने का इंतजार करने लगा।

दोपहर करीब 12 बजे कमरे की घण्टी बजी, मैं दरवाजा खोलने गया। साक्षी अपनी सहेली के साथ आई थी। साक्षी आज ब्लू जींस व सफेद टीशर्ट में बहुत स्मार्ट लग रही थी।

भीतर आते ही वह मुझसे चिपकी और बोली- कैसे हो जानू? हमारे शहर में आपको नींद ठीक आई ना?

मैं बोला- तुम्हारे शहर में तुम्हारी दी हुई थकान के कारण बढ़िया नींद आई। बस अभी थोड़ी देर पहले ही सो कर उठा हूँ।

साक्षी बोली- यह मेरी क्लासमेट मंजू है !

मैं साक्षी से अलग हटकर मंजू के पास गया, उससे हाथ मिलाया।

साक्षी बोली- बस हाथमिलाप?

मैं बोला- अभी यह आई ही है यार। थोड़ी देर में दिल का मिलाप भी हो जाएगा।

मैंने देखा कि मंजू शर्मीली सी हंसी हंसते हुए अपना हाथ मेरे हाथ में देकर खड़ी थी।

साक्षी बोली- दुनिया की सारी खुशी देना इसे, बस यह ध्यान रखना कि कोई तकलीफ ना हो। बहुत नाजों से पाला है इसे।

यह बोलकर वह हँस दी।

साक्षी फ़िर बोली- आप दोनों एक दूसरे के लिए नए हैं इसलिए आपका आपस में परिचय मैं करा देती हूँ। मंजू, ये जवाहरजी हैं। इनकी पत्नी स्नेहा और मैं इन्हें प्यार से जस्सू कहते हैं। तुम भी इन्हें जो चाहे कह सकती हो। और जवाहरजी, यह मंजू है, रहती झारखण्ड में है, पर यहाँ मेरे साथ ही पढ़ रही है। हाँ, इसने अभी तक किसी भी लड़के को नहीं दी है ! अरे इसने किसी को लिफ़्ट नहीं दी है। मेरी रंगरेलियों की कहानी सुनकर इसकी चूत भी पानी छोड़ने लगी तो तब इसने मुझे अपनी चूत की खुजली बताते हुए चुदवाने की अपनी इच्छा बताई, और मैंने इसे आपके बारे में बताया। आपकी सभी कहानियाँ पढ़वाई तो यह आपका लण्ड देखने और उसे अपनी चूत में लेने का निश्चय कर मेरे साथ आई है।

मंजू ने शर्माकर अपनी आँखें झुका ली पर उसके चेहरे पर हंसी यथावत खिल रही थी। मंजू ने काली जींस और गुलाबी टीशर्ट पहनी हुई थी। इसके शरीर के बारे में अपने पाठकों को थोड़ी जानकारी दे दूँ।

मंजू सांवले बदन की है, शरीर दुबला पतला है, कद ठीक है, स्तन और चूतड़ साक्षी की तरह अलग से उभरे हुए नजर नहीं आते। यानि ज्यादा बड़े नहीं हैं।

साक्षी मंजू के पीछे गई, उसे बोली- चल जितना शर्माना था, हो गई उतनी शरम। मुझे देख क्लास में और पढ़ाई के समय मैं पूरी आइंस्टिन हूँ। तब लेक्चरर की गाण्ड भी मुझसे फटती है कि सोच समझकर बोलो और पूरा याद रखो, क्यूंकि साक्षी के सवाल उठे तो उसका जवाब सही ही देना पड़ेगा। और यहाँ जब मजे करने निकलो तब दिमाग से सभी टेंशन निकालकर फेंको और अपने शरीर को दूसरे के शरीर के भीतर घुसाकर ऐसे तलाशो कि अगले की गाण्ड भी हमें चोदते-चोदते ही फट जाए। यानि चुदवाओ और सिर्फ़ चुदवाओ, बाकी और कुछ नहीं, ठीक?

मंजू ने सहमति में अपनी मुण्डी हिला दी।

मैं बोला- क्या यार, मैं 11 बजे से तुम्हारा इंतजार कर रहा हूँ। सुबह अकेला था इसलिए नाश्ता भी नहीं किया। अब भूख लगी है। चल खाना बोल जल्दी।

वह बोली- भूख तो हमें भी लगी है, क्या खाना है मंजू? तू यह सोचकर रख। अभी वेटर डिश चार्ट लेकर आएगा, तब उसे बताना तुझे ही है ना।

यह बोलकर साक्षी ने वेटर को बुलाने के लिए बेल बजा दी। हम सभी बैड पर जाकर बैठ गए। कुछ ही देर में वेटर आया। दोनों ने अपनी पसंद का आर्डर दे दिया।साक्षी ने मंजू को बैड पर अपने पास बुलाया और कुछ कान में धीरे से बोली।

मैं बोला- यह क्या गोटीबाजी शुरू हो गई दोनों में?

मंजू अब मेरे बगल में आ गई।

साक्षी बोली- क्या यार, मैं देख रही हूँ इतनी देर में आपने मंजू को हाथ भी नहीं लगाया?

मैं हड़बड़ाया ! सही में साक्षी मंजू को चुदवाने के लिए ही यहाँ लाई है और मैंने उसके चूचे भी नहीं दबाए, पर अपनी इज्जत बचाने के लिए बोला- क्या यार, हाथ भी नहीं लगाया, बोल रही हो ? मैं तो नीचे होटल के मेनगेट पर ही मंजू का हाथ पकड़कर उसे चोदने ले जाता, पर ‘नई है’ सोचकर रूक गया।

साक्षी बोली- आप दोनों बढ़िया से मिलिए, कोई शरम नहीं करनी है ! ओके?

मैं बोला- ठीक है !

और अपने हाथ मंजू के वक्ष पर ले गया। ऊपर से दबाने के बाद मैं उसके कुर्ते को निकालने की जुगत में लगा।

तभी साक्षी बोली- जवाहरजी, अभी सब ऊपर से ही करिए। खाना खाने के बाद हम सब नंगे होंगे ना।

मुझे ध्यान आया- हाँ, अभी वेटर खाना लेकर आने वाला है।

मंजू के स्तन बहुत छोटे, पर कड़े थे। मैंने उससे पूछा- तुम्हारा साइज क्या है?

वह बहुत धीमे से बोली- 32 इन्च !

साक्षी भी उसके स्तन पर हाथ रखकर बोली- मैंने कहा है इसे, अब दबा दबाकर इन्हें अपने साइज के कर दूंगी।

मैं भी हंसने लगा और मंजू से बोला- नहीं यार, ऐसे ही ठीक हैं। बढ़ाने के चक्कर में दबाओगी, तो फिर ढीले पड़ जाएंगे। अभी मस्त टाइट हैं।

साक्षी बोली- हाँ, यह बात तो है, सोच ले फिर भी।

खाना खाने से पहले तक मैं मंजू के स्तन दबाने और उसके शरीर को सहलाने में लगा रहा। कुछ ही देर में खाना आ गया। खाने के बाद साक्षी ने फिर वेटर को बुलाया, कमरे को ठीक से साफ करवाया। इसके बाद दरवाजे को अंदर से बंद किया और बोली- चलो अब सब नंगे हो जाओ।

यह बोलकर वह अपने कपड़े उतारने लगी। मंजू भी कपड़े उतारने लगी। उसने अभी जीन्स और शर्ट निकाली थी, ब्रा-पैन्टी में थी, जबकि साक्षी पूरी नंगी हो गई थी।

उसने मंजू को लताड़ा- क्या दुल्हन बनी खड़ी है ये घूँघट में? क्या पति की इन्तजार में है कि वो आयेगा और तुझे मुँह दिखाइ देकर तेरा घूंघट हटाएगा?

हम दोनों को उसकी बात पर हंसी आ गई।

मंजू बोली- वो मुझे पता नहीं है ना साक्षी कि पूरे कपड़े उतारने पड़ते हैं।

साक्षी बोली- अरे लौड़ा तो चूत में ही लेगी ना? अब मैं क्या बताऊँ रे ! तेरी भी सुहागरात ओह सॉरी, सुहागदिन, मेरे साथ-साथ हो रहा हैं। नहीं तो तेरे पूरे कपड़े यही उतारते। तुझे कुछ भी करने की जरूरत नहीं पड़ती। अपने पल्ले अभी एक ही गाण्डू पड़ा है ना, सो खुद ही एडजेस्ट कर ले यार।

अब तक मंजू के पूरे कपड़े उतर गए थे। अब रूम में हम तीनों एकदम नंगे थे।

मैं साक्षी के पास पहुँच कर उसके होंठों को अपने मुँह में लेकर किस करने लगा, वह भी मुझे पूरा सहयोग देने लगी। मंजू हमारे पास ही खड़ी होकर हमें देखने लगी। इस किस के बाद मैं साक्षी के उरोजों पर झुका। साक्षी मेरा सिर पकड़कर पलंग की ओर खींच लाई मुझे ! वह पलंग पर लेटी और बोली- मंजू को भी करो ना !

यह बोलकर उसने मंजू को कहा- अरे मंजू आ ना बहनचोद ! चुदने से पहले अपनी फुद्दी तो चटवा ले।

मैंने देखा कि मंजू कपड़े उतरने के बाद भी अपनी चूत को छुपाने की सी स्टाइल में पैर एक पर एक चढ़ाए हुए थी। साक्षी की आवाज सुनते ही वह तेजी से उसके बगल में आकर लेट गई।

साक्षी बोली- अब शर्माना मत, और तू आ मेरे निप्पल को मुँह में लेकर अच्छे से चाट।

पर मंजू पहले उसके होंठों से लगकर किस करने लगी। इधर मैं पहले साक्षी की चूत पर अपनी जीभ मारकर ऊपर से नीचे तक एक बार घुमाया फिर उससे सटकर ही लेटी मंजू पर आ गया। मंजू और साक्षी में अभी किसिंग ही चल रही थी। मैंने मंजू की चूत पर आकर पहले ऊपर जीभ घुमाई, फिर छेद में जीभ डालकर चाटना शुरु कर दिया। छेद में जीभ एक बार पूरी घुमाने के बाद इसे आगे पीछे करने लगा, मंजू इससे मस्त हो गई, उसने दोनों जांघों को पूरा खोल दिया। उसका एक पैर साक्षी के पैर को पार करके उस तरफ हो गया था। मैं उसकी चूत में जितना अंदर हो सके जीभ घुसा कर उसे मुँह से चोद रहा था। मेरे ऐसा करने पर जोश में आकर वह साक्षी के चुचूक बहुत अच्छे से चाट रही थी। इससे साक्षी भी गर्म हो रही थी।

कुछ ही देर में साक्षी ने मंजू का सिर पकड़कर उसे चूत में जाने कहा। मंजू उठ कर मेरी ओर देखने लगी।

तब साक्षी बोली- ऐ माँ की लौड़ी, क्या देख रही है मेरी चूत तेरा भाई चाटने आएगा क्या यार?

मेरे हटते ही मंजू साक्षी की चूत पर लग गई और मैं मंजू की चूत को चाटने लगा। मंजू की चूत से पानी आने लगा।

साक्षी बोली- जवाह,र मेरी चूत में लौड़ा दे दे अपना। इस मादरचोद की चूत का रिबन बाद में काटना !

मैंने भी सोचा, मंजू को तो अभी रोका जा सकता हैं, पर इस बहनचोद को रोकना मुश्किल होगा। सो अब कौन कैसे रहेगा, इसको देखने मैं मंजू की चूत छोड़कर उठा।

मंजू भी साक्षी की चूत से हटी।

अब मैंने मंजू से कहा- मैं इस बिल्ली को पहले चोद देता हूँ, नहीं तो यह मादरचोद बहुत मिमियाएगी, हल्ला करेगी।

साक्षी बोली- चल ना बहन के लौड़े, यहाँ मैं चुदने को तैयार पड़ी हूँ और तू वहाँ मेरे भाई की चोदी को लाईन मारे जा रहा है।

मैं बोला- हाँ आ रहा हूँ ना साली ! कहे तो देहरादून के घण्टाघर चौंक में नगीं करके चोद दूँ?

मंजू से कहा- मैं पहले इसे चोदता हूँ, तू बस अपनी चूत मेरे मुँह पर रखना, ताकि मैं चूत को ठीक से चाट सकूँ।

मंजू बोली- नहीं आप इस कुतिया को पहले चोद लीजिए, मैं इसे चुदते हुए देखूँगी बस।

मैं बोला- यह भी ठीक है।

यह बोलकर मैं साक्षी की चूत पर चारों तरफ जीभ घुमाने के बाद उसे चाटने लगा। साक्षी की चूत से रज बह रहा था।

वह बोली- अबे हथचोदू, जीभ नहीं लौड़ा डाल।

मैं उसे चाटते हुए ऊपर आया और अब अपने लौड़े को उसकी चूत में लगाया, छेद में रखकर दबाया ही था कि उसने भी नीचे से झटका मारा। इससे लंड़ का बड़ा भाग भीतर घुस गया। अब साक्षी पूरे जोश में आ गई, कई-कई गालियाँ उसके मुँह से धाराप्रवाह निकलने लगी। थोड़ी देर बाद वह बोली- अबे बहन की लौड़ी, तू इधर आ अपनी चूत को मेरे मुँह में दे। मैं भी आज तेरी कुंवारी चूत का स्वाद चख लेती हूँ।

मंजू उसके पास गई और उसके मुँह पर ही जाकर टिक गई।

मैं बोला- खूब मजा ले ले मादरचोद ! चूत में लण्ड और मुँह में चूत?

अब मैंने जोर का झटका मारा और लौड़े को करीब करीब पूरा ही उसकी चूत में घुसा दिया।

इससे वह उछली, उधर मैंने शाट को धीमा नहीं किया। जोर के झटके से साक्षी थोड़ी देर तो उछली, फिर वह भी नीचे से उचकने लगी। मंजू को पता नहीं वह काट रही थी या और कोई बात हो, मंजू उसके मुँह से अलग हटकर अपनी चूत में उंगली डाल रही थी। साक्षी अब हल्के धक्के के बदले बहुत तेजी से उछल रही थी। थोड़ी ही देर में वह उछली और शांत हो गई, बस तभी मेरा भी गिर गया।

हम लोग चिपके पड़े थे तभी साक्षी बोली- कहाँ गई रे मेरी प्राणप्यारी?

मैंने देखा, मंजू का भी शायद हो गया था। इसलिए वह बिस्तर पर लेटी थी। साक्षी ने उसके एक निप्पल को पकड़ कर अपने पास खींचा और उसके निप्पल को मुँह में भर लिया।

मैं मंजू की चूत की ओर होकर चाटने लगा। थोड़ी ही देर में साक्षी उठी और वाशरूम में पेशाब करने चल दी।

मैं मंजू की चूत पर ही लगा रहा।

बाहर आकर साक्षी ने मंजू से पूछा- तूने भी हाथ से किया है ना?

मंजू हाँ बोली।

साक्षी बोली- जवाहरजी, अब आप भी फ्रेश हो लीजिए। थोड़ी ही देर में आपको मंजू को भी चोदना है।

मैं उठा और यूरिनल की ओर बढ़ लिया।

मेरे वापिस आने पर साक्षी बोली- यार सब अपना नंगापन ढक लो ! एक-एक काफी पी लेते हैं।

मंजू प्रश्नवाचक नजरों से उसे देखने लगी।

मैं बोला- अरी, इस राण्ड का मतलब है, कपड़े पहन लो।

फ़िर मैं साक्षी से बोला- 3 बजे हैं, जल्दी नहीं हो जाएगी।

वह बोली- नहीं, बहुत देर हो गई है। हमारे कमरे में कोई हलचल भी नहीं है, कहीं भोसड़ी का वेटर ही झांकने ना लगे। इसलिए मैं वेटर को बुलाती हूँ।

मैं ओके बोलकर अपने कपड़े पहनने लगा। दोनों लड़कियों ने भी पैन्ट और ऊपर से शर्ट ही डाल ली।

बेल दबाकर साक्षी पलंग पर आकर बैठ गई। कुछ ही देर में वेटर आया और आर्डर लेकर गया।

साक्षी ने मंजू से पूछा- कैसी लगी तुझे मेरी चुदाई?

मंजू बोली- बहुत बढ़िया ! तुम चूत भी बहुत मस्त चाटती हो, इसलिए मेरा जल्दी हो गया था।

साक्षी उसका दूध दबाते हुए बोली- तभी तो मादरचोद, इतनी जल्दी मेरे ही मुँह में अपना रस छोड़ रही थी।मंजू शर्माई और हम दोनों हंसने लगे।

मैंने साक्षी से कहा- वो कल मैंने तुमसे कुछ पूछा था, तब तुम्हें अपने हॉस्टल जाने की जल्दी थी। अब बताओ ना कि तुम अपनी चूत को टाइट कैसे रखती हो?

साक्षी बोली- हाँ, यह बताना है। पर आपके पास तो चूत नहीं हैं, आप क्या करोगे इसे जानकर?

मैं बोला- यह तुमसे किसने कहा कि मेरे पास चूत नहीं है? मेरे पास इतनी चूतें हैं कि उतनी किसी के पास भी नहीं।

मंजू बोली- हाँ, उनमें से तो दो-तीन चूतों के नाम भी जानती हूँ मैं !

साक्षी बोली- ओके ! ओके ! बताती हूँ ! देखिए स्नेहाजी या अपनी जिस भी फ्रेंड को आप बताना चाहो अपनी चूत को ठीक व टाइट रखने का उपाय, उन्हें बोलिएगा कि सुबह उठने के बाद वाशरूम में जाएँ, अपने साथ फिटकरी का एक छोटा सा टुकड़ा रखें। इस टुकड़े को बाल्टी के थोड़े से पानी में अच्छे से घोलें, फिर मूतने से फारिग होने के बाद फिटकरी के इस पानी से अपनी चूत को बहुत अच्छे से धो लें। ऐसा रात को सैक्स के बाद, सोने से पहले भी करना है। ध्यान रहे इस पानी को चूत के छेद में भी डालना हैं। ऐसा जब तक करते रहे, अच्छा है। स्नेहाजी या ऐसे महिलाएँ जिनकी उम्र ज्यादा हैं, बच्चे हो गए हैं जिनके, उन्हें इसका फायदा तुरंत और ज्यादा तो नजर नहीं आएगा। पर मेरी उम्र की लड़कियों को इसका फायदा तुरंत महसूस होगा।

‘ओके !’ मैंने सहमति से सिर हिलाया।

साक्षी बोली- मंजू, अब आज के बाद तू भी इसे करना, तो सुहागरात के दिन तेरे आदमी का लण्ड चूत में घुसाने के चक्कर में टूट जाएगा। फिर जवाहरजी से ही चुदवाती रहना बढ़िया से !

वह हंस दी।

वेटर काफी लेकर आया। इसे पीते तक हम लोग यूँ ही सामान्य बातें करते रहे। काफी खत्म करके कप भिजवाने के बाद साक्षी खड़े होकर बोली- चल मंजू, नंगी हो जल्दी से।

मंजू अपने कपड़े उतारने लगी। मैं यूरिनल गया। वहीं अपना पैन्ट व अंड़रवियर उतारकर रखा।फिर लौड़े को धोकर आया। मुझे लगा कि मंजू पहली बार चुदवा रही हैं सो उसकी चूत में जाने वाला लौड़ा भले ही नया ना हो पर किसी के रज से सना हुआ भी नहीं होना चाहिए। मैं उसे अच्छे से साफ करने लगा।

कैसी होगी मंजू की पहली चुदाई, इसके लिए मैं अगला भाग लेकर जल्दी ही हाजिर हो रहा हूँ।

कहानी का यह भाग कैसा लगा, कृपया बताएँ !

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