साक्षी संग रंगरेलियाँ-2
This story is part of a series:
-
keyboard_arrow_left साक्षी संग रंगरेलियाँ-1
-
keyboard_arrow_right साक्षी संग रंगरेलियाँ-4
-
View all stories in series
कहानी के पहले भाग में आपने जाना कि साक्षी से मिलने मैं देहरादून गया। वहाँ हम एक होटल में ठहरे।
अब आगे की बात:
होटल में टायलेट व वाशिंगरूम एक साथ ही थे। अपना तौलिया व शेविंग किट लेकर वहाँ गया और जल्दी से फ्रेश होकर बाहर निकला। मैं तौलिया लपेटे ही था, अंडरवियर सहित बाकी सभी कपड़े वहीं पलंग पर ही छोड़कर गया था। बाहर आकर अपनी आदत के अनुसार शेविंग बाक्स से निकालकर कंघी की, फिर पहनने के लिए अपना अंडरवियर उठाया। साक्षी कमरे का दरवाजा भीतर से बंद करके बैठी थी, अब वह मेरे पास पहुँची, और बोली- अब कंट्रोल नहीं हो रहा हैं यार ! उनसे हमारी मुलाकात तो कराइए जिसे स्नेहा जी रोज अपनी चूत में लेती हैं और सीमा, श्रद्धा, श्वेता, पुष्पा, रीमा, सोनम, पायल सहित कई लड़कियों ने काम्प्लीमेंट्री में जिसका टेस्ट लिया है।
ऐसा बोलकर उसने मेरा तौलिया खींचकर पलंग पर फेंक दिया।
अब मैं पूरा नंगा वहाँ खड़ा था, मेरा लौड़ा भी अब अपने पूर्णाकार में आ गया। साक्षी का हाथ पकड़कर मैंने उसे अपनी ओर खींचा और बोला- लो, यह हाजिर है मेरी जान तुम्हारे लिए ! यह भी बहुत बेचैन था तुमसे मिलने को ! इसीलिए अपना घर और काम व वहाँ मिल रही चूत को छोड़कर तुम्हारी चत को चूमने यहाँ तक भागा आया।
मेरे लण्ड को घूरकर देखती हुई वह बोली- बहुत अच्छा लगा, इससे मिलकर मैं धन्य हो गई।
मैं बोला- यार, धन्य तो यह हुआ है। जैसे लोग किसी पवित्र नदी के पानी से स्नान करने दूर दूर से सफर करके वहाँ जाते हैं, वैसे ही मेरा लौड़ा भी तुम्हारी इस प्यारी चूत के पानी में नहाने के लिए इतना लंबा सफर करके यहाँ तक आया है। अब हम देर न करके इन्हें मिलने देते हैं।
वह मेरे सीने से चिपककर अपने हाथों से मेरे लण्ड को सहलाने लगी। मैंन उसका चेहरा उठाकर होंठों को अपने मुख में ले लिया। पहले नीचे के होंठ, फिर ऊपर के होंठों को अच्छे से चूसने के बाद जीभ को उसके मुँह में घुमाया, साथ ही उसके कुर्ते का हुक खोलकर इसे ऊपर उठाकर उतार कर पलंग पर ही डाल दिया। अब ब्रा को भी उतारकर वहीं डालने के बाद सलवार के नाड़े को खींचा।
साक्षी ने पैर उठाकर उसे अपनी चिकनी मरमरी जांघों से नीचे सरकाते हुए अपने बदन से अलग किया। उसके शरीर पर केवल पैन्टी शेष थी।
अब मेरे हाथ उसके वक्ष के उन्नत शिखरों को अपने पंजे के भीतर समेटने का असफल कोशिश करने लगे। पर उसके बड़े उरोज मेरी मुट्ठी में नहीं आ पाए। आकार में बड़े व कड़े होने के कारण जब ये मेरे हाथ में नहीं समाए तो मैं इसके चेहरे से अपना मुँह हटाकर साक्षी के वक्ष पर आया, इसके गुलाबी निप्पल, दूधिया तथा भरे व उभरे बदन पर बहुत सुंदर लग रहे थे, निप्पल उसके जोश के कारण तनकर खड़े हो गए थे।
मैंने निप्पल को अपने मुँह में भरा व चूसना शुरू किया। एक निप्पल मेरे मुँह में था, दूसरे को मैं सहला रहा था। थोड़ी देर बाद ही मैंने अपना हाथ नीचे किया, उसकी पैन्टी को नीचे कर मस्त उभरी हुई चूत पर हाथ फेरने लगा।
साक्षी की चूत एकदम चिकनी थी, बाल उसने आज ही साफ किए होंगे पर हाथ फेरने से ऐसा लग रहा था मानो यहाँ कभी बाल हुए ही नहीं हैं, न ही अब होंगे।
मैं वहीं घुटने मोड़कर बैठ गया। उसकी चूत सामान्य लड़कियों की चूत से ज्यादा फूली हुई थी। इतनी मस्त चूत देखकर मैं गदगद हो गया और अपना मुँह उसकी चूत में लगा दिया। चूत के ऊपरी हिस्से को जी भर कर चाटने के बाद नीचे छेद में जीभ डाली।
साक्षी भी पूरे मूड में थी, लिहाजा अपने हाथों से मेरा सिर पकड़कर बिस्तर पर आई, बिस्तर पर लेट गई और अपनी टांगें फैला दी। इससे उसकी चूत मुझे खुली मिल गई, लिहाजा इसे ऊपर से नीचे तक अच्छे से चाटा। उसकी चूत तो शुरू से ही गीली थी, चाटने से मुझे लग रहा था कि उससे पानी छूट रहा है, रज का स्वाद आ रहा था।
थोड़ी ही देर में उसकी सिसकती आवाज फूटी- ऊपर आओ ना जल्दी।
मुझे लगा कि साक्षी पूरी तरह से गरमा गई है, इसलिए जल्दी ही करना होगा। मैं अब उसकी चूत से अपनी जीभ रगड़ते हुए ऊपर की ओर बढ़ा, वह मेरे दोनों कंधों को पकड़कर ऊपर खींचने लगी। मैंने जीभ उसकी ठोड़ी से लेकर चेहरे पर घुमाई और अब लौड़े को उसकी चूत में ऊपर से नीचे तक रगड़ा, रगड़ने के बाद लौड़े को चूत के छेद पर लगाया।
साक्षी इतनी जल्दी में थी कि अब मेरे शाट लगाने का विलम्ब भी उससे बर्दाश्त नहीं हुआ, उसने नीचे से खुद ही उछाल भरी, इससे चूत के छेद से लगा से लगे लण्ड का सुपाड़ा थोड़ा सा भीतर हुआ।
साक्षी बोली- फाड़ दे इस मादरचोद को ! अंदर घुसा ना भोसड़ी के।
मैं बोला- घुसाता हूँ ना ! तेरी माँ की चूत ! अभी तो मेरे लण्ड का मुँह भी तेरी चूत में नहीं घुसा है।
इसी बीच मैंने एक जोर का शाट मारा, मुझे अहसास हुआ कि लण्ड का पूरा सुपाड़ा सहित कुछ और भाग उसकी चूत में समा गया है। इस शाट से वह उछली और बोली- अबे फट गई रे ! तू भोसड़ी के, थोड़ा आराम से चोद ना ! मुफ्त का माल है इसलिए मेरी चूत ही फाड़ डालेगा क्या बे गांडू?
वह आगे और कुछ बोले, इसके पहले ही मैंने उसके होंठों को अपने होंठों के बीच दबा लिया। नीचे उसे दर्द हो रहा होगा, इसलिए मैंने अपने चोदने की गति धीमी किया क्योंकि जब भी मैं अपने लण्ड को भीतर करता, तब वह अपने हाथ मेरे सीने में लगाकर मुझे करीब आने से रोकती, तथा अपनी चूत को पीछे करती। इसलिए मैंने प्रयास किया कि मेरा लण्ड जहाँ पर अभी है, उससे आगे अभी ना बढ़े। सो अपने झटकों की स्पीड एकदम कम करके मैंने चुदाई जारी रखी। थोड़ी ही देर में वह सामान्य हुई और उसके हाथ मेरे दोनों पुट्ठों पर पहुँचकर उसे अपने और करीब लाने का प्रयास करने लगे।
मैंने पूछा- अब ठीक है ना? डालूँ और अंदर?
वह बोली- अबे बहनचोद, पूरे मोहल्ले के लौड़े लाया है क्या साथ में? डाल इसकी मां को चोदूँ, मैं भी देखूँ, कितने लौड़ों को झेल सकती हैं मेरी फ़ुद्दी ! बाड़ दे पूरा !
मैं भी मस्त हो गया और अब शॉट लगाने शुरू कर दिए। साक्षी भी नीचे से अपनी कमर उठाकर मुझे अपनी स्पीड बढ़ाने का संकेत दे रही थी। लिहाजा थोड़ी देर में ही मेरा लण्ड करीब आधे से भी ज्यादा उसकी चूत में घुस गया। धक्के लगाने की गति हम दोनों में ही करीब समान थी।
जब मुझे लगा कि मेरा अब होने वाला है, मैंने साक्षी से कहा- मेरा बस होने ही वाला है।
वह बोली- बस मैं भी आ रही हूँ, पर बीच में रूकना मत।
कुछ ही देर में मेरा माल निकल पड़ा, तभी साक्षी भी मुझे अपने से कसकर दबा लिय और वह भी ठण्डी पड़ गई। हम दोनों यूं ही बिस्तर पर पड़े रहे।
कुछ पल बाद साक्षी बोली- उठिए, मुझे यूरिनल जाना है।
मैं एक तरफ़ हुआ और उसे बाहर निकलने दिया। वह आई, फिर मैं पेशाब करने गया। आकर बिस्तर पर हम यूं ही नंगे पड़े रहे।
मैंने उससे पूछा- दर्द हुआ क्या?
वह बोली- अब तक मैंने जितनों से चुदवाया है ना, आपका लौड़ा उन सभी से मोटा है। पर मैंने सोचा कि जैसे उन लोगों का मैंने आराम से ले लिया, वैसे ही इसे भी ले लूंगी, पर यह बहुत मादरचोद लण्ड है। साला दर्द भी दिया और मजा भी।
मैं बोला- हाँ, मुझसे भी गलती हो गई, कोई तेल या क्रीम लगा लेनी थी पहले मुझे। पर शुरू में तेरी चूत से रज निकलने लगा था, सो
मुझे लगा कि चिकनाई आ गई होगी पर यह बहनचोद अभी रमां नहीं हुई है ना। हमारी साक्षी अल्हड़ ही है।
वह बोली- हाँ पढ़ाई में भी मेरा ध्यान चूत को टाइट रखने के तरीकों पर ही ज्यादा लगा रहता है ताकि मुझे जो चोदे, जब चोदे यही लगे कि क्या टाइट माल है। यानि ऐसा लगना चाहिए कि मेरी सील भी अभी ही टूटी है। क्यों आपको लगा ना ऐसा?
मैं बोला- हाँ, तभी तो मैंने तुम्हें दर्द ना हो यह सोचकर मैंने अपने लण्ड को आधा ही तुम्हारी चूत में डाला।
इस पर वह बोली- पूरा डालना था ना भोसड़ी के। आधा लण्ड बाहर रखकर तुमने आधा ही मजा लिया, और आधा ही दिया।
मैं बोला- अए बहनचोद, जब डाल रहा था, तब तो तेरी गाण्ड फट रही थी। अब आधा मजा आया तो मैं क्या करूँ?
वह बोली- अबे गांडू, छोड़ ना ये आधे मजे की बात ! चल अभी खाना खाकर फिर लग जाते हैं चुदाई में। जितना अंदर डाल सकता हो डाल लेना।
मैं बोला- ठीक है फिर ! मैं तो सोच रहा था कि अभी तुरंत ही चोदने को कहोगी।
वह बोली- अरे नहीं राजा, खाली चुदाई ही करना हो तो अलग बात है, लग जाते हैं अभी ! पर हमें चुदाई का मजा लेना है। इसलिए जब शरीर परमिशन दे तब ही करेंगे। ठीक हैं ना?
मैं बोला- ठीक है, जैसा तुम कहो। खाना कहाँ खाना है?
वह बोली- खाना खाने कहीं जाने की जरूरत नहीं हैं डीयर, यहीं लाने के लिए वेटर को बोलते हैं।
यह बोलकर उसने वेटर को बुलाने के लिए बेल बजाई। तब तक हम दोनों कपड़े पहनकर तैयार हो गए।
कुछ देर में ही वेटर आया। उसे हमने खाने का आर्डर दिया। अब दोनों पलंग पर ही चिपक कर बैठ गए।
मैंने कहा- और सुनाओ कोई मजेदार बात?
वह कुछ देर सोचकर बोली- मैं एक कहानी टाइम पास के लिए सुनाती हूँ। इसे मुझे मेरी एक सहेली ने सुनाया है। यह कहानी हमारे कालेज में भी बहुत पापुलर है।
मैं बोला- जी, सुनाइए।
साक्षी बोली- एक राजा की पत्नी उसे चोदने नहीं देती थी। परेशान राजा नदी के किनारे जाता और वहाँ रहने वाली बत्तख से कहता- “आओ बत्तख प्यारी, बैठो जांघ पर हमारी, खाओ पान सुपारी !”
उसकी आवाज सुनकर बत्तख आ जाती, तब राजा बत्तख से…
उसकी कहानी तो सामान्य थी, पर साक्षी के सुनाने के तरीके ने कहानी को बहुत मजेदार बना दिया। हम कुछ देर इसी तरह की बात करते रहे, तभी वेटर ने रूम में ही हमारा खाना ला दिया।
हम दोनों ने साथ ही खाना खाया। मैंने उससे हॉस्टल के बारे में पूछा, तो वह बोली- मैंने वार्डन मैम को बताया कि मेरे एक रिश्तेदार आए हैं, उनसे मिलने जा रही हूँ, पर रात को मुझे हॉस्टल में ही जाना होगा।
मैं बोला- हाँ यह बात तो है, रात को तुम्हें हॉस्टल में जाना ही होगा। पर मुझे एक बात बताओ साक्षी, तुम गाली बहुत देती हो, इसकी लत तुम्हें कैसे लगी?
वह बोली- अबे मादरजात ! गाली देना कोई लत थोड़े ही है। इससे मेरी उत्तेजना बढ़ती है। गाली सुनना व देना मुझे अच्छा लगता है। जो मुझे गाली नहीं देते है वो मुझे हिजड़े-गांडू लगते हैं।
मैं बोला- यानि साक्षी से बात करते समय मुँह में गालियाँ भरकर रखना होगा। कब उसे उत्तेजित होने का मूड हो, ताकि उसे गाली सुनाकर उसका मूड बनाया जा सके।
साक्षी बोली- खाली गाली ही नहीं, खूब गंदी बातें करना भी मुझे अच्छा लगता है। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
“खूब गंदी बात यानि?” मैंने पूछा।
तो वह बोली- अच्छा आप बताओ आपने किसी को चुदते हुए देखा है?
मैं बोला- हाँ कई लड़कियों को चुदते हुए देखा है।
हंसते हुए मैंने कहा- जिसे भी मैंने चोदा है, जैसे अभी तुम्हें, तो उन्हें चुदते हुए तो देखा ही ना।
“अबे मादरजात ऐसे नहीं, किसी दूसरे को?”
मैंने कहा- वह तो मुझे ध्यान नहीं।
यह सुनकर वह बोली- बे साले चूतिया ! रह गए ना यूं ही झण्डू बाम?
मैं बोला- अच्छा, तुमने किस किस को चुदते हुए देखा है? यह बताओ तो?
वह बोली- कई लोगों को !
मैंने पूछा- जैसे?
वह बोली- एक तो मेरी वार्डन मैम अपने पुराने प्रेमी से चुदवाती थी, उनको देखा है, और मेरी एक सहेली ने हॉस्टल में ही अपने बॉयफ्रेंड से चुदवाया था थी, और मुझे ‘वहाँ कोई आ ना जाए’ इसकी चौकीदारी करते हुए वहीं आसपास ही डटे रहना पड़ा। तब मैंने अपनी नजरें कोई आ रहा हैं या नहीं इस पर लगाने के बदले अपनी सहेली को ही चुदते हुए देखते रही।
मैंने पूछा- किसकी चुदाई बढ़िया रही?
वह बोली- दोनों ही चुदाइयाँ मस्त रही ! मजा आ गया इन्हें देखकर।
हम लोगों के बीच इसी तरह की मसालेदार बात चलती रही।
कुछ देर बाद साक्षी बोली- कुछ असर हुआ या नहीं?
मैं समझ नहीं पाया, सो पूछा- किसका असर?
वह बोली- अरे लौड़े की गाण्ड में कुछ दम आया क्या?
मैं बोला- यार तू भी ना मादरचोद, एकदम कामचलाऊ टाइप की बात कर रही है। यानि जब खुद को नहीं चुदवाना है, तब मूड बनाकर चुदाई करेंगे, कहती है और जब घुसेड़ने की इच्छा हो रही है तब असर है या नहीं, पूछ रही है।
यह बोलकर मैं हंसा और कपड़े उतारने के लिए बिस्तर से उठा।
वह भी हंसने लगी, बोली- चल चुदवा लेती हूँ तेरे से ! नहीं तो बाद में मैं बात करने के लिए फोन करूँगी तो ‘काम से गए हैं या बाद में बात करता हूँ’ का उत्तर सुनाई पड़ेगा।
यह बोलकर वह भी उठकर कपड़े उतारने लगी। कपड़े उतारकर मैं साक्षी के पास पहुँचा, वह भी अपना सलवार कुर्ता उतार चुकी थी और ब्रा उतारने के लिए हाथ पीछे किए ही थे, तभी मैंने उसको अपने आगोश में ले लिया।
वह बोली- अबे भोसड़ी के ! अपनी कुतिया को नंगी तो हो जाने दे या मेरी चड्डी फाड़कर डालेगा अपना लंड?
मैंने उसकी कोहनी के थोड़ा नीचे अपने होंठ लगाए पर प्यार उसके बगल तक करता आया। ब्रा उतारकर उसने नीचे फेंकी और अपने एक हाथ को पूरा ऊपर कर लिया। इससे मुझसे उसकी पूरी बगल चाटने को खुली मिल गई।
उसे पलंग की ओर धकेलकर मैंने उसे लेटने का संकेत दिया। वह भी बिस्तर पर आई और वैसे ही लेट गई। उसने अपना हाथ ऊपर ही किया हुआ था। लिहाजा मैंने उसकी बगलों को खूब चाटा।
हाँ ! उसे यहाँ चाटने से गुदगुदी नहीं हो रही थी, यह मेरे लिए आश्चर्य की बात रही।
तो साक्षी की चूत का स्वाद तो मेरे लौड़े ने ले लिया है, पर जैसा उसने भी कहा था कि लौड़े को पूरा घुसेड़ना था। जबकि मैं उसे तकलीफ ना हो, इसलिए उसकी पहली चुदाई ज्यादा वहशी तरीके से नहीं की। पर अब जब उसने जमकर चुदने के लिए सहमति दे दी है तो फिर यदि अब उसे जमकर नहीं चोदा तो मैं ही उससे चूतिया कहा जाऊँगा।
सो इस बार उसे जमकर चोदने की धारणा मन में रखकर मैं इस बार की चुदाई कैसे कर पाता हूँ, यह बस जल्दी ही यानि कहानी के अगले भाग में !
यह भाग आपको कैसा लगा कृपया बताएँ !
[email protected]
What did you think of this story??
Comments