मेरी और मेरी कामवाली की चुदास-1
(Meri Aur Meri Kamwali Ki Chudas- Part 1)
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मेरी पिछली कहानी
बदले की आग
में जैसा आपको बताया था कि मेरी अगली कहानी लिखी जा चुकी है. यह मैं आपकी सेवा में भेज रही हूँ. उससे पहले मेरी लम्बी कहानी
पापा की चुदक्कड़ सेक्रेटरी की चालाकी
आपके समक्ष आ चुकी है.
प्रिय पाठको, आपकी पुन्नी फिर से आपके समक्ष एक नई कहानी ले कर हाज़िर हुई है. अगर पसंद आए तो ज़रूर मेल कीजिए, जिससे नई कहानी लिखने का दिल में उत्साह बढ़ता है. मुझे कॉलगर्ल, रंडी या दलाल समझ कर मेल ना ही करें तो अच्छा रहेगा क्योंकि मैं ऐसे मेल नहीं पढ़ती हूँ और सीधे डिलीट कर देती हूँ.
जैसे ही मैंने अपनी पढ़ाई पूरी की तो मुझे एक नौकरी मिल गई. मेरे पिता बचपन में ही गुजर गए थे और माँ भाई के पास रहती थीं, जो ऑस्ट्रेलिया में ही बस चुका था. वो ही मेरी पढ़ाई और हॉस्टल का हर महीने का खर्चा भेजा करता था. मैंने अपना पासपोर्ट बनवाया हुआ था ताकि मैं भी अपने परिवार के साथ वहीं जा कर रहूं.
अब मैंने अपने भाई से कहा कि मुझे नौकरी मिल रही है तो अभी यहीं रहूंगी और कुछ समय बाद आपके पास आ जाऊंगी.
भाई तो नहीं चाहता था कि मैं अब अकेली रहूं, मगर उसने मुझे कुछ नहीं कहा.. बस इतना ही बोला कि जैसे तुम चाहो, मैं नहीं चाहता कि तुम यह समझो कि पिताजी नहीं हैं, तो मैं तुम पर अपना कोई दबाव डाल रहा हूँ.
जब मैंने कंपनी में ज्वाइन किया तो मुझे बताया गया कि अकेली लड़की को रहने के लिए एक कमरे वाला फ़्लैट दिया जाएगा, जो कुछ दूरी पर ही था. मेरी सॅलरी भी ठीक थी.. इसलिए मुझे कोई मुश्किल का सामना भी नहीं करना पड़ा. कम्पनी ने मुझे कुछ रुपए एड्वान्स में भी दिए ताकि मैं अपने घर के लिए ज़रूरी साजो सामान खरीद सकूँ. चूंकि मैं ज़्यादातर हॉस्टल में ही रही थी, इसलिए मुझे घर का काम, खास कर रसोई का तो बिल्कुल भी नहीं आता था.
पहले ही दिन मैंने ऑफिस में एक लड़की से पूछा कि क्या कोई खाना बनाने वाली मिल सकती है, जो घर का सारा काम भी कर सके. अगर वो रात को मेरे साथ ही रहना चाहे, तो रसोई में अपना बिस्तर लगा कर सो भी सकती है.
उसने मुझसे कहा कि जो तुम बता रही हो, उसमें बहुत सी हंस कर मिल जायेंगी.. मगर उसे कितने पैसे दोगी?
मैंने कहा- जो भी यहाँ का रेट होगा, वो दूँगी.
उसने कहा कि खाना पीना मिलाकर उसको दो-तीन हजार देने पड़ेंगे.
मैंने कहा- ठीक है.
उस लड़की ने कहा- ठीक है, मैं उसे लेकर शाम तो आती हूँ.
शाम को वो एक लड़की के साथ आई, जो बहुत खूबसूरत थी. मैंने सोचा कि शायद उसको आज कामवाली नहीं मिली होगी, इसलिए यह अपनी इसी फ्रेंड के साथ यही बताने के लिए आई है.
मैंने उसके बिना कहे ही उससे कहा- कोई बात नहीं यार.. आज नहीं तो कल भेज देना.
उसने कहा- नहीं जी.. ले तो आई हूँ.. यही है, इसका नाम पिंकी है. यह सारा दिन आपके घर पर ही रहेगी और रात को भी यहीं रहेगी. इससे आपको भी आराम रहेगा और अकेलापन भी नहीं होगा. वरना रात तो कोई आ जाए तो कई बार डर भी लगने लगता है.
मैंने उससे पूछा कि तुम इसे जानती हो, कहीं कोई लफड़ा तो नहीं करेगी.
यह सब मैं उससे इंग्लिश में पूछ रही थी ताकि उस कामवाली को बुरा न लगे.
उस लड़की ने कहा- नहीं मैडम, यह हमारे घर पर भी काम कर चुकी है और बहुत सही है. इसकी कोई प्राब्लम है, जो यह खुद ही आपको बताएगी मगर आप इससे ज़बरदस्ती ना कुछ भी पूछना.. वरना यह रोने लग जाएगी. यह अपने चाचा के साथ रहती है.. मगर वहाँ नहीं रहना चाहती. यह तो आपके घर पर बिना सॅलरी के भी काम कारने को तैयार है, अगर रात को रहने दिया जाए और खाना पीना भी मिले तो इसको सब जंचेगा.
मैंने उससे कुछ नहीं पूछा और सीधे पिंकी से बोली कि खाना तो ठीक बनाती हो ना?
उस कामवाली पिंकी ने कहा- जी आप खुद ही देख लीजिएगा, जब कुछ देर बाद बनाऊंगी.
जब उसने खाना बनाया तो सही में लाजवाब था. मैंने कई दिनों से ऐसा खाना नहीं खाया था. मगर अब मेरे दिल में यह जानने की इच्छा थी कि यह अपने चाचा के साथ में क्यों रहना नहीं चाहती. कोई ना कोई खास कारण होगा.
रात तो मैंने उससे कहा कि मेरे पास कोई दूसरा बिस्तर नहीं है, इसलिए तुम आज मेरे साथ ही सो जाओ, कल मैं तुम्हें एक नया बिस्तर और फोल्डिंग चारपाई भी दिलवा दूँगी.
वो कहने लगी- नहीं मेमसाब, मैं ऐसे ही नीचे सो जाती हूँ.
मैंने कहा- नहीं अगर कोई कीड़ा मकोड़ा आ गया तो मुसीबत हो जाएगी.
उसको ज़बरदस्ती मैंने अपने साथ सुला लिया. मगर फिर देखा कि वो रो रही थी.
मैंने पूछा कि क्या बात हो गई.. क्या काम नहीं करना चाहती तो कल चली जाना. अभी रात में कहाँ जा सकती हो?
उसने कहा- नहीं मेमसाब, आपके घर काम तो मुझे भगवान ने दिया है, मैं क्यों छोड़ूँगी. मैं तो इसलिए रो रही हूँ कि आज कई सालों बाद मुझे इस तरह सोने के लिए जगह मिली है. मैं तो एक चादर को लेकर आँगन में ही सोती थी.
मैं यह सुन कर हैरान हो गई कि इस बेचारी पर कोई खास ही मुसीबत थी. मैंने उससे पूछा- तुम मुझे अपनी बड़ी बहन समझ कर सब कुछ बताओ, मैं तुम्हारी पूरी सहायता करूँगी. पहले यह बताओ कि तुम 18 साल से ऊपर की हो ना?
उसने हामी भरते हुए कहा- जी.
‘हम्म…’
फिर वो बोली कि उसका चाचा उससे गलत काम करने की कोशिश करता है और वो अपने साथ कई लड़कों को भी लाता है मुझे दिखाने के लिए.
उसकी बात सुनकर मुझे अब पता लगा कि असली बात क्या है. मैंने उससे कहा- तुम ज़रा भी ना घबराना, मैं तुम्हारे चाचा को वो सबक सिखाऊंगी कि पूरी जिंदगी भर याद रखेगा.
उसने मुझे बताया कि उसका चाचा, जब भी वो नहाने जाती थी, तो गुसलखाने का दरवाजा खोल देता और दरवाजे में आ कर खड़ा हो कर मुझे नंगी देखता रहता था. फिर मुझे देख कर अपने लंड को पैन्ट से बाहर निकाल कर मुझे दिखाता है.
मैं उससे कहा करती थी कि चाचा दरवाजा बंद कर दो, तो वो कहा करता था कि मुझसे क्या शरम, मैंने तो तुम्हें अपनी गोद में खिलाया है. जहाँ तक इस लंड की बात है, तो यह तो तुम्हारी चाची को याद करता है.
मैंने हैरानी से उसको देखते हुए पूछा- फिर?
पिंकी बोली- फिर मैंने एक दिन सुना कि वो किसी लड़के को बुला कर लाया और मुझे दिखा कर बोला, आओ उधर बैठ कर बात करते हैं. मैंने सोचा कि मुझे देखने के लिए आया होगा, शायद मुझसे शादी की बात हो रही होगी.. तो मैं छुप कर सुनने लगी. उनको बातें सुन कर तो मेरे होश ही उड़ गए. चाचा उससे कह रहा था कि मैं दो लाख से कम नहीं लूँगा. उसको पालने पोसने और दूसरे खर्चे भी बहुत हो चुके हैं. वो बोला कि मैं एक लाख ही दूँगा. एक लाख भी वसूलने के लिए मुझे कई दिन लग जायेंगे.
तब मुझे समझ में आया कि चाचा मुझे बेचने के लिए लड़के लाता है और उनको मेरे को दिखाता है.
एक दिन तो हद ही हो गई. वो एक लड़के को ले कर आया और उससे कुछ बातचीत भी हो गई.. तो वो मुझे अन्दर के कमरे में लेकर आया, उसके साथ में वो लड़का भी था. चाचा मुझसे बोला कि यह डॉक्टर है और तुम्हारा मेडिकल चैकअप करना चाहता है, इसके लिए तुम्हें अपने कपड़े उतारने पड़ेंगे.
जब मैंने आनाकानी की, तो उसने मुझे गालियां देनी शुरू कर दीं.
मैं बाहर की तरह भागने लगी. चाचा ने मुझे घसीट कर अन्दर किया और दरवाजा अन्दर से बंद कर लिए.
वो लड़का बोला- माल तो बढ़िया है.
फिर उस लड़के ने मुझे नंगी कर दिया. जब उसने मुझे नंगी कर लिया तो चाचा से बोला- ज़रा इसके हाथ पकड़ कर रखो.
फिर वो मेरे मम्मों को दबा दबा कर देखने लगा और मम्मों के गुलाबी दाने को खींचने लगा. वो मेरे चूचुकों को खींच खींच कर छोड़ता रहा. कुछ देर बाद वो चाचा से बोला कि इसकी टांगें फैलाओ ताकि चूत को देख सकूँ कि यह चुदी हुई है या नहीं.
चाचा ने कहा- एक दो बार चुदी है.
इस पर भी वो चूत को खोल खोल कर देखने लगा. वो बोला- अगर ना चुदी हुई न होती तो मैं दो लाख दे देता मगर यह माल चुद चुका है, इसलिए बासी माल है. मैं इसके एक लाख ही दूँगा.
इस तरह से अब चाचा मेरी रोज़ ही किसी ना किसी को बुला कर उसके सामने मुझे नंगी कर के दिखाता रहा. मैं अब वहाँ से भागना चाहती थी कि जो मेमसाब मुझे आपके पास लाई हैं, वो मुझसे बोली थीं कि काम करोगी. मैंने कहा कि जी करूँगी. उसने जब कहा कि रात को वहीं रहना पड़ेगा और वो अकेली लड़की है, तो मेरी खुशी का ठिकाना ना रहा. मैं उस समय उसके साथ आ गई. अब मेरा चाचा मुझे ढूँढ रहा होगा. शायद पुलिस में भी रिपोर्ट करे.
मैंने कहा- तुम चिंता ना करो, मैं खुद ही उसकी रिपोर्ट कर दूंगी.
अगले ही दिन मैंने उसके चाचा को ढूँढ कर कहा कि अगर ठीक रास्ते पर नहीं आए, तो तुम्हें जेल भिजवा दूँगी, मुझे सब पता लग गया है कि तुम लड़की को बेचने जा रहे थे. वो लड़की अब मेरे घर पर है, अगर ज़रा सी भी हरकत की तो मैं पुलिस के सबसे बड़े अधिकारी से मिल कर तुम्हें अन्दर करवा दूँगी और फिर जमानत भी नहीं मिलेगी.
वो इतना डर गया कि अगले ही दिन वहाँ से कहीं भाग गया.
फिर मैंने पिंकी से बताया कि अब उसका चाचा यहाँ से भाग गया है. तुम ज़रा भी चिंता ना करो और इसे अपना ही घर समझ कर आराम से रहो.
वो यह सुन कर बहुत खुश हो गई और मुझसे बोली- आज मुझे लग रहा है कि मैं किसी खुले आसमान के नीचे आ गई हूँ. पहले लगता था कि किसी अंधेरी गुफा में हूँ.
धीरे धीरे पिंकी मुझ से खुलने लग गई. मैंने उसका एक बैंक में ख़ाता भी खुलवा दिया और हर महीने उसमें उसकी सॅलरी जमा करवा देती थी. उसके कपड़े और खाने पीने का कोई खर्चा नहीं था.. क्योंकि जब मैं अपने लिए कपड़े लाती थी, तो उसके भी ले आती थी. उसे मैंने रसोई में सोने से भी मना कर दिया और अपने साथ ही सुलाती थी.
लेकिन जैसा कि मेरा दीवानापन उसकी खूबसूरत जवानी पर आ गया था और मुझे ये भी मालूम पड़ चुका था कि ये चुद चुकी है तो अब मेरा दिल उसकी चूत को चाटने का करने लगा था. मैं अपनी चूत उससे चटवाने का भी सोचती थी. मगर मैं उसकी नज़रों में खुद को नीचा नहीं होने देना चाहती थी.
कई बार सोते हुए मैं जानबूझ कर अपने हाथ उसके मम्मों पर रख देती थी और कई बार उसकी चूत पर भी.. लेकिन मुझे नहीं पता था कि उसको इस सबका पता लगता था या नहीं. मगर उसने कभी भी ना तो मेरा हाथ उठाने की कोशिश की.. और ना ही कभी अपना हाथ मेरे मम्मों पर या चूत पर रखने की कोशिश की.
अब मैं यही सोचती थी कि कैसे इससे सेक्स का खेल खेला जाए. मेरे को तो इन सब कामों की आदत थी, जब मैं हॉस्टल में रहती थी.. तब वहाँ यह सब खुल कर होता था.
अब जबकि मेरे पास मज़े के लिए एक पार्ट्नर भी आ गया था मगर संकोच के चलते कुछ हो नहीं पा रहा था. आख़िर मैंने एक उपाय निकाला मैंने नेट पर से कई सेक्सी मूवी डाउनलोड करके उनको पेन ड्राइव में भर दिया. फिर उससे टीवी से देखने के लिए लगा दी और टीवी को सैट कर दिया कि जैसे ही वो खुले तो पेन ड्राइव वाली पिक्चर की दिखाई दे.
मैंने उससे कहा कि अगर दिन में दिल किया करे तो तुम टीवी देख लिया करो. आख़िर यह किस लिए पड़ा है यहाँ.. मुझे तो टाइम नहीं मिलता.. सिवा छुट्टी वाले दिन को छोड़ कर.
उसने कहा- मेमसाब..
मैंने उससे कहा- मुझे दीदी बोला करो.
तब बोली- दीदी अगर कहीं टीवी खराब हो गया तो मेरे पास तो इतने पैसे भी नहीं हैं कि इसको ठीक करवा सकूँ.
मैंने उससे कहा- तुम चिंता मत करो, अगर मुझसे खराब हो गया तो, तुम निश्चिंत हो कर देखा करो. अब तुम मेरी छोटी बहन हो, कोई काम वाली नहीं हो.
जब शाम को मैं वापिस आई तो वो बोली- दीदी एक बात कहूँ.. दोपहर को टीवी पर बहुत गंदी पिक्चर आती है. जब आप शाम को लगाती हो, तो ऐसा कुछ नहीं होता.
मैंने कहा- मुझे नहीं पता.. अगर अच्छी ना लगे तो ना देखा करो.
उसने कोई जवाब नहीं दिया. फिर मैंने कुछ लेस्बियन लड़कियों के साथ लड़कियों वाली कुछ सीडी ऑनलाइन खरीद लीं और रोज़ उनको डीवीडी पर लगा जाती थी ताकि वो देख सके.
आख़िर इसका परिणाम भी जल्दी ही निकल आया.
ये वासना से युक्त मेरी और मेरी कामवाली की सेक्स स्टोरी आपको कैसी लगी, प्लीज़ मुझे मेल करें.
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कहानी जारी है.
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