कमसिन देसी लड़की की चुदाई की सेक्स कहानी

(Kamsin Desi Ladki Ki Chudai Ki Sex Kahani)

हिंदी सेक्स कहानी की बेहतरीन साईट अन्तर्वासना पर कहानी पढ़ने वाले सभी पाठकों को मेरा नमस्कार।

दोस्तो, मैं आपको आज अपने जीवन की सत्य घटना बताने जा रहा हूँ। मेरा नाम राजेश (बदला हुआ नाम) है और मैं छत्तीसगढ़ का रहने वाला हूँ। अभी मैं बीए में हूँ.. बहुत अच्छा सिंगर और बांसुरी बजाने वाला भी हूँ। मेरी इस योग्यता के चलते हर महीने लड़कियों के प्रोपोजल मुझे आते हैं और मैं अपने हिसाब से जो आसानी से चोदने मिले ऐसी लड़की को ही ‘हाँ’ कर देता हूँ।

थोड़ा सा अपने बारे में बता कर कहानी शुरू करता हूँ। मैं एक बहुत सुन्दर और हैंडसम लड़का हूँ। मेरे लंड का साइज औसत से बड़ा है और कसम से दोस्तों.. मेरे लंड में इतना दम है कि साला अच्छी से अच्छी लड़कियों की जान निकाल दे। सारी लड़कियां यही बोलती हैं कि राजेश तुममें 10 मर्दों के बराबर दम है। जाने कितनी बार ऐसा हुआ कि मेरा झड़ा ही नहीं होता और लड़की ‘बस.. बस..’ या ‘प्लीज़.. मुझे छोड़ दो..’ बोलने लग जाती है और मैं बिना कम्पलीट हुए रह जाता हूँ।

मेरी पहली कहानी मेरे गाँव की है। एक लड़की जिसने मुझे बहुत तड़पाया, लेकिन फिर उसी ने इतना मज़ा दिया कि क्या बोलूँ।

उसका नाम शकुंतला है। मेरे घर के पास में ही उसका घर है। वो मुझे एक साल छोटी है. अभी 19 की उम्र में है। तब वो 18 साल की थी और उसकी गदर जवानी पर गांव के लड़के जान देते थे। मैं भी उनमें से एक था.. लेकिन मुझे पता था ये मुझसे ही सैट होगी।

दो साल मैंने तड़प कर गुजारे आखिर में जब मैं उसे भूलने लगा और उसके घर आना-जाना और बात करना बंद किया, तब उसने फिर खुद कॉल करके मुझसे अपने दिल की बात बताई।

सारी लड़कियां ऐसी ही होती हैं। जब तक आप भाव दोगो.. वो भाव खाएगी। जैसे ही आपने भाव देना बंद किया वो खुद आपके पैरों में गिरेगी।

यही हुआ.. जिस दिन उसने बोला कि वो भी मुझे प्यार करती है.. सबसे पहले मैंने अपने लंड से कहा कि भाई बड़ी मुश्किल से ही सही.. लेकिन तेरे लिए इसके छेद का जुगाड़ हो गया।

मैं बहुत खुश था.. अब धीरे-धीरे मिलने-जुलने का कार्यक्रम होने लगा। चुम्मा-चाटी से होते हुए बात बढ़ी.. तो उसके छोटे-छोटे मगर प्यारे मम्मों को दबाने तक आ पहुँची। मुझे जब भी मौका मिलता उसके मम्मे जरूर दबाता। लेकिन उसके अन्दर अभी कामुकता नहीं चढ़ी थी शायद इसलिए वो चुदाई करने नहीं दे रही थी।

आखिर वो दिन आ ही गया। मेरे घर में उस दिन कोई नहीं था.. सब बाहर गए हुए थे और घर का बड़ा लड़का होने के नाते मुझे घर में रखा गया था। मैंने उसे दो दिन पहले बता दिया था कि आज मेरे यहाँ कोई नहीं होगा, तो तुम आ जाना.. उसने भी ‘हाँ’ बोल दिया था।

अब तो मैं उस दिन का इंतज़ार कर रहा था। जैसा कि मैंने बताया सब घर वालों के जाते ही वो ठीक 11 बजे आई। वो उस दिन बहुत खूबसूरत लग रही थी। सच कहूँ दोस्तों.. सलवार-सूट पहनी लड़की में एक अलग ही बात होती है और गांव की लड़की के तो कहने ही क्या। वो पूरी बम पटाखा माल लग रही थी।

जैसे ही वो घर के अन्दर आई.. मैंने झट से दरवाजा बंद कर लिया क्योंकि किसी के देख लेने का भी डर था। मैं उसे अपने कमरे में लेकर गया और अपनी बांहों में भर के जोर से किस किया। उसके लब चूसने में मुझे बड़ा मजा आ रहा था। एक प्यारी सी किस के बाद हम दोनों बात करने लगे।

उसने पूछा- तो क्या करने का इरादा है?
मैंने कहा- वही जो सब करते हैं?
उसने कहा- सब क्या करते हैं?
मैंने कहा- अभी बताता हूँ।

मैं जोर से उसे किस करने लगा। वो मेरा पूरा साथ दे रही थी। उसके किस करने लग रहा था जैसे मैं नहीं बल्कि आज वो मुझे अपने पूरे जोश से चोदने आई है।
मैंने धीरे से कहा- कुर्ती उतारो न?
उसने बड़े प्यार से कहा- आप ही उतार लो न।

मैंने उसकी कुर्ती को उतार दिया। कुर्ती उतारते ही मुझे लगा था कि ब्रा के दर्शन होंगे.. लेकिन उसने समीज पहना हुआ था। मगर फिर भी मैं बाहर से ही मम्मे दबा कर उसे गर्म करने लगा। गांव की लड़की सीत्कार तो ज्यादा नहीं करती लेकिन उसके बंद आँखें मुझे उसका हाल बयान कर रही थीं कि उसे बहुत मज़ा आ रहा है। मैं भी अपने पूरे जोश से उसे निचोड़ने में लगा था। आखिर दो साल बाद चिड़िया फाँसी थी.. आसानी से कैसे जाने देता।

मैंने कहा- समीज उतार दूँ क्या?
तो उसने मुझे मना कर दिया।
अब ऐसे स्टेज में पहुँचने के बाद इसके इस जवाब पर मुझे गुस्सा आ गया, मैंने कहा- उतारने नहीं दोगी तो समीज फाड़ दूँगा।
उसने कहा- फाड़ दो।
मैंने सच में समीज को फ़ाड़ दिया।

तो वो हैरानी से बोली- अरे तुमने तो सच में समीज को फाड़ दिया। अब तुम ही मुझे नई लाके दोगे।
मैंने कहा- जान तुम फाड़ने दो तो मैं ब्रा और पैन्टी भी नई लाने को तैयार हूँ।

फिर मैंने उसकी ब्रा को भी प्यार से उतार दिया।

क्या बताऊँ दोस्तों कि बिना किसी कपड़े के दोनों उभारों को दबाने और चूसने में कितना मज़ा आता है। वो गांव की लड़की थी.. अभी तक उसे मम्मों के दबाने के मज़े के बारे में तो पता था लेकिन मम्मों को चुसवाने के मज़े का पता नहीं था।

मेरे मम्मे चूसते ही वो जन्नत में पहुँच गई और अब धीरे-धीरे मुँह से बड़बड़ाने लगी- आह राजेश.. बहुत मज़ा आ रहा है। इस चीज़ में इतना मज़ा आता है मुझे पता नहीं था.. और जोर से चूसो.. और जोर से.. हाय.. कितना अच्छा लग रहा है.. अब से हमेशा चुसवाऊँगी।

मैंने कुछ मिनट में ही चूस-चूस कर मम्मों को लाल कर दिए।

फिर धीरे से नाड़ा खोलने की कोशिश की मगर नाकामयाब रहा। दोस्तों लड़कियां नाड़ा इतनी जोर से बांधती हैं कि चाहे जो भी हो.. उनके अलावा नाड़ा कोई नहीं खोल सकता। वो मेरे मन की बात समझ गई और उसने खुद ही बड़ी आसानी से नाड़ा खोल दिया।

हम दोनों अब तक बैठे हुए थे लेकिन अब मैंने उसे लिटा दिया और पजामे को धीरे-धीरे सरकाते हुए उसकी जांघों को चूमने लगा।

दोस्तो, जब भी कभी आप किसी लड़की के गुप्तांग को टच करो.. उसे अपने प्यार में उलझाए रखो.. उसका ध्यान कहीं और रखो ताकि वो अपने गुप्तांग को छूने के टाइम आपको डिस्टर्ब न करे और उसे और ज्यादा मज़ा आए।

मेरे चूमने से वो असीम आनन्द के सागर में गोते लगा रही थी और अपने होंठों को अपने दांत में दबाए हुए थी। सेक्स के टाइम जब लड़की अपने होंठ को दांत से दबाए हुए होती है न.. वो नजारा अच्छे अच्छों का पानी छुड़वा देता है। मैं भी इस लड़की का पूरा मज़ा ले रहा था। बचपन से आज तक मुझे लड़कियों की कमर के नीचे का हिस्सा बहुत पसंद है। सबकी नजर चेहरे, बूब्स या गांड पर होती है.. तो मैं उस जगह को देखता हूँ जहाँ चूत होती है। अब वो सिर्फ पैन्टी में बची थी।

मैंने उसके पैटी को उतार कर कहा- शकुंतला एक और बड़ा मजा पाने के लिए तैयार हो जा।

उसने जो बोला उस बात पर मुझे आज भी गर्व है।
बोली- बिना चोदे तुमने मुझे जन्नत के मज़े दिला दिए। हर आशिक को तुम्हारे जैसा ही होना चाहिए। इतना होने के बाद अभी और क्या बचा है.. प्लीज़ अब और सहा नहीं जाता.. कुछ करो ना।
मैंने कहा- मेरी जान अभी तो बहुत कुछ बचा है। आगे-आगे देखो क्या होता है। पूरी जिंदगी तुम ये दिन भूल नहीं पाओगी।

बस फिर क्या था.. झटके से पैंटी खींच कर मैंने एक चुम्मा उसकी चूत पर जड़ दिया।

चूत पर मेरे लबों के स्पर्श से वो अन्दर तक सिहर उठी। उसे जरा भी अंदाजा नहीं था कि मैं ऐसा कुछ करूँगा। उसके मुँह से निकले सीत्कार ने मुझे और जोश दिला दिया। मैं उसकी टांगों को फैला कर जोर-जोर से उसकी चूत चाटने लगा।

वो बोल रही थी- आह.. आह.. उह उइ माँ.. दीवाना बना दिया साले ने क्या मज़ा दिलाया है.. और करो राजेश और करो.. बहुत मज़ा आ रहा है.. आह्ह.. दिल जान जिस्म सब कुछ आज से तुम्हारा.. जहाँ बुलाओगे.. जब बुलाओगे.. तब भागी चली आऊँगी.. आह.. मेरे राजा।

ऐसा बोल कर वो मेरे सर चूत में दबाने लगी। मुझे समझ आ गया कि इसे चोदने का टाइम आ चुका है।

मैंने अपना मुँह उसके चूत से हटा लिया। वो बिन पानी की मछली की तरह तड़प उठी।

बोली- रुक क्यों गए और करो न प्लीज!
मैंने कहा- मेरे को भी तो मज़ा चाहिए।
उसने- और क्या करोगे तुम.. क्या कुछ और भी बचा है?
मैंने कहा- सबसे जरूरी चीज़ चुदाई तो अभी बची ही है.. अब मैं तुम्हारी चुदाई करूँगा।
उसने बोला- जो करना है जल्दी करो मुझसे सहन नहीं हो रहा। मैं पूरा मज़ा पाना चाहती हूँ।

मैंने कहा- जान एक समस्या है?
उसने पूछा- क्या?
मैंने कहा- चुदाई में तुमको थोड़ा दर्द सहन करना होगा.. फिर इतना मज़ा आएगा कि आज जो भी हुआ, उससे कई गुना ज्यादा मज़ा आएगा।

उसको मेरे जाल में फंसते देर न लगी।

‘और मज़ा…’ का सुन कर वो खुश होते हुए तुरंत बोली- आज का मज़ा तो वैसे भी मैं कभी नहीं भूलूंगी। लेकिन अब अगर ‘और मज़ा..’ आने वाला है तो मैं हर दर्द को बर्दाश्त करने को तैयार हूँ। जो करना है कर लो।
इतना बोल कर उसने अपनी टांगें खुद ही फैला दीं।

मैंने भी अपना खड़ा लंड बिना देर किए उसकी चूत में घुसाने के लिए चूत पर टिकाया और धक्का लगा दिया। मगर सब बेकार.. उसकी चूत इतनी ज्यादा टाइट थी कि लंड चूत के छेद से फिसल गया। मैंने इस बार उंगली से सही जगह देख कर लंड रखा और अन्दर दबा दिया। लंड के अन्दर जाते हो वो तड़प उठी और अपने को छुड़ाने की कोशिश करने लगी। मगर मैं भी पक्का खिलाड़ी था। मैंने सुना और पढ़ा भी था कि ऐसे टाइम में अगर लड़की छूट गई तो दुबारा बहुत मुश्किल से हाथ आएगी।

मैंने जोर से उसे पकड़ा और उसके होंठ को किस करने के अंदाज़ में जोर से अपने मुँह में दबाया और धीरे-धीरे लंड अन्दर धकेलने लगा। पहले की चिकनाई की वजह से लंड अन्दर तो जा रहा था लेकिन शकुंतला को बहुत दर्द हो रहा था। वो मेरी मजबूत पकड़ में छटपटा रही थी। मगर मैंने उसे छोड़ा नहीं। बाद में धीरे से मुँह हटाया.. तो वो रो रही थी।

मैंने- कहा जान बस थोड़ी देर में दर्द कम हो जाएगा। फिर तुमको आज का सबसे बड़ा वाला मज़ा आएगा।

ये बोल कर मैं उसे चूमने और मम्मों को मसलने लगा। जैसे कि सारी लड़कियों के साथ होता है.. उसका भी दर्द कम हो गया। अब उसने रोना बंद कर दिया और मुझे जोरों से चूमने लगी। मैं समझ गया कि ताबड़तोड़ चुदाई का वक्त आ गया है।

मैंने धीरे से धक्के लगाने शुरू किए। उसे मज़ा आने लगा तो वो मुझे और जोर से किस करने लगी और मेरे कमर की लय में अपने कमर को भी हिलाने लगी। अब मैंने बिना रहम किया जो चोदा.. तो उसको अपनी नानी याद आ गई। उसके सारे अंजर-पंजर ढीले होने लगे। वो मुझे छोड़ देने को गिड़गिड़ाने लगी।

वो तब तक 3 बार झड़ चुकी थी.. उसकी चूत सूज कर लाल हो चुकी थी मगर मैं था कि रुकने का नाम नहीं ले रहा था। दूसरी बात ये भी थी कि जब लड़कियां मुझे ‘बस.. बस..’ या ‘छोड़ दो प्लीज.. छोड़ दो..’ बोलती हैं, तो मुझे और ज्यादा मज़ा आता है और ऐसे वक्त मैं चूत को और जोर से चोदता हूँ। आखिर में मैं झड़ा और उसे छोड़ दिया.. तो उसकी जान में जान आई।

वो बोली- आज मेरी जान लेने का इरादा था क्या?

जवाब में मैं सिर्फ मुस्कुरा दिया।

वो फिर बोली- बहुत जालिम हो तुम.. मगर प्यारे जालिम हो। आज तुम्हारी बेरहमी से भी प्यार हो गया। क्योंकि अगर तुम बेरहम बनकर मुझे नहीं चोदते तो इस सुख का मज़ा मैं कभी नहीं ले पाती।

फिर हमने कपड़े पहने और वो एक बार मेरे गले लग के और एक प्यारा सा किस देकर चली गई।

उसके बाद तो उसे ना जाने कितनी बार और कैसे-कैसे चोदा क्या बताऊँ। हाँ यदि आप सब अनुमति देंगे तो जरूर बताऊँगा। उसकी और मेरी असली सुहाग रात के बारे में भी लिखूंगा। आज बस इतना ही.. उम्मीद है आप सबको मेरी जिंदगी की ये सच्ची चुदाई पसंद आई होगी। अपने कमेंट्स मुझे जरूर मेल करें ताकि मैं अपने और अनुभव आप सबके साथ बांट सकूँ। मेरी सेक्स कहानी पर आप सबके मेल का मुझे इंतज़ार रहेगा।
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