कमसिन क्लासमेट पूजा की चुदाई -1

(Kamsin Classmate Puja Ki Chudai- Part1)

मयंक लव 2016-02-28 Comments

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मेरा नाम मयंक है, मैं पटना से हूँ, मैं देखने मैं आकर्षक हूँ।

बात तब की है.. जब मैं 12 वीं क्लास में था और पूजा मेरी क्लास में पढ़ने को आई।
गजब की खूबसूरती थी उसमें.. और एक आकर्षण था। उसकी 5’6″ की हाइट थी.. लंबी टाँगें थीं उसकी.. और उन लम्बी टाँगों के आखरी छोर पर 36 के आकार के दो मचलते गोले फिट थे.. जो मुर्दों के लंड का भी पानी निकाल दें। उसका बदन बहुत सेक्सी था.. उसके मम्मे बहुत बड़े नहीं थे.. बस 28 या 30 के चीकू जैसे होंगे। पतली कमर और उसकी सुराहीदार गर्दन.. किसी को भी पागल बना दे.. ऐसी मदमस्त कुदरत का करिश्मा थी वो..

मैं पढ़ने मैं बहुत अच्छा था और उसका एक विषय में कुछ सही नहीं था तो टीचर ने उसको मेरे साथ बिठा दिया और उसको मुझसे हेल्प लेने को बोला।
इस तरह हमारी बात शुरू हुई.. फिर पता चला कि वो मेरे घर के पास ही रहती है।

धीरे-धीरे हम अच्छे दोस्त बन गए। पढ़ाई के लिए अब हम दोनों एक-दूसरे के घर भी जाने लगे।
मगर मैं उसके घर ही जाकर पढ़ना चाहता था.. क्योंकि अपने घर में वो छोटे कपड़ों में रहती थी।

जब वो छोटी सी स्कर्ट और छोटे से टॉप में होती.. तो दिल करता कि यहीं पटक कर अपना लंड उसकी चूत मैं डाल दूँ।

एक दिन मैं उसके घर पढ़ने गया.. तो देखा कि वो घर पर अकेली थी और टीवी देख रही थी और उस रोज वो कमाल की लग रही थी। काली रंग की स्कर्ट.. जो उसके घुटनों से ऊपर थी और बैठने की वजह से और भी ऊपर हो गई थी और उसकी गोरी और मांसल जाँघों को दिखा रहा थी।

य देखकर मेरा लंड पूरा खड़ा हो गया जो मेरे पैंट के ऊपर से दिख रहा था जिसे पूजा ने देख लिया.. वो मुस्कुराने लगी और मेरी आँखों में देखने लगी।
मैंने पूछा- आज पढ़ाई नहीं करनी है क्या?
तो वो बोली- करनी है.. मगर आज दूसरी पढ़ाई करेंगे।

उसने मेरे हाथ को पकड़ कर अपने पास बिठा लिया। मेरी जाँघें उसकी नंगी जाँघों से चिपकी हुई थीं और मेरा लंड पैंट से बाहर आने को बेक़रार था।
टीवी पर एक लव मेकिंग दृश्य आ रहा था और कमरे का माहौल पूरी तरह से गरम हो चुका था।

मैंने पूजा की तरफ देखा.. तो वो भी मेरी तरफ देख रही थी और उसकी आँखें मुझसे कुछ मांग रही थीं। हम दोनों एक-दूसरे के हाथ को सहला रहे थे और देख रहे थे।

तभी पूजा मेरे दोनों तरफ पैर करके मेरी गोदी में बैठ गई और मेरे गाल को पकड़ कर मेरे होंठ पर अपने होंठ को रख कर चूमने लगी।
बहुत गरम थे उसके होंठ.. और वो एकदम जंगली की तरह मेरे होंठों को चूसने लगी। मैं भी उसके होंठों को अपने होंठों मैं दबा कर चूसने लगा और काटने भी लगा।

हम दोनों की जुबानें एक-दूसरे के मुँह मैं स्वछन्द होकर घूम रही थीं।
उसके मुँह के अन्दर की गर्मी और वो गीलापन मुझे भी गर्मी दे रहा था और मेरे अन्दर भी कामाग्नि को भड़का रहा था।

अब मेरे हाथ उसके टॉप के अन्दर उसकी पीठ पर घूम रहे थे। उसकी ब्रा का बद्दी बार-बार मेरे हाथों से टकरा रही थी.. ये वो भी महसूस कर रही थी। अचानक वो मुझसे अलग हुई और अपने टॉप को अपने बदन से अलग कर दिया और ब्रा को पीछे से खोल दिया.. मगर अपने जिस्म से हटाया नहीं और वापस से मुझे चूमने लगी।

अब मेरे हाथ बिना किसी रोक-टोक के उसके रुई के जैसे मुलायम जिस्म पर इधर-उधर फिसले जा रहे थे और उस खूबसूरती को महसूस कर रहे थे।
मेरे हाथ अब उसके स्कर्ट के अन्दर जाकर पैंटी के ऊपर से ही उसकी मस्त और मादक चूतड़ों को छू रहा था।

उफ्फ.. कितनी मुलायम गाण्ड थी उसकी.. वो अहसास बहुत अच्छा था। मैं उसके चूतड़ दबाने लगा और वो और ज्यादा कुलबुलाने लगी और अपनी चूत को मेरे लंड पर रगड़ने लगी।

वो सिसकारी निकालने लगी.. उसकी पैंटी उसके कामरस से पूरी गीली हो चुकी थी.. जो मुझे अपने पैंट के नीचे तक महसूस हो रहा था। मानो उसकी चूत से गरम-गरम अहसास निकल रहा था।

अचानक से वो बहुत तेजी से अपनी कमर को चलने लगी और अपनी चूत को मेरे लण्ड पर रगड़ने लगी और अपने हाथों से अपने मम्मों को ब्रा के अन्दर हाथ ले जाकर दबाने लगी। मेरा लंड भी अब पूरे शवाब पर था। अचानक से उसने अपने मम्मों को मेरे मुँह में घुसा दिया और चूसने को बोलने लगी।

मैं भी उसके निप्पल को अपने दाँतों के बीच में लेकर पीने लगा और जीभ से निप्पल की नोक को सहलाने लगा।
साथ ही मैं अपने हाथ से उसकी गाण्ड के छेद को भी सहला रहा था।
इससे वो पागल सी हो गई और अपना सर इधर-उधर करके अजीब सी आवाज निकालने लगी और मेरे कंधों को पकड़ कर खूब तेजी से लंड पर अपनी चूत रगड़ने लगी।

फिर अचानक मेरे सर को पकड़ कर तेज आवाज निकाल कर अपना कामरस निकालने लगी.. जिसका अहसास बहुत गरम था.. जो मैं भी अपने लंड पर महसूस कर रहा था।
वो बहुत तेज हाँफ रही थी और मेरे सर को जोर से पकड़े हुए थी। थोड़ी देर बाद वो मेरी गोद से अलग होकर सोफे के हत्थे पर अपना सर लगा कर लेट गई और मेरी तरफ अपनी टाँगें रख कर दीं.. वो आँखें बंद करके कुछ होने का इन्तजार कर रही थी।
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तब मेरी नजर अपने पैंट पर गई जो उसके कामरस से पूरी तरह से भीग चुका था।

फिर मैंने उसकी जाँघों को देखा वो और उसकी पैंटी दोनों उसके कामरस से पूरी तरह से गीली थी। उसकी सफ़ेद पैंटी गीली होकर उसकी चूत से पूरी तरह से चिपकी हुई थी और चूत का पूरा आकार बता रही थी। ये देख कर मेरी हालत और ख़राब हो गई और मैं पैंट के ऊपर से ही अपना लंड सहलाने लगा।

मैं अपने दूसरे हाथ से उसकी जाँघों को सहलाने लगा और उसकी गीली पैन्टी के ऊपर से उसकी अभी-अभी झड़ी चूत को सहलाने लगा। मेरे हाथ लगने से पूजा को करेंट जैसा लगा और वो अपनी आँखों को खोल कर मेरी तरफ देखने लगी। वो अचानक उठ कर नीचे बैठ गई और मेरे लंड को पकड़ कर मसलने लगी और मेरे आँखों में देखने लगी।

उस वक़्त वो एक रंडी के जैसे लग रही थी। वो मेरे लंड को मेरे पैंट से निकाल कर उसके सुपाड़े को सहला रही थी और मेरे आँखों में देख कर अपनी जीभ अपने होंठों पर फेर रही थी।

उसकी ब्रा अभी भी उसके बदन से लटक रही थी। वो बहुत ही कामुक लग रही थी और मेरे आँखों में देखते हुए मेरा लंड हिला रही थी।
वो हल्के स्वर में बोल रही थी- अपना पानी मुझे पिला दो न..

मैंने भी मानो मूक सहमति दे दी।

अब वो जोर-जोर से लंड हिलाने लगी और मैं भी जो अब तक अपने आपको संभाल कर रखे हुए था.. अब नहीं संभल पाया और अचानक से लंड का सारा पानी पूजा के मुँह पर छोड़ दिया। सारा पानी उसके चेहरे से होते हुए उसके मम्मों पर गिरने लगा। फिर पूजा ने मेरे लंड को चूस कर साफ़ किया और उस पर एक चुम्मी ले ली।

अब उसके साथ वो सब होने वाला था जो हरेक की अन्तर्वासना को जगा देगा.. मेरे साथ इस विश्व-प्रसिद्द साईट अन्तर्वासना से जुड़े रहिए और अपने प्यारे ईमेल मुझ तक जरूर भेजिएगा। मुझे आपके खतों का इन्तजार रहेगा।

कहानी जारी है।
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