कमसिन जवानी की चुदाई के वो पन्द्रह दिन-11
(Kamsin Jawani Ki Chudai Ke Vo Pandrah Din- Part 11)
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अब तक आपने पढ़ा था कि मेरी चूत को अनवर जोर जोर से चोद रहा था, धक्के मार रहा था. तभी पीछे से मेरे बालों को पकड़ के कसके रमीज चोदने लगा था और गाली मुझे देने लगा था. मैं भी खूब गाली बकने लगी थी.
अब आगे..
रमीज बोला- साली वन्द्या मादरचोदी.. सड़क छाप कुतिया भी तेरे सामने कुछ नहीं है.. तू हर तरह से कितना चुदवाती है. यह तेरी गांड की उठान, बड़ी कातिल है. इसका कोई जवाब नहीं.
रमीज जोर से बहुत ताकत लगाकर अपने लंड को गांड के अन्दर जड़ तक घुसा देता.. फिर निकालता.
इधर आगे अनवर मेरी एक टांग को अपने कंधे में रखकर जोर से अब पूरा लौड़ा मेरी चूत में अन्दर करने लगा. वो इतनी तेजी से धक्का मारने लगा कि उसकी आवाज फच फच की पूरे कमरे में गूंजने लगी.
तभी पीछे रमीज से बोला- वन्द्या मेरा काम तो तमाम होने वाला है.. अब मेरे अन्दर स्टैमिना नहीं बचा.
यह कह कर रमीज तेजी तेजी से मेरी गांड को रगड़ने लगा. वो मेरे कंधे को पीछे से पकड़ कर बहुत तेजी से धक्के लगाने लगा और एक मिनट के अन्दर ही रमीज का पूरा रस मेरी गांड में भर गया.
रमीज झड़ते हुए बोला- मुझे लग रहा था कि तेरे मुँह में ही आज मेरा काम हो जाएगा. सच में इतना मजा आया, पर माल तेरी गांड में ही आया और मेरा काम हो गया.
थोड़ी देर चिपके रहने के बाद रमीज का लौड़ा सिकुड़ कर छोटा हो गया और वह उठ कर मुझे छोड़ के कपड़े पहनने लगा.
अब अनवर मुझे चोदते हुए बोला- तुझमें गजब का दम है वन्द्या.. तूने 3 लंड मेरे सामने खाली करा दिए.. अब मेरे में भी दम नहीं बचा.. चुदाई का जोश तो बहुत है.. पर मेरा काम भी तमाम होने वाला है.. आह गजब का स्टैमिना है तेरा.
उसका इतना कहना हुआ कि मेरी भी चूत में लगा कि कोई भूचाल आ गया. मैं बहुत जोश में आकर बोली- अनवर और जोर से मेरी चूत में डाल अपना लौड़ा.. आह फाड़ दे साले.. अन्दर मेरी चूत के जड़ तक घुसा लंड.. आह तेरा लौड़ा बहुत कड़क और मस्त है.. तू इसे हमेशा मेरी अन्दर चूत में डाले रहना, मैं तेरे लौड़े की दीवानी हो गई हूं. मुझसे रहा नहीं जा रहा.
तभी अनवर ने मेरी गर्दन पकड़कर जोर जोर से लंड मेरे अन्दर बाहर करने लगा कि तभी मेरी चूत बह चली और बहुत गर्म रस निकलने लगा. अनवर को भी एहसास हुआ. वो बोला- साली रंडी तेरा काम तो हो गया.. तू तो झड़ गई.. आह.. अब मेरी भी बारी आ गई.
बस एक मिनट में मुझे जोर जोर से रगड़ने के बाद अनवर के लंड का गरमा गरम लावा छूटने लगा और मेरी चूत में पूरा रस भर गया. लंड का पानी छोड़ते हुए अनवर पूरी तरह से मेरे ऊपर चढ़ गया.
वो रुक रुक कर मेरी चूत में धार मारा रहा था. मुझे उसके गरम पानी से चूत की सिकाई सी होती लग रही थी. वो मुझे चूमते हुए बोला- तू बहुत सुंदर और सेक्सी माल है.. तेरे जैसी आइटम आज बाजार में नहीं मिलती.. तू इतनी बड़ी चुदक्कड़ हो गई, वो भी इतनी कम उम्र में.. तुझे तो बड़े शहरों में टीवी में फिल्मों में होना चाहिए. सच में बहुत गजब का माल है तू.. जो तुझे चोद लेगा.. उसकी जिंदगी बन जाएगी. उसके बाद उसे किसी दूसरे की चूत की जरूरत ही नहीं होगी. चल थैंक्स वन्द्या डार्लिंग.
मेरे होंठों को चूम कर, दूधों को मसलकर अनवर उठ गया. मैं भी संतुष्ट हो गई, मेरी भी प्यास बुझ गई. अब मैं बहुत थकान महसूस करने लगी थी. वह तीनों भी रूम से निकल कर चले गए. मैं अन्दर बाथरूम में जाकर अपनी चूत और गांड अच्छे से साफ करके फिर टॉप और स्कर्ट पहन के सो गई. बिस्तर में लेटते ही इतनी जल्दी नींद लगी कि पता नहीं चला कि कब मैं नींद के आगोश में चली गई.
जब सुबह 9:00 बजे करीब धूप भी हो गई थी, तब मम्मी ने मुझे धक्का देकर उठाया. तब पता चला कि मम्मी मेरे साथ ही आकर सो गई थीं. मुझे ये नहीं पता चला कि मम्मी कब आकर मेरे साथ ही सोई हुई थीं. मुझे उठाने के बाद मम्मी मुझसे नजरें नहीं मिला पा रही थीं, ना मुझसे बात कर पा रही थीं. मुझे भी संकोच लग रहा था. आखिर रात में मम्मी को चुदवाते जो देखा था. इस कारण से जो भी हमें बात करनी थी, थोड़ा बहुत इशारे में ऐसे ही बात होने लगी.
मम्मी ने बोला- सोनू, अब समय हो गया है, घर चलना है. जल्दी से नहा कर तैयार हो जा.
मैं बाथरूम जाकर नहा कर फ्रेश होकर तैयार हो गई.
मुझे मम्मी ने बोला कि तेरी 3-4 ड्रेस इस बैग में हैं, देख ले जो पसंद आए पहन ले.
मैंने लॉन्ग स्कर्ट पहन लिया और ऊपर एक अच्छा सा टॉप पहन कर तैयार हो गई. मैंने रेड कलर की लिपस्टिक लगा ली और खुले बालों में आ गई.
नीचे गाड़ी लगी थी, राज अंकल आए और बोले- चलो सोनू, वापस घर चलते हैं.
वे मम्मी से भी बोले- चलो तुम भी दो गाड़ियां हैं … दोनों में अपन लोग आ जाएंगे.
मम्मी आगे आगे चल दीं, पीछे पीछे मैं चलने लगी. राज अंकल धीरे से मेरे कान में बोले- तू सोनू अलग गाड़ी में बैठना और मम्मी को अलग बैठा दूंगा. तुझे थोड़ा और मजा देना है क्योंकि अभी तो हम लोग बाकी हैं.
हम सभी नीचे उतरे, तो दो गाड़ियां खड़ी थीं. राज अंकल ने एक स्कॉर्पियो में मुझे बैठा दिया और जिस गाड़ी में आए थे उसमें मम्मी को बिठा कर बोले कि इसमें आप बैठो.
तब मम्मी ने बोला कि मैं भी उसी में चली जाऊं?
तो राज अंकल बोले- दोनों गाड़ियां साथ ही चलेंगी, कोई दिक्कत नहीं है. उसमें सोनू आराम से बैठी है और आप इधर इसी गाड़ी में चलिए.
मम्मी भी कुछ नहीं बोली और उसमें बैठ गईं. उस गाड़ी में मम्मी के साथ में तीन अलग-अलग नये लोग बैठ गए. उनमें एक तो अब्दुल और उनके साथ दो और थे. इधर मेरी वाली में जिसमें मैं बैठी थी, उसमें राज अंकल जगत अंकल, वही बुड्ढा ड्राइवर मन भरण और सिर्फ एक ही नया व्यक्ति चढ़ा, जिसका नाम रवि सिंह बताया. उनकी उम्र लगभग 40 से 42 वर्ष की थी वह भी ठाकुर ही थे. वे बड़े आदमी दिख रहे थे. मुझे बीच वाली सीट में बैठा दिया और उसी में रवि बैठ गए. पीछे की सीट पर जगत अंकल समेत दो लोग बैठ गए. आगे ड्राइवर के बगल से राज अंकल बैठे थे. स्कॉर्पियो की बहुत लंबी सीट थी, तो मैं विंडो तरफ बैठी थी.
जैसे ही अब गाड़ी चली तो राज अंकल ने बोला- सोनू, ये बहुत बड़े ठेकेदार और जमीदार हैं. इनके पिता जी का बहुत बड़ा काम है.. यहां 2-3 गांव में पहुंच है और यह अभी नए-नए हैं. इन्होंने तुम्हें पसंद किया है. हमने इनसे रिक्वेस्ट की कि हमारे साथ गाड़ी में चलें, तो ये सिर्फ तुम्हारे लिए आए हैं.
मैं कुछ नहीं बोली. गाड़ी चलते में रवि सिंह को राज अंकल ने बोला कि आप इतनी दूर क्यों बैठे हैं. सोनू को दूरी पसंद नहीं है, वह थोड़ा झिझक रही है. आप उसके पास चले जाइए, यहां कुछ संकोच मत करिए. आपसे कोई दिक्कत नहीं है, यह समझिए कि गाड़ी में आप दोनों के अलावा कोई नहीं है.
तभी रवि मेरी तरफ खिसक के आ गए और सीधे मेरे चेहरे को पकड़ कर अपनी तरफ करते हुए बोले- तुम बहुत खूबसूरत हो.. तुम्हारा नाम क्या है?
मैं कुछ नहीं बोली, मुझे शर्म आ रही थी.
रवि बोले- अपना नाम तो बता दो यार.
मैं बोली- मेरा वन्द्या नाम है.
रवि बोले- कितने साल की हो?
मैं बोली- लड़की से उम्र नहीं पूछते, बस यह जान लीजिए कि अभी मैंने इसी साल जवानी की क्लास पास की है.
मुझसे बात करते हुए रवि ने मेरे कंधे में हाथ रख कर पीछे से मेरे सीने में हाथ रख दिया और बोले- मैंने तुम्हारी बड़ी तारीफ सुनी है.. तो मैंने सोचा थोड़ा सा तुम्हारा जलवा देख लूं और टेस्ट भी कर लूं. तुम्हें कोई दिक्कत तो नहीं?
मैं फिर कुछ नहीं बोली.
तब आगे से राज अंकल बोले- रवि भैया आप संकोच मत करिए.. वह थोड़ा शर्मा और झिझक रही है. अभी थोड़ी देर में खुल जाएगी. आप तो अपना काम शुरू कर लीजिए.
इतना सुनने के बाद रवि मुझे बोले कि तुम बहुत सुंदर लगती हो और हो बहुत छोटी पर तुम्हारे नैन नक्श सब किसी मर्द को पागल कर दें.
यह कहते हुए वह मेरी गोदी में सर रख के लेट गए, मैं फिर भी कुछ नहीं बोली. इतने में उन्होंने मेरे टॉप को लेटे लेटे ऊपर किया और मेरी नाभि पर उंगली फेरने लगे.
रवि बोले- वन्द्या तेरी नाभि बहुत सेक्सी है.
मेरे पूरे पेट में हाथ फेरते हुए रवि ने मेरी नाभि में अपने होंठ रख दिए. तभी मेरे मुँह से सिसकी निकल गई. अब वे मेरी नाभि में अपनी जीभ डाल के उसे घुमाने लगे. मुझे एक अजीब सा नशा छाने लगा और मैं बिल्कुल पागल सी होने लगी. तभी रवि ने मेरे टॉप के अन्दर हाथ डालकर मेरे सीने में हाथ लगा दिया. मेरी ब्रा के ऊपर से मेरे बूब्स पकड़ लिए और दबा भी दिए.
रवि बोले- वन्द्या तेरे बूब्स तो बहुत कड़क लगते हैं.. बड़ी तारीफ सुनी है. तुम दिक्कत नहीं हो तो मैं तुम्हें बहुत मजे देने आया हूं.
इतने में मेरे टॉप को ऊपर करके उतारने लगे. मैंने थोड़ा सा एतराज किया, पर उनको कोई फर्क नहीं पड़ा. उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर ऊपर किया और मेरा टॉप उतार दिया. अब मैं ब्रा में हो गई.
मुझे ब्रा में देखते ही सीधे रवि मुझसे लिपट गए और बोले- वन्द्या तुम तो पूरी आइटम बम हो.. क्या मस्त सेक्सी फिगर है तुम्हारी.. गजब माल हो.
वो मेरी गर्दन चूमकर मेरे ब्रा के ऊपर से बूब्स दोनों चूमने लगे और फिर सीधे लिपट के मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए. उनके होंठ रखते ही जाने कैसी गर्मी मुझे होने लगी और उनकी सांसें मेरी सांसों से गरम-गरम अन्दर जाने लगी.
अब अपने आप से मेरा कंट्रोल हटने लगा. तभी रवि ने अपना हाथ मेरे लॉन्ग स्कर्ट के अन्दर डाल दिया और पेंटी की इलास्टिक को ऊपर करके सीधे मेरी चूत में अपना हाथ पहुंचा दिया. इधर दूसरे हाथ से वो पीछे से मेरी ब्रा का हुक ढूंढने लगे. जैसे ही उनका हाथ नीचे चूत में पहुंचा, वह थोड़ा सा चूत को सहलाने लगे. फिर अचानक से उंगली मेरी चुत में अन्दर डाल दी. मैं बिल्कुल उछल पड़ी. मुझे बिल्कुल होश नहीं रहा कि मैं क्या करूं. मुझमें कोई कंट्रोल मेरा नहीं बचा.
रवि मुझसे बोले- क्या हुआ, तुम क्यों उछल पड़ी?
मैं कुछ नहीं बोली, तभी उन्होंने अपनी उंगली को चूत में अन्दर चलाना शुरू कर दिया और बोले कि तुम तो बहुत सेक्सी और पागलपन की हद तक गर्म हो यार.. लगता है कि अपने साथ तुम्हें ले जाऊं और तुम्हारे बदन से लिपटा ही रहूं.
मैं बस मजा लेती रही.
फिर रवि बोले- मैं थोड़ा सा तुम्हारी इस नाभि को चूम लेता हूं. अब तुम यहीं सीट पर लेट जाओ.
मुझे आधा सा लिटा कर वे मेरी नाभि को चूमने लगे और अपने हाथ से मेरे दूधों को भी दबाते जा रहे थे. इसके बाद तो मेरा जो होश बाकी था, वह भी जाता गया.
फिर उन्होंने मुझे पकड़ा और बीच वाली लंबी सीट पर वहीं मुझे पकड़ कर पूरा लिटा दिया. जैसे ही मैं लेटी, वो मेरी ओर एकटक देखने लगे और बोले- वन्द्या तू तो कयामत से भी ज्यादा कयामत है. तू गजब की सेक्सी माल है. अब तो तुझे छोड़कर जाने का मन ही नहीं करेगा.
ऐसा कह कर रवि ने मेरी लॉन्ग स्कर्ट को पकड़कर नीचे खींचने लगे. मैंने थोड़ा सा रोका भी, पर रवि नहीं माने. जैसे ही स्कर्ट नीचे करने लगे तो मैंने आंखें बंद कर लीं, रवि ने मेरी स्कर्ट को उतार कर फेंक दिया. मैंने आंखें खोल लीं. अब मेरे बदन में सिर्फ पेंटी बची थी. पेंटी के ऊपर से ही सीधे रवि मेरी टांगों के बीच फूली हुई जगह पर चूत के ऊपर चूमने लगे और अपनी नाक रगड़ने लगे.
चूत रगड़ कर रवि बोले- क्या गजब की तेरी चूत फूली हुई है.. बहुत मस्त है. मैंने बहुत दिनों बाद ऐसा कोई माल देखा.
वे मेरी पेंटी के ऊपर से ही चूत की जगह पर चूमते रहे और बोले कि तेरी यह चूत वाली जगह तो पूरी गीली हो गई है.. बह रही है. बहुत जल्दी तू गर्म हो जाती है.
फिर मेरी चूत के अन्दर पेंटी को बगल में करके उंगली डाल दी और रस निकाल कर अपने मुँह में चाट लिया. फिर बोले कि तेरी चूत का रस बहुत टेस्टी है.. मैंने इतनी खुशबूदार और टेस्टी रस कभी नहीं पाया.. तू सच में पागलपन की हद तक गरम माल है.
अब वो मेरी चूत से अब पेंटी को उतारने लगे. जैसे ही पैंटी उतरी तो मैं पूरी नंगी हो गई. फिर रवि ने चलती गाड़ी में अपने पूरे कपड़े खोल दिए और राज अंकल से बोले कि यार कहीं कॉर्नर में हो सके तो गाड़ी लगा लेना या ऐसे चलाना कि कोई देखे ना. राज भाई, आप ध्यान रखना, मैं वन्द्या की बेदम चुदाई करने वाला हूं.
राज अंकल बोले- आप बिंदास खेलो.
बस फिर क्या था. रवि मेरे ऊपर चढ़ गए. उनका लंड मेरी चूत में टच हो रहा था. मैं अब बिल्कुल गरम हो गई थी.
मैंने रवि को पहली बार कुछ बोला कि आपने मेरे को ये क्या कर दिया.. मैं क्या करूं.. अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है.
वह बोले- तू चिंता छोड़.. मैं तेरी सारी प्यास बुझा दूंगा.
फिर वे उल्टा 69 में हो गए. मेरे मुँह में उनका लंड टच होने लगा. वे बोले- इसे चूस.
उन्होंने टांगें फैलाकर मेरी चूत में अपनी जीभ सीधे डाल दी और इतना जोर से चाटना चूसना शुरू कर दिया कि मैंने अपने आप ही उनका लंड अपने मुँह में भर कर चूसने लगी.
रवि मुझे पागल किए दे रहे थे, उनकी पूरी जीभ मेरी चूत में जा रही थी. जीभ को अन्दर तक डाल कर चूत को खाने जैसा लगे.
इस हालत में मैं बिल्कुल पागल सी हो गई और अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था. मैं अब कुछ भी बकने लगी. मैं रवि से बोली- तुम्हारा लंड बहुत मस्त है.
कुछ देर तक लंड चूसने के बाद अब मुझसे बिल्कुल रहा नहीं जा रहा था, मैं बोली- रवि जी सीधे हो जाओ और अब मत तड़पाओ.
रवि बोला- घुसवाना है क्या?
मैं बोली- हां डाल दो जल्दी.
रवि उठ कर सीधे हो गए और मुझसे बोले- थोड़ा कमर पीछे घोड़ी स्टाइल में ऐसी कर लो.
मैं बोली- जैसे तुम्हें ठीक लगे तुम खुद ही कर लो.
रवि ने मुझे उठाया तो मैं घोड़ी टाइप बनने को जैसे ही उठी तो आगे देखा कि राज अंकल अपने पेंट को नीचे करे अपना लंड हाथों से मुझे देख देख कर रगड़ रहे थे. उधर पीछे नजर घुमाई तो जगत अंकल तो पूरा पेंट उतारे हुए हाथ से लंड रगड़े जा रहे थे.
राज अंकल बोले- सोनू, तू सच में चुदाई की खिलाड़िन है. तेरा कोई जवाब नहीं है यार … तुझे चुदते और सेक्स करते देखने में बहुत मजा आता है. कंट्रोल ही नहीं होता.. जैसे भी हो हम तुझे चोदेंगे जरूर.. पर पहले रवि भाई अच्छे से कर लें.
रवि बोले- अरे ऐसा कुछ नहीं है.. आ जाओ.. थोड़ा जगह बना के सब सैट हो जाओगे.
रवि मुझसे बोले- पहले सीधे ही लेट जा.
अब मैं फिर से सीधी ही लेट गई और गाड़ी आगे बढ़ी तो देखा कि मम्मी की गाड़ी कॉर्नर में एक पेड़ के नीचे खड़ी थी.
राज अंकल बोले- देख सोनू, तेरी मम्मी लगता है जम के चुदवा रही है, पूरी गाड़ी खड़ी कैसे हिल रही है. उसको देखना चाहेगी?
मैं बोली- नहीं.. मैं देख तो चुकी हूं अब क्या देखना, उन्हें करने दो, जो करना है.
मैं कुछ बोलती कि वे ड्राइवर को बोले- एक मिनट के लिए थोड़ा गाड़ी वहीं पर बगल से लगा लो.
तो जैसे ही गाड़ी लगी, हमारी गाड़ी ऊंची थी तो पूरा दिख रहा था. मैंने देखा मम्मी औंधी पड़ी थीं, दो लोग उन्हें चोद रहे थे. एक मुँह में लंड डाले हुए था. मम्मी मुझे तो नहीं देख पाईं, पर मैंने मम्मी को अच्छे से देख लिया.
उनमें से एक अंकल ने मुझे भी देखा और मुझे इशारा भी किया कि आ जा तुझे भी चोद देंगे. उन्होंने मम्मी को बताया भी कि तेरी बेटी तेरी चुदाई देख रही है.
मम्मी ने राज अंकल और ड्राइवर अंकल को देख कर हाथ हिलाया कि गाड़ी आगे ले जाओ. उन्होंने इस शर्म से कहा कि कहीं वो लोग मुझे भी न बुला लें.
तो राज अंकल बोले- गाड़ी थोड़ा आगे करके छांव में लगा लो.
मैं बोली- नहीं … आगे चलिए यहां मम्मी हैं.
जगत अंकल बोले- अरे वह लेट कर चुदवा रही है … तुम्हें थोड़ी ना देखेगी.
बस थोड़े से ही आगे गाड़ी खड़ी करवा दी. वहां कोई नहीं था. रवि ने मुझे सीधा लिटा दिया और बोले- वन्द्या तेरा कोई जवाब नहीं.. चल टांगें ऊपर कर.
रवि ने मेरी टांगें अपनी दोनों कंधों में करके अपना लंड मेरी चूत में टच करा दिया.
मैं बोली- तड़पाओ मत.. घुसा दो पूरा डाल दो.
इतने में जगत अंकल ने आकर अपना लंड मेरे हाथों में पकड़ाया और बोला- ले साली चूस ले.. तू तो 15 दिन की मेरी बीवी है.. तुझे ऐसा पति नहीं मिलेगा जो इतने अच्छे अच्छे लौड़ा दिलवाये.
मैं हाथ में जगत अंकल का लौड़ा पकड़ के रगड़ने लगी कि तभी रवि ने एक झटके में जोर से मेरी चूत में पूरा लंड घुसा दिया.
मैं जोर से चीख उठी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ पर क्या करती.. मुझसे रहा नहीं जा रहा था तो मैंने ही तो डलवाया था. मुझे बहुत दर्द हो रहा था, इसलिए मैं बोली- बहुत दर्द हो रहा है. मुझे छोड़ दो मत करो.. बहुत दर्द हो रहा है.. मैं मर जाऊंगी.
पता नहीं क्यों.. मेरी चिल्लाने की एक आदत सी भी है. थोड़ा सा भी दर्द होता है तो मैं जोर-जोर से चिल्लाने लगती हूं. मैं तेजी से चिल्लाने लगी. कार बंद थी तो आवाज बाहर नहीं जा सकती थी.
रवि ने बोला- और चिल्ला साली.. बहुत मजा आता है, जब कोई लड़की लंड डालने से चिल्लाए चीखे.. मर्द की इसी मंस तो मर्दानगी है.. आज तू चिल्ला, रो, गिड़गिड़ा.. पर तुझे इतना मजा आएगा कि अभी चार पांच मिनट बाद कि तेरे सामने हम लोग फेल हो जाएंगे.
तभी राज अंकल अपनी आगे वाली सीट से पीछे आ गए और अपना पेंट पूरा नीचे खिसका कर मेरे पैरों को जो रवि के कंधे में थे, उन्हें चाटने लगे. इधर जगत अंकल ने मेरे मुँह में अपना लंड डाल ही दिया था, तो मेरी चीख भी बंद हो गई थीं.
रवि मेरी चूत में पूरी ताकत से लंड डाल के अन्दर बाहर रगड़ रगड़ कर चुदाई करने लगे. मैं दर्द से तड़पती रही और करीब तीन चार मिनट बाद पता नहीं क्या हुआ कि मेरा पूरा दर्द गायब हो गया और मैं अपने आप अपनी कमर उठा कर चुदवाने लगी. मैंने अपनी बांहों में रवि को जकड़ लिया और उनकी पीठ में नाखून से नोंचने लगी.
तभी रवि लंड पेलते हुए बोले कि अब मस्त मजा आ रहा है ना..
मैंने हां मैं इशारा किया क्योंकि मुँह में जगत अंकल का लंड था.
रवि करीब 6-7 मिनट तक मेरी जम के चुदाई करते रहे और फिर एकदम से बोले कि वन्द्या पोजीशन चेंज कर ले.. नहीं तो मेरा काम तमाम हो जाएगा. तू मेरे ऊपर आ जा.
मैंने पोजीशन चेंज की. अब रवि नीचे लेट गए और मुझे बोले- मेरे ऊपर लेट कर अपनी चूत फिट करके मेरे लंड पर बैठ जा.
मैंने ऐसा ही किया. जैसे ही बैठी, पूरी चूत गीली थी, तो झट से लंड घुस गया. अब पीछे से मेरी गांड खुल गई तो राज अंकल बोले- रवि भाई आप बुरा नहीं मानो तो मैं सोनू की गांड मार लूं.. मेरे से रहा नहीं जा रहा.
एक बार फिर से मेरे साथ सैंडविच सेक्स होने वाला था.
कहानी जारी है. आपके कमेंट्स का इन्तजार रहेगा.
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