पहली गर्लफ्रेंड से दूसरी मुलाक़ात- 1
(Indian GF Love Story)
इंडियन GF लव स्टोरी में मैं अपने दोस्त के घर में उसकी रिश्तेदार लड़की को चोद चुका था. मैं उससे दोबारा मिलना चाहता था लेकिन कोई रास्ता नहीं था. तो मैं उससे कैसे मिला?
सभी दोस्तों को मेरा नमस्कार.
आप सभी ने मेरी पिछली कहानी में
मेरी जिन्दगी की पहली चुदाई
मेरे जीवन का पहला अनुभव पढ़ा होगा.
जिन्होंने नहीं पढ़ा है, वे पढ़ सकते हैं. उसका लिंक मैं यहां दे रहा हूं।
बहुत से लोगों ने मेरी कहानी पढ़ी और उन्हें पसंद भी आई.
उन्होंने मुझे मेल भी किया और मेरी सराहना भी की.
मुझे काफी अच्छा लगा.
यह मेरी पहली कहानी थी जो मैंने अपने जीवन की सत्य घटना पर लिखी थी.
इस इंडियन GF लव स्टोरी का एक एक शब्द सत्य है.
बहुत से लोगों ने इस कहानी को बहुत सा प्यार दिया और मुझे कमेंट करके मैसेज करके बधाई भी दी.
अब मैं इस कहानी से आगे की कहानी बताने जा रहा हूं.
उम्मीद करता हूं आप सभी इस कहानी को भी प्यार देंगे.
मैं अभी अंतर्वासना पर नया हूं इसलिए मुझे कहानी लिखने का ज्यादा अनुभव नहीं है.
अगर मुझसे लिखने में कोई गलती होती है तो कृपया मुझे माफ करें।
जैसा कि आप सभी ने मेरी पिछली कहानी के भाग में पढ़ा कि कैसे मैंने गांव जाकर अपने दोस्त की शादी में एक उसकी ही रिश्तेदार की लड़की को कैसे पटाया और उसकी चुदायी भी की.
उसके बाद मैं उसको उसके घर पर कानपुर छोड़ आया।
अब इसके आगे की इंडियन GF लव स्टोरी का मजा लें:
मैं साराह को उसके घर छोड़ आने के बाद अपने घर लखनऊ वापस आ गया.
लखनऊ वापस आने के बाद मेरा दिल नहीं लग रहा था तो मैंने असलम से बात करके साराह के घर का फोन नंबर मांगा.
असलम ने उसका नंबर तो दे दिया पर अभी भी मेरे लिए एक चुनौती ही थी कि अगर मैं फोन करता हूं तो क्या बोलूंगा.
इसलिए मैं बहुत ही परेशान था.
कुछ दिन बाद एक अवसर मिला.
मेरा एक दोस्त है विवेक.
वह अक्सर सरकारी नौकरी के लिए फार्म डालता रहता था.
उसका सरकारी नौकरी का पेपर था. इस बार उसका सेंटर कानपुर बना था जो साराह के घर के पास में ही था.
विवेक का पेपर सुबह की शिफ्ट में था.
और वहां जाकर रूम नंबर पता करना कॉलेज ढूंढना एक बहुत बड़ी चुनौती थी क्योंकि वह शहर उसके लिए अनजान था.
विवेक ने मुझसे बोला- भाई अजय, क्या तुम मेरे साथ कानपुर चल सकते हो?
अनजान शहर होने की वजह से वह अकेले जाने से घबरा रहा था.
उसकी यह बात सुनकर मेरे दिमाग में एक ख्याल आया कि क्यों ना इसी बहाने साराह से मुलाकात की जाए.
मैंने फौरन ही उसको हां बोल दिया.
उसका पेपर अगले हफ्ते था।
मैंने तुरंत ही असलम को फोन करके बताया- भाई, मेरा एक दोस्त विवेक है. उसका पेपर कानपुर में है. अगर तुम अपने पापा के रिश्तेदार से यानि साराह के अब्बा से बात कर लो तो हमें वहां रुकने की इजाजत मिल सकती है. उसने तुरंत हां बोल दिया और कहा- मैं तुम्हें बात करके बताता हूं.
उसके बाद 1 घंटे के बाद मुझे एक नए नंबर से अननोन नंबर से कॉल आया.
मैंने फोन उठाया और हेलो बोला.
उधर से एक बहुत ही मीठी सी आवाज मेरे कानों को सुनाई दी- जी बोलिए.
मैंने कहा- मैंने आपको पहचाना नहीं आप कौन हैं?
तब उन्होंने अपना नाम साराह बताया
उसने बताया- असलम भाई का फोन आया था कि अजय के दोस्त का पेपर है.
इतने में मैंने बोला- जी हां, मेरा एक दोस्त है, उसका पेपर है. अगर आप हमारी मदद कर सकें तो बहुत मेहरबानी होगी.
इतना कहने के बाद साराह ने अपने अब्बा को फोन दे दिया.
उनके अब्बा से मैंने सलाम दुआ किया.
उसके बाद मेरे दोस्त का जिस कॉलेज में पेपर था, उस कॉलेज का नाम मैंने बताया.
साराह के अब्बा ने कहा- मुश्किल की कोई बात नहीं है. यह कॉलेज हमारे घर से कुछ ही दूरी पर है बेटा, अगर आप चाहो तो हमारे घर आकर रुक सकते हो.
मैंने उन्हें कहा- अंकल, शुक्रिया. मेरे दोस्त को जैसा ठीक लगेगा, कर लेंगे.
इतना कहने पर उन्होंने बोला- ठीक है जैसा आपको सही लगे, आप कर सकते हैं.
उसके बाद उन्होंने फोन रख दिया.
यह खबर मैंने अपने दोस्त को बताई- भाई, मैंने तुम्हारे पेपर दिलाने का काम कर दिया है. मेरा एक दोस्त है, उसके रिश्तेदार कानपुर में तुम्हारे कॉलेज के करीब ही रहते हैं.
उसने बोला- भाई सुबह के शिफ्ट में पेपर है. इसलिए हमें एक दिन पहले ही चलना होगा.
फिर एक हफ्ते बाद हम दोनों दोस्त कानपुर के लिए निकल गए.
कानपुर पहुंच कर हम लोगों ने साराह के अब्बा को फोन किया।
उन्होंने फोन उठाया और हमसे पूछा- आप लोग कहां पर हो?
हमने उन्हें बताया कि कानपुर बस अड्डा.
उन्होंने कहा- थोड़ी देर में मैं आपको वहीं मिलता हूँ.
थोड़ी देर बाद साराह के अब्बा अपने मोटरसाइकिल से बस अड्डे पर आ गए.
उन्होंने दोबारा फोन किया, बोले- कहां हो?
मैंने उन्हें बताया- हम काली रंग की स्कॉर्पियो में हैं.
उन्होंने हमें ढूंढ लिया और वे अपने साथ अपने घर ले गए.
वहां हमारा चाय नाश्ता हुआ.
उसके बाद उन्होंने हमें कॉलेज दिखाया.
कॉलेज दिखाने के बाद वे हमें वापस घर ले गए.
वहां जाने के बाद हमारी काफी बातचीत हुई.
उसके बाद मैंने कहा- अच्छा अंकल जी, अब हमें इजाजत दें. अब हम चलते हैं कल पेपर देने के बाद अगर समय मिला तो वापस आपसे मुलाकात करने आएंगे.
मेरी आवाज सुनकर साराह की अम्मी बोली- बेटा, आप लोग कहां जा रहे हो?
मैंने कहा- हम लोग कॉलेज के पास के होटल में ही रुक जाएंगे और सुबह पेपर देने के बाद वापस घर चले जाएंगे.
इतना सुनते ही साराह के अब्बा ने हमें टोकते हुए कहा- बेटा अजय, क्या हम तुम्हारे अपने नहीं हैं? यह घर भी तुम्हारा है. तो फिर तुम होटल में क्यों रुक रहे हो? एक रात की ही तो बात है. आप हमारे घर ही रुक जाओ!
उनके ज्यादा जोर देने पर मैं उनको मना नहीं कर सका.
और वैसे भी मेरा भी दिल यही चाह रहा था कि मैं वहीं रुकूं क्योंकि मेरे जाने की वजह तो आप सभी को पता है.
वह वजह थी साराह की मोहब्बत।
उसके बाद मेरा दोस्त विवेक ने मुझसे बोला- भाई, मुझे थोड़ा आराम करना है और फिर पढ़ाई करनी है जिससे मैं सुबह पेपर दे सकूं.
यह बात मैंने साराह के अब्बा से बोली.
तब उन्होंने बताया- हमारा ऊपर का एक कमरा खाली है. बेटा विवेक, आप वहां जाकर आराम कर सकते हैं.
विवेक ने अपना बैग उठाया और चला गया.
साराह की अम्मी ने उसके लिए कुछ खाने का सामान और पानी वहां रूम में भिजवा दिया.
उसके बाद मैं और साराह के अब्बा बैठकर बातें करने लगे.
थोड़ी देर मैं ही शाम हो गई.
तब साराह के अब्बा ने मुझसे पूछा- बेटा आप खाने में क्या खाएंगे?
उनका पूछने का मतलब यह था कि मैं शाकाहारी खाना खाना चाहता हूं या फिर मांसाहारी.
मैंने उन्हें बोल दिया- आप शाकाहारी खाना कुछ भी खिलाएं.
इतने में शाम होते ही साराह भी अपने कोचिंग से वापस आ गई.
उसने मुझे देखते ही सलाम किया और अंदर चली गई.
अंदर जाने के बाद उसने मुझे एक नए नंबर से मैसेज किया और बोली- घर तक आ ही गए?
मैंने भी जवाब में बोला- आप क्या चाहते हो? वापस चला जाऊं?
उसने बोला- मैंने ऐसा तो नहीं कहा.
उसके बाद उसने एक दिल वाला इमोजी भेज कर आई लव यू बोला.
और फिर वह अपने काम में व्यस्त हो गई।
फिर साराह के अब्बा ने मुझसे बोला- चलो बेटा तुम्हें यहां का बाजार घुमा लाता हूं.
इतने में साराह ने अंदर से आवाज लगाई- अब्बा, मुझे भी बाजार चलना है.
तब साराह के अब्बा ने कहा- एक मोटरसाइकिल पर कितने लोग चलोगे?
तब मैंने कहा- अरे अंकल जी, आप क्यों चिंता करते हैं. चलिए सभी लोग घूम आते हैं ना … मैं अपनी गाड़ी लेकर आया हूं!
साराह की अम्मी ने बोला- नहीं बेटा, आप लोग ही घूम आओ.
मैंने कहा- नहीं आंटी जी. आपके कहने पर और अंकल के बोलने पर मैं आपके यहां रुक सकता हूं तो क्या आप मेरे कहने पर बाजार नहीं चल सकते?
उसके बाद हम सभी लोग बाजार गए.
वहां पर घूमे, कुछ सामान खरीदा, उसके बाद वापस आ गए.
रात का खाना खाने के बाद सभी लोग लेटने की तैयारी करने लगे.
मुझे खाना खाने के बाद सिगरेट पीने की आदत है तो मैं खाना खाने के बाद छत पर चला गया यह बोलकर कि मेरी एक बहुत जरूरी कॉल आई है, मैं बात करके थोड़ी देर में वापस आता हूं.
वहां जाने के बाद जैसे ही मैंने अपने सिगरेट जलाई, साराह आ गई.
उसने मेरी सिगरेट छीन कर तोड़कर फेंक दी और बोली- सुनिए मिस्टर अजय चौधरी, यह आपका घर नहीं है. यहां धूम्रपान करना मना है इसलिए आप यहां सिगरेट नहीं पी सकते हैं.
इतना कहते ही मैंने उसको अपनी और खींचा और बाहों में ले लिया और बोला- ठीक है सिगरेट ना सही तो कुछ और ही सही … लेकिन मुझे पीना तो है!
यह सुनकर साराह हंसने लगी और बोली- यार, तुम्हें मेरी याद नहीं आती थी?
मैंने कहा- अगर याद नहीं आती तो मैं यहां नहीं आता.
उसके बाद उसने बोला तुमने मुझे एक फोन तक नहीं किया?
मैंने कहा- जब तुमने अपना नंबर ही नहीं दिया तो मैं कैसे फोन करता?
इतना सुनते ही वह इमोशनल हो गई और मेरे गले लग कर रोने लगी और बोली- मुझे लगा कि तुम मुझे भूल गए हो और दोबारा कभी भी नहीं मिलोगे.
मैंने कहा- नहीं मेरी जान, ऐसा कुछ नहीं है. बस समय समय की बात है. किस्मत में था हम दोनों का मिलना … तो मिल गए. अब सही समय आने पर आगे भी मिलते रहेंगे.
उसने मेरी यह बात सुनकर जोर से गले लगाया और एक बहुत ही शानदार किस किया.
किस करते ही मेरा मूड बन गया.
मैंने काफी देर तक साराह के होठों को अपने होठों से दबाए रखा.
और हमारा यह चुंबन काफी देर तक चला.
तभी हमें जीने पर किसी के आने की आहट सुनाई दी.
तब हम दोनों दूर हो गए और इधर-उधर की बातें करने लगे.
सीढ़ियों पर कोई और नहीं, मेरा दोस्त विवेक ही था जिस को पता था कि मेरी कानपुर में एक गर्लफ्रेंड है.
लेकिन वह यह नहीं जानता था कि वह मेरी गर्लफ्रेंड साराह ही है.
उसने हम दोनों को देखकर अंदाजा लगा लिया कि साराह मेरी वही गर्लफ्रेंड है जिसके बारे में मैं उससे अक्सर बातें करता रहता था.
वह हमारे करीब आया और साराह को भाभी बोल कर नमस्ते किया और कहा- भाभी जी, अजय हमेशा आपकी ही बातें करता रहता है. आपने अजय पर ऐसा क्या जादू किया है?
इतना सुनते ही हम तीनों जोर से हंसने लगे.
उसके बाद मैंने साराह को नीचे भेज दिया.
हम दोनों दोस्तों ने थोड़ी देर बातें की उसके बाद नीचे चले आए.
नीचे साराह और उसकी अम्मी दूसरे कमरे में लेटी थी.
मैं और साराह के अब्बा और विवेक साराह का भाई एक रूम में लेटे थे.
सर्दियों का मौसम था, इस वजह से कोई दिक्कत नहीं थी.
रात के करीब 1:30 बज रहे थे मुझे हल्की-हल्की नींद आने लगी थी.
इतने में साराह का मैसेज आया, लिखा था- ऊपर वाले कमरे में आओ जल्दी!
मैंने अपने अगल-बगल देखा और ऊपर चला गया.
वहां मैंने साराह को अपने गले से लगाया, फिर उसे किस करने लगा.
हम दोनों का किस काफी लंबे समय तक चला.
कभी वह मेरे होठों को काट लेती, कभी मैं उसके होठों को काट लेता.
इस प्यार मोहब्बत के लम्हों में हमें इतना सुरूर आया कि पता ही नहीं चला कब हम लोग एक दूसरे में इतना खो गए.
किस करते करते मेरे हाथ उसके बदन पर चल रहे थे.
वह भी अपने हाथों से मुझे अपनी ओर खींच रही थी.
हम लोग लगभग 15 मिनट तक करते रहे.
और साथ-साथ मैं उसके स्तनों को दबाता रहा.
वह भी धीरे-धीरे अपने हाथों को मेरे पैंट में डालने लगी.
उसने मेरे लंड को पकड़ लिया और हिलाने लगी.
मुझे मजा आने लगा.
और मैंने साराह को बोला- मुंह में लो!
पहले उसने थोड़ा ना नुकर किया लेकिन मेरे कहने पर मान गयी, और प्यार से ले लिया.
पहले उसने लंड के टोपे को किस किया, फिर उस पे अपनी जुबान से चटकारे मारने लगी. कभी कभी उस पे अपनी जुबान गोल गोल घुमाती.
मुझे इतना मजा आ रहा था कि मैं क्या बताऊं.
मैं मदहोश होने लगा.
इंडियन GF लव स्टोरी अगले भाग में चलेगी.
अब तक की कहानी पर कमेंट्स और मेल में अपनी राय बताएं.
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इंडियन GF लव स्टोरी का अगला भाग: पहली गर्लफ्रेंड से दूसरी मुलाक़ात- 2
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