एक दिल चार राहें -16
(Indian Desi Girl Chudai Kahani)
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इंडियन देसी गर्ल चुदाई कहानी में पढ़ें कि अपनी जवान हाउस मेड की चुदाई के बाद मैं उससे लंड चुसवाने का मजा लेना चाहता था लेकिन डर था कि कहीं वो बिदक ना जाए.
मेरी इंडियन देसी गर्ल चुदाई कहानी में अब तक आपने पढ़ा:
हमें 20-25 मिनट हो ही गए थे। इस बीच सानिया दो बार और झड़ गई थी और अब तो मुझे भी लगने लगा था मेरा तोता उड़ने वाला है। अब मैं उसके ऊपर आ गया और धक्के लगाने लगा। सानिया ने अपने दोनों पैर ऊपर उठा दिए और मैंने भी 5-7 धक्कों के साथ अपनी पिचकारियाँ छोड़ दी।
सानिया आह … उईईइ … करती अपने जीवन के इन अनमोल पलों को भोगती रही। थोड़ी देर बाद हम दोनों उठ कर खड़े हो गए। सानिया अपने पेंट और शर्ट (टॉप) उठाकर बाथरूम में भाग गई।
बेड पर लेटा मैं अगले प्रोग्राम के बारे में सोचने लगा था। मेरा मन एक बार उसे लंड चुसवाने का भी करने लगा था।
अब आगे की इंडियन देसी गर्ल चुदाई कहानी:
सानिया 10 मिनट के बाद कपड़े पहनकर बाथरूम से बाहर आ गई। पता नहीं उसने आज इतना समय कैसे लगा। मुझे लगता है आज उसने अपनी बुर की हालत को ढंग से चेक किया होगा। कल तो मैंने उसे ज्यादा देखने का मौक़ा ही नहीं दिया था।
अब मैंने भी बाथरूम में जाकर अपने लंड को धोकर उस पर तेल लगाया और फिर कपड़े पहनकर बाहर आ गया।
आज मेरा मूड सानूजान के साथ ही नहाने का था पर सानूजान के सिर पर नाश्ते और सफाई का भूत सवार था. तो पहले उसे उतारना जरूरी था।
अब तक साढ़े आठ बज गए थे और बाथरूम वाले कार्यक्रम में भी एक घंटा तो और लगने वाला था।
मैं नाश्ते के चक्कर में अपने अपने कार्यक्रम की वाट नहीं लगना चाहता था पर मजबूरी थी।
“सानू तुम जल्दी से सफाई आदि कर लो मैं बाज़ार से तुम्हारे लिए जलेबी-कचोरी आदि लाने जा रहा हूँ जल्दी आ जाऊँगा।”
“हओ”
मुझे बाजार से नाश्ता पैक करवाकर लाने में 15 मिनट तो लग ही गए थे। रास्ते में आते समय मैंने ऑफिस में गुलाटी को बोल दिया था कि मैं आज ऑफिस में थोड़ा लेट आऊंगा।
घर पहुँच कर दरवाजा बंद करके मैंने जलेबी और कचोरी नमकीन आदि डाइनिंग टेबल पर रख दी.
और फिर लगभग भागता हुआ रसोई में आ गया। सानू जान ने सफाई कर ली थी और चाय बना रही थी।
मैंने सानिया को पीछे से बांहों में भर लिया। मेरा लंड उसके नितम्बों पर जा टकराया। मैंने उसे बांहों में भर लिया और उसके उरोजों को दबाने लगा।
“ओह … क्या कर रहे हो … आह … चाय तो बनाने दो …”
“मेरी जान आज तो तुम्हें अपनी बांहों से दूर करने का मन ही नहीं हो रहा.”
“आप बाहर बैठो. मैं चाय लेकर आती हूँ.”
और फिर सानिया ने चाय छानकर थर्मोस में डाल ली और 2 प्लेट्स और गिलास लेकर हम दोनों डाइनिंग टेबल पर आ गए।
सानिया दो प्लेटों में जलेबी और कचोरी नमकीन आदि डालने लगी।
“यार … सानू साथ खाने का मतलब यह थोड़े ही होता है?”
“क … क्या हुआ?” सानिया ने डरते हुए पूछा।
“अरे यार ये दो प्लेट में क्यों डाल रही हो?”
“तो?”
“आज हम दोनों एक ही प्लेट में खायेंगे.” और फिर मैंने एक जलेबी उठाकर उसे सानिया के मुंह की तरफ बढ़ाई।
पहले तो वह कुछ समझी ही नहीं पर बाद में रहस्यमयी ढंग से मुस्कुराते हुए उसने अपना मुंह खोल दिया।
उसने आधी जलेबी मुंह से तोड़ ली और खाने लगी।
अब मैंने बाकी बची आधे जलेबी अपने मुंह में डाल ली।
“अले … मेली जूठी … ओह …”
“मेरी जान … तुम मेरी इतनी अच्छी दोस्त हो तो क्या मैं तुम्हारा जूठा नहीं खा सकता?”
बेचारी सानिया के लिए मेरे शब्दजाल में उलझे बिना कैसे रह सकती थी।
“सानू मेरा मन तो एक और बात के लिए कर रहा है?”
“आज सारे कपड़े उतार कर तुम्हें अपनी गोद में बैठा कर हम नाश्ता करें?”
“हट!”
“प्लीज आओ … ना …”
मेरा थोड़े मान-मनोवल पर सानिया शर्माते हुए अपनी कुर्सी से उठ खड़ी हुई। अब मैंने खड़े होकर अपने कपड़े उतार दिए और फिर सानिया को भी कपड़े उतारने का इशारा किया।
सानिया थोड़ी शरमाई तो जरूर पर उसने भी अपने कपड़े उतार दिए। फिर मैं उसे अपनी गोद में लेकर कुर्सी पर बैठ गया।
मैंने अपने हाथों से उसे कचोरी और जलेबी खिलाना शुरू कर दिया। मेरा लंड उसके नितम्बों के नीचे दब सा गया। उसका उभार सानिया ने महसूस तो जरूर कर लिया था पर वह बोली कुछ नहीं।
लंड फनफनाते हुए उसकी जाँघों के बीच में लहराने सा लगा था। सानिया को भी इस नये प्रयोग में बड़ा मज़ा आने लगा था। हमने नाश्ता तो लगभग कर ही चुके थे मैं चाहता था इसे गोद में बैठाए हुए ही किसी तरह इसकी बुर में अपना लंड डाल दूं।
“सानू?”
“हओ?”
“यार आज चाय पीने का मूड नहीं है.”
“तो?”
“मैं कल तुम्हारे लिए आइक्रीम लेकर आया था। तुम बोलो तो आज नाश्ते के साथ पहले वह खाएं?”
“हओ” सानिया को भला क्या ऐतराज हो सकता था।
मैं उसे अपनी गोद से उतारना तो नहीं चाहता था पर अब तो फ्रिज से आइसक्रीम लाने की मजबूरी थी। सानिया झट से मेरी गोद से हट गई और रसोई में जाकर फ्रिज में रखी आइसक्रीम के दो कोण ले आई।
अब मैंने उसे फिर से अपनी गोद में बैठा लिया। इस बार मैंने उसकी जांघें अपने पैरों के दोनों ओर कर दी थी। ऐसा करने से मेरा लंड ठीक उसकी बुर से जा टकराते हुये दोनों जाँघों के बीच फंस सा गया।
अब मैंने एक कोण का रेपर उतारकर तो सानिया के मुंह की ओर किया। सानिया ने एक छोटा सा टुकड़ा अपने मुंह में भर लिया। अब मैंने उस कोण को सानिया के उरोज पर लगा दिया।
“आआ … ईईइ … क्या कर रहे हो?” सानिया तो शायद सोच रही थी मैं जलेबी की उसकी जूठी आइसक्रीम खाने वाला हूँ।
और फिर मैंने उसके उरोज पर लगी आइसक्रीम को पहले तो चाटा और बाद में उसके उरोज को मुंह में भर कर चूसने लगा। मेरा लंड तो ठुमके ही लगाने लगा था।
“आह … उईईइ!” सानिया की एक मीठी किलकारी निकल गई।
मैंने 2-3 बार उस आइसक्रीम के कोण को उसके उरोजों पर लगाया और फिर उसे चाट कर उसके उरोजों के निप्पल्स को चूमने लगा। सानिया तो रोमांच के मारे उछलने ही लगी थी।
सानिया ने अपनी जांघें चौड़ी कर दी और अपना हाथ नीचे करके मेरे लंड को सहलाने लगी। लंड तो और भी ज्यादा खूंखार हो गया था। अचानक सानिया मेरी गोद से उछलकर खड़ी हो गई और इससे पहले की मैं कुछ समझ पाता सानिया ने मेरा हाथ से आइसक्रीम का कोण ले लिया और मेरे लंड पर लगा दिया। और फिर फर्श पर बैठकर लंड को मुंह में भर कर चूसने लगी।
हे लिंग देव! आज तो तेरे साथ-साथ उस कामशास्त्र की महान ज्ञाता प्रीति नामक विस्फोटक पदार्थ की जय भी बोलनी पड़ेगी।
सानिया जोर-जोर से मेरा लंड चूसे जा रही थी। आह उसके चूसने के अंदाज़ से तो यही लगता है उस प्रीति ने उसे अपनी सच्ची शागिर्द (शिष्या) बना लिया है।
मैं अपने भाग्य को सराहने लगा था। गौरी को तो लंड चुसवाने में मुझे पूरा एक महीना लग गया था और कितने पापड़ बेलने पड़े थे आप जानते ही हैं पर आज जिस प्रकार सानिया मेरे लंड को चूस रही थी ऐसा लग रहा था जैसे जन्नत की 72 हूरों में से एक यह भी है।
मेरा मन तो हो रहा था आज अपना सारा वीर्य इसके मुंह में ही निकाल दूं पर आज मैं उसके साथ नहाते हुए इस आनंद का मजा लेने की सोच रहा था।
“सानू मेरी जान … मेरी प्रेयशी तुम लाजवाब हो … आह … सानू सच में मैं कितना भाग्यशाली हूँ कि तुम्हारे जैसी प्रेमिका मुझे मिली है।”
सानिया ने 5-4 चुस्की और लगाईं और फिर मेरे लंड को मुंह से बाहर निकाल कर खड़ी हो गई। मैंने उसे अपनी बांहों में भींच लिया और उसके होंठों पर चुम्बन लेते हुए उसके होंठों को चूमने लगा।
“सानू?”
“हम्म?”
“आओ आज साथ में नहाते हैं?”
और फिर मैं सानिया को अपनी गोद में उठाकर बाथरूम में ले आया। हम दोनों शॉवर के नीचे आ गए। पहले तो मैंने उसके सारे शरीर पर साबुन लगाया और फिर उसकी बुर और गांड पर भी साबुन लगाकर खूब मसला। सानिया तो आह … उईईइ … ही करती रह गई।
सानिया ने भी मुझे निराश नहीं किया। उसने मेरे सारे शरीर पर साबुन लगाया और मेरे लंड को भी अपने हाथों में पकड़ कर साफ़ किया और एक बार फिर से चूम लिया।
लंड तो घोड़े की तरह हिनहिनाने लगा था। मन तो कर रहा था इसके मुख श्री में ही आज पानी निकाल दूं पर मैं एक बार इसे घोड़ी स्टाइल में चोदने की सोच रहा था।
“सानू जान?”
“हम्म”
“आओ … आज एक नये आशन में करते हैं.”
उसने प्रश्नवाचक निगाहों से मेरी ओर देखा।
“तुम थोड़ा सा झुक कर उस नल को पकड़ लो और अपने नितम्बों को मेरी ओर करके खड़ी हो जाओ.”
“क … क्यों?” उसने हैरानी भरी नज़रों से मेरी ओर देखा।
“अरे बताता हूँ पहले होओ तो सही?”
“नहीं … नहीं मैं पीछे से नहीं करवाऊंगी … उसमें बहुत दर्द होता है.”
“अरे नहीं मेरी जान … मैं ऐसा नहीं कर रहा मेरा विश्वास रखो.”
“तो?”
“अरे इस स्टाइल में हम दोनों को बहुत मज़ा आयेगा।”
सानिया असमंजस में थी। उसे शायद मेरी बातों पर विश्वास ही नहीं हो रहा था। मुझे लगता है साली उस प्रीति ने इसे कामशास्त्र का पूरा ज्ञान अभी नहीं दिया है।
वह थोड़ा डरते नल को पकड़ कर अपना सिर झुका कर खड़ी हो गई। ऐसा करने से उसके नितम्ब ऊपर उठ से गए और नितम्बों की खाई भी थोड़ी चौड़ी हो गई।
मैंने पहले तो नितम्बों पर एक चुम्बन लिया और फिर उन पर अपनी जीभ फिराने लगा।
फिर मैंने उसके नितम्बों को दोनों हाथों से थोड़ा सा खोला तो गांड का सांवला सा छेद नज़र आने लगा और उसके नीचे मोटे-मोटे गुलाबी रंग के पपोटे रस से भरे हुए। सानिया के शरीर के सारे रोयें खड़े से हो गए थे। उसका तो सारा ही लरजने लगा था।
अब मैंने अपने अंगुलियों से उसके पपोटों को पकड़कर थोड़ा सा खोला। लाल रंग का रक्तिम चीरा ऐसे लग रहा था जैसे तरबूज की पतली सी फांक हो।
मैंने अपनी जीभ उसपर लगा दी।
‘ईईईई …’ सानिया की एक किलकारी पूरे बाथरूम में गूँज उठी।
मेरा लंड तो इस समय इतना अकड़ कर लोहे की सलाख हो चुका था। मैंने सोप स्टैंड से क्रीम की शीशी निकल कर अपने लंड पर लगा ली और थोड़ी क्रीम सानिया की बुर के चीरे पर भी लगा दी। अब मैंने अपना लंड उसकी बुर के छेद पर लगाने की कोशिश की तो सानिया छिटक कर अलग हो गई।
“क्या हुआ?”
“वो आपने निरोध … तो लगाया ही नहीं?”
“ओह … हाँ … मैं भूल गया।”
साला यह निरोध का भी झंझट ही रहता है। बुर की दीवारों के साथ बिना किसी अवरोध के लंड के घर्षण में कितना मज़ा आता है और फिर स्खलन के समय बुर में पूरा वीर्य उंडेलने का आनंद तो शब्दातीत (जिसे शब्दों में बयान ना किया जा सके) होता है। मेरी कितनी बड़ी इच्छा थी कि सानिया की बुर में अपने रस की अनगिनत फुहारें छोडूं।
“अच्छा सानू … एक बात बताओ?” वह सीधी होकर खड़ी हो गई।
“क्या?”
“वो तुम्हारी पीरियड्स की डेट क्या है?”
“वो क्या होती है?”
“अरे हर महीने तुम्हारे ऊपर छिपकली गिरती है ना? मैं उसकी बात कर रहा हूँ?”
“ओह … अच्छा?” सानिया मुस्कुराने लगी थी। “वो पिछली बार जब तोते और मधुर दीदी मुंबई गए थे ना उसके 5-7 दिन पहले की बात है? पर आप यह सब क्यों पूछ लहे हैं?”
मेरी तो जैसे बांछें ही खिल उठी। मधुर को गए 20-22 तो हो गए हैं इसका मतलब इसके पीरियड्स बस आज कल में आने ही वाले हैं।
वाह … अब तो बिना किसी डर और अवरोध इसकी कमसिन बुर को वीर्य की फुहारों से सींचा जा सकता है।
“अरे वाह … मेरी जान तुमने तो मेरी सारी चिंताएं ही मिटा दी।” मैंने फिर से उसे बांहों में भर लिया और उसके गालों पर एक चुम्बन ले लिया।
“कैसे … क्या मतलब?” सानिया हैरान हो रही थी।
“इसका मतलब है तुम्हें बस 1- 2 दिनों में तुम्हें पीरियड्स आने ही वाले हैं? और तुम्हें एक बात बताता हूँ छिपकली गिरने के 7 दिन पहले और 7 दिन बाद तक इसमें सीधे करने से भी बच्चा नहीं ठहरता।”
“सच्ची?”
“अरे हाँ … मेरी जान … मैं बिल्कुल सच बोल रहा हूँ … तुम चाहो तो यह बात प्रीति से भी पूछ सकती हो.”
सानिया कुछ सोचे जा रही थी। अब पता नहीं वह प्रीति से कुछ पूछने वाली है या नहीं पर इतना तो पक्का है कि उसके चहरे पर खिली मुस्कान यह बता रही है अब तो वह भी बिना निरोध के करने का स्वाद और मज़ा लेना चाहती है।
“वो कोई गड़बड़ तो नहीं होगी ना?”
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इंडियन देसी गर्ल चुदाई कहानी जारी रहेगी.
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