मुझे अपनी चुत गांड चुदवाने को लंड चाहिए- 1
(Indian College Girl Sex Kahani)
यह इंडियन कॉलेज गर्ल सेक्स कहानी उस लड़की की है जिसे स्कूल में ही लंड खाने की आदत पड़ गयी थी. उसने अपनी चुदाई के लिए क्या क्या पापड़ बेले?
दोस्तो, मैं आपकी प्यारी सी अरुणिमा अपनी एक पूर्व सेक्स कहानी की श्रृंखला को आज आगे लिख रही हूँ.
इससे पहले आप सभी ने मेरी सेक्स कहानी के चार भाग
मैं बनी स्कूल की नंबर वन रंडी
को पढ़ा और मुझे हजारों की तादाद में मेल मिले.
जिसने अभी तक ना पढ़ी हो … वो पहले इन्हें जरूर पढ़ लें, ताकि इस सेक्स कहानी का पूरा मजा आए.
आज ये इंडियन कॉलेज गर्ल सेक्स कहानी इसी का दूसरा अध्याय है.
इस कहानी को सुन कर मजा लें.
जो लोग मुझे पहले से जानते हैं, वो एक बार फिर अपने लंड को हिलाने के लिए अपने हाथों में थाम लें … और जो लोग नए हैं, उनके लिए मैं अपना परिचय दे देती हूँ.
मेरा नाम अरुणिमा तो मैंने ऊपर लिख ही दिया है. मेरी उम्र अभी 21 साल हो गयी है और मेरी चुचियों का साइज बढ़ कर 36 इंच का हो गया है. लेकिन अभी भी पतली सी कमर 28 इंच की है. पूर्व में 36 इंच वाली मोटी व उभरी हुई सी गांड, अब 38 की हो गयी है.
मेरे कोमल से होंठ और नशीली सी आंखें हैं. मैं एकदम गोरी हूँ. मेरे लम्बे नागिन से काले घने बाल, मेरी गांड तक लहराते हैं.
मेरी चूत भी हल्की गुलाबी सी है.
अपने इन्हीं सब मदमस्त अंगों की वजह से मैं बड़े गज़ब की माल हूँ.
मुझे सेक्स करना बेहद पसंद है. मेरी लंड लेने की भूख तो अभी पूरी नहीं हुई, लेकिन मेरी चूत और गांड दोनों की सील टूट चुकी है.
पिछली सेक्स कहानी में आपने पढ़ा था कि कैसे उदय सर ने मेरी चूत की सील तोड़ी और उसके बाद मेरे ही स्कूल के प्रिंसिपल ने भी मेरी चूत मारी.
उसके बाद वो पानी वाला चपरासी और अंत में कराटे वाले सर मेरी गांड खोल कर चले गए.
उस 12 वीं क्लास के पूरे सत्र में इन तीनों में मुझे बहुत चोदा और मुझे चोद चोद कर एक मस्त रांड बना दिया.
लेकिन जब मेरे स्कूल का सफर खत्म हुआ, तो उदय सर अपने गांव वापस चले गए और वहीं उनकी शादी हो गयी.
उदय सर के बाद प्रिंसिपल सर ने मुझे एक आखिरी बार तब चोदा जब मैं अपनी 12वीं की मार्कशीट और स्कूल की टीसी लेने गयी थी.
उसके बाद से उन सबसे संपर्क खत्म हो गया.
अब मैंने आगे की पढ़ाई के लिए मेरे घर में कही.
उसमें थोड़ी दिक्कत हुई, जिसके चलते मुझे प्राइवेट कॉलेज में एडमिशन लेने पड़ा.
वहां मुझे रोज़ नहीं जाना होता था, बस पेपर देने के लिए जाने का सीन था.
मेरी रोज़ चुदने की आदत जो पड़ी थी, घर में रहने की वजह से वो कैसे बदल सकती थी.
एक महीने तक तो मुझे उंगलियों और एक डिल्डो का सहारा लेना पड़ा.
पर अब मुझे असली मर्द और उसका लौड़ा हर हाल में चाहिए था.
मेरी चुत और गांड में लंड के लिए कुलबुली मच रही थी.
तो मैंने इधर उधर नजरें दौड़ानी शुरू की.
मेरे घर दो बाहरी लोग नियमित आते थे, एक दूध वाला और दूसरा धोबी.
तो मैंने सबसे पहले उन्हीं दोनों का शिकार करने की सोची.
अब जब भी दूध वाला आता, तो हमेशा मैं आगे से ढीला कपड़ा पहन कर जाती.
जिसके चलते होता ये था कि मैं जब झुक कर दूध लेती, तो दूध वाला मेरे दूध देखने लगता.
इसी तरह मैं अपने धोबी को अपनी ब्रा पैंटी भी धोने को देने लगी थी.
वो मेरे कपड़े अलग से लेकर मेरे कमरे से ही लेता और देता था.
धीरे धीरे उन दोनों को मैं अपने हुस्न के जलवे दिखा रही थी और वो दोनों उसमें फंसते भी जा रहे थे.
एक शाम को मैं घर में बहुत बोर होने लगी थी, तो मैंने अपनी पुरानी साईकल को सही करा ली और शाम को मैं रोज़ एक घंटा साईकल चलाने लगी.
एक दिन इसी तरह मैं रास्ते से जा रही थी, तो मैंने एक आदमी को देखा.
वो आदमी मेरे घर में जो दूध वाला आता था, उसी की तरह का दिख रहा था.
मैं उसे पीछे से देख रही थी, तो उसे पहचान नहीं पा रही थी.
मैं उसके पीछे गयी तो वो एक तबेले से होते हुए एक छोटी सी झोपड़ी के बाहर रुक गया.
जब वो पीछे पलटा तो मैंने देखा कि ये तो वही है.
तब तक उसने भी मुझे देख लिया और बोला- अरे बीबी जी, आप यहां कैसे?
वो दूध वाला मुझे बीबीजी बुलाता था.
मैं उससे बोली- अरे मैं शाम को रोज़ साईकल चलाती हूँ, तो सोचा आज इधर से निकलूं … तो आप दिख गए.
उसने मुझसे कहा- चलो अच्छा हुआ आप मेरे घर तो आईं. आओ मेरे गरीबखाने में बैठो.
मैंने बोला- अरे रहने दीजिए, मैं यहीं सही हूँ.
वो बोलने लगा- नहीं, ऐसे नहीं जाने दूंगा. पहली बार तो आप मेरे घर आई हो, अनजाने में ही सही, लेकिन आपको मैं बिना चाय पिये जाने नहीं दूंगा.
उसकी जिद के आगे मुझे हार माननी पड़ी.
वो मुझे अपने घर के अन्दर ले गया.
उसी झोपड़ी के अन्दर उसका घर था. एक तख्त बिछा था और उसी में किचन था. बाहर भैंसों का तबेला था.
मैंने उससे पूछा- तुम्हारे घर में और कौन कौन रहता है?
वो बोला- इधर तो मैं ही रहता हूँ. बाकी सब गांव में रहते हैं.
मुझसे बात करते करते वो चाय बनाने लगा और जब चाय आदि पीकर मैं निकलने लगी.
तो वो बोला- बीबी जी आती रहना.
अब इसी तरह मैंने अपने धोबी का घर का पता किया और उसके घर को भी देख लिया.
मैं अब शाम को उसी के घर जाकर कपड़े दे देती या कभी उधर से ही ले आती.
इसी तरह कुछ दिन बीत गए.
एक दिन शाम को मौसम कुछ खराब था. उस दिन मैं हमेशा की तरह स्कर्ट टॉप में ही बाहर निकली.
कुछ दूर पहुंचने पर एकाएक बारिश शुरू हो गयी, तो मैं एक पेड़ के नीचे खड़ी हो गयी.
बारिश की वो हल्की सी फुहार और वो ठंडी हवा मेरी स्कर्ट से होती हुई मेरी चूत में घुस रही थी, जो बिना पैंटी के थी.
ऊपर मेरे निप्पल्स भी ठंडी हवा की वजह से एकदम कड़क हो गए थे. आज वो भी बिना ब्रा के थे, तो अब मुझे बहुत तेज़ से चुदास चढ़ने लगी.
मेरा एक हाथ अपने आप मेरी चूत में घुस गया और दूसरा हाथ मेरे निप्पलों को सहलाने लगा.
कुछ देर वहां खड़े रह कर ये सब करने से भी मुझे संतुष्टि नहीं मिली … और ना ही बारिश रुकी कि मैं घर चली जाऊं.
फिर मैंने विचार किया कि क्यों ना भीग कर दूध वाले के पास ही चली जाऊं. बारिश का बहाना भी हो जाएगा और शायद आज चुदाई का भी जुगाड़ लग जाए.
मैं भीगते हुए दूध वाले के घर के बाहर तक पहुंची. वो अभी तबेले में था.
जैसे ही उसने मुझे देखा, तो भाग कर मेरे पास आ गया और मेरी साईकल लेकर अन्दर करने लगा.
फिर वो मुझे अपने घर के अन्दर ले गया.
मैंने उसको बताया- मैं निकली … और रास्ते में बारिश शुरू हो गयी तो मैं आपके घर चली आयी. क्योंकि आपका घर ज़्यादा पास था.
दूध वाला मेरे मम्मे देखते हुए बोला- बीबी जी अच्छा किया और आप तो पूरी भीग गयी हैं. आप अपने कपड़े उतार दीजिये वरना आपको ठंडी लग जाएगी. मैं आपको कोई कपड़ा देता हूं.
मैं एक किनारे जाकर अपने सारे कपड़े उतारने लगी.
उस कमरे में इतनी रोशनी थी कि उसने मेरा नंगा बदन साफ देख लिया होगा.
वो मेरे लिए एक धोती सफेद रंग की लाया और बोला- बीबी जी, इसको पहन लो … और कोई कपड़े तो है नहीं मेरे पास.
मैंने कहा- अरे यही ठीक है.
जब मैंने उसको अपने शरीर में ऊपर से बांधा, तो वो इतना झीना कपड़ा था कि उसमें मेरा शरीर पूरा दिख रहा था. मेरे निप्पल्स भी एकदम साफ झलक रहे थे.
उस कपड़े को मैंने ऊपर से बांधा, तो वो नीचे मेरी गांड तक को ही ढक पा रहा था.
फिर उसने मुझे अपने तख्त पर बैठाया और वो मेरे लिए चाय बना लाया. जिसको हम दोनों साथ मिल कर पीने लगे.
उसकी नजरें मेरे ही शरीर को ताड़ रही थीं. वो बात तो कर रहा था, लेकिन उसकी तिरछी नज़रें मेरे शरीर की नाप लेने में लगी थीं.
मुझे भी वासना का हल्का हल्का सा सुरूर चढ़ने लगा था और मैं भी बिंदास हो चली थी.
तभी एक बार बहुत तेज़ हवा चली, तो मैं एकदम उससे सट कर बैठ गयी. पूरी भीग जाने के कारण मुझे बहुत तेज़ ठंड लगने लगी थी.
उसने मेरा हाथ पकड़ कर उसको रगड़ा और थोड़ी गर्मी दी.
मुझे लेकिन अभी भी मुझे ठंड लगना बंद नहीं हुई थी. मेरे दांत किटकिटाने लगे थे.
उसने मुझे उठाकर अपनी गोद पर बिठा लिया और मुझे अपनी बांहों में कसके जकड़ लिया.
उसके चौड़े सीने में मैं छुईमुई सी सिमट कर रह गई. उसने मुझे एकदम से अपने आगोश में भर लिया था.
इससे मुझे ठंड तो लगनी एकदम से बंद हो गयी थी. लेकिन अब मुझे संभोग की आग बहुत तेज़ लग रही थी और शायद दूध वाले के मन में भी यही चल रहा था क्योंकि मेरी गांड में नीचे से उसका लंड कड़क होकर मेरी गांड की दरार में गड़ रहा था.
उस दूध वाले ने धीरे से मेरे कान में बोला- बीबी जी, एक बात बोलूं?
मैंने हां में अपना सिर हिलाया.
तो वो कहने लगा- बीबी जी, आप बहुत ही ज़्यादा सुंदर हो और आपको मैं बहुत पसंद भी करता हूँ. मैं एक बार आपको चखना चाहता हूँ क्योंकि अब मेरी बीवी तो गांव में रहती है और इधर काफी साल से मैं उसके पास गया भी नहीं हूँ. यहां मुझे कोई नहीं मिलती है. आप भी बहुत ज़्यादा गर्म हो, जवानी के जोश में हो. आप मेरे काम आ जाओ. उसके बदले मैं आपको बिल्कुल संतुष्ट कर दूंगा.
मेरे साथ ये पहली बार था कि जब कोई मर्द इस मौके पर मेरी इजाज़त ले रहा था वरना इसको मेरा इरादा तो पहले से ही पता था.
इतना हो जाने पर तो कोई मेरे बिना कुछ बोले ही मुझे पटक कर चोद देता.
मैंने उससे पूछा- चखना चाहते हो … इसका मतलब क्या हुआ?
वो बोला- चख कर बताऊं?
मैंने हां में सिर हिला दिया.
पहले तो उसने मेरी आगे की दोनों हेडलाइट्स को पकड़ कर खूब दबाया और एक ही बार में मेरी धोती खोल कर मुझे पूरी नंगी कर दिया.
मैं गर्म तो थी ही और मस्त हो गई.
उसने मेरी तरफ से सहमति देखी तो मुझे अपनी तरफ मुँह करके अपनी गोद में बिठा लिया.
अब वो मेरे दोनों निप्पलों को बारी बारी से इस तरह से चूस रहा था, जैसे कोई दुधमुंहा बच्चा अपनी मां का दूध पीता है.
अब तक मैं भी खुद को उसके हवाले कर चुकी थी.
उसने मुझे लिटाया और फिर मेरे दोनों पैर पकड़ कर मुझे हवा में उल्टा लटका दिया.
मेरा सिर अपनी गोद से टिका कर मेरे दोनों पैरों को पकड़ा लिया और उनको फैला कर हवा में उठी हुई मेरी नमकीन चूत में मुँह डाल कर चूसने लगा.
वो मुझे इस तरह हवा में लिए था कि जैसे मैं कोई खिलौना हूँ.
काफी देर तक उस दूध वाले ने इतनी बेदर्दी से मेरी चूत चाटी कि मैं झड़ गयी और वो मेरा पानी चाट कर साफ कर गया.
फिर उसने मुझे नीचे किया और अपनी बनियान और धोती उतार कर अलग कर दी.
उसने अपना कच्छा भी निकाल फेंका.
उसका भीमकाय लंड देख कर मेरी तो राल टपक गयी. उसका लंड काफी लम्बा था और एकदम साफ बिना बाल के गोरा लंड था.
जबकि अब तक मैं काले रंग के लंड से ही चुदी थी.
मैं एकदम से उस दूध वाले के लंड पर टूट पड़ी और इतनी शिद्दत से उसका लौड़ा चूसा कि वो कुछ ही मिनटों में झड़ गया.
उसके पानी से मेरा पूरा मुँह भर गया.
उसने मुझसे लंड चुसवाना जारी रखा क्योंकि वो अब दूसरे राउंड के लिए तैयार हो रहा था.
उसने मेरी चूची दबा कर कहा- बीबी जी, आज पहली बार किसी ने मेरा लंड मुँह में लिया है. आपने लंड भी इतना मस्त चूसा कि मैं ज़्यादा देर रुक न सका … लेकिन दूसरी बार ऐसा नहीं होगा.
मैं और तेज़ी से उसका लंड चूसने लगी और करीब पांच मिनट के अन्दर उसका लंड फिर अपना फन फैलाने लगा.
लंड रेडी होने के बाद उसने मुझे लिटाया और मेरे सामने आकर उसने मेरी चुत पर अपना लंड सैट कर दिया.
फिर एक ही बार में अपना पूरा लंड मेरी चूत के आर पार कर दिया.
उसका मोटा लंड लेकर मेरी कराह निकल गई. चुत में रेंगती हुई चींटियां मरने लगीं और मुझे तरन्नुम मिल गई.
दोस्तो, मेरी इंडियन कॉलेज गर्ल सेक्स कहानी में अभी बहुत रस आना बाकी है. बस आप मुझे मेल भेजते रहिए. मैं आपको बहुत मजा दूंगी.
अरुणिमा
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इंडियन कॉलेज गर्ल सेक्स कहानी का अगला भाग: मुझे अपनी चुत गांड चुदवाने को लंड चाहिए- 2
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