अंकल और उनके ऑफिस के लड़के से एक साथ चुदी
(Indian College Girl Chudai Kahani)
इंडियन कॉलेज गर्ल चुदाई कहानी में मैं अपने पापा के दोस्त से कई बार चुद चुकी थी. दिन में अंकल के ऑफिस का लड़का किसी काम से आया तो अंकल ने मेरी चूत गांड उससे भी चुदवा दी.
नमस्कार दोस्तो!
मेरा नाम सौम्या है और मैं समस्तीपुर (बिहार) से हूँ।
मेरी पिछली कहानी
अंकल ने मुझे नंगी करके चोद दिया
में आपने पढ़ा था कि मैं अपने पापा के एक दोस्त में साथ अपने घर में अकेली थी.
हालात कुछ ऐसे बने कि मैं उन अंकल से चुद गयी. उन्होंने मुझे 3 बार चोदा।
उसके बाद हम दोनों सो गए।
अब आगे इंडियन कॉलेज गर्ल चुदाई कहानी:
यह कहानी सुनें.
सुबह-सुबह अंकल की नींद पहले खुल गई।
उसके बाद वे मेरी चूत और चूचियों को रगड़ने लगे जिससे मेरी भी नींद खुल गई।
फिर अंकल ने मुझसे रात के बारे में पूछा– कैसा लगा तुम्हें?
तब मैंने बोला– बहुत अच्छा लगा।
इस पर अंकल ने बोला– चलो एक बार फिर से करते हैं।
तो इसके लिए मैं तैयार हो गई।
तब उन्होंने कहा– इस बार मुझे तुम्हारी चूत की छेद में चुदाई नहीं करना है, बल्कि तुम्हारी गांड की छेद में चुदाई करूँगा।
इससे मैं थोड़ी डर गई और बोली– उसमें तो बहुत दर्द होगा!
तो अंकल ने कहा– शुरू-शुरू में सभी को थोड़ा दर्द होता है पर फिर अच्छा भी लगता है।
मैं थोड़ी हिचकिचाते हुए मान गई।
फिर उन्होंने मुझे उल्टा होकर आधे से पैरों को मोड़कर पोजीशन में आ जाने को कहा।
मैं वैसे ही पोज़ में आ गई।
उसके बाद उन्होंने मेरी गांड के छेद में नारियल का तेल चुपड़ दिया।
तब उन्होंने अपनी दो उंगली मेरी गांड के छेद में डालकर तेल को अन्दर तक ले गए।
इससे एक पल के लिए तो मैं कराह उठी।
पर जब वे अपने लंड को मेरे गांड के छेद में डालने लगे तो मुझे काफी दर्द हो रहा था और मैं कराहते हुए सिसकियाँ भर रही थी।
कुछ ही देर में उनका लंड मेरे गांड की छेद में था और वे मुझे धक्का मारे जा रहे थे।
10 मिनट तक उन्होंने मेरे गांड को चोदा।
फिर उन्होंने अपना वीर्य मेरे गांड में ही गिरा दिया।
उसके बाद कुछ देर हम दोनों वैसे ही पड़े रहे।
फिर कुछ देर आराम करने के बाद मैं उठ गई।
अंकल भी ऑफिस जाने के लिए तैयार होने चले गए।
मैंने नाश्ता बना दिया और फ्रेश होकर अंकल के साथ बैठकर नाश्ता करने लगी।
इसके बाद वे ऑफिस चले गएI
शाम में 6 बजे अंकल ऑफिस से वापस आ गए।
फिर उन्होंने मुझसे बोला– आज बाहर खाना खाएंगे, इसलिए घर में कुछ मत बनाना।
उसके बाद वे फ्रेश होने चले गए।
तब तक मैंने चाय बना दिया।
हम दोनों ने साथ में बैठकर चाय पिया।
उसके बाद कुछ देर आराम करने के बाद उन्होंने मुझसे कहा– अब तैयार हो जाओ।
उस समय रात के 8 बजने वाले थे।
तब मैं तैयार होने अपने रूम में आ गई।
पीछे से अंकल भी वहाँ आ गए और मुझसे पूछें– कौन सा ड्रेस पहन रही हो?
मैंने बताया- जीन्स और टॉप!
तब उन्होंने कहा– क्या तुम्हारे पास कुछ हॉट कपड़े नहीं हैं?
मैंने उन्हें अपनी लाल रंग की शॉर्ट स्कर्ट और ऑफ शोल्डर टैंक टॉप दिखाया।
जो उन्हें पसंद आया और उन्होंने मुझे वही पहनने के लिए बोला।
इसके बाद वे भी तैयार होने चले गए और मैं भी तैयार होने लग गई।
रात के 8:30 में हम दोनों रेस्टोरेंट में डिनर करने के लिए घर से निकल गए।
गर्मी का मौसम था तो मुझे अपनी ड्रेस में काफी अच्छा महसूस हो रहा था और बाइक पर धीमी-धीमी हवा भी लग रही थी।
कुछ ही देर में हम दोनों काशीपुर स्थित कल्पतरु नामक रेस्टोरेंट में आ गए।
वहाँ रात के समय खाने वालों की भीड़ बहुत थी।
कुछ देर इंतज़ार करने के बाद हमें टेबल मिल गया।
हमने अपने खाने का आर्डर दिया।
10 मिनट के इंतज़ार के बाद हमारा खाना आ गया।
खाना खाते-खाते रात के 10 बज चुके थे।
अंकल ने बिल पेमेंट किया और कुछ देर में हम वहाँ से घर के लिए निकल पड़े।
घर जाने के रास्ते में काफी सुनसान जगह होकर गुजरना होता था।
अंकल ने कहा– सौम्या, यह रास्ता काफी सुनसान है। क्या तुम कुछ करोगी, जिससे सफ़र मज़े में कट जाए?
मैं बोली– ऐसा क्या करूँ?
तब अंकल ने कहा– यह रास्ता सुनसान है, तो अभी तुम अपने टॉप और स्कर्ट को खोल कर बस ब्रा और पैंटी में बाइक पर बैठ जाओ।
मैंने कुछ देर सोचने के बाद वैसा ही किया।
मेरे टॉप और स्कर्ट को अंकल ने अपनी बाइक की डिक्की में रख दिया।
उसके बाद हम वहाँ से गुज़रने लगे।
कुछ दूर जाते ही हमें किसी गाँव का एक ट्रैक्टर नज़र आया और एक बूढ़े करीब 50 की उम्र के एक किसान मिले।
जिन्होंने हाथ देकर हमारे बाइक को रुकवाया।
अंकल को बाइक रोकना पड़ा।
बूढ़े किसान ने बाइक रुकने पर बोले– बेटा, मेरा ट्रैक्टर ख़राब हो गया है और मेरा घर भी इसी रास्ते में है। रात बहुत हो गई है तो क्या आप लोग मुझे मेरे घर तक छोड़ देंगे?
मैंने अंकल से कहा– बेचारे को उनके घर छोड़ देना चाहिए!
इस पर अंकल ने भी हाँ बोला।
उसके बाद तब उस बूढ़े किसान की नज़र मुझ पर पड़ी।
तब उन्होंने कहा– बेटी तुम ऐसे कपड़ों में? तुम्हारे ऊपर के कपड़े कहाँ चले गए?
इस पर अंकल ने कहा– इसने फ्रॉक पहन रखा था, जिस पर पानी गिरने की वजह से इसे वो फ्रॉक उतारना पड़ा, इसलिए यह अभी ब्रा और पैंटी में बैठी हुई है।
तब बूढ़े किसान ने कहा– अच्छा ऐसी बात है।
उसके बाद अंकल ने उन्हें मेरे पीछे बैठ जाने को कहा।
बूढ़े किसान मेरे पीछे बैठ गए।
बाइक अब चलने लगी।
बूढ़े किसान ने मुझसे कहा– बेटी, अगर बुरा ना मानो तो क्या मैं तुम्हारे चूची को छू सकता हूँ?
तो अंकल ने कहा– अगर आपको मन है तो छू लीजिए, कोई परेशानी वाली बात नहीं है।
इसके बाद पहले तो बूढ़े किसान ने ब्रा के ऊपर से ही मेरी चूची को छुए और दबाना शुरू किए।
फिर पीछे से मेरे ब्रा के हुक को खोलकर मेरे बदन से ब्रा को अलग कर दिया।
वे मेरी चूचियों को अच्छे से छुने लगे और दबाये जा रहे थे।
कुछ देर बाद एक जगह कुछ रोशनी नज़र आने लगी।
तब बूढ़े किसान ने बाइक रोकने को कहा।
अंकल ने बाइक रोक दिया।
फिर बूढ़े किसान ने एक झटके में बिना कुछ बोले मेरे बदन से मेरी पैंटी को सरका दिया और मेरे चूत को अपने हाथों से रगड़ने लगा।
मैं और अंकल कुछ भी नहीं बोल पा रहे थे।
मैंने अंकल को इशारा किया– क्या करूँ मैं?
तब अंकल ने भी इशारे से बोला– कर लेने दो बेचारे को!
उसके बाद उस बूढ़े किसान ने धीरे-धीरे मेरी पैंटी को मेरे बदन से अलग कर दिया।
फिर अपने पजामे के नाड़े को खोलकर अपना लंड निकाल लिया।
उसने मुझे बाइक पर हाथ रखकर झुका दिया।
फिर पीछे से मेरी जवान चूत में अपने बूढ़े लंड को घुसेड़ दिया।
5-7 मिनट तक चोदने के बाद बूढ़े किसान ने अपना लंड निकालकर अपने लंड का माल रास्ते पर ही गिरा दिया।
फिर वे वहाँ से यह बोलकर निकल गए– मेरा घर इसी रास्ते में अन्दर की तरफ है।
तब हमने बूढ़े किसान को जाने दिया।
उसके बाद अंकल ने मुझे मेरे सारे कपड़े दिए।
जिन्हें मैंने पहन लिया।
उसके बाद अंकल ने मुझसे पूछा– यह सब बुरा तो नहीं लगा?
तब मैंने कहा– बुरा तो नहीं लगा पर कुछ अजीब ज़रूर लगा. फिर भी ठीक था।
उसके बाद हम लोग घर आ गए।
घर आते ही अंकल ने मेरे कपड़ों को मेरे बदन से उतारकर मुझे नंगी कर दिया और वे खुद भी नंगे हो गए।
कुछ देर तक वे मेरी चूचियों को दबाते रहे और निप्पल भी चूसे।
जिससे मैं मदहोश हो गई।
उसके बाद अंकल ने मुझे घोड़ी बनने को कहा।
मैं घोड़ी बन गई और वे मुझे घोड़ी की तरह से चोदने लगे।
फिर अंकल ने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया और मेरी दोनों टांगों को फैलाकर मुझे चोदा।
इस तरह से 2 बार चुदाई के बाद हम दोनों वैसे ही सो गए।
दूसरे दिन रविवार था।
तो हम दोनों ने उठकर अपना-अपना काम किया।
उसके बाद नहाकर मैं तैयार हो गई।
फिर नाश्ता करके अंकल के साथ बात करने में लग गई।
इतने में ही अंकल को एक कॉल आया।
बात करने के बाद उन्होंने मुझे बताया– मेरे ऑफिस का कोई लड़का किसी काम से मिलने आ रहा है; तुम कुछ नाश्ता चाय बना देना।
मैंने हाँ कह दिया।
कुछ ही देर में किसी ने घर का दरवाज़ा खटखटाया।
मैं दरवाजा खोलने गई तो एक 25-26 साल का लड़का मेरे सामने खड़ा था।
उसने अंकल का नाम बताया और बोला– मैं उनके ऑफिस से आया हूं।
तब मैं उसको लेकर अंकल वाले कमरे में आ गई।
वे दोनों बातें करने लगे।
तब मैं किचन में चाय–नाश्ते का इंतज़ाम करने आ गई।
कुछ देर बाद मैं नाश्ता और पानी लेकर उस कमरे में आ गई।
अंकल और उस लड़के को नाश्ता देकर और पानी का ग्लास वहीं रखकर वापस किचन में चाय बनाने आ गई।
कुछ देर रुक कर मैंने चाय बनाई ताकि तब तक दोनों नाश्ता खत्म कर लें।
फिर मैं चाय लेकर कमरे में आ गई।
चाय की ट्रे से वह लड़का चाय लेने उठा।
पर चाय की कप उसके हाथों से फिसल कर मेरी नाईटी पर और मेरे दोनों पैरों के बीच आ गिरी।
जिससे मुझे अपने पैरों में कुछ हल्की जलन सी महसूस हुई।
अंकल जल्दी से उठे और बोले– सौम्या, तुम ठीक हो, आओ यहाँ लेट जाओ।
मुझे अंकल ने बिस्तर पर लिटा दिया और फ्रीज से बर्फ के टुकड़े निकालकर ले आये।
फिर मेरी नाईटी को मेरी जाँघों से ऊपर सरका दिया और वे बर्फ लगाने लगे।
बर्फ के ठण्ड से मुझे गुदगुदी होने लगी।
फिर अंकल ने मेरी नाईटी को और ऊपर तक सरका दिया जिससे मेरी चूत दोनों के सामने नंगा दिख गई।
उसके बाद मैं बोली– अंकल, आप यह क्या कर रहे हैं, यह मत कीजिये ना!
पर तब तक वे मेरे चूत पर बर्फ रगड़ते हुए अपनी उंगली भी मेरे चूत में डाल चुके थे और उसे अन्दर-बाहर कर रहे थे।
जिससे मैं फिर से गर्म होने लग गई थी।
कुछ देर में ही दोनों ने मिलकर मेरी नाईटी को मेरे बदन से निकाल फेंका और मेरे ब्रा को खोलकर मेरी चूचियों को आज़ाद कर दिया।
अब मैं उन दोनों के सामने पूरी तरह से नंगी लेटी हुई थी।
इधर अंकल मेरे चूत में उंगली किए जा रहे थे।
उधर वह लड़का मेरी चूचियों से खेल रहा था।
वह कभी मेरी चूचियों को दबाता तो कभी अपनी जीभ से मेरे निप्पल को चूसता।
अब मैं सिसकियाँ लेने लग गई थी।
उसके बाद अंकल ने भी अपने कपड़े उतार दिए; फिर एक झटके में ही मेरी चूत में अपने लंड को पेल दिया।
जिससे मेरे बदन में करंट सा दौड़ गया और मैं ‘आह … उह्ह्ह … उम्म्म … ऊईई’ करने लगी।
5 मिनट तक मुझे चोदने के बाद अंकल ने अपना लंड मेरी चूत से निकाल लिया और मेरी चूचियों को दबाने और चूसने लगे।
इतने में ही उस लड़के ने अपने सारे कपड़े खोल दिए।
फिर वह अपना मोटा लंड लेकर मेरी चूत में पेलने आ गया।
कुछ देर तक वह लड़के ने अपनी उंगलियों से मेरे चूत को सहलाया।
उसके बाद वह लड़के ने अपना लंड मेरी चूत में उतार दिया और अन्दर-बाहर करते हुए मुझे चोदने लगा।
इधर अंकल ने अपना लंड मेरे मुंह में डाल दिया और उसे चूसने को कहा।
मैं उनका लंड लॉलीपॉप के तरह चूसने लगी।
करीब 10 मिनट तक चोदने के बाद वह लड़का मेरे नीचे आकर लेट गया और अपने लंड को मेरे गांड के छेद में डालने लगा।
गांड में लंड जाते ही मेरी चीख निकल गई।
मैं दर्द से कराह उठी।
फिर वह धीरे-धीरे मेरी गांड के छेद में अपना लंड डालकर मुझे चोदने लगा।
इतने में ही अंकल मेरे ऊपर आ गए।
फिर मेरी टांगों को ऊपर उठाकर उन्हें फैला दिया।
तब अपने लंड को मेरे चूत में डालकर मुझे चोदने लगे।
अब मैं अपने दोनों छेदो में दो लोगों से एक साथ चुदने लगी।
मुझे दर्द भी हो रहा था और मज़ा भी आ रहा था।
उसके बाद कुछ देर में सभी झड़ गए।
फिर हम सब वहीं पर लेटकर आराम करने लगे।
कुछ देर आराम करने के बाद सभी उठे।
फिर अंकल और उस लड़के ने मुझसे पूछा– सौम्या, तुमको बुरा तो नहीं लगा?
तब मैंने ना में अपना सर हिला दिया।
जिससे दोनों बहुत खुश हो गए।
इस प्रकार अंकल और उनके ऑफिस के लड़के से मेरी चुदाई की यह कहानी यहीं समाप्त हुई।
नोट:- उपरोक्त कहानी मेरी अपनी सच्ची कहानी है।
इसमें कुछ भी झूठ बातें नहीं लिखी गयी है।
मेरी इंडियन कॉलेज गर्ल चुदाई कहानी अब आपने पढ़ ली है।
तो इसके लिए कुछ कहना हो तो कमेंट्स में ज़रूर बताएं।
आपकी सौम्या सिन्हा
लेखिका के आग्रह पर इमेल आईडी नहीं दिया जा रहा है.
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