सेक्स गुरू की जवान बेटी चुद गयी

(HotXxx Ladki Ki Chut Chudai)

हॉटXxx लड़की की चुदाई करनी पड़ी मुझे उसी के कहने पर! उसने मुझे उसकी मम्मी की चूत चुदाई करते देख लिया था. उसकी मम्मी ने ही मुझे चोदना सिखाया था.

मेरे प्यारे पाठको
मैं माधुरी सिंह मदहोश!

मेरी पिछली कहानी
बाली उमरिया में लगा प्रेम रोग
के दस भाग आपने पढ़े और आनन्द लिया.

यह हॉटXxx लड़की की चुदाई कहानी उसकी कहानी का आगे का विस्तार है।

आपने अंतर्वासना की अधिकांश कहानियों में लेखक का यह दावा पढ़ा होगा कि यह सच्ची कहानी है।

लेकिन मैं अपनी इस कहानी के लिए स्पष्ट कर दूं कि यह पूरी तरह काल्पनिक है और आपके मनोरंजन के लिए लिखी गई है।
इसमें कुछ सत्य घटनाओं का समावेश अवश्य किया गया है इसलिए यह आप का भरपूर मनोरंजन करेगी, ऐसा विश्वास है।

इस हॉटXxx लड़की की चुदाई कहानी में मेरे हसबैंड मनोज का भी सहयोग मिला है, अतः इसे हम दोनों का संयुक्त प्रयास कह सकते हैं।

पम्मी, जो कि अपनी बुआ के यहां अपनी चूत की सील तुड़वाने की तीव्र इच्छा के साथ आई हुई थी, वह बंटू और मोंटी दोनों को अवसर देती है।
बाद में बंटू उस की सील तोड़ता है और उस को चुदाई में तृप्ति प्रदान करता है।

वह तो बंटू, मोंटी, अंजू बुआ और सिमरन आंटी की मस्ती भरी यादों के साथ अपने घर लौट गई थी पर बंटू को मस्ती मारने के लिए अभी उसकी सेक्स गुरु सिमरन आंटी उपलब्ध थी।

सिमरन और पम्मी की चरम सुख देने वाली जबरदस्त सफल चुदाई करने के बाद अब तो बंटू आत्मविश्वास से भरा हुआ था।

उसे पूरा विश्वास था कि एक बार चुद जाने के बाद वह जब भी मौका देखकर सिमरन को चोदना चाहेगा तो वह मना नहीं करेगी बल्कि राजी खुशी चुदवायेगी या कम से कम उस का पानी जरूर निकलवाएगी।

दिन में बंटू रोज की तरह सिमरन के यहां पहुंचा तो वहां एक ऑटो को खड़ा देखा।
बंटू अंदर गया तो पता चला सिमरन की जिस बहन की तबीयत खराब थी वह परलोक को रवाना हो गई है तो वह सरताज अंकल के साथ लुधियाना जा रही थी।

बंटू के खड़े लंड पर चोट हो गई, वह उनको विदा करके वापस लौट रहा था तो रास्ते में उसके फोन की घंटी बजी।

उसने देखा कि सिमरन की बेटी जसप्रीत यानि जस्सी दीदी का फोन था।
उसने फोन उठाया तो उधर से आवाज आई- बंटू वापस कहां जा रहा है, जरा मेरे कमरे में तो आ!

वह चौंक गया कि दीदी दिल्ली से कब आई?
उसने सोचा पता नहीं क्या काम है?
सिमरन आंटी ने भी कुछ बोला नहीं था।

वह उलटे पैर वापस सिमरन के घर लौटा और दीदी के कमरे में पहुंचा।

उस समय दीदी एक सेक्सी नाइटी पहने हुए थी.

दीदी बंटू से करीब तीन महीने ही बड़ी थी जिसकी छातियों और चूतड़ के उभार पम्मी से कुछ अधिक आकार ले चुके थे।
उसके अंग अंग से कामुकता टपक रही थी, उसकी आंखों में वासना का नशा सा भरा दिख रहा था।

एकांत में एक जवान लड़की को पारदर्शी नाईटी में देख कर बंटू की नीयत डांवाडोल होने लगी.
बंटू को समझ नहीं आया कि दीदी ने उसे क्यों बुलाया है.

उसने कहा- बताओ दीदी क्या बात है? तुम कब आई?
दीदी का जवाब सुनकर बंटू को झटका लगा।

उसने पूरी बेशर्मी के साथ कहा- मैं कल तब आई थी, जब तू मेरी मां चोद रहा था भोसड़ी के! मैं चुपचाप बिना बताए आई थी कि मम्मी को सरप्राइज़ दूंगी, पर तुम दोनों मादरचोदों ने मुझे ही सरप्राइज़ दे दिया।

बंटू का चेहरा सफेद पड़ गया, उसके पसीने छूटने लगे।
वह नर्वस होकर एक कुर्सी पर बेजान सा बैठ गया।

दीदी ने उसकी यह हालत देखी तो बोली- तू घबरा क्यों रहा है बंटू? मुझे बखेड़ा करना होता तो कल ही नहीं कर देती? आज भी मैंने तुझे मम्मी के जाने के बाद बुलवाया है और वह भी तब जब कि मोंटी भी जिम गया हुआ है। इस समय घर में केवल हम दोनों हैं। ऐसे माहौल में एक जवान होती लड़की जिसकी कामुकता ने उसे कल से परेशान कर रखा है, वह तेरे जैसे जवान लौंडे को क्यों बुलाएगी? इतना तो तेरी समझ में भी आना चाहिए साले बुद्धू?

यह सुनकर बंटू की जान में जान आई.
उसने सोचा यह तो कुदरत की गजब ही मेहरबानी हो रही है, आज सुबह तो पम्मी को चोदा और शाम होते होते एक नई चूत चोदने को मिलने वाली है।

बंटू ने कहा- हां, मुझे समझ आ रहा है कि तुम क्या चाहती हो. किंतु क्या यह सिमरन आंटी के साथ धोखा नहीं होगा? यार जस्सी दीदी, मैं कैसे उनको चीट कर सकता हूं?

इस पर दीदी ने व्यंग्य में कहा- अच्छा, तू अपने दोस्त को और दीदी को धोखा देकर उनकी मां चोद सकता है! यहां तक कि मुझे भरोसा हे कि पापा को भी इस बारे में कुछ पता नहीं होगा।

इस पर बंटू ने कहा- यह बात तो तुम सही कह रही हो।

उस के बाद दीदी ने कहा- फिर नैतिकता के सारे बंधन क्या मेरे ही लिए बने हैं?

अब बंटू कोई लक्ष्मण तो था नहीं जो काम सुख के इस आकर्षक प्रलोभन को ठुकरा देता।
उसका मन भी अब दीदी को चोदने का करने लगा।

लेकिन उसे इस स्थिति में बड़ा मज़ा आ रहा था कि कोई जवान और खूबसूरत लड़की, उस के जिगरी दोस्त की बहन, उस की सेक्स गुरु सिमरन की बेटी, उस का लंड लेने को तड़प रही है। उस से चुदने के लिए निवेदन कर रही है लेकिन दिखावे के लिए उसने फिर क्षीण सा प्रतिवाद किया और कहा- किंतु दीदी, मैंने तुम पर कभी नीयत खराब नहीं की, हमेशा एक बहन की तरह देखा है।

दीदी ने जवाब दिया- मैंने भी तुझे एक भाई की तरह ही देखा है लेकिन कल से आज तक में परिस्थितियां बदल चुकी हैं। तुझे कुछ पता है? मैं कल से किस आग में जल रही हूं?

अब बंटू ने हथियार डालने के पहले आखिरी दांव खेला और मुस्कुराते हुए कहा- ठीक है दीदी, मैं तुम्हारे जिस्म की इस आग को बुझाने के लिए तैयार हूं. पर मुझे लगता है कि मेरा आग बुझाने का यंत्र शायद एकदम मुझ से तैयार नहीं हो पाएगा।

दीदी बंटू की शरारत समझ गई, वह बोली- भोसड़ी वाले, सीधा बोल न कि मैं तेरा लंड चूस के खड़ा करूं।

इस के बाद दीदी ने बंटू को खड़ा किया, उसका लोअर नीचे खींचा और घुटनों के बल होकर उस के आधे तने हुए लंड को चूसने लगी।

बंटू चोदने का मन तो बना ही चुका था, उस का लंड 2 मिनट में ही एकदम कड़क हो गया.
उसने दीदी को उठाया, उसकी पारदर्शी नाइटी में उसका कामुक बदन बंटू के नीचे आने को बेकरार था।

बंटू ने दीदी की नाइटी को उतार दिया, अंदर दीदी ने न ब्रा पहनी थी न पैंटी।

दीदी के बदन से मीठी मीठी खुशबू उठ रही थी, उसने दीदी के स्तनों को सहलाना और दबाना शुरु किया.
तो दीदी के मुंह से सिसकारी निकलने लगी।

दीदी ने उस से कहा- बंटू पहले तो एक बार मुझे कस के चोद दे मेरे भाई! कल शाम से मेरी हालत खराब है। कम से कम तीन बार उंगली कर कर के झड़ चुकी हूं. पर मेरी चूत की ज्वाला बिना लंड के शांत नहीं होने वाली।

बंटू, दीदी की बात सुनने के बाद भी उसके स्तनों पर मुंह लगाकर, उसकी निप्पलों को चूस के वासना की आग को और अधिक भड़काने लगा।

दीदी बोली- कमीने, तड़पाना छोड़ … पहले मेरी चूत में अपना कड़क लंड घुसेड़ और कस के चोद दे मुझे!

बंटू जस्सी को पलंग पर लिटाने लगा तो वह बोली- मेरी फेवराइट पोजीशन डॉगी स्टाइल है!
और वह पलंग पर कुतिया बन गई।

बंटू ने फेवराइट पोजीशन का सुनकर पूछा- इसका मतलब कि तुम पहले भी लंड ले चुकी हो?
इस पर दीदी ने कहा- हां, तेरे से पहले मैं तीन लंड ले चुकी हूं, मैं कल से यही सोच रही थी कि तुझ से चुदवाऊं या नहीं? फिर विचार आया कि जब मेरी मां तेरे लंड से चुद गई है तो फिर मुझे तुझ से चुदवाने में क्या परेशानी हो सकती है? इसलिए मैंने तुझे बुलाया। अब पहले जल्दी से मुझे चोद!

बंटू ने अपने लंड पर थूक लगाया और दीदी की गरम चूत में एक झटके में अपना लंड घुसेड़ दिया।
उस के बाद उस ने दो तीन लंबी लंबी सांसें लेकर अपने स्खलन पर नियंत्रण किया।

क्योंकि एक तो दीदी की नई नकोर, चिकनी चूत थी और उस का लंड एक बार नरम पड़ने के बाद फिर से खड़ा हुआ था।
कुछ देर ठहरने के बाद उसने धक्के लगाना शुरु किया।

दीदी के मुंह से एक के बाद एक सिसकारी निकल रही थी, बंटू ने पूछा- दीदी, 3 लंड किस-किस के लिए बताओगी क्या?

दीदी ने जवाब दिया- क्यों नहीं? जब तेरे सामने पूरी नंगी हो कर, अपनी चूत में तेरा लंड ले लिया तो अब तुझसे क्या छुपाना? उन तीन में दो तो मेरे बॉयफ्रेंड हैं।
बंटू ने आश्चर्य से कहा- दो दो?
तो दीदी ने कहा- हां भाई, एक बॉयफ्रेंड से मेरा काम नहीं चल सकता यार! कब मेरी चूत किस लंड को याद करने लगे? खुद मुझे पता नहीं होता। कभी एक कहीं बिजी होता है तो दूसरे के साथ मस्ती मार लेती हूं और दूसरा कहीं पर व्यस्त होता है तो पहले को बुला लेती हूं। फिर तुझे पता है? दो बॉयफ्रेंड के होने से गिफ्ट, मौज मस्ती, खाना पीना, फिल्म देखना, सब कुछ दोगुना हो जाता है आखिर एक को कितना निचोड़ सकते हैं? यही बात मेरी चूत पर भी लागू होती है, एक लंड को आखिर वह कितना निचोड़ सकती है?

यह कह कर वह बेशर्मी से हंस पड़ी।
बंटू ने कहा- बहुत हैरत की बात है यार दीदी, तुम तो इतनी शरीफ दिखती थी?

दीदी ने कहा- मादरचोद, शरीफ तो तू भी दिखता था और मेरी चुदक्कड़ मां भी! पर शरीफ निकले क्या?

फिर दीदी ने पूछा- और इस में गलत भी क्या है? भगवान ने मुझे इतना सुंदर, मांसल शरीर दिया है, इसमें वासना की लौ जलाई है जो उचित वातावरण में भड़क जाती है। वासना की आग बुझाने की प्रक्रिया में कुदरत ने एक असीम आनंद भर दिया है तो क्यों ना फिर ज़िंदगी के खुल के मजे लिए जाएं?

बंटू ने पूछा- अच्छा, तीसरा लंड किसका लिया है?
दीदी ने जवाब दिया- तीसरे हमारे प्रोफेसर हैं जो इलेक्ट्रॉनिक्स पढ़ाते हैं, नए नए कॉलेज में आए हैं। उन्हें देखते ही मैं तो उन पर फिदा हो गई थी। मैंने सोच लिया था कि कैसे भी करके इनके नीचे बिछना है, इन को अपने ऊपर चढ़ाना है।

बंटू ने दीदी के बोबे सहलाते हुए निप्पलों को मसलते हुए धक्के लगाना जारी रखा।

दीदी ने आगे बताया- मैंने पहल करते हुए उन्हें आंखों ही आंखों में चुदाई का निमंत्रण दे दिया और जब भी अवसर मिलता तो मैं उनको छूकर उनके शरीर में करंट दौड़ा देती। मेरी लगातार की शरारतों के चलते कुछ ही दिन में वह समझ गए कि मेरी इच्छा उनसे चुदवाने की है क्योंकि वह भी तो आखिर एक जवान मर्द था, जिसका लंड मेरी हरकतों से बार-बार तन्नाने लगता था। फिर एक बार मैंने अपने जन्मदिन का बहाना करके उनको अपने कमरे पर बुलाया, उनने सोचा था कि मैंने कुछ और दोस्तों और प्रोफेसरों को बुलाया होगा। सर जब कमरे में आए और उन्होंने देखा कि मैं अकेली हूं तो वासना तुरंत उन की बुद्धि पर हावी हो गई। उन्होंने मुझे बाहों में लेकर मेरे होठों पर होंठ रख दिए।

बंटू ने फिर पूछा- तीनों लंड में सबसे अधिक मजा किसके साथ आया?
तो दीदी ने जवाब दिया- उन्हीं प्रोफेसर चावला के साथ! क्योंकि दोनों बॉयफ्रेंड तो फुलझड़ी की तरह फटाफट ढेर हो जाते थे। जब कि सर को जिस तरह इलेक्ट्रोनिक उपकरण के बारे में जानकारी थी कि कौन सा सेंसर क्या काम करता हे? उसका सर्किट कैसा होता है,? कौन सा बटन दबाने से उपकरण में क्या हलचल होगी? वैसे ही लड़की के जिस्म के बारे में भी उनकी जानकारी जबरदस्त थी। वो जब चोदते थे तो ऐसा लगता था कि चुदाई कभी खत्म नहीं हो। लेकिन आखिर तो झड़ने के बाद शरीर थकता भी है इसलिए रुकना पड़ता था पर उनके साथ वाकई बहुत मजा आता है।

फिर दीदी बोली- अब देखना यह है कि तू उन लौंडो की तरह निकलता है या प्रोफेसर की तरह मजा देता है।

बंटू ने यह सोचकर अपने सारे सबक फिर से याद कर लिए और यह ठान लिया कि दीदी को इतना मस्त चोदूंगा कि वह प्रोफेसर को भी भूल जाएगी।

उसने कमर को तरह तरह के मूवमेंट देकर चुदाई जारी रखी और बीच-बीच में उसके चूतड़ पर चांटे लगाने लगा।

दीदी को इसमें भी बहुत आनंद आ रहा था, उसने सिसकारी भरते हुए कहा- जोर से मार कुत्ते। क्या तेरे हाथों में दम नहीं है?

बंटू ने तीन चार थप्पड़ दीदी के दोनों चूतड़ों पर ज़ोर से लगाए और कहा- मेरे हाथों में भी दम है और मेरे लंड में भी।

जब डॉगी स्टाइल में चोदते हुए 15-20 मिनट हो गए तो उसने दीदी को कहा- अब तुमको ठुकाई के असली मजे लेने हैं तो मैं जिस पोजीशन में चोदना चाहता हूं, उसमें चुदवा कर देखो।

दीदी मान गई और बोली- मुझे तो मस्त मजे से मतलब है, फिर तू किसी भी आसन में चोद!

बंटू ने दीदी को पलंग पर लिटाया और उसकी चूत में मुंह देकर उसके चूत रस को चाटने लगा।

दीदी की चूत तो पहले ही उत्तेजित हो चुकी थी, वह बंटू की जुबान का दुलार पा कर झड़ने की कगार पर पहुंच गई।

थोड़ी देर में ही दीदी की चूत में बहुत जबरदस्त स्पंदन होने लगा, चरम सुख की घड़ी शीघ्र आ गई।

जब बंटू को अपने होठों पर चूत के फड़कने का अहसास हुआ।
बंटू ने तुरंत दीदी के ऊपर आकर उसकी चूत में अपना लंड घुसेड़ दिया।

फिर उसी बोरिंग करने वाली स्टाइल में चोदने लगा, जिससे उसने सिमरन आंटी और पम्मी को शानदार ऑर्गेज्म दिया था।

दीदी पहली बार इस आसन में चुदवा रही थी, जब लंड उस की चूत में क्लिटोरिस को रगड़ता हुआ अंदर बाहर हो रहा था, तब दीदी ने महसूस किया कि यह लौंडा तो सर से भी बढ़िया चोद रहा है।

बंटू के लंड के रगड़ों से दीदी आज कई बार झड़ चुकी थी.

और अब बंटू का चरम भी समीप आ गया था।
उसके बाद जब उसने दम लगा के अपना लंड दीदी की चूत में जड़ तक घुसेड़ा तो उसके लंड से वीर्य के आवेग से एक पिचकारी सी छूट गई।

बंटू का वीर्य स्खलन दीदी की चूत की गहराई में हुआ और दीदी की बच्चेदानी पर जाकर फैल गया।

दोनों पसीने में भीगे पड़े थे.

दीदी ने बंटू को बड़े प्यार से बाहों में लेकर उसके होंठ चूमे और कहा- तूने तो मजा ला दिया यार बंटू!

वास्तव में चुदाई के आनंद को सीमा में नहीं बांधा जा सकता, पता नहीं कौन सा लंड कितना आनंद दे दे।

जब दोनों की सांसों का तूफान थम गया और दोनों जवान जिस्मों की वासना की आग ठंडी हो गई तो बंटू ने दीदी को बाहों में कस कर एक विदाई का चुंबन दिया और घर की ओर चल पड़ा।

कल रात से बंटू 3 बार स्खलित हो चुका था इसलिए रात में वह चैन की नींद सोया।

रात में आने वाली आवाज़ें तो बंद हो चुकी थीं।

लेकिन आज तो सुबह भी आवाज नहीं आनी थी क्योंकि सरताज अंकल तो सिमरन आंटी के साथ लुधियाना गए थे।

दीदी ने भी अगले दिन जाने के पहले मौका देख कर एक बार और बंटू को बुलवाया.

बंटू ने दीदी के पास जा कर कहा- दीदी आज तो गांड मरवा लो प्लीज!
दीदी ने कहा- नहीं, आज नहीं। मेरे जाने के पहले तू तो मुझे एक बढ़िया सी चुदाई दे दे!

और फिर उस ने जी भर के बंटू के लंड से चुदाई के मजे लिए।

बंटू की चुदाई से वह इतनी प्रसन्न हुई कि उसने अगली बार आने पर उसे इनाम में गांड देने का वादा किया और लौट गई।

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आप हॉटXxx लड़की की चुदाई कहानी के बारे में यदि कुछ लिखना चाहते हैं तो आप का स्वागत है।

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