रैगिंग ने रंडी बना दिया-89

(Antarvasna Hindi Story: Ragging Ne Randi Bana Diya- Part 89)

पिंकी सेन 2017-11-27 Comments

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अब तक इस हिंदी अन्तर्वासना स्टोरी में आपने पढ़ा कि सुमन आज एक सेक्सी और मॉडर्न ड्रेस पहन कर कॉलेज जाने के निकली तो टीना उसे देख कर एकदम से चौंक उठी. उसने सुमन की प्रशंसा की और उन दोनों में गुलशन जी को लेकर कॉलेज जाते हुए बातचीत होने लगी.
अब आगे..

जब ये दोनों कॉलेज आ गईं.. तो सबकी नज़रें बस सुमन पर ही थीं. संजय तो आँखें फाड़े उसको देखता रह गया और उसके दोस्त भी लार टपकाने लगे थे.
संजय- क्या बात है सुमन.. आज तो तुम क़यामत लग रही हो, क्या आज तेरा किसी को मारने का इरादा है, जो ये हुस्न की बिजलियां गिरा रही हो.
सुमन- थैंक्स संजय जी, मैंने सोचा आज आपकी बात पूरी कर देती हूँ. अब मुझमें जो बदलाव आए हैं तो क्यों ना कपड़े भी बदल लूँ.. बस इसी लिए आज से ऐसे ही कपड़े पहनूंगी.
संजय- बहुत अच्छी बात है अब बहुत जल्दी तेरा फाइनल टेस्ट होगा. अगर उसमें पास हो गई तो समझ तू एकदम हमारे टाइप की बन गई है. उसके बाद तुम्हें कुछ नहीं करना होगा, बस फिर लाइफ को एंजाय करना.
वीरू- यार सीधे फाइनल टेस्ट? पहले कुछ टेस्ट तो लेकर देख कि ये फाइनल टेस्ट के लिए रेडी भी है या नहीं.
संजय कुछ बोलता उसके पहले सुमन बोली- हाँ क्यों नहीं.. किसने रोका है.. चलो एक काम करते हैं. तुम सब अभी के अभी मुझे एक-एक टास्क दो और मैं उनको पूरा करती हूँ.. तो सबको पता लग जाएगा. क्यों संजय जी मैं सही बोल रही हूँ ना?

सुमन एकदम बिंदास होकर बोल रही थी. उसको देख कर सबकी हवा टाइट हो गई.

टीना- मेरी जान तेरा ये एटीट्यूड देख कर सबकी हवा निकल गई, इनको पता है कि ये जो बोलेंगे वो तू कर देगी.
संजय- टीना ने एकदम सही कहा, अब कोई टास्क की जरूरत नहीं है. अब तो बस सीधे तेरा फाइनल टेस्ट होगा. अगर उसमें पास नहीं हुई तो तुम्हारे लिए दिक्कत हो जाएगी.
सुमन- आप टेंशन मत लो. मैं उसमें पास नहीं.. टॉप करूंगी, हा हा हा हा.

सुमन के साथ सब हंसने लगे और संजय के साथ बाकी सब भी हैरान थे कि ये सुमन अचानक से इतनी फास्ट कैसे हो गई. वैसे तो संजय को पता था कि टीना उसको ट्रेनिंग दे रही है मगर आज सुमन में कुछ अलग ही बात नज़र आ रही थी.

थोड़ी देर वहां यही चलता रहा, उसके बाद सब क्लास में चले गए.

उधर रोज की तरह गोपाल जब घर आया तो नीतू को अपने सामने पाया. इन 4 दिनों में ये दोनों काफ़ी घुल-मिल गए थे और आज के लिए मोना ने नीतू को कुछ टिप्स दे रखे थे. अब उसे जो करना था, बहुत जल्दी करना था क्योंकि साधु बाबा का दिया वक़्त करीब आ रहा था. इसलिए मोना ने नीतू को पहले ही खूब पैसों का लालच दे दिया और अपनी चुदाई दिखा कर उसको चुदने के लिए उकसा दिया था.

नीतू- आप आ गए जीजू, पहले चाय पीओगे या लंड को शांत करना है.
गोपाल- वाह साली जी.. तुम तो बड़ी जल्दी सीख गईं. वैसे यार रोज चाय ही पिलाती हो कभी अपने संतरों का रस भी पिला दिया कर.
नीतू- आप मेरे सीने के पीछे क्यों पड़ गए हो. दीदी के तो मुझसे भी बड़े हैं.. आप उनका रस क्यों नहीं पी लेते.
गोपाल- अरे तू कच्ची कली है, तेरे संतरे जितने रसीले हैं ना, वो बात तेरी दीदी में नहीं है, समझी..! वैसे है कहाँ वो?
नीतू- उनकी सहेली बीमार है तो उसका फ़ोन आया था. वो अभी-अभी उससे मिलने हॉस्पिटल गई हैं.. एक घंटे में आने की कह कर गई हैं.

गोपाल- वाह क्या बात है, यानि आज हम दोनों खुलकर मज़ा कर सकते हैं. चल आज तो मुझे तू अपने चूचे दिखा ही दे.
नीतू- नहीं जीजू मैंने कहा था ना जो मैं कर रही हूँ.. बस वही बहुत है. अगर आप कुछ ज़बरदस्ती करोगे तो मैं दीदी को सब कुछ बता दूँगी.
गोपाल- यार, तू बार-बार मुझे दीदी की धमकी मत दिया कर. अच्छा देख तुझे अगर ढेर सारे पैसे मिल जाएं तो तुझे यहाँ काम करने की कोई जरूरत भी नहीं होगी और तू अपनी माँ के साथ आराम से रह पाएगी.

नीतू- सच जीजू मगर ये सब होगा कैसे?
गोपाल- देख तू मुझे खुलकर मज़ा लेने दे.. मैं तेरी लाइफ बना दूँगा.
नीतू- नहीं जीजू, मुझे पता है आप क्या करना चाहते हो.. मगर मुझे डर लगता है, मैं नहीं करने वाली.
गोपाल- क्या पता है तुझे.. बोल ऐसे शर्मा मत, खुल कर बोल!
नीतू- आप दीदी के साथ जो करते हो ना.. मैंने वो सब देखा है.

गोपाल- ओह.. नीतू.. तुम कितनी अच्छी हो. मैं तो अभी सिर्फ़ मज़े लेना चाहता था, मगर तुमने तो चुदाई की बात कर दी. देखो अब जब तुम सब जानती हो तो मान जाओ ना.. तुम जितने पैसे कहोगी मैं दे दूँगा.
नीतू- नहीं जीजू मुझे पैसों का लालच नहीं है. ये सब तो में ऐसे ही कर रही थी.
गोपाल- प्लीज़ नीतू मान जाओ ना.. अच्छा मैं कसम ख़ाता हूँ.. ज्यादा कुछ नहीं करूंगा, बस एक बार तुझे नंगी देखना चाहता हूँ बस.. एक बार मान जाओ ना प्लीज़.

नीतू काफ़ी देर नाटक करती रही, फिर वो मान गई और गोपाल को दूर रहने का बोल कर वो धीरे-धीरे नंगी होने लगी. जिसे देख कर गोपाल की वासना चरम पे पहुँच गई क्योंकि यही एक उसकी कमज़ोरी थी कि उसके सामने एक कच्ची कली बिना कपड़ों के आ जाए.

नीतू के छोटे-छोटे चूचे और कुंवारी चुत देख कर गोपाल अपना संतुलन खो बैठा. उसने नीतू को बांहों में भर लिया और चूमने लगा. वो उससे छूटने की कोशिश करती रही मगर वो नहीं माना और उसको गोदी में उठा कर रूम में ले गया.

नीतू को बिस्तर पे पटक कर गोपाल ने जल्दी से अपने कपड़े निकाले और फिर वो नीतू पे टूट पड़ा. वो उसके होंठों को चूसने लगा, उसके मम्मों को मसलने लगा. अन्तर्वासना अब उसके दिमाग़ पे चढ़ गई थी. उसको ज़रा भी होश नहीं था. नीतू उससे छूटने की पूरी कोशिश कर रही थी. जब गोपाल ने अपने होंठ नीतू की चुत पे लगाए तो वो सिहर गई और उसका विरोध कम हो गया. बस वो हल्के धक्के से गोपाल को हटा रही थी.

मोना कहीं बाहर नहीं गई थी. वो शुरू से वहीं थी और ये सब उसने और नीतू ने प्लान किया था. हाँ मोना को ये अंदाज़ा नहीं था कि गोपाल ऐसे पागल हो जाएगा.

जब गोपाल ने नीतू के पैर उसे चोदने के लिए फैलाए, तभी पीछे से मोना ने गुस्से में आवाज़ लगाई- ये क्या हो रहा है?
जिसे सुनकर गोपाल की सारी वासना हवा हो गई.

नीतू भी रोने का नाटक करने लगी, मोना ने उसको चुप करवाया और कमरे से बाहर भेज दिया और खुद उसके पीछे चली गई ताकि गोपाल को लगे उसको चुप करने गई होगी.
गोपाल ने जल्दी से कपड़े पहने और मोना के पीछे वो भी गया, तब तक नीतू ने भी कपड़े पहन लिए थे.

गोपाल- मोना व्व..वो त्त..तुम मेरी ब्बबात…
मोना ने गोपाल की बात काटते हुए- चुप रहो आप.. मुझे कुछ नहीं सुनना.. ये तो मैं समय पे आ गई, नहीं तो आप इस बच्ची के साथ.. छी: छी: मुझे तो सोच कर ही घिन आ रही है.

गोपाल- त्त..तुम मेरी बात तो सुनो, ये कोई बच्ची नहीं है. इसने खुद मुझसे कहा था और ये रोज पैसे लेकर मेरा लंड भी चूसती है. पूछो इससे.. अम्म.. मेरी कोई ग़लती नहीं है.
मोना- गोपाल तुम ये क्या बोल रहे हो. मुझे तुमसे नफ़रत होने लगी है. मेरी पीठ पीछे तुम ये सब करते हो?

गोपाल ने अपना ही राज बताकर एक और ग़लती कर दी थी. अब वो शरमिंदा हो गया था, मगर मोना उसकी इस हालत का पूरा मज़ा ले रही थी.
फिर मोना ने नीतू से कहा- तुम दूसरे कमरे में जाकर बैठ जाओ.

मोना खुद गोपाल को अपने कमरे में ले गई. बेचारा गोपाल तो किसी गुलाम की तरह चुपचाप उसके पीछे हो लिया.

मोना ने मुस्कुराते हुए कहा- गोपाल तुम ये कैसे कर सकते हो यार? तुम्हें पता है कि वो बच्ची है और तुम उसके साथ ज़बरदस्ती कर रहे थे? अरे इतनी ही पसंद आ गई थी तो पैसों का लालच देकर खरीद लेते उसको.. फिर जो मन था सो कर लेते.

अचानक से मोना के तेवर बदल गए उसकी बोली में कड़कपन की जगह मिठास आ गई, जिसे देख कर गोपाल भी टेंशन में आ गया.
गोपाल- य य..ये तुम क्या कह रही हो मोना?
मोना- देखो गोपाल तुम जो कर रहे थे वो ग़लत है और कोई औरत ये नहीं चाहती कि उसका पति किसी और के साथ सेक्स करे.. मगर मैं उन औरतों में से नहीं हूँ.. अपने पति की ख़ुशी के लिए में कुछ भी कर सकती हूँ. अरे एक बार मुझे बोलकर तो देखते यार.
गोपाल- मोना तुम ये क्या बोल रही हो.. मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा है.

मोना ने गोपाल को यकीन दिलाया कि वो उससे गुस्सा नहीं है, उसको जो करना है.. करे, मगर उसको बताकर करे. उससे छुपा कर कोई काम ना करे.

गोपाल- ओह.. मोना डार्लिंग तुम वर्ल्ड की सबसे बेस्ट बीवी हो.. आई लव यू डार्लिंग.
मोना- बस बस ज़्यादा मस्का मत लगाओ. तुम्हें नीतू की चुदाई करनी है ना.. मैं करवा दूँगी मगर मेरी एक शर्त होगी.
गोपाल- तुम जो कहो मुझे मंजूर है.
मोना- पहले सुन तो लो फिर कहना.
गोपाल- अच्छा बोलो क्या चाहिए तुम्हें?
मोना- तुम्हें नीतू मिल जाएगी मगर मैं भी किसी और मर्द से चुदवाना चाहती हूँ.. बोलो तुम्हें मंजूर होगा ये?

मोना की बात सुनकर एक बार तो गोपाल को बहुत गुस्सा आया मगर फिर उसने सोचा अगर आज नीतू मिल रही है तो कल और भी कच्ची कली उसको मिल सकती है और वैसे भी मोना को वो संतुष्ट तो कर नहीं पाता तो क्यों ना वो भी अपनी जवानी का मज़ा किसी और के साथ ले ले, इससे घर भी बचा रहेगा और मज़े के मज़े मिलते रहेंगे.

गोपाल- ठीक है मुझे मंजूर है.. मगर तुम किसके साथ चुदाई करोगी? क्या तुम्हें पहले से कोई पसंद है?
मोना- नहीं गोपाल, मुझे कोई पसंद नहीं है. मैं बस ये देख रही थी कि तुम मुझसे कितना प्यार करते हो.

गोपाल खुश हो गया कि उसकी पत्नी कितनी शरीफ़ है. वो बस उसका इम्तिहान ले रही थी मगर हक़ीकत तो आप जानते ही हो.

गोपाल- मोना, तुम बहुत अच्छी हो मगर में चाहता हूँ कि तुम सच में किसी के साथ करो ताकि तुम्हारी संतुष्टि हो जाए. मुझे लगता है कि मेरी चुदाई से तुम खुश नहीं हो सकती.

अब मोना इसका जबाव क्या देती है, ये सब आप अगले भाग में देखना.

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यह हिन्दी कहानी जारी रहेगी.

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