गर्लफ्रेंड के बिना उसकी सहेलियों संग थ्री-सम –8

(Girl-Friend Ke Bina Uski Saheliyon Sang Threesome- Part 8)

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अब तक आपने पढ़ा..

प्रियंका- आह जीजू.. कमीने हरामी.. मार डालेगा क्या कुत्ते.. आह और तेज पेल.. चोदू जीजू.. आह तीन उंगली डाल दे.. मेरी चूत में.. मादरचोद!
मैं- आह मेरी प्यासी चुदक्कड़.. भूखी शेरनी साली है न तू.. मेरी आधी घर वाली.. आज तुझको ऐसा पेलूंगा कि तू मेरे लण्ड के लिए तड़पेगी कुतिया.. हर जगह मेरा ही लण्ड दिखेगा..

अब आगे..

मैंने फिर से उसके दूध कस कर बाहर की ओर खींचे और पीने लगा।
उधर सुरभि अपने दोनों चूचों को दबाते हुए मेरे लण्ड में अँधाधुंध कूद रही थी, पूरे कमरे चुदाई की ‘आहें..’ गूंज रही थीं।

करीब 20 मिनट के झटकों के बाद उसने लण्ड को बाहर निकाला और मेरा खड़ा टाइट सीधा लण्ड जो उसकी चूतरस से गीला था.. अपनी गाण्ड के छेद में सैट करते हुए जबरदस्ती अपनी गाण्ड को मेरे लंड पर दबाने लगी। वो मेरे लण्ड को अपनी गाण्ड में लेकर खुद धीरे-धीरे कूदने लगी.. और बोली- आह जीजू.. आपका लण्ड बहुत मजेदार है.. साला थकता ही नहीं.. यहाँ पसीने आ गए.. और आपका लण्ड है कि माल नहीं छोड़ता।
प्रियंका- देखा कमीनी.. मजा आया न कुतिया.. मेरा जीजू कैसा चोदू है.. सबको रखैल बना कर चोदेगा दिन रात.. इनका लण्ड चूत में ही घुसा रहेगा.. चल कुतिया.. अब मेरी बारी है.. तू इधर आ अब मुझे मजा लेने दे।

अब प्रियंका मेरे पैरों की तरफ जाकर दोनों पैर पकड़ कर उसने मुझको घसीट लिया।
मैं अब दीवान में सीधा लेट गया था।

उधर सुरभि सीधे ऊपर आकर अपनी चूत मेरे मुँह पर रख कर बैठ गई और जबरदस्ती अपनी चूत मेरे मुँह में घुसेड़ने और रगड़ने लगी। वो अपने हाथों से मेरा हाथ पकड़ अपने बड़े गोल मम्मों पर रखवा लिया और खुद ही दबाने लगी।
मैं उसके मम्मों को दबाते हुए.. उसकी चूत को चूसने लगा, मैं बार-बार उसकी क्लिट को मुँह में लेकर घसीट कर चूसने लगा, वो आँखें बंद करके मजा लेने लगी।

उधर प्रियंका अब मेरा लण्ड अपने मुँह में लेकर हब्सी की तरह चूसने लगी.. और मेरे टोपे को दांतों से काटने लगी।
थोड़ी देर चूसने के बाद सीधे अपनी चूत को मेरे लण्ड पर रख कर जोर से ऊपर नीचे-कूदने लगी। वो इस बार इतनी जोर से कूद रही थी कि उसकी गाण्ड की मेरे लण्ड से लड़ने की आवाज आने लगी ‘सटाक सटाक सट्ट सट्ट..’

इस चुदाई में उसके चूचे ऊपर-नीचे उछल रहे थे.. बाल खुल गए थे.. हाय क्या मस्त ही नजारा था यारो..
मेरे लण्ड में खून की लहर दौड़ गई थी.. जिसे उसकी चूत पूरा खाए जा रही थी।

सुरभि अपनी चूत मेरे मुँह में रख कर प्रियंका की तरफ मुड़ कर झुक गई और उसके चूचों को हाथ से दबाने लगी।
प्रियंका लौड़े पर कूदती रही और सुरभि उसके चूचों को बिना रुके मसल रही थी।
थोड़ी देर बाद दोनों ने बोला- चलो उठ जाओ शेर.. अब हम दोनों की प्यास बुझाओ!

प्रियका मेरा लण्ड पकड़ कर मुझे उठाने लगी.. सुरभि मेरे मुँह से उठ कर अपनी गाण्ड का छेद दिखाते हुए मुँह में रगड़ कर उठ गई।

प्रियंका ने लण्ड और हाथ पकड़ कर मुझे उठाया.. और खुद डॉगी पोज़ में हो गई। आगे से उसके मम्मे हवा में नीचे की ओर झूल रहे थे.. तो सुरभि उसके नीचे से होते हुए दोनों पैर प्रियंका की दोनों टाँगों के बीच लाकर पीछे कर लिए और नीचे से उसके लटकते चूचों का रस चूसने लगी, निप्पलों को काटने लगी।

उधर मैंने अपना लण्ड एक ही झटके में प्रियंका की चूत में सीधा डाल दिया और उसकी गाण्ड पर झापड़ मारते हुए.. गाण्ड लाल करते हुए अपना लण्ड उसकी चूत में पेलता चला गया।
‘ले धक्के पे धक्के.. झटकों पर झटके.. साली कुतिया..’
मैं झटके देता रहा और वह अपने मुँह से बड़बड़ाती रही।

प्रियंका- आह जीजू.. फाड़ दे हरामी मेरी चूत माँ के लौड़े.. कुत्ते साले.. जीजू पेल अपनी साली को.. इतनी ही दम है तेरे अन्दर.. भोसड़ी के..
मैं- कुतिया रांड.. साली तेरे को तो आज इतना चोदूँगा कि तेरी चूत और गाण्ड का छेद बड़ा कर दूँगा.. कमीनी.. बहुत ही ज्यादा चुदास चढ़ी है न तुझको..

फिर तेज-तेज झटकों की बरसात करते हुए मैं उसको ताबड़तोड़ चोदने लगा। एक बार अचानक से लण्ड निकाल कर उसकी गाण्ड के छेद में एक ही तेज झटके में पूरा लण्ड पेल दिया।
उसकी तेज चीख निकल गई।

मैं बेपरवाह उसकी कमर पकड़ कर धक्के पे धक्के लगाता रहा। उसकी गाण्ड में लण्ड से अन्दर-बाहर अन्दर-बाहर.. फच फच.. फच फछक.. इसी धुन में धक्के लगाता रहा।

नीचे से सुरभि उसके चूचे चूसते हुए अपने पैर के अंगूठे से प्रियंका की चूत में अन्दर-बाहर करने लगी.. चूत को रगड़ने लगी उसकी क्लिट को कुरेदने लगी।

60 से 70 झटके मारने के बाद प्रियंका ने अकड़ते हुए अपनी चूत से पानी छोड़ दिया.. जो सुरभि की जांघों में लग गया। उसका पानी ऐसे टपक रहा था कि सुरभि ललचा गई.. सुरभि वहाँ से बाहर निकली और उसके नीचे से ही उसकी क्लिट पर जीभ लगाने लगी।

काफी झटकों के बाद मैं भी अकड़ सा गया और मेरे लण्ड की धार निकलने को हो उठी.. मैंने लण्ड निकाल कर उसकी गाण्ड के छेद में भर दिया.. लौड़े का रस गाण्ड के छेद से निकल कर थोड़ा सा माल गिराता हुआ उसकी चूत में जा रहा था.. और सुरभि मेरे लण्डरस को नीचे से मजे से चाटे जा रही थी।

प्रियंका थक कर वहीं लेट गई.. सुरभि उसकी चूत के नीचे वैसे ही फंस गई।
बाद में उसने अपने मुँह को उसकी चूत के नीचे से निकाला। मैं भी थक गया था सो फिर से दीवार पर टेक लगाकर अपनी आँखें बंद करके नशे में बैठ गया।

पता नहीं कितनी देर बाद साली सुरभि नशे में मेरे पास आई और उसने मेरे लण्ड को अपने मुँह में ले लिया और मेरे लौड़े पर लगा हुआ सारा माल चाट गई.. और मेरे लण्ड के टोपे को मजे से चूसने लगी।
उसने लण्ड को फिर से चूस कर गुलाबी बना दिया.. जो टमाटर सा चमकने लगा था।

मेरा लण्ड फिर धीरे-धीरे खड़ा हो रहा था.. उधर प्रियंका अपनी आँखें बंद करे बदहवासी में पड़ी थी.. और शायद नींद में चली गई थी।
थोड़ी देर में सुरभि ने प्रियंका.. जो शायद सो रही थी.. की गाण्ड के ऊपर सर रख कर अपनी पैर फैला लिए और अपनी चूत खोलते हुए चोदने का इशारा किया- आह जीजू.. डाल दो अपना मजबूत हथौड़े जैसा लण्ड.. और फाड़ दो चूत मेरी..

मैंने एक ही झटके में अपना लण्ड उसकी चूत में घुसेड़ दिया.. और सीधे तेज-तेज झटके मारने लगा।

सुरभि अपने सर का ज़ोर इतना अधिक दे रही थी कि प्रियंका की गाण्ड दबे जा रही थी। उसकी गाण्ड की लाइन दो फाँकों में हो रही थी.. जिसे मैं देख कर और गरम हो रहा था।

मैं सुरभि के मम्मों को दोनों हाथों से पकड़ते हुए तेज-तेज झटके पेलने लगा। मैंने सुरभि की टाँगें उठा कर अपने कन्धों पर रख लीं और दमदार झटके मारने लगा।

मेरे गोटे उसकी गाण्ड में लग रहे थे.. जो बहुत तेज आवाज कर रहे थे।

कुछ देर चूत चोदने के बाद मैंने अपना लण्ड निकाल कर उसकी गाण्ड में पेल दिया.. और तेज-तेज झटकों से उसकी गाण्ड मारने लगा। जिससे उसकी गाण्ड और चूत में अलग ही गरमी का एहसास हो रहा था..
सुरभि अपनी आँखें बंद कर के चिल्ला रही थी- आह.. आह जीजू.. और तेज और तेज पेलो.. अपनी रंडी कुतिया को.. आह जीजू आपका लौड़ा बड़ा मस्त है.. जीजू मजा आ गया आह्ह..

मैं झटके पे झटके मारता रहा.. फिर लण्ड निकाल कर कन्धों से उसकी टाँगें नीचे करके अपने लण्ड को उसके चूचों के बीच रख दिया और उसके चूचे चोदने लगा।

उसने अपने दोनों चूचों को आपस में जोड़ लिया.. और मेरा लण्ड उसकी चूचियों को चोदते हुए मेरे लण्ड का सुपाड़ा उसके मुँह में जा रहा था.. जिसे वो बहुत ही मजे से अपने गीले थूक से गीला कर दे रही थी।

इस वजह से प्रियंका की गाण्ड जबरदस्त हिल रही थी। सुरभि के सर से ऐसा करतब होने के बाद प्रियंका हिलने लगी और नींद से जाग गई।

वो अपनी गाण्ड हिलाते हुए उठ कर दीवान के एक छोर पर बैठ गई और उसने एक तकिया सुरभि के सर के नीचे लगा दिया।
मैं फिर से सुरभि की चूत में लण्ड डाल कर हिलाने लगा और वहाँ प्रियंका उसके मम्मे काटने-चूसने लगी, उसके दोनों निप्पलों को प्रियंका दांतों से काटने लगी।

सुरभि बोली- जीजू अब प्रियंका की तरह कुत्ते वाले पोज़ में मेरी चुदाई करो न..
‘ठीक है चल बन जा..’

दोस्तो, इस कहानी में रस भरा पड़ा है इसको मैं पूरी सत्यता से आपके लिये लिख रहा हूँ.. आप अन्तर्वासना से जुड़े रह कर इस कहानी का आनन्द लीजिए और मुझे अपने ईमेल जरूर भेजते रहिए।
आपका विवान
[email protected]

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