मॉल में मिली लड़की की चूत की आग

(Girl Beautiful Sex Kahani)

गर्ल ब्यूटीफुल सेक्स कहानी में एक रात मॉल के बाहर एक लड़की की मदद की तो उससे दोस्ती हो गयी, फोन पर बात होने लगी. एक दिन उसने मुझे बहाने से अपने घर बुलाया.

मैं अभि (बदला हुआ नाम) उम्र 27 साल, कद 5 फीट 11 इंच।
मैं पुणे में रहता हूँ.

अन्तर्वासना की कहानियां मैं करीब 6 साल से पढ़ रहा हूं और ईमेल क्लब का सदस्य भी हूं।
तो सोचा कि अपनी आपबीती आप सभी के साथ साझा करूं।

तथा मुझे चुदाई का शौक है।
मेरा 2 इंच मोटा और 6 इंच लम्बा लंड हमेशा चुदाई के लिए तैयार रहता है।

गर्ल ब्यूटीफुल सेक्स कहानी पिछले साल की ठंड की मौसम की है।
और ठंड में सेक्स करने का मजा ही कुछ और है।

मैं छुट्टी के दिन मॉल गया हुआ था।
कुछ रोज मर्रा का सामान खरीद कर निकल ही रहा था।
मैं लेट भी हो रहा था।
मॉल बंद होने को था।

मैं पार्किंग से निकला तो एक मैडम दिख गई।
वह किसी ऑटो का इंतजार कर रही थी पर कोई रूक नहीं रहा था।
मैं भी उसके मजे देखने के लिए रूक गया।

शुरू मैं तो कुछ नहीं दिखा।
रात का समय था।

पर जैसे ही वो मैडम लाइट के नीचे आई, मैं देखता ही रह गया।

हाइट 5 फीट 6-7 इंच, उम्र लगभग 25 साल होगी, गोरा बदन जैसे संगमरमर की मूरत, बॉब कट वाले बाल पीछे पीठ और कंधों पर लहरा रहे थे।
उसकी आंखों में मस्कारा, ब्लैक जाली वाला टॉप, उसमें उभरे हुए मम्मे, जिन्हें देखते ही हाथों में खुजली हो जाए.
नीचे ब्लू टाइट फिट जींस उसकी गांड को दिखाती हुई, शॉर्ट हिल सैंडल्स!

वाह! गजब!
फिगर उसका 30 – 28 – 34 रहा होगा।

अब ऐसे आइटम को देखकर कौन शांत रह सकता है भला।
करीब 15 मिनट हो चुके थे.
तब मैंने सोचा कि पूछ ही लूं कुछ मदद वगैरा चाहिए हो तो!
क्या पता अपने लंड का भी जुगाड़ हो जाए।

तो मैंने उसके सामने बाइक रोक दी- हाय, माइसेल्फ अभि!
“हाय, सुनयना!” (बदला हुआ नाम)

मैंने हैंडशेक के लिए हाथ बढ़ाया।
हैंडशेक के लिए वो थोड़ा झुकी, डीप नेक टॉप था, तो उसके आधे मम्मे दिख गए।

उसके मम्मे देखकर मेरे लौड़ा तनाव लेने लगा।
मेरी आंखें तो उसकी क्लीवेज की गहराई नापते थक ही नहीं रही थी।

और उसके हाथों को छुआ तो पूरे शरीर में करंट दौड़ गया वो अलग!

मैंने उसे पूछा- कुछ मदद चाहिए?
“जी नहीं मैं ठीक हूं।”

“ऐसे कैसे, इतनी रात हो गई है, ठंड भी बहुत है. और आपके पास सामान भी ठीक-ठाक दिख रहा है. रात भी गहरा रही है. मैं आपको आपके स्थान पर छोड़ सकता हूँ अगर आपको ऐतराज न हो तो!”
उसने भी शायद मुझे देख ही लिया था कि मैं 15 मिनट से वहा खड़ा था, तो वह सोच विचार करने लगी।

“अब इतनी रात को ऑटो की संभावना कम है. फिक्र मत कीजिए, मैं आपको छोड़ देता हूँ। मैं देख रहा हूं कि कब से आप यहीं खड़ी हो।”
“ठीक है. वैसे आप कहाँ रहते हो?”
“नजदीक ही! और आप?”
“आधे घंटे की दूरी पर मेरा घर है।”

“ठीक है फिर आ जाओ. मेरे पास टाइम है, गप्पे भी हो जाएंगी, और हो सके तो हम दोस्त भी बन जायें।”

थोड़ा सहज होने के बाद दोनों तरफ पैर करके वह बाइक पर बैठ गई।
बातों से पता चला कि वह भी जॉब करती है; दो तीन महीने पहले ही इस शहर में शिफ्ट हुई थी इसीलिए कुछ सामान खरीदने आई थी।

इस बीच मैंने उसके पूरे शरीर को ताड़ लिया, उसे देखकर बड़ा मजा आ रहा था।

मन कर रहा था कि यहीं चुदाई हो जाए तो बड़ा मजा आ जायेगा।

रास्ते में ब्रेक लगाने के चक्कर में उसके मम्मे मेरे पीठ पर रगड़ खा रहे थे।
शायद उसे भी यह पता था।
चार पांच बार ऐसे होने पर मुझे लगा कि काम हो सकता है।

और यह सोचते सोचते और बाते करते हुए हम उसकी बिल्डिंग के नीचे पहुंच गए।

मैंने उसका सामान उसके हाथ मैं दे दिया जो मेरे बाइक के हुक पे लटका था।

“चलो बाय!”
“थैंक यू सो मच!”

फिर हमने आपस में नंबर एक्सचेंज कर लिए और मैं वैसे ही अपना खड़ा लंड लेकर घर आया और सुनयना के नाम की मुठ मारकर सो गया।

दो चार हफ्ते बीत गए.
मैंने सोचा कि अब आस छोड़ देनी चाहिए. शायद सुनयना को चोदने का मौका नहीं मिलेगा।

वैसे हमारी व्हाट्सएप पर रोज हाय हैलो वाली बातें होती रहती थी।

फिर एक दिन शाम को उसकी कॉल आई- हैलो, कहाँ हो?
“ऑफिस में हूँ, निकल रहा हूँ।”
“इक काम था, करोगे?”
“हा बिल्कुल … बोलो?”

“अगर तुम्हें वक्त है तो कुछ सामान ला सकते हो? मेरा घर तो तुम्हें पता ही है, आने के बाद मैं पैसे दे दूंगी।”
“ओके!”

मैं सामान लेकर उसके घर गया।
उसने दरवाजा खोला।

“हाय!”
“हाय, अंदर आ जाओ।” उसने एक कातिलाना स्माइल देकर कहा।

हाए, क्या नजारा था … मैं तो उसे देखता ही रह गया।
पिंक लाइट ट्रांसपेरेंट नाइट गाउन, उसके अंदर झलकती हुई उसके वक्ष को पकड़े हुए उसके ब्रा की लकीरें, उसकी चमकती हुई पैंटी, होठों पर पिंक न्यूड लिपस्टिक, हल्के गीले बाल और मटकती हुई गांड को देखते हुए मैं अपने लौड़े को कंट्रोल करते हुए अंदर चला गया।

मन में तो ठान लिया था कि आज तो चुदाई करके ही रहूंगा।
घर उसने अच्छा सजाया हुआ था तो मेरा थोड़ा ध्यान भटक गया.

लेकिन उतने में हो वह दो कप चाय लेकर आई तो मेरा ध्यान उसके होठों पर जा टिका.
ऊपर से वो पिंक लिपस्टिक मुझे चूमने का आमंत्रण दे रही थी।

उसने मुझे हाथ में चाय देकर मेरे हाथ पर से दो उंगलियां फेर दी।
लोहा गर्म था।

“वैसे मैंने तुम्हें किसी खास काम से बुलाया है। बहुत वक्त गुजर गया ‘वैसा’ कुछ नहीं किया है, ऑफिस मैं किसी के साथ करूंगी और किसी को पता चल गया तो बदनामी हो जायेगी। तो सोच रही थी कि …”

वो सोचती ही रह गई और यह अवसर मैं छोड़ने नहीं वाला था।

मैंने झट से उसकी कमर में हाथ डाल कर अपनी तरफ खींच लिया।
फिर उसकी गर्दन पर मैंने चूमना शुरू किया।
उसके कान को भी मैं जरा सा काट लेता।

उसकी गर्दन से होकर मैं उसके लाल लाल गाल चूमने लगा।
बीच बीच में मैं उसके गालों को हल्का सा काट लेता।

फिर मैंने अपनी आंखें बंद करके उसके गुलाबी होठों पर अपने होठ रखकर उन्हें चूमना और चूसना शुरू किया।
कभी उसका ऊपर वाला होठ चूसता, कभी नीचे वाला।

हम दोनों ही एक डीप किस में विलीन हो गए थे।

बीच बीच में मैं उसके मुंह में अपनी जीभ घुसा देता था।
पागलों की तरह हम एक दूसरे को बेतहाशा चूम रहे थे या चूस रहे थे.
यह हमारी सांस फूलने पर पता चला।

थोड़ी राहत होने पर हमने फिर से किसिंग शुरू कर दी।
स्मूच की आवाजे पूरे हॉल में गूंज रही थी।

उसका एक हाथ मेरी गर्दन के पीछे था और दूसरा हाथ धीरे से मेरे सीने से होते हुए मेरे लन्ड की तरफ बढ़ गया।
मेरे लोड़े को उसने मसलना शुरू किया।
बीच में वह मेरे लौड़े को दबा भी देती।
मैं तो सातवें आसमान पर तैर रहा था।

यह मेरा एक हाथ उसके पीठ पर, तो दूसरा हाथ उसके नितंबों को सहला रहा था।
फिर मैंने अपना हाथ हटाकर उसके मम्मे पर रख दिया।

उसके मम्मे बड़े ही गोल और मुलायम थे।
उनके निप्पल भी एकदम कड़क हो चुके थे।

मैं उंगलियों से उसके निप्पलों की चूंटी काट लेता तो उसके मुंह से हल्की ‘आह’ निकल जाती।

मेरे हाथों में अब खुजली हो रही थी।
मैंने उसके मम्मे से हाथ हटाकर उसके गाउन के बेल्ट को खोल दिया।
उसका गाउन कंधों से हटकर उसकी कमर तक जा गिरा।

उसके उरोज अब अच्छे दिख रहे थे।
ऊपर से उसकी फिगर मुझे पागल कर रही थी।

मैंने अपना एक हाथ उसके पीठ पर घूमते हुए उसकी ब्रा खोल दी।
वाह! क्या उरोज थे उसके!
एकदम आम के जैसे गोल, मुलायम और इसके हल्के गुलाबी काले निप्पल!
उसके कबूतरों पर मैं फिर से झपट पड़ा।

इस बार बड़े आराम से मैंने उसके आम चूसे, अपनी जीभ से उसके निप्पलों के साथ खेला, कभी दायां तो कभी बायां वाला।
मैं अपनी जीभ को बाहर निकालकर अपनी जीभ की नोक से उसके निप्पल को ऊपर नीचे करने लगा।

कभी मैंने अपनी जीभ को उसके निप्पलों के आजू बाजू गोल गोल घुमाया।

“बस अभि, अब और कंट्रोल नहीं हो रहा है, जल्दी के कर दो ना … आह अहम हाय!”

उसे सच में कंट्रोल नहीं हो रहा था।
मेरी पैंट खोलकर उसने मेरे अंडरवियर में उसका हाथ डाल दिया और लौड़े को बाहर निकाल दिया।

मैंने अपनी पैंट और अंडरवियर निकल फेंकी।
वह मेरे लन्ड को ऊपर नीचे करने लगी।

बीच बीच में वो मेरे लौड़े के टोपे पर अंगूठा भी घुमा देती।
मैंने भी उसके गाउन को पूरी तरह उतार दिया और उसकी पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत पर अपनी उंगलियां फेरने लगा।
उसकी चूत गीली हो गई थी।

वह वो कसमसा रही थी।
यह मुझे बड़ा ही मज़ा आ रहा था।

चूत पर हाथ फेरते हुए उसकी पैंटी को भी अपनी दूसरी हाथ से उतार दिया।
उसकी चूत का मंजन चालू ही था।

जैसे ही उसके पैंटी उतारी, मैंने उसे अपनी गोदी मैं बिठा लिया।
उसने आज ही शेव किया था।

कमल के फूल जैसी चूत, उसकी पंखुड़ियां बदन के गर्मी से फेल चुकी थी, चूत का दाना भी पानी निकलने से चमक रहा था।
चूत से भी बूंद बूंद पानी निकल रहा था।
बहुत दिनों से प्यासी थी वह!

मैंने फिर हाथ के बीच वाली दो उंगलियों को उसकी चूत के अंदर हल्के से घुसा दिया।
साथ में उसकी चूत के दाने के ऊपर से मैं अपना अंगूठा भी घुमा रहा था।

चूत गीली होने के कारण सता सट उंगलिया अंदर बाहर हो रही थी।

दोनों के हाथों का घमासान चल रहा था।
वह मेरे लौड़े पर हाथ चलाये जा रही थी।

लौड़े की खाल को कभी तेजी से फिर बीच में धीरे धीरे ऊपर नीचे कर रही थी।
मेरे लौड़े से पानी निकल रहा था।
वह पानी लौड़े को नोक जमा हो रहा था।

तो वह उसके ऊपर से अपना अंगूठा घुमा देती थी और वही अंगूठा लौड़े के टोपे के नीचे से फट से घुमा देती थी।
मजा तो वो भी बहुत दे रही थी।

उसका पेट ऊपर नीचे हो रहा था।
वह हवा में पागल हो जा रही थी।

एक हाथ अपने बालों में घुमाते हुए अपने गुलाबी होठों से उंगलियां चूम लेती थी।
उसके उरोज ऊपर नीचे हो रहे थे।
निप्पल जैसे डांस कर रहे हो।

और थोड़े ही देर में ‘आह हह हह ह’ करते हुए उसने अपना माल निकाल दिया।
वह जोर जोर से सांस ले रही थी।
उसकी आंखों में खुशी साफ साफ दिखाई दे रही थी।

लेकिन उसने लौड़े का मंथन नहीं छोड़ा था।
थोड़े ही देर में मेरा भी माल निकल गया और हम सोफे पर रिलैक्स हो गए।
दोनों पसीना पसीना हो गए थे।

पसीने की एक बूंद उसके बालों से निकलकर आंखों के बाजू से होकर उसके गाल के ऊपर से होकर उसकी ठोड़ी से जमीन पर गिर गई।
वो पसीने की बूंद को देख कर उसके चेहरे के हाव भाव अच्छे तरीके से दिख गए।

लेकिन अभी अभी तो इंजन गर्म हुआ था, गाड़ी तो और भागने वाली थी।

हम वाशरूम जाकर अच्छी तरह से नहा धोकर बाहर आ गए।
सेक्स ऐसी चीज है जिससे एक बार में मन नहीं भरता।

बाहर आने के बाद हम बेडरूम की तरफ बढ़ गए।

नंगे तो हम थे ही वैसे … और क्या ही चाहिए चुदाई के लिए?

मैं बेड पर लेट गया और वह मेरे लौड़े को खड़ा करने में लग गई।
थोड़े ही देर में मेरा घोड़ा खड़ा हो गया।

तभी मैंने उसे कमर से पकड़कर बेड पर लिटा दिया।

मैं फिर उसे गर्म करने लगा, उसके होठों को चूमा, फिर उसके एक एक मम्मे को चूसा।
फिर उसके पूरे बदन को चूमते हुए उसकी चूत तक जा पहुंचा।

उस ब्यूटीफुल गर्ल ने अपनी टांगें फैलाई।
मैं अपनी जीभ को उसकी चूत की दरार में घुमाने लगा।

उसके दाने को भी मैं अपनी जीभ से छेड़ देता।
उसकी चूत मैं ऐसी चाटता कि चूत के छेद से लेकर उसके दाने तक लंबी जबान चलाता।

मुझे उसकी चूत के दोनों होंठों की अलग होने की और फिर से चिपकने की आवाज साफ साफ सुनी दे रही थी।

तभी अचानक उसने मेरे सर को पकड़कर ऊपर खींच लिया और मुझे बेतहाशा चूमने लगी।
मुझे चूमते हुए वो लौड़े को अपने हाट में पकड़कर सहलाने लगी।

अब मुझे और मजा आने लगा।
तभी उसने मेरे लन्ड को अपनी चूत पर सेट करके अपनी गांड उठा दी।

चूत चिकनी होने के कारण मेरे लन्ड का टोपा आसानी से उसकी चूत में घुस गया।
वह चिहुंक उठी और एक मीठी ‘आह’ के साथ अपनी गांड हिलाने लगी।

अपना लंड उसकी चूत में रखे हुए ही उसके बेड की एक तरफ मैंने खींच लिया और उसकी कमर को पकड़कर एक और जोर से धक्का मारते हुए मेरा लौड़ा उसके चूत को चीरता हुआ जड़ तक जा पहुंचा।

फिर उसके पैरों को अपने कंधों पर रखकर मैं धक्के पर धक्के लगाए ही जा रहा था।
ब्यूटीफुल सेक्स से पूरे कमरे में ‘ठप्प … ठप्प … ठप्प …’ आवाज गूंजने लगी।

यह सुनयना का चेहरा गुलाबी हो रहा था।
उसकी आंखें अधखुली, बेड पर बिछे हुइ उसके बाल, हर धक्के के साथ ऊपर नीचे उसके मम्मे हिल रहे थे।

वह आवाजें निकालने लगी ‘आह आह … और तेज … जल्दी जल्दी … फास्ट फास्ट … चोदो चोदो … आह … आह’ कर रही थी।

फिर थोड़े ही देर में वह अपना माल निकालकर निढाल हो गई।
पर मैं कहाँ रुकने वाला था।
चूत और चिकनी होने के कारण मैं सटा सट अपना लौड़ा उसके चूत मैं आगे पीछे कर रहा था।

उसकी गांड को पकड़ते हुए मैं चुदाई करे ही जा रहा था।
अपने हाथों को मैंने उसकी गांड में गड़ा रखा था।

फिर मैंने उसको घोड़ी बनाकर उसकी गांड में अपनी जीभ फेर दी।
उसकी गांड के छेद पर थूककर अपने अंगूठे को उसकी गांड में घुसा दिया।

फिर दूसरे हाथ से अपने लौड़े को पकड़कर उसकी चूत में घुसा दिया।
लौड़ा सीधा चूत फाड़ते हुए उसकी बच्चेदानी से जा टकराया और फिर फच फच करते हुए चुदाई का दौर चलने लगा।

उसकी गांड मारने की मेरी इच्छा बहुत थी.
पर उसने मना किया तो अपना पूरा गुस्सा उसकी चूत पर ही निकाल रहा था।

फिर उसके लटकते हुए उरोजों को पकड़कर और जोर से मैं चोदने लगा।
उसकी गांड पर पड़ती हुई थपेड़ों से उसकी गांड हिलते देख बड़ा मजा आ रहा था।

लग रहा था कि यह चुदाई कभी खत्म ही न हो।

ऊपर से देखने पर उसका परफेक्ट फिगर दिख रहा था।
वक्ष को छोड़कर मैंने उसकी कमर पकड़ ली क्योंकि अब मेरा माल निकलने वाला था।
तभी वह ‘बस करो … आह्ह … मैं थक गई हूं’ कहने लगी।

थोड़े ही देर बाद मैंने अपने लौड़े को बाहर निकालकर उसकी गांड पर अपना माल उतार दिया और मैं निढाल हो गया।

थक तो मैं भी चुका था चुदाई करते हुए!
और मैं उसके ऊपर गिर गया और वैसे ही सो गया।

1 घंटे बाद मेरी नींद खुली.
अपना हुलिया ठीक करके मैंने उसकी गांड दबाते हुए एक लंबा किस किया और अपने घर निकल आया।

अभी भी हमारे बीच चुदाई होती है।
उसके बाद भी मैंने माल ढूंढना बंद नहीं किया है।

मैंने सुनयना की दोस्त मानसी को कैसे चोदा, वह मैं अगली कहानी में पेश करूंगा।

पहली कहानी होने के कारण कुछ गलती हो तो माफ कर देना।

कहानी तो पहली थी पर चुदाई बहुत बार की है।
आशा करता हूँ कि आप अगली कहानी का इंतजार करिएगा।
गर्ल ब्यूटीफुल सेक्स कहानी पर आप कमेंट्स में अपनी राय मुझे बताइयेगा.
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