बॉयफ्रेंड से चुद कर चूचियाँ बड़ी हो गयी

(GF BF Sex Kahani Hindi)

GF BF सेक्स कहानी हिंदी में मैं एक लड़के को चाहती थी, उसे अपना बनाने के लिए मैंने उसे अपना जिस्म भी सौंप दिया था. मैं उससे चुद चुकी थी. उसके बाद उसने मेरी गांड भी मारी.

सभी पाठकों को मेरा प्यार भरा नमस्कार.
मैं चित्रांगदा सक्सेना, अपनी आपबीती की सेक्स कहानी का अगला भाग लेकर आप सबके सामने हाजिर हूं.

मुझे उम्मीद है कि यह कहानी भी मेरी पिछली कहानी
कॉलेज फ्रेंड का प्यार पाने के लिए चूत चुदवाई
के समान आप सभी को पसंद आएगी.

मुझे ई-मेल द्वारा आप सभी का प्रोत्साहन व सुझाव प्राप्त हुए हैं और मैं प्रयास भी कर रही हूं कि आप सभी की मेल्स का उत्तर दे सकूं.
मैं उम्मीद करती हूं कि मुझे अपनी इस कहानी पर भी आप सभी का प्यार व स्नेह प्राप्त होगा.

अभी तक आपने जाना था कि मैं अपने सहपाठी अजय से प्रेम करने लगी थी.
मगर अजय हमारी क्लास की एक दूसरी लड़की ऐश्वर्या को बहुत अधिक चाहता था.

पर ऐश्वर्या के व्यव्हार से क्षुब्ध होकर अजय ने उससे किनारा कर लिया और अपनी सहेली के सुझाव द्वारा मैंने प्रयास करने शुरू कर दिए कि अजय हमेशा के लिए मेरा हो जाए.

इस बीच अजय की नौकरी बनारस में स्थित एक आवासीय स्कूल में लग गयी.
वह बनारस चला गया और कुछ महीनों बाद जब मेरे लायक वहां पर जगह खाली हुई, तो उसने मेरा साक्षात्कार रखवा दिया.

मैं साक्षात्कार के लिए बनारस चली गई. मेरा साक्षात्कार शनिवार को था. मैं असफल हुई, पर मुझे अपनी पात्रता साबित करने के लिए हफ्ते भर का समय दिया गया.
उसी शाम को फिर रात में अजय और मैंने संभोग करना शुरू किया. वह आप सभी मेरी कहानी के पहले के भागों में पढ़ चुके हैं.

अब आगे की GF BF सेक्स कहानी हिंदी का मजा लीजिए.

अगला दिन संडे था, तो मैं निश्चिंत थी. एक तो खाना या नाश्ता बनाना नहीं था, सारा इंतजाम अजय ने मैस से पहले ही करवा दिया था.

तो मैं अलसायी हुई बिस्तर पर लेटी हुई थी और रात में हुए संभोग को सोच रही थी.
साथ ही मैं अपनी जीत पर मुस्कुरा भी रही थी.

रात में जब भी मेरी नींद खुली तो मैंने अजय के लंड को अपने अन्दर ही पाया और अपनी चूत से पानी रिसता हुआ सा मिला.

मैं हैरान थी कि किसी का लंड इतनी देर तक कैसे तना हुआ रह सकता है.
एक बार तीन बजे के आस-पास जब मेरी नींद खुली थी तो मुझे अपने स्तन पर कुछ गड़ता हुआ सा महसूस हुआ.

मैंने देखा कि अजय मेरा स्तन पान करते हुए सो गया था और मैं उसके ऊपर थी तो मुझे उसका दांत गड़ रहा था.
मैं यह सब सोच ही रही थी कि तभी मेरा मोबाइल बज उठा.

आंचल ने कॉल की थी.
आंचल- और दुल्हन रानी कैसी रही पहली रात पिया संग?

मैं- अच्छी रही!
आंचल- तो अब अजय को भैया कहूं या जीजा?

मैं- भैया कहोगी तो नुकसान में रहोगी, जीजा कहोगी तो साली वाला हक मांग सकोगी … आधी घर वाली होने का!
आंचल- बात तो तू सही कह रही है, तो बता कि जीजा जी हैं कहां?

मैं- फ्रेश होने गया होगा.
आंचल- तुझसे पहले! ऐसे कैसे? रात में मजा नहीं दिया क्या तूने?

मैं- नहीं यार. पूरी रात तो सेक्स ही कर रहा था. जब भी मुझे होश आया तो उसका मेरे अन्दर ही था. रात भर मेरे गोलों को मुँह में लिए हुए था. अब दर्द कर रहे हैं.
आंचल- वह भी तेरी तरह वर्जिन ही था क्या? बड़ा स्टैमिना है अजय का! ढीला हुआ कि नहीं उसका?

मैं- अब मुझे क्या पता वर्जिन था कि नहीं … इन लोगों कि कौन सी सील होती है! पर हां शाम को पहली बार करने से अजय का लंड छिल गया था. ढीला तो हुआ ही नहीं रात भर. एकदम डंडे जैसा खड़ा था. जिससे रात भर अन्दर लिए रहने से मेरी चूत की बैंड बज गयी.

आंचल- तो पीछे से ले लेती!
मैं- साली … चुप कर!
आंचल- अरे पूरे मजे ले न खुल कर … बिंदास. फिर देखना अजय तेरे से बंधा चला आएगा.

मैं- तू चुप कर. मैं जितना कर सकती थी, कर दिया है.
तभी दरवाजे पर आहट हुई.

मैं- आंचल मैं फोन रखती हूं, कोई दरवाजे पर है!
आंचल- ठीक है. जब फ्री होना, तो कॉल करना.
मैं- ओके.

तभी दरवाजा खोलकर अजय कमरे में आ गया.
अजय- क्या चिट्स यार … साढ़े आठ बज गए हैं, तुम अभी भी लेटी हुई हो … चलो कोई बात नहीं, तुम आराम करो. नाश्ता आ गया है.

अजय अपने कपड़े उतारने लगा.
मैं नग्न पड़ी हुई थी तो लजाते हुए उठने लगी.
पर दर्द से आह निकल गई.

अजय मेरी तरफ पलटा, तो मैं अपनी हथेलियों से स्तनों को ढकने का प्रयास करने लगी.

अजय ने अपनी शॉर्ट्स निकाल दी है और वह सिर्फ अंडरवियर पहन कर खड़ा हो गया.

फिर मेरे हाथों को अलग करते हुए वह भी बिस्तर पर आने लगा- अब किससे छुपाना चाह रही हो? सब कुछ तो मेरा ही है ना!
मैंने हां में सर हिलाया.

अजय ने मेरे चेहरे को ऊपर किया और मेरी बंद आंखों को चूमने लगा, फिर वह मेरे माथे को, गालों को चूमते हुए मेरी गर्दन को चूमने और चूसने लगा.

उसकी हरकतों से मेरी आग फिर भड़कने लगी … मैंने भी उसे चूमना शुरू कर दिया.

मैं- इतनी सुबह कहां गए थे आप?
अजय- अरे, तुम से आप पर आ गयी! मुझे अच्छा लगा. यार सुबह बच्चों का स्पोर्ट्स होता है न … तो साथ में जाना होता है. इसी बहाने अपनी भी कसरत हो जाती है.

मैं- मुझे और करना था सुबह!
अजय- जानेमन पूरा दिन है अपने पास … बहुत सारे सर्प्राइज हैं.

यह सुन कर मैं और रोमांचित हो उठी और मैंने अजय को कस कर बांहों में भर लिया.
अजय ने मेरे दोनों कबूतर पकड़ लिए और मसलने लगा.

मेरे मुँह से आई ईईई निकल गया.
“थोड़ा आराम से कीजिए ना … पहले ही दिन में जान निकाल देंगे क्या?”

अजय- जानेमन तुम्हारे इनको बड़ा करना है. इसमें से मुझे दूध भी पीना है.
मैं- पी लेना, अभी तो नहीं आ रहा है ना!

अजय- इसी लिए तो इनको बड़ा करना है, जिससे ज्यादा दूध बने.
मैं- एक दिन में इतने बड़े कर दिए आपने … पता नहीं आगे क्या होगा मेरा!

अजय मेरे एक स्तन को मुँह में ले लिया और चूसने लगा.
मैं ‘सि सी आह आह …’ करने लगी.

‘आह और चूसो … आह पूरा मुँह में ले लो …. चूस डालो इनको!’
मुझे फिर से वासना चढ़ने लगी और मेरी चूत गीली हो गई.

मैं अजय का लंड टटोलने लगी, मुझे मिल गया तो मैं उसे हाथ में ले लिया … गर्म गर्म मोटा लंड.
मैंने दिन में उसको देखा तो देखती ही रह गयी.
मुझे रात से भी अधिक मोटा लगा … और थोड़ा लंबा भी.

सच में बहुत ही भयानक लंड लग रहा था.
मैंने छोड़ दिया.
अजय ने पूछा- क्या हुआ?

मैं- यह इतना भयानक क्यों लग रहा है? पहले से मोटा और लंबा भी है. यह कैसे हुआ?
अजय- जानेमन तुम्हारी तरह मैं भी तो वर्जिन था, तो मेरे लिंग को तुम्हारी बुर ने लंड बनाया था और मेरे लिंग ने तुम्हारी बुर को चूत या भोसड़ा बनाया. रात भर तुम्हारी चूत के रस ने इसे सींचा और इसे अब लौड़ा बना दिया है. पहले संभोग में लिंग और योनि दोनों में आकार और रूप का बदलाव होता है. मिलने के बाद दोनों अपनी परिपक्वता को पा जाते हैं!

वह एक पल को रुका और वापस बोलने लगा- थैंक्स चिट्स, मुझे यह सुख देने के लिए.
यह कहते हुए अजय अपना लंड मेरी चूत के मुँह पर रख कर घिसने लगा.

उसके गर्म लंड के स्पर्श मात्र से ही मेरे मुँह से कामुक सिसकारी निकल गई- ओह ह्म्म … अन्दर डाल दो.
अजय ने मुझे देखा और एक झटका लगा दिया.

मैं- आईई मम्मीई ईई … मर गयी रे!

अब अजय ने दनादन शॉट्स लगाने शुरू कर दिए, मैं ‘आह उईईई उम्म्म …’ करती रही.
मेरी चुदाई दनादन काफी देर तक चली.

जल्दी ही मैंने अपनी चूत से पानी छोड़ दिया था.
पर अजय मेरी चूत की चुदाई करने में लगा रहा क्योंकि उसका लंड एकदम कसा हुआ सा चल रहा था तो कमरे में फ़च फ़च की कामुक आवाजें गूंजने लगी थीं.

चूत में रस छूटने से चिकनायी ज्यादा हो गई थी, इसी कारण से उसका लंड बड़ी तेजी से अन्दर बाहर हो रहा था.

अचानक से मुझे महसूस हुआ जैसे अजय के लंड की नसें फूल गयी हैं.

मैंने इशारा किया कि मुझे मुँह में रस लेना है, तो अजय ने एक झटके में लंड निकाला और मेरे मुँह के पास आ गया.

जब उसने मेरी चूत से लंड खींचा तो मुझे ऐसा लगा जैसे किसी ने मेरे अन्दर से तलवार निकाल ली हो, इतना सख्त लंड था.
मैंने गप से मुँह में ले लिया और बड़े प्यार से उसे चूसने लगी.

आह क्या मस्त स्वाद आ रहा था.

रात भर की चुदाई का पानी और वीर्य … फिर एकदम ताजी चुदाई का चूत रस लंड पर लगा था, जो कि लंड के रस के साथ मिक्स हो गया था.
बहुत ही लज्जतदार स्वाद था.

अब अजय ने मेरा मुखचोदन शुरू किया.
कुछ दस बारह धक्कों में अजय के लंड ने लावा उगलना शुरू कर दिया.

मेरा पहली बार में ही मुँह भर गया.
इतना गाढ़ा कामरस था कि क्या ही कहूँ … मैंने आज तक इतना गाढ़ा तो दही भी नहीं देखा था.

मैंने सब पी लिया.

अजय ने फिर से दो झटके लगाए और फिर से मेरे मुँह में ही काम रस निकाल दिया.
अब मेरा ध्यान अपनी फट चुकी चूत पर गया.

मैं देखती रह गयी मेरी फांकें फट गयी थीं और उन पर कटने और छिलने के निशान थे.
मेरे स्तन भी थोड़े और बाहर को निकल आए थे और अब ये आसानी से अपनी उपस्थिति किसी की भी आंखों में दर्ज करा सकते थे.

मैं उठ कर बाथरूम में जाने लगी तो अजय ने रोक दिया-इतनी भी जल्दी क्या है?
“अभी कुछ और बाकी है क्या?”

मैंने कहा तो उसने मुझे प्यार से दुबारा लिटा दिया और कहने लगा- देखो स्त्री के अंगों की सही से देखभाल बहुत जरूरी होती है, नहीं तो सब अंग ढीले पड़ जाएंगे!

मैं- तो क्या करोगे आप?
अजय- जानेमन तुम्हारी मालिश करूंगा … जिससे तुम्हारे दूध और चूत हमेशा टाइट रहे.

मैं- हां, जैसे तुम्हारा लंड रहता है?
अजय- बिल्कुल … कोई शक!

मैं- बिल्कुल नहीं, कोई और कहता तो कभी नहीं मानती … पर तुम्हारे लंड का स्वाद तो मैंने खुद लिया है. तो तुम्हारी बात तो मानना ही पड़ेगी!

अजय- यह नुस्खा मेरे दादाजी का था जो मुझे मिला … या यूं कहो कि दादाजी ने खुद दिया.
मैं- ऐसा क्या था?

अजय- तुमको नहीं पता न मेरे दादाजी की सात औरतों से संबंध थे. पांच से तो शादी की थी. उन्होंने रिटायरमेंट के बाद भी शादी की और आखिरी वाली से तो पांच बच्चे भी पैदा किए. जब मैं छोटा था, तो दादाजी अपने हाथों से मेरी मालिश करते थे. जहां बाकी बच्चों की तेल से होती थी, मेरी देसी घी से. जिससे मेरी बॉडी इतनी जबरदस्त बन गई … और लंड ऐसा हुआ!

फिर अजय ने मेरी कमर पर देसी घी डाल दिया और धीरे धीरे मालिश करने लगा. उसके हाथों के घर्षण और मेरे बदन की गर्मी से घी मेरे जिस्म में मानो समाने लगा.
अब अजय ने मेरे नितंबों पर भी मालिश करनी शुरू की और घी को मेरी गुदा द्वार में भर दिया. मैं समझ गयी कि अब जल्द ही अजय मेरी गांड भी मार देगा.

यह सोच कर मेरे मन में खुशी और डर दोनों के भाव आ रहे थे कि मेरी गांड इतना भीमकाय लंड को कैसे ले पाएगी.

फिर आंचल की बात याद आ गयी तो मैंने निश्चय कर लिया कि अजय जो भी चाहेगा, मैं उसे करने दूंगी. उसे कभी किसी भी बात के लिए ना नहीं कहूंगी.

अब अजय ने मुझे सीधा कर दिया.
उसने देखा कि मेरी आंखों से आंसू की धारा निकल रही है.

उसने इशारे से पूछा- क्या हुआ, अगर मन नहीं है … तो जाओ, फ्रेश हो जाओ!

मैंने कहा- ये खुशी के आंसू हैं पागल … जो तुम मुझे इतना प्यार दे रहे हो!
अजय ने कहा- जो तुम्हारी किस्मत में था, वह तुम्हें मिल रहा है!

मुझे अनायास ऐश्वर्या का ख्याल आ गया कि उसने क्या खो दिया है.

अजय ने प्यार से मेरे स्तनों को मालिश करना शुरू किया.
धीरे धीरे पूरा घी मेरी त्वचा में समा गया और मेरे स्तन और प्यारे लगने लगे. एकदम दमकते हुए … त्वचा पूरी खिंची हुई, कहीं कोई ढीलापन नहीं रह गया था.

अब अजय मेरी जांघों की मालिश करते हुए मेरी चूत को छेड़ने लगा.
उस पर भी उसने घी डाला और हाथों से मालिश करते हुए फाकों को दो उंगलियों से बीच में लेते हुए ठीक करने लगा.

मेरे अन्दर फिर से चुदाई के अरमान जागने लगे क्योंकि वह मेरी चूत का दाना लगातार घिस रहा था.

अब अजय ने ऐसा कुछ किया, जिसकी मुझे उम्मीद नहीं थी.
उसने अपना लंड निकाला और उस पर घी डाल कर उसकी मालिश करने लगा. धीरे धीरे उसका लंड अपना आकार ले चुका था.

अब अजय ने मेरी चूचियों पर शहद गिराया और चाटने लगा. उसने मेरे चेहरे पर भी शहद मला और उसको भी चाट गया.
अब हम दोनों अजय के बाथरूम में आ गए थे.

मैंने ब्रश किया.
फिर अजय ने मुझ पर पानी डाला.
घी लगे होने से पानी छटक गया.

फिर अजय ने बाथटब को भरा गर्म और ठंडे पानी से क्योंकि बारिश होने के कारण मौसम काफी ठंडा हो गया था या शायद अजय को पता होगा कि ज्यादा देर अगर हम पानी में रहेंगे तो सर्दी लग सकती है.

पहले अजय टब में गया, फिर उसने मुझे भी बुलाया.
मैं शर्मा रही थी.

अजय का लंड पूरा आकार ले चुका था और समंदर में किसी मीनार की तरह छत की ओर देख रहा था.

मुझे शर्माती देख, अजय ने मुझे हाथ पकड़ कर खींच लिया.
मैं भी टब में आ गई और अजय के लंड को अन्दर लेते हुए बैठ गई.

लंड और चूत में घी लगे होने से चिकनायी थी तो गप्प से लंड अन्दर चला गया.

मैंने अब उछलना शुरू किया तो मेरे चूचे हिलते हुए उसे दिखने लगे.
मुझे बड़ा ही अजीब सा लगा क्योंकि आज से पहले मेरे स्तन कभी नहीं उछलते थे.

यह तो सिर्फ एक रात में ऐसे हो गए … अभी तो दस दिन हैं, तब तक तो मेरा हाल क्या हो जाएगा.

अब अजय ने मुझसे कहा- चलो बाहर चलें, घी निकल गया और अब साबुन लगाते हैं.

अब अजय ने मेरे बदन पर साबुन लगाना शुरू किया.
उसने आराम से समय लेकर एक एक अंग को प्यार से निहारते हुए वह बॉडी शैम्पू लगाने लगा.

फिर उसने मेरी चूत पर भी शैम्पू लगाया और उसके बाद मेरी गांड में भी शैम्पू भर दिया.
मैं उसकी ओर देखने लगी तो अजय ने कहा- बढ़िया से सफाई करनी है ना! लो अब तुम मेरे ऊपर भी लगाओ.

मैंने भी अजय को बॉडी शैम्पू लगाना शुरू किया. उसकी जिम वाली बॉडी बड़ी मस्त लग रही थी.

मैं तो शैंपू की खुशबू में ही खोई हुई थी कि तभी अजय ने अपना म्यूजिक सिस्टम ऑन कर दिया.

जिस पर गाना चल रहा था.
भीगें होंठ तेरे, प्यासा दिल मेरा.

अब अजय ने मुझे पकड़ा और हैंड शॉवर से मुझे नहलाने लगा.
एक तरफ गाना मेरी आग भड़का रहा था, ऊपर से पानी भी मानो आग लगा रहा था.

अजय ने मुझे दीवार के सहारे खड़ा किया और अपना लंड मेरी चूत में पेल दिया.
मैं तो सिहर ही उठी और जोश में मैंने भी उसे बांहों में भर कर टब पर बिठा दिया, जिसमें अभी भी आधा पानी भरा हुआ था.

मैंने उसके होंठों को अपने मुँह में लिया और काट लिया, उसके होंठों को पीने लगी.
उसी दरमियान मैंने अपनी जीभ भी उसके मुँह में दे दी तो अजय जोर से चूसने लगा.

मैंने इशारा किया कि ठीक से बैठो.

मैं खुद भी अजय के इशारे का इंतजार करने लगी.
जैसे ही उसने इशारा किया, मैं उसकी गोदी में बैठ कर लंड को अन्दर ले लिया और जोर जोर से लेने लगी.

कुछ पल बाद अजय ने इच्छा जताई कि उसे मेरी निप्पल चूसनी है, मैंने झट से अपने एक दूध को उसके मुँह में दे दिया.
वह जबरदस्त तरीके से दूध चूसने लगा.

मैं आऊ वाऊ ऑफ ऑफ करने लगी.
मैं तो जैसे आसमान में गोते लगा रही थी.

अब अजय ने मेरे दाहिने दूध को छोड़कर बाएं दूध को मुँह में भर लिया और दांत लगाते हुए उसको चूसने लगा.

GF BF सेक्स करके मैं तो आनन्द के सागर में डूब गयी थी.
नीचे से मेरी चूत ने झड़ना शुरू कर दिया था और अगले पांच मिनट में मैं पस्त होकर अजय पर ही लुढ़क गयी.

अजय अभी भी मुझे चोदे जा रहा था.
उसने मुझे बाथटब के अन्दर झुका दिया था और टब का पूरा पानी खोल कर निकल जाने दिया.
उसने कहा- अब तुम्हें मैं वह सुख दूंगा, जो अब तक नहीं दिया … ना मिला है.

उसने बॉडी वॉश को मेरी गांड में भर दिया.
मैंने उसकी ओर देखा और मुस्कुरा दी.
उसने पूछा- कोई प्रॉब्लम?

मैंने कहा- नहीं, सब कुछ तुम्हारा ही है … आज लो … चाहे बाद में. मैं भी तुम्हारे साथ यह सुख लेना चाहूँगी. मुझे खुशी है कि मैं तुम्हें यह सब सुख दे पा रही हूं.
अब अजय ने अपने लंड को गांड के छेद पर सैट कर दिया.

मैंने अपने हाथ टब और जकड़ दिए.
इससे अजय को इशारा मिल गया और उसने पूरी ताकत से लंड मेरी गांड में ठोक दिया.

मेरी जान ही निकल गयी.
जबकि अभी उसका सिर्फ सुपारा ही अन्दर आया था.

थोड़ी देर में मैं सामान्य हुई और अपनी गांड को आगे पीछे करने लगी.

अब अजय भी समझ गया कि मैं तैयार हूं तो उसने दूसरा झटका मारा.
मेरी गांड और फैल गई और उसका एक चौथाई लंड मेरे अन्दर आ धंसा.

घी और शैम्पू ने अपना कमाल दिखाया.
मुझे गांड फटने से दर्द तो हो रहा था … पर अन्दर बाहर होने में मज़ा भी बहुत मिल रहा था.

मैंने कहा- और जोर से चोदो … आह मेरी गांड मारो … और तेज़!
अजय भी पूरे जोश में आ गया और ताबड़तोड़ धक्के देने लगा.

थोड़ी देर में उसका आधा लंड मेरे अन्दर आने जाने लगा.
मेरी गांड से खून भी रिसने लगा, जो मेरी जांघों से होता हुआ टब में गिर रहा था.

गांड के कसाव के कारण अजय का लंड बीस मिनट में ही सारा रस मेरी गांड में उगल कर शांत हो गया.

अजय ने लंड को बाहर निकाला.
मैंने उस पर पानी डाल कर उसकी सफाई की.

फिर नहाना खत्म करने के बाद अजय ने मेरा बदन पौंछा और मैंने उसका.
अब मैं पहली बार अजय के शिथिल लंड को देख रही थी जो मुर्झाया होते हुए भी सात इंच का था और खीरे बराबर मोटा था.

ऊपर की चमड़ी के बीच से गुलाबी सुपारा दिख रहा था.

मैंने अजय का बदन पौंछ कर उसके लंड को हाथों में लिया और फिर से अपने मुँह में लेकर चूसने लगी.

अजय ने लंड को मेरे मुँह से निकाल लिया और बोला- जान खाना खा लो, नाश्ता भी सुबह से रखा हुआ है. दो बज रहे हैं, अब लंच भी करने जाना है. तुम्हारा लंच यहीं आ जाएगा. मैं मैस में जाकर खाऊंगा.
मैंने कहा- मैं आपके बगैर नहीं खाऊंगी.

अजय- चिट्स जान, समझा करो. जाना जरूरी है, नहीं तो बातें बनेंगी. कल से ऐसा नहीं होगा, मैं इंतजाम कर आऊं कल के लिए!
मैं- ठीक है.

फिर अजय चला गया.
मेरे लिए एक और जबरदस्त सर्प्राइज़ देने के लिए, जिसके बाद हम दोनों और बेधड़क हो गए.

अभी तो हम बच कर, छुप कर कर रहे थे, इसके बाद हम स्वछंद हो गए और खुल भी गए.

तो यह थी मेरी पहली बार गांड मरवाने की सेक्स कहानी.
मैं दस दिन तक अजय के साथ रही, फिर अजय ही मुझे अपने साथ लखनऊ ले आया.
रास्ते भर उसने मुझे खूब चोदा … सारे रास्ते में मुझे कपड़े भी नहीं पहनने दिए.

फिर मुझे मेरे घर लाकर रात में मेरी मम्मी के सामने ही मुझे कैसे चोदा और कैसे मैंने अजय की सैटिंग अपनी सहेली से करवा दी, जिससे वह भी अजय के मर्दाना लंड का मज़ा ले पाई.
मैं अभी भी जब ट्रेनिंग के लिए दिल्ली जाती हूं, तो अजय को अपने होटल के रूम में बुला कर उससे खूब चुदवाती हूं.

हालांकि किन्हीं कारण से हमारी शादी नहीं हो पायी, तब भी पति जैसा प्यार भरपूर मिला.

अपनी सारी चुदाइयां और कारस्तानियां मैं आप सबके सामने अपनी कहानियों के माध्यम से जरूर लाऊंगी.
GF BF सेक्स कहानी हिंदी पर मुझे अपने सुझाव इस ई-मेल पर भेजें.
[email protected]

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