गाँव की लड़की ने दोस्ती करके चूत दी
(Garam Ladki Ki local Sex Kahani)
गर्म लड़की की लोकल सेक्स कहानी में पढ़ें कि कैसे पड़ोस की एक लड़की ने मुझसे फेसबुक पर दोस्ती की. मेरे मन में ख्याल आया कि ये साली चुद जायेगी.
मैं हरियाणा के भिवानी ज़िले के गांव का लड़का हूँ. मेरी लंबाई लगभग 6 फ़ीट है.
जिम जाने का शौक होने की वजह से मेरी बॉडी काफ़ी सॉलिड दिखती है.
इतना सब होने के बाद भी मैं अब तक चोदन कला में अनुभवहीन एक लड़का था.
मेरे दिल में अरमान तो बहुत थे लेकिन बिना किसी गर्लफ़्रेंड के अरमान किसके साथ पूरे करता.
ऐसा नहीं है कि मैं आकर्षक नहीं हूँ, लेकिन जब क़िस्मत ही चूतिया हो, तो बंदा क्या ही कर सकता है.
तो मुझे पहली चूत कैसे मिली, पढ़ें इस गर्म लड़की की लोकल सेक्स कहानी में!
दिल्ली यूनिवर्सिटी से मैं बी.एससी. के फ़ाइनल ईयर में था और घर पर ख़ाली बैठा हुआ था.
मेरे गाँव में एक ट्यूशन, कोचिंग का छोटा इंस्टिट्यूट था जो एक टीचर ने अपने घर में ही खोला हुआ था.
मैंने सोचा कि चलो उन टीचर से मिल कर पूछता हूँ कि कोई कोचिंग क्लास मुझे पढ़ाने को दे सकते हैं क्या?
मुझे कोचिंग में पढ़ाने के लिए मिल गया. मुझे नहीं पता था कि ये कोचिंग क्लास मेरे लंड के लिए वरदान साबित होगी.
यहां पर मुझे मेरी लाइफ़ का पहला सेक्स अनुभव मिलने वाला था.
कोचिंग क्लास शुरू किए हुए एक महीना हो गया था, सब कुछ सही चल रहा था. दो घंटा की क्लास लेकर घर आकर वेबसिरीज देख कर दिन निकाल रहा था.
एक दिन फ़ेसबुक पर मेरे पास एक लड़की की फ्रेंड रिक्वेस्ट आयी.
उसे मैं जानता तो नहीं था पर लड़की की रिक्वेस्ट कौन टाल सकता है.
मैं कोई सख़्त मिजाज लौंडा नहीं हूँ तो मैंने झट से रिक्वेस्ट एक्सेप्ट कर ली और इसके साथ उसे एक मैसेज भेज दिया- हाय, क्या आप मुझे जानती हैं?
कुछ समय बाद उसका भी उत्तर आ गया- हां जी, आप हर रोज कोचिंग क्लास लेने जाते हो ना … तो मैं रोज आपको देखती हूँ.
इतना सुनते ही मेरे लंड के रोंगटे खड़े हो गए कि ये सही मिली है, बेटा यहां पर काम बन सकता है.
फिर हम साइंस के स्टूडेंट हर चीज में संभावना खोज लेते हैं.
ऐसे ही मैंने भी सोचा कि जिस तरह मेरा लंड फुंफकार रहा है, क्या पता उसकी चुत में भी आग लगी हुई हो.
जब खुद से चुत चलकर लंड के पास आ रही हो तो ट्राई करने में क्या जाता है.
एक बात तो साफ़ हो गयी थी कि यह भी मेरे गांव की है.
जब मैंने उसे बताया कि मैं तो तुमको नहीं जानता, तो उसने खुद की दो तीन बढ़िया सी फ़ोटो भेज दीं.
उसकी हॉट फ़ोटो देख कर तो मेरा दिमाग हिल गया.
दूध जैसा एकदम साफ रंग, पतले पतले लाल होंठ और होंठ के ऊपर एक छोटा सा काला तिल.
बड़ी बड़ी आंखें और आंखों पर काली चश्मे का पहरा.
फ़ोटो में उसने टाइट जींस टी-शर्ट पहन रखी थी जिसमें उसके संतरे के आकार के गोल गोल मम्मे और उभरी हुई गांड साफ साफ दिख रही थी.
वो ऐसी दिख रही थी कि उसकी सिर्फ़ फ़ोटो देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया था.
उसका नाम रिया था (ये बदला हुआ नाम था) रिया बी.एससी. फ़र्स्ट ईयर की स्टूडेंट थी.
दो चार दिन ऐसे ही फ़ेसबुक पर हमारी बात होती रही, तो अपने अपने पुराने प्यार-क्रश की सारी बातें हमने एक दूसरे को बताईं.
अब हमारा मिलने का मन हो रहा था तो मैंने एक प्लान बनाया कि क्यों न रिया भी मेरी कोचिंग क्लास पर आने लग जाए.
रिया को जब मैंने यह कहा तो वो भी राज़ी हो गयी.
उसने जब घर पर गणित की कोचिंग लेने की बात की तो घर वालों ने भी रज़ामंदी दे दी.
अब हम दोनों के मिलने का रास्ता साफ हो गया था.
अगले ही दिन से रिया कोचिंग पर आना शुरू हो गयी.
चूंकि बी.एससी. की वह इकलौती स्टूडेंट थी तो उसकी क्लास मैं सबसे आख़िर में लेता था ताकि जब मैं उसको पढ़ाना शुरू करूं तब तक बाक़ी स्टूडेंट्स अपना काम करके चले जाएं.
इस तरह सबसे आख़िर में क्लास में सिर्फ़ हम दो ही रहते थे.
हालांकि दूसरे कमरों में घर के अन्य लोगों की मौजूदगी होती थी इसलिए हमेशा किसी के आने का डर तो बना ही रहता था.
पहले दिन जब वह आयी, तो उसको अपने सामने देख कर मेरे मुँह से आवाज नहीं निकल रही थी.
फिर जैसे तैसे मैंने खुद को सम्भाला और उसको पढ़ाना शुरू किया.
उसको मेरी ऐसी हालत देख कर हंसी आ रही थी.
कुछ समय बाद जब मैं नॉर्मल हुआ तब उसको समझाने का बहाना बनाकर मैं सामने से उठकर बिल्कुल उसके पास उसी की बेंच पर जाकर बैठ गया.
अब घबराने की बारी उसकी थी क्योंकि गांव में ऐसे बैठे देख कर कोई भी हमारी गांड पीट सकता था.
हालांकि मैं बाहर भी अपनी नजर रखे हुआ था कि अगर कोई आता हुआ दिखे तो मैं थोड़ा सा हटकर बैठ जाऊं.
अब तो यह हर रोज का काम हो गया.
एक ही बेंच पर हाथ में हाथ डालकर बिल्कुल सटकर बैठना … और जब किसी के आने की आवाज सुनाई देती, तो हम दोनों थोड़ा सा अलग हो जाते.
ऐसे ही एक दिन जब मैं उसे पढ़ा रहा था तो वो मेरा हाथ पकड़ कर अपने पेट के पास लगा कर बोली- देखो मैं मोटी हो गयी हूँ.
मुझे भी उस वक्त एक शरारत सूझी और मैं अपना हाथ पेट पर फिराकर बोला- मुझे तो सही ही लग रही हो.
फिर मैंने अपना हाथ घुमाते घुमाते उसके मम्मे पर रख दिया और कहा- हां, यहां से तो तू जरा मोटी हो गयी है.
ये बोलते हुए मैंने उसके मम्मे को ज़ोर से दबा दिया.
चूचे में दर्द होने की वजह से उसके मुँह से हल्की सी आह निकल गयी.
मैंने झट से अपना हाथ उसके मम्मे से हटा दिया कि कभी कोई उसकी आवाज सुनकर इधर ना आ जाए.
मेरा डर देखकर उसको हंसी आ गयी.
रिया की हंसी ने मुझे ग्रीन सिग्नल दे दिया था.
मैंने एक बार बाहर जाकर देखा कि किसी के आने की कोई सम्भावना तो नहीं है … और जब मैं यह पक्का हो गया कि हम दोनों सुरक्षित हैं तो मैं वापिस रिया के पास आया और उसको बेंच से बाहर निकाल कर दीवार की तरफ़ ले गया ताकि कोई भी आसानी से हमको देख ना सके.
पहले तो हमने एक दूसरे को कसकर हग किया.
मेरे दोनों हाथ उसकी पीठ पर घूम रहे थे और उसके मम्मे मेरी छाती से कसे हुए थे.
नीचे से मेरा लंड उसकी चुत के ऊपर अपनी दस्तक दे रहा था.
एक मिनट तक इसी तरह हग करने के बाद मैंने अपने होंठ उसके होंठों के साथ मिला दिए.
कभी मैं उसका ऊपर का होंठ अपने होंठों के बीच में लेकर चूसता, तो कभी नीचे का होंठ चूसने लगता.
कभी मेरी जीभ उसके मुँह में होती, तो कभी उसकी जीभ मेरे मुँह में.
रिया ने इस चुम्बन में मेरा पूरा पूरा साथ दिया.
हम दोनों की सांसें तेज तेज चल रही थीं क्योंकि किसी के आने के डर के साथ ऐसे में चुम्बन करने का अलग ही मज़ा होता है.
दो से तीन मिनट तक हमारा चुम्बन चलता रहा.
फिर हम वापिस अपनी बेंच पर आकर बैठ गए.
हमारी सांसें अभी भी तेज तेज चल रही थीं.
हम दोनों के ही चेहरे बता रहे थे कि चुम्बन काफ़ी जबरदस्त था.
जब हम दोनों नॉर्मल हो गए तो रिया एक अंतिम चुम्मी देकर घर चली गयी.
उसके जाने के बाद भी मेरा लंड बैठने का नाम नहीं ले रहा था, तो वहीं बाथरूम में जाकर मैंने मुठ मारी.
उस रात फ़ेसबुक पर भी हमारी कोई बात नहीं हुई.
अगले दिन मैं उसका बेसब्री से उसका इंतज़ार कर रहा था.
रिया काला सूट पहनकर आयी थी. उसमें वो एकदम सेक्स की देवी लग रही थी.
उसको देखते ही मेरा लंड खड़ा हो गया.
रिया ने भी मेरे लंड को देख कर हल्की सी स्माइल दी.
मैंने मौक़ा देख कर एक बार तो आते ही उसके होंठों पर जबरदस्त चुम्बन कर दिया, साथ में मैंने उसके मम्मों को भी हल्का सा दबा दिया.
लेकिन जैसे ही मेरा हाथ उसकी चुत की तरफ़ जाने लगा, तो उसने मेरे हाथ को रास्ते में ही रोक दिया.
वो बोली- अभी नहीं.
इस तरह कोचिंग पर रोज ही हमारे बीच चुम्बन होने लगी थी. साथ ही साथ उसके मम्मे मसलने का मजा भी ले रहा था.
अब हम दोनों की आग बस इतने से शांत नहीं होने वाली थी.
हम दोनों ही चुत और लंड का मिलन करवाना चाहते थे लेकिन कोचिंग में यह मुमकिन नहीं था.
फिर एक दिन हमने बाहर शहर में मिलने का प्लान बनाया.
कुछ दिन के बाद रिया कुछ शॉपिंग करने का बहाना बनाकर शहर आ गयी.
पहले तो मैंने रिया को थोड़ी शॉपिंग करवायी.
फिर हमने एक बढ़िया से होटल पर जाकर पेट पूजा की.
जब सब काम हो गया, उसके बाद भी हमारे पास चुदायी करने के लिए चार घंटे बच गए थे.
मैं रिया को अपनी बाईक पर बैठा कर अपने दोस्त के रूम पर ले गया.
दोस्त को मैंने पहले से ही सब समझा रखा था तो वो हमें चाभी देकर बाहर चला गया था.
रूम के अन्दर आते ही हम दोनों एक दूसरे से ऐसे लिपट गए जैसे नाग नागिन आपस में लिपटते हैं.
चुदायी की आग में हम दोनों ही जल रहे थे और आज इस आग को शांत करने का समय आ गया था.
हम दोनों चुम्बन करने में इतना खो गए थे कि रूम का दरवाज़ा बंद करना ही भूल गए.
पांच मिनट के बाद जब हमारी सांसें फूलने लगीं तो हम थोड़ा अलग हुए और मैं दरवाज़ा बंद करके आ गया.
आते ही मैंने रिया को पास में ही पड़े पलंग पर पटक दिया और खुद अपनी शर्ट निकाल कर उसके ऊपर चढ़ कर गया.
मैंने फिर से लिपकिस शुरू कर दिया.
रिया भी मेरी जीभ से अपनी जीभ रगड़ रगड़ कर पूरा साथ दे रही थी.
मेरे दोनों हाथ उसके मम्मों पर लगातार चल रहे थे.
फिर उसकी गर्दन पर किस करते हुए मैं अपना एक हाथ उसकी चुत की तरफ़ ले गया और सलवार के ऊपर से ही उसकी चुत को अपनी मुट्ठी में दबा कर भींच दी.
अपनी चुत पर हुए इस हमले से रिया के मुँह से हल्की सी सिसकारी निकल गयी.
मैंने रिया का कुर्ता निकाल दिया.
उसने नीचे स्पोर्ट्स ब्रा पहन रखी थी.
मैं ब्रा के ऊपर से ही उसके मम्मे चाटने लगा.
रिया के मुँह से बस कामुक सिसकारियों की आवाज ही निकल रही थी और उसके हाथ लगातार मेरे बालों में चल रहे थे.
मैंने उसकी ब्रा को ऊपर उठाकर उसकी कड़क हो चुकी एक चूची को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा.
रिया तो जैसे पागल सी ही हो गयी थी.
बारी बारी दोनों चूचियों का रस पीने के बाद मैं धीरे धीरे चुत की तरफ़ बढ़ने लगा.
उसके पेट पर नाभि के पास, जब मैंने अपनी जीभ फिरायी … तो रिया के मुँह से आह्ह की आवाज निकल गयी.
कुछ देर बाद मैंने उठकर रिया की सलवार का नाड़ा खोलकर उसे भी अलग कर दिया.
अब रिया नीचे बस पैंटी में रह गयी थी.
मैंने पैंटी के ऊपर से ही उसकी चुत पर अपनी जीभ रखकर चाटना शुरू कर दिया.
रिया तेज तेज सिसकारी भरने लगी और अपने दोनों हाथों से ज़ोर लगाकर मेरा मुँह अपनी चुत पर दबाने लगी.
मैंने अपने दांतों से पकड़ कर उसकी पैंटी को भी निकाल दिया.
पहली बार में किसी लड़की की चुत अपने सामने देख रहा था, इससे पहले तो बस पोर्न में ही देखी थी.
रिया की चुत बिल्कुल पोर्नस्टार लेह गोट्टी की तरह हल्की गुलाबी रंग की थी.
सबसे पहले तो मैंने अपनी नाक को उसकी चुत के पास ले जाकर उसकी खुशबू को महसूस किया फिर अपनी जीभ को चुत पर टिकाकर बिल्कुल किसी कुत्ते की तरह चाटने लगा.
इससे रिया तो बिल्कुल पागल हो गयी थी.
उसकी कमर अपने आप ऊपर नीचे होने लगी.
उसके मुँह से ज़ोर ज़ोर से आह्ह आह्ह की सिसकारियां निकलने लगीं, साथ की साथ मेरे हाथ उसकी चूचियों को भी मसल रहे थे, तो वो अपनी कामोत्तेजना के चरम पर आती जा रही थी.
लगभग पांच मिनट में ही रिया की चुत ने अपना पानी बहा दिया.
मैंने सारा पानी चाट कर साफ कर दिया और खड़ा होकर अपनी पैंट और अंडरवियर को निकाल कर अलग कर दिया.
मेरा लंड पहली बार किसी लड़की को सामने नंगी लेटी देख कर इतना ज़्यादा फूल गया था कि मुझे उसका साइज देखकर खुद हैरानी हो रही थी.
रिया का चेहरा बता रहा था कि वो भी मेरा लंड देख कर काफ़ी खुश है.
जब मैं अपना लंड रिया के मुँह की तरफ़ लाने लगा तो उसने लंड की टोपी पर बस एक चुम्बन देकर कहा- मुझे लंड चूसना अच्छा नहीं लगता है.
मैंने भी रिया की बात का सम्मान करते हुए उसको लंड चूसने के लिए फ़ोर्स नहीं किया.
अब हम दोनों ही पूरे नंगे हो चुके थे.
हमने एक बार फिर से लिपटकर एक दूसरे को चूमना शुरू कर दिया.
एक दूसरे के नंगे जिस्म के स्पर्श का आनन्द ही अलग होता है, ये बात मैं पहली बार महसूस कर रहा था.
नीचे से मेरा लंड बार बार रिया की चुत पर अपनी दस्तक दे रहा था और ऊपर मेरे हाथ उसके दोनों मम्मों को दबाए हुए थे.
हम दोनों के लिए ही अब ओर ज़्यादा रुक पाना मुश्किल हुआ जा रहा था तो मैंने उठकर सबसे पहले तो अपने लंड को कंडोम पहनाया ताकि आगे चलकर हम दोनों को ही कोई परेशानी ना हो.
फिर रिया की गांड के नीचे तकिया लगाकर उसकी चुत को थोड़ा ऊपर उठा लिया.
मैं खुद उसकी टांगों के बीच में आकर अपने लंड को उसकी चुत के ऊपर रगड़ने लगा.
दो चार बार चुत के ऊपर रगड़ने के बाद मैंने लंड को चुत के छेद पर सैट करके धीरे धीरे दबाव बनाया, तो लंड का अगला भाग उसकी चुत के अन्दर घुस गया.
चूंकि रिया अपने बॉयफ़्रेंड से पहले भी चुद चुकी थी तो उसे ज़्यादा दर्द तो नहीं हुआ … लेकिन बहुत दिनों के बाद लंड लेने की वजह से हल्का सा दर्द जरूर हुआ था.
दरअसल उसके चेहरे पर दर्द से ज़्यादा तो मज़े का भाव था.
रिया के मुँह से सिर्फ़ आह्ह की आवाज ही निकल रही थी.
अब मैंने रिया के ऊपर लेटकर उसके एक मम्मे को अपने मुँह में ले लिया और नीचे से एक कसकर धक्का लगा दिया, जिसकी वजह से आधा लंड चुत में घुस चुका था.
रिया के मुँह से ज़ोर की किलकारी निकल गयी- आह्ह … मर गयी … आह … धीरे धीरे करो!
मैंने उसके मम्मे को चूसना चालू रखा और साथ में एक हाथ नीचे ले जाकर उसकी चुत के दाने को सहलाने लगा.
यह काम रिया पर दोहरा वार कर रहा था.
वो कसमसाने लगी.
रिया की कमर अपने आप ऊपर नीचे होकर लंड को पर रगड़ पैदा करने लगी.
मैंने खुद को रिया के ऊपर से उठाया और कुछ ज़ोर लगाकर बाक़ी का बचा हुआ लंड भी चुत के अन्दर पहुंचा दिया.
इस बार रिया को थोड़ा दर्द का अहसास हुआ और वो ज़ोर से चिल्ला पड़ी- आईईई … आआउ … ईस्स मार दिया … हरामज़ादे … धीरे से नहीं कर सकता क्या … आह मम्मी मेरी फट गई.
वो कहकर चिल्लाने लगी लेकिन मेरे ऊपर उस वक्त उसकी किसी भी बात का असर नहीं हो रहा था.
मैं तो ताबड़तोड़ उसकी चुत की चुदाई करने में लगा पड़ा था.
चार पांच मिनट इसी तरह घपागप चोदने के बाद वो भी मजा लेने लगी थी.
अब मैंने उसको घोड़ी बनने के लिए बोला तो वो हंसकर बोली- घोड़ी बनाकर गांड तो नहीं मार लोगे.
मैंने भी उसकी गांड पर ठाप्प मारते हुए कह दिया- गांड की चुदायी बाद में करूंगा … फ़िलहाल आज तो मेरा सारा प्यार सिर्फ़ चुत के लिए है. चल अब जल्दी से घोड़ी बन जा मेरी रानी.
रिया को घोड़ी बनाकर मैंने पीछे से उसकी चुत पर अपनी जीभ रख दी और जीभ को अन्दर तक घुमा घुमाकर चुत की चटायी करने लगा.
बीच बीच में मैं उसकी मखमली गांड के छेद पर भी जीभ फेर देता था जिससे रिया एकदम से तड़फ उठती थी.
दो मिनट तक खूब चाटने के बाद मैंने लंड को चुत पर टिका कर पीछे से रिया को पेलना शुरू कर दिया.
इसी के साथ मैंने अपना एक हाथ आगे ले जाकर उसके मम्मे को पकड़ लिया और उसे मसलने लगा.
रिया बस ‘आह … उऊ..मां … मर गयी … आह्ह … ओर तेज आह्हउऊ .. ईईस्स.’ चिल्ला रही थी.
छह सात मिनट इसी तरह धक्के मारने के बाद अब मेरे लंड की नसें फूलने लगी थीं.
रिया भी अपने चरम पर आ गयी थी.
चार पांच धक्के कस कसकर मारने के बाद मेरे लंड ले अपना लावा उगल दिया.
कंडोम होने की वजह से किसी भी बात का डर नहीं था.
रिया भी मेरे साथ में ही झड़ने लगी.
मैंने रिया की पीठ पर चुम्बन किया और लंड पर से कंडोम उतार कर साइड में फैंक दिया.
रिया को अपने सीने से लगाकर उसके साथ लेट गया.
हम दोनों काफ़ी ख़ुश थे.
रिया और मैं लेटे लेटे किस करने लगे.
मैंने पूछा- कैसा लगा?
रिया कुछ नहीं बोली, बस उठ कर 69 पोज़िशन में हो गयी और मेरे लंड को एक ज़ोरदार पप्पी देकर बोली- ये मेरी अब तक की सबसे मस्त चुदायी थी.
मैंने भी लेटे लेटे चुत को अपने मुँह में भर लिया और मेरी जीभ फिर से किसी कुत्ते की तरह उसकी चुत में चलने लगी.
रिया भी मेरे लंड के साथ खेलने लगी.
बीच बीच में लंड पर अपनी जीभ फेर देती थी या किस कर देती थी लेकिन उसने लंड मुँह में नहीं लिया.
हमको चुदायी करते हुए एक घंटा हो गया था.
हम दोनों ही काफ़ी थक गए थे तो मैंने रूम पर इधर उधर देखा कि कुछ खाने को है. क़िस्मत से वहां पर हमको मैगी का एक पैकेट मिल गया. रिया और मैंने मैगी बनाकर खायी.
मैगी खाते समय रिया मेरी गोद में बैठी हुई थी, तो बीच बीच में मैं कभी उसके मम्मे दबा देता तो कभी उसकी चुत में उंगली कर देता.
ऐसे ही एक दूसरे से छेड़खानी करते हुए हमने एक घंटा और निकाल दिया.
अब तक रिया ओर मैं फिर से गर्म हो चुके थे. हम दोनों फिर से पलंग पर आ गए और एक बार फिर से ज़ोरदार चुदायी की तैयारी करने लगे.
अबकी बार हम दोनों की चुदायी काफी देर तक चली.
इस तरह दो बार चुदायी करने के बाद मैं और रिया कपड़े पहन कर रूम से बाहर आ गए.
मैंने रिया को वापिस बस स्टैंड पर छोड़ दिया.
मैं भी बाइक से घर आकर सो गया.
लॉकडाउन के दैरान हमें जब भी मौका मिलता, हम दोनों चुदायी कर लेते थे.
एक बार तो हमने कोचिंग क्लास में भी चुदायी की थी.
बाद में मैंने रिया की गांड भी मारी. वो सब फिर कभी अगली सेक्स कहानी में बताऊंगा.
आपको यह गर्म लड़की की लोकल सेक्स कहानी कैसी लगी, प्लीज़ मेल करें.
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