भाई की साली ने सिखाया चुदाई का पाठ
(Gaon Ki Desi Chudai Story)
गाँव की देसी चुदाई स्टोरी मेरे फुफेरे भाई की साली की है. एक दिन मैंने उसे खेतों में 3 लड़कों से चुदाई कराते देख लिया. तो उसने मुझे अपनी चूत देकर चुप किया.
हैलो फ्रेंड्स, मेरा नाम हनी सिंह है; प्यार से सब मुझे हनी कहते हैं.
मेरी उम्र 31 साल की है, मैं उत्तर प्रदेश में रहता हूँ.
मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ. मैं काफी दिनों से यहां अपनी लाइफ की एक मदमस्त कर देने वाली सेक्स कहानी शेयर करने की सोच रहा था.
मैं कोई कहानी लेखक नहीं हूँ, इसलिए अपनी सच्ची आपबीती ही यहां लिखूंगा, बस पात्रों के नाम काल्पनिक होंगे.
सबसे पहले इस गाँव की देसी चुदाई स्टोरी में मैं आपको अपने शुरुआती जीवन के बारे में बताऊंगा कि मेरे जीवन में सेक्स की शुरुआत कैसे हुई.
सेक्स की शुरूआत मेरे जीवन में बहुत ही जल्दी हो गई थी. उस समय मैं चुदाई करने की उम्र में आया ही आया था.
पहले मैं अपने फैमिली के बारे में आपको बता देता हूँ ताकि कहानी समझने में आप लोगों को कोई परेशानी न हो.
मेरे परिवार में मैं, मेरा बड़ा भाई, मेरी दादी … जो अब इस दुनिया में नहीं हैं … और एक चाचा जी, जिनकी शादी हो चुकी है. वो हम लोगों से अलग रहते हैं.
बचपन में मेरे माता पिता की मृत्यु हो गई थी, तब मैं दुधमुंहा बच्चा था. मुझे दादा दादी ने ही पाला है. दादा जी के देहांत के बाद मैं और मेरा बड़ा भाई अपनी दादी के साथ रहते थे.
चूँकि मैं एक किसान परिवार से हूँ इसलिए घर चलाने के लिए खेती ही एक सहारा थी.
चाचा हम लोगों पर बिल्कुल ध्यान नहीं देते थे इसलिए प्राइमरी के बाद मेरी दादी ने मुझे पढ़ने के लिए मेरी बुआ के यहां भेज दिया था जो कि सीतापुर के एक गांव में रहती थीं.
फूफा जी पास के प्राइमरी स्कूल में हेडमास्टर थे.
उनके तीन लड़के और एक लड़की थी और सभी की शादी हो चुकी थी.
कुल मिला कर उनके परिवार में बुआ, फूफा, उनके तीन लड़के और उनकी पत्नियां और बड़े वाले लड़के की एक साली थी … जो पढ़ने के लिए उसी घर में आई थी.
उसे मिला कर घर में कुल 9 लोग थे और दसवां मैं था.
मैं जीवन में पहली बार अपने घर से बाहर किसी और के यहां रहने गया था.
शर्मीला स्वभाव होने के कारण मुझे काफी असहज लग रहा था.
हालांकि इससे पहले भी कई बार मैं दादी के साथ बुआ के यहां जा चुका था और बड़ी भाभी और मंझली भाभी मुझसे अच्छी तरह से पहचानती थीं.
हां छोटी भाभी मेरे लिए नई थीं क्योंकि उनकी शादी पिछले साल ही हुई थी.
दो दिन बीतने के बाद फूफा जी शायद ये बात समझ गए थे कि लड़का नई जगह पर आया है, इसलिए असहज महसूस कर रहा है.
शाम के समय उन्होंने मुझे अपने कमरे में बुलाया और मुझे अपने पास बैठाकर बोले- हनी बेटा, यहां तुमको कोई समस्या तो नहीं है न … कोई दिक्कत हो तो मुझे बताओ?
मैंने कहा- नहीं फूफा जी, कोई दिक्कत नहीं है.
फूफा जी- मैं देख रहा हूँ कि जबसे तुम आए हो … न किसी से बात कर रहे हो और न ही कहीं आ जा रहे हो. बस कमरे में घुसे हुए हो. अरे बाहर निकलो … घर में इतने लोग हैं, सबसे बात करो. शर्माओ मत बेटा … सब आपकी भाभियां ही तो हैं.
मैंने कहा- ऐसी कोई बात नहीं है फूफा जी … मैं अभी किसी के बारे में जानता नहीं हूँ, इसलिए बात करने में थोड़ा नर्वस महसूस कर रहा हूँ. लेकिन 1-2 दिनों में सबके बारे में जान लूंगा, तो सब ठीक हो जाएगा.
फूफा जी बोले- अरे 1-2 दिन क्यों, अभी आओ मेरे साथ. मैं सभी से तुम्हारा परिचय करवा देता हूँ.
उन्होंने बुआ से सबको आंगन में इकट्ठा होने के लिए कह दिया.
जब सब लोग आंगन में आ गए तो फूफा जी ने बोलना शुरू किया.
फूफा जी- सब लोग सुनो, ये हनी है हमारे साले का लड़का … और अब ये यहीं हमारे साथ रहकर पढ़ाई करेगा. क्यूंकि ये बहुत ही शर्मीला लड़का है इसलिए आप लोग इससे ज्यादा से ज्यादा बात करें ताकि ये भी जल्दी से हम लोगों के साथ घुल-मिल जाए.
फूफा जी जब ये बातें कह रहे थे, तब मैं हर चेहरे को पढ़ने की कोशिश कर रहा था कि किसका कैसा रिएक्शन था.
सबके चेहरे पर तो मैंने, मेरे आने की ख़ुशी देखी, लेकिन बड़ी वाली भाभी का रिएक्शन मुझे निगेटिव सा दिखा.
कारण मुझे नहीं पता था लेकिन शायद उनकी छोटी बहन भी यहीं रहकर पिछले 2 साल से पढ़ाई कर रही थी. इसलिए शायद उनको कोई प्रॉब्लम हो रही होगी.
खैर … अगले दिन फूफा जी ने मेरा प्रवेश एक प्राइवेट स्कूल में करवा दिया जो घर से 5 किलोमीटर दूर था.
भैया की साली, जिसका नाम पारुल था, वो भी उसी स्कूल में मुझसे एक क्लास आगे थी.
पारुल साइकिल से स्कूल आती जाती थी और मेरा उसी के साथ स्कूल आना जाना होता था.
अब दो हफ्ते बीत चुके थे, मैं और पारुल एक साथ स्कूल आते जाते अच्छे दोस्त बन चुके थे.
हालांकि उस समय मुझे सेक्स का इतना ज्ञान नहीं था लेकिन पारुल के बारे मैं आपको जरूर बताना चाहूंगा.
उसकी उम्र तो 18 साल से कुछ माह ऊपर ही थी, लेकिन उसकी गांड और चूची इतने बड़े हो गए थे कि वो 20-21 साल की कमसिन हसीना लगती थी.
इसका कारण तो मुझे महीने भर बाद पता चला कि गांव के ही तीन लड़के, जो उसी की क्लास में पढ़ते थे, पिछले कुछ समय से उसको जमकर चोद रहे थे.
हुआ यूँ कि एक दिन रास्ते में साइकिल रुकवाकर वो मुझसे बोली- यहां बगल के गांव में मेरी एक सहेली रहती है. मुझे उससे साइंस की कॉपी लेनी है. तुम यहीं इस पेड़ के नीचे रुको. मैं एक घंटे में आ जाऊंगी … और अगर मुझे आने में समय ज्यादा हो जाए तो परेशान न होना, मैं आ जाऊंगी … तुम मुझे अकेली छोड़कर घर न चले जाना.
मैंने साथ चलने को कहा तो वो थोड़ा गुस्सा होती हुई बोली- वो मेरी सहेली है, तुम वहां जाकर क्या करोगे?
मैंने कहा- ठीक है, लेकिन कोशिश करना कि जल्दी आ जाओ.
मुझे वो थोड़ा परेशान लग रही थी.
उसके जाते ही मैंने साइकिल सड़क के किनारे एक पेड़ से टिकाई और छुपते छुपते उसका पीछा करने लगा.
थोड़ा ही आगे जाके वो एक गन्ने के खेत में चली गई.
मैं ये समझ कर उसका वहीं इंतजार करने लगा कि वो टॉयलेट गई होगी.
लेकिन 10 मिनट हो जाने के बाद भी वो जब बाहर नहीं आई तो मुझे कुछ शक हुआ.
मैं अभी खेत में जाने के लिए तैयार हुआ ही था कि मैंने देखा गांव के 3 लड़के आकर वहीं पर रुके और साइकिल खड़ी करके उसी खेत में चले गए.
मुझे कुछ गड़बड़ लगा तो मैं भी उनके पीछे पीछे जाने लगा.
गन्ने के खेत के अन्दर एक जगह पर कुछ साफ जगह पड़ी थी, शायद वहां पर गन्ने की फसल नहीं उगी थी और ये जगह खेत के लगभग बीचों-बीच थी.
आगे जाकर मैंने देखा कि तीनों लड़कों ने बारी-बारी से पारुल को अपनी बांहों में लिया, उसे किस किया, उसके मम्मे दबाए.
मैं समझ गया कि मुझसे सहेली के घर जाने का झूठा बहाना बनाकर यहां इन लड़कों से मिलने आई है.
इसलिए आगे क्या होगा … ये जानने के लिए मैंने गन्ने के पेड़ों के बीच में लेटकर आगे जाकर जगह बनाई और वहीं बैठ गया.
यहां से मैं उनकी बातें साफ सुन सकता था और देख सकता था.
वो अब एक साथ पारुल को पकड़े हुए थे एक उसके मम्मे दबा रहा था, तो एक उसकी गोल मटोल गांड दबा रहा था. तीसरा उसके मुँह में मुँह डाले हुए था.
अगले ही पल उन्होंने पारुल के कपड़े उतारना शुरू कर दिए. पहले कुर्ता, फिर समीज, फिर सलवार, निक्कर और देखते ही देखते उन्होंने पारुल को एकदम नंगी कर दिया.
एक लड़का उसकी चूत को देखकर बोला- आज तू पूरे एक महीने बाद मिली है आज तो चोद चोदकर तेरा भुर्ता बना देंगे.
इस पर पारुल बोली- अनिल प्लीज ,आज तुम लोग जल्दी जल्दी कर लो, मैं हनी को दोसड़के पर बैठा कर आई हूँ.
लेकिन वो सब जैसे पारुल की बात सुन ही नहीं रहे थे और अपने अपने कपड़े उतारकर अपनी अपनी जगह को सैट करने में लगे हुए थे.
एक ने चूची पर अपना लंड रगड़ना चालू किया, तो एक ने गांड पर और तीसरे ने पारुल के मुँह में अपना लंड पेल दिया.
पारुल भी मजे उसके लंड को लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी.
मुझे यह सब देखकर अजीब सा महसूस हो रहा था और जीवन में पहली बार मुझे अपनी लंड में तनाव महसूस हुआ.
हालांकि सुबह उठने के समय जो तनाव लंड में होता था, वो मैं जानता था.
लेकिन आज ये तनाव कुछ और ही था. इसमें मुझे कुछ अलग सा और काफी अच्छा सा लग रहा था.
अब तक अनिल जो शायद उनका सरदार था … क्यूंकि वो जो कह रहा था बाकी के लड़के वही कर रहे थे.
उसने पारुल को पीछे से पकड़ कर झुका दिया और बोला कि आज तो तेरी चुत पीछे से चोदूंगा.
उसने अपने दोनों हाथों से पारुल के दोनों चूतड़ फैलाए और अपने लंड पर थूक लगाकर उसकी चुत में पूरा लंड एक ही जोर में बैठा दिया.
पारुल के मुँह से आवाज न निकले, इसके लिए उसने दूसरे लड़के को अपना लंड पारुल के मुँह में पेलने को पहले ही बोल दिया था.
अब सीन ये था कि अनिल पीछे से चूत चोद रहा था और दूसरा मुँह में लंड आगे पीछे कर रहा था … तीसरा लौंडा एक हाथ से पारुल की चूची दबा रहा था और एक हाथ से अपने लंड को आगे पीछे कर रहा था.
चौथा मैं था, जो उन चारों के आनन्द को मापने की कोशिश कर रहा था.
अब मेरा हाथ भी अपने लंड को टटोल रहा था.
मेरे सामने भयंकर चुदाई चल रही थी.
मैं जीवन में पहली बार ब्लू फिल्म देख रहा था वो भी लाइव …
और मैं यह समझ गया था कि उन चारों में सबसे ज्यादा मजा पारुल को ही आ रहा था क्यूंकि वो मजे से सामने वाले का लंड चूस रही थी और अपनी गांड हिलाकर पीछे से चोदने वाले का साथ भी दे रही थी.
साथ ही तीसरे के लंड को अपने हाथ से आगे पीछे भी कर रही थी.
तभी अचानक अनिल ने आह आह करते हुए पारुल की कमर को पकड़कर पूरी ताकत के साथ 4 -5 झटके मारे और पारुल के ऊपर ही गिर गया.
अनिल झड़ गया था.
अब पारुल सीधी हुई और जैसे ही अनिल का लंड पारुल की चूत से बाहर निकला, उसके साथ ही सफ़ेद सफ़ेद पानी उसकी चूत से बहने लगा जो जांघों से होकर एड़ी तक बह चला था.
अनिल एक तरफ थककर बैठ गया था लेकिन बाकी दोनों में पहले चोदने को लेकर झगड़ा होने लगा.
अनिल ने कहा- सालो इसे चोदना है तो चोद लो, नहीं तो मैं तो चोद चुका हूँ … और मैं जा रहा हूँ.
इस पर उन दोनों ने कहा- अनिल भाई आप ही बताओ कि इसे पहले कौन चोदेगा.
अनिल ने उंगली से इशारा करके बता दिया.
उसका इशारा पाते ही सामने वाले ने पारुल को जमीन पर लिटा दिया और उसके दोनों पैरों को अपने कंधे पर रख कर लंड को काले बालों के बीच चूत में पेल दिया.
चूँकि चूत पहले से ही गीली थी … इसलिए इस बार लंड जाने पर पारुल के मुँह से कोई आवाज नहीं आई.
अब चोदते समय पच्च पच्च की आवाज आ रही थी तो ऐसा लग रहा था कि जो लड़का पारुल चोद रहा था, वो जल्दी में था … इसलिए उसकी अन्दर बाहर करने की गति बहुत तेज होती जा रही थी.
पारुल भी जल्दी ही अपनी गांड को नीचे से हिलाने लगी थी, ऐसा लग रहा था कि दोनों एक दूसरे के पार होना चाह रहे थे.
इसका नतीजा ये हुआ कि वो दोनों जल्दी ही दोबारा फिर से आह आह के साथ पूरी ताकत के साथ 4-5 ठोकरें लगाकर निढाल हो गए.
इस बार आह आह की आवाज पारुल के भी मुँह से निकली थी.
उस समय मुझे नहीं पता था लेकिन आज जब उस घटना को याद करता हूँ … तो समझ में आ गया था कि उस समय लड़के के साथ पारुल भी झड़ गयी थी.
अब बारी तीसरे लड़के की थी लेकिन तभी अनिल और दूसरा लड़का जो निबट चुके थे, वे तीसरे से बोले- जल्दी से चोद कर आ जाओ, हम बाहर इन्तजार कर रहे हैं … और हां पहले पारुल को बाहर भेजना. उसके 10 मिनट बाद तुम बाहर आना ताकि किसी को शक न हो.
ये कहकर अनिल नाम का लड़का ओने दूसरे साथी के साथ बाहर आने लगा.
इसलिए मुझे तीसरे की चुदाई देखे बिना ही बाहर भागना पड़ा.
मैं जल्दी जल्दी भागकर अपनी साईकिल के पास पहुंच गया और वहीं पर बैठ गया. पारुल के आने का इन्तजार करने लगा.
मेरे दिमाग में बार बार वही सारे दृश्य घूम रहे थे और गुदगुदी पैदा कर रहे थे.
तभी मुझे पारुल आती हुई दिखाई दी.
उसके लड़खड़ाते हुए चलने से ही पता चल रहा था कि ये लड़की अपनी भयंकर चुदाई करवा कर आ रही है.
आते ही धम्म से मेरे बगल में बैठ गयी और बोली- हनी प्लीज़ अब साइकिल तुम चलाओ … मैं पैदल चलते चलते बहुत थक गयी हूँ.
मैं- हां मैंने देखा था कि तुम कैसे थक गयी हो और साइकिल चलाने तो क्या पैदल भी नहीं चल सकती हो.
पारुल- क..क्या मतलब है तुम्हारा?
मैं- हां मैंने वो सब देखा, जो तुम गन्ने के खेत में अपने तीनों सहेलों के साथ कर रही थीं और मैं भाभी को आज सब बताऊंगा कि तुम्हारा पढ़ने में अब मन क्यों नहीं लगता है.
पहले तो वो मुझे अवाक सी देखती रही, फिर अचानक से रोने लगी और रोते-रोते कहने लगी- प्लीज हनी, दीदी से न कहना, नहीं तो दीदी मुझे वापस अपने घर भेज देंगी और मैं अभी घर वापस नहीं जाना चाहती हूँ. प्लीज हनी दीदी से कुछ न कहना, तुम जो कहोगे … मैं वही करूंगी.
इतना कहकर उसने मुझे अपनी बांहों में भर कर मेरे गालों पर बेतहाशा चुम्बनों की बौछार कर दी.
आआहा मज़ा ही आ गया था, उसकी मुलायम चूचियां मेरे सीने पर दबाव बना रही थीं.
मुझे अच्छा लग रहा था लेकिन मैंने उसको अपने से अलग कर दिया क्यूंकि मुझे दिखाना था कि मैं इतनी आसानी से मानने वाला नहीं हूँ.
पारुल- प्लीज हनी, मान जाओ ना. अच्छा तुम बताओ मैं ऐसा क्या करूं कि तुम मेरी बात मान जाओ … और ये बात किसी से न कहो.
मैं- मेरे मन कुछ सवाल पैदा हुए हैं, इनका तुम सही सही जवाब दोगी तो मैं सोचूंगा कि कहूं या न कहूं.
पारुल- ठीक है हनी, मैं सब सच बताऊंगी, तुम पूछो क्या पूछना चाहते हो.
मैंने कहा- तुम मुझे ये बताओ कि तुमको उन लड़कों के साथ वो सब करने में क्या मजा आया था?
पारुल- अब ये मैं कैसे बताऊं कि मुझे क्या मजा आया था.
मैंने आगे कहा- अच्छा ये नहीं बता सकती हो तो ये बताओ कि उन लड़कों को तुम्हारे साथ क्या मजा आया था?
वो बोली- ये तो वो लड़के ही बता सकते हैं या …
मैंने कहा- क्या या …
वो आंखें चमकाती हुई बोली- या तुम बता सकते हो कि उन्हें मेरे साथ क्या मजा आया था.
मैंने कहा- मैं कैसे बता सकता हूँ कि उन्हें क्या मजा आया था?
उसने कहा- इसका एक तरीका है … यदि तुम वो सब मेरे साथ करो तो तुम्हें मालूम चल जाएगा कि उस सब में क्या मजा आता है.
मैंने कहा- यदि मैंने एक बार तुम्हारे साथ वो सब किया तो आगे तुम मेरी शिकायत कर सकती हो कि मैंने तुम्हारे साथ वो सब किया था.
वो हंस कर बोली- बड़े चालू हो … मैं तो तुम्हें चूतिया समझती थी.
मैंने कुछ भी रिएक्ट नहीं किया.
अब वो मुझे अपनी बांहों में लेती हुई बोली- चलो आज मैं तुम्हें वो सब सिखाती हूँ जिससे तुम्हें भी उस मजे का अहसास हो जाए!
मैं फिर से चुप रहा और उसके मम्मों की रगड़ का मजा लेने लगा.
वो मुझे हाथ पकड़ कर फिर से गन्ने के खेत में ले गई.
उधर उसने मेरी पैंट खोल दी और मेरा लंड सहलाने लगी.
मेरा लंड उन लड़कों के मुकाबले अभी छोटा था. उसने देर न करते हुए मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी.
मैं जन्नत का मजा लेने लगा लेकिन मैंने उससे कुछ नहीं कहा.
कुछ देर बाद उसने मुझे मेरे ऊपर चढ़ कर चोदा और झड़ गई.
मैं नहीं झड़ा था तो उसने मेरे लंड का पानी निकाल कर मुँह में ले लिया.
फिर वो कपड़े ठीक करती हुई बोली- अब बताओ कि इसमें तुम्हें क्या मजा आया?
मैंने बनते हुए कहा- मुझे झांट मजा नहीं आया. बल्कि मुझे तो बुरा सा लगा.
वो मुझसे बोली- ओके तुम्हें जैसा भी लगा हो, पर तुम ये बात किसी से मत कहना.
मैंने अपनी पैंट का हुक लगाते हुए कहा- देखूँगा … पर तुम चिंता मत करो.
वो मुँह बना कर थैंक्यू बोली और हम दोनों घर की तरफ चल पड़े.
दोस्तो, आपको मेरी ये गाँव की देसी चुदाई स्टोरी कैसी लगी. मेल करें और मैं अगली सेक्स कहानी में आपको पारुल की भरपूर चुदाई की कहानी लिखूंगा और बताऊंगा कि क्या हुआ.
धन्यवाद.
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