गाँव की नासमझ छोरी की मदमस्त चुदाई -2
(Ganv Ki Nasamjh Chhori Ki Madmast Chudai-Part 2)
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अब तक आपने पढ़ा..
बिल्लो- चूचियों को चूसने से तो और ज़ोर से बुर के अन्दर प्यास लग रही है.. जल्दी से इसका प्यास बुझाओ और देरी बर्दाश्त नहीं हो रही है.. बस अब तो ऐसा लग रहा है कि बुर के अन्दर कुछ घुसना चाहिए।
मैंने कहा- पहले मुझे देखने दो तुम्हारी बुर को.. ये इतना क्यों मचल रही है।
बिल्लो- लो चाचा.. जल्दी से देखो ना।
तब मैं अपना मुँह बिल्लो की बुर के पास ले गया और जीभ से उसकी बुर को चाटने लगा। बिल्लो ने मेरा सिर पकड़ लिया और बाल पकड़ कर दबाने लगी।
मैंने भी अपनी जीभ को बिल्लो की कोरी बुर के छेद में घुसा दिया.. तो वह “सी.. सी..” करने लगी.. मैं समझ गया कि अब बिल्लो चुदने के लिए तैयार हो गई है।
अब आगे..
अब मैंने देरी ना करते हुए अपना लण्ड बिल्लो के हाथों में पकड़ा कर कहा- लो, इससे अपनी बुर की प्यास बुझा लो।
बिल्लो मेरे खड़े लण्ड को पकड़ कर अपनी लिसलिसी बुर पर रगड़ने लगी।
मेरे सुपारे से उसका दाना रगड़ गया.. इससे उसको और ज़ोर से छटपटाहट होने लगी, एकदम से चुदासी सी होकर बोली- चाचा.. जल्दी करो ना.. देख नहीं रहे हो.. मैं कैसी तड़फ रही हूँ.. मेरी बुर के अन्दर खलबली मच रही है.. कितनी ज़ोरों से प्यास लगी है.. जल्दी से इसकी प्यास बुझाओ।
मैंने अपना लण्ड बिल्लो की बुर में सटा कर हल्के से दबाया तो लण्ड का सुपारा बुर के अन्दर चला गया। जैसे ही लण्ड का सुपारा बुर के अन्दर घुसा.. बिल्लो ने ज़ोर से मुझको पकड़ लिया और कहा- ओह्ह.. चाचा.. अब लग रहा है कोई गरम चीज बुर में घुस गई है।
‘क्या घुसा है तुम्हारी बुर में?’
बिल्लो- आपका लण्ड घुसा है ना..
चाचा- अच्छा नहीं लग रहा है तो बताओ..
बिल्लो- बुर की प्यास नहीं मिटी है.. लगता है.. थोड़ा सा लण्ड और घुसेगा तो अच्छा रहेगा.. पर दर्द सा हो रहा है.. आप लण्ड को थोड़ा सा और मेरी बुर में घुसा दो।
मैंने थोड़ा सा लण्ड और घुसा दिया.. तो बिल्लो चिल्ला पड़ी- औउई.. माँ.. अब दर्द कर रहा है.. दर्द को भी मिटाओ ना चाचा.. यह दर्द कैसे जाएगा? मेरी बुर परपरा रही है.. ओह्ह..
मैंने चूची सहलाते हुए कहा- थोड़ा सा समय लगेगा.. ठीक हो जाएगा। पहली बार बुर की प्यास मिटा रही हो ना..
बिल्लो- चाचा ऐसा तो पहले आपने भी नहीं बताया था.. कि बुर को भी प्यास लगती है.. तो मैं पहले ही आपको बोलती कि बुर की प्यास बुझाने को.. आह्ह.. दर्द हो रहा है.. पर अच्छा लग रहा है।
फिर मैं उसकी दोनों चूचियों को बारी-बारी से चूसने लगा।
कुछ देर के बाद बिल्लो बोल पड़ी- अरे चाचा अब तो दर्द भी नहीं है।
फिर मैंने अपनी लण्ड को धीरे-धीरे आगे-पीछे करना किया।
तब बिल्लो पूछ बैठी- अब क्या कर रहो हो चाचा?
चाचा- जब लण्ड बुर में आगे-पीछे करते हैं तो इसको चोदना कहते है।
बिल्लो- तो चोदना इसी को कहते हैं, तो आज चाचा आप मुझे चोद रहे हैं?
मैंने बिना जवाब दिए फिर से धक्के लगाने चालू कर दिए।
मेरा लण्ड तो दो इंच ही जाकर फंस गया था। मैं बिल्लो की चूचियों को भी हल्के से चूस रहा था, बिल्लो जब और उत्तेजित हो गई.. तो चाचा को और थोड़ा सा लण्ड घुसाने को बोला।
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मैं तो खुद यही चाहता था कि बिल्लो की कोरी चूत का कैसे मजा लिया जाए और बिल्लो भी बिना विरोध के चुदवाते जाए। अब मैंने बिल्लो को अपनी गोद में खींच लिया और उससे कहा- अब तुम लण्ड को पकड़ कर धीरे-धीरे अपनी बुर में ले लो।
बिल्लो ने वैसा ही किया और मेरा लण्ड पकड़ कर अपनी बुर में घुसाने लगी.. पर लण्ड ज्यादा मोटा होने के कारण अन्दर जा ही नहीं रहा था।
तो बिल्लो बोल पड़ी- चाचा आप ही ज़ोर से धक्का लगा कर इसे मेरी बुर में घुसा दो.. इतनी गुदगुदी हो रही है और मजा आ रहा है.. कि चाचा क्या बताऊँ।
यह सुनकर मैं भी अवाक रह गया और सोचा कि इस अनचुदी बिल्लो को चुदाई का मजा आ रहा है। यह भाँपकर मैंने बिल्लो से कहा- देखो जैसे खांसी होने पर डाक्टर दवा देते हैं.. उसी तरह मैं भी लण्ड नहीं घुसने का दवा देता हूँ।
यह कहकर बिल्लो की बुर से लण्ड को निकाल लिया तो वो चिल्ला पड़ी- यह क्या कर रहे हो चाचा.. लण्ड को क्यों निकाल लिया? मेरी बुर के अन्दर इतनी हलचल मची हुई है और तुम मुझको तड़पा रहे हो।
मैंने अपना लण्ड बिल्लो के मुँह में घुसा कर बोला- मेरी प्यारी बिल्लो जब बुर में लण्ड नहीं घुसता है.. तो उसको चूसने से उसमें तुम्हारा रस लगेगा.. और उससे एक दवा निकलेगी.. जिसको पी लेने से वह दवा बुर के दरवाजे को चौड़ा कर देगी और फिर तुम्हारी प्यास भी पूरी तरह मिट जाएगी।
यह सुनकर बिल्लो ने लण्ड को जल्दी-जल्दी चूसना शुरू कर दिया। मैं भी यही चाहता था कि बिल्लो पूरी तरह लण्ड को चूस ले।
बिल्लो ने मेरा लवड़ा चूसते हुए ही पूछा- चाचा लण्ड से रस कितनी देर में निकलेगा?
मैंने कहा- तुम जैसा चूसोगी.. वैसा ही फल मिलेगा ना..
यह सुनकर बिल्लो और प्यार से मोटे लण्ड को दोनों हाथों से पकड़ कर चूसने लगी।
मैं भी बिल्लो को इस तरह से लण्ड को चुसाते हुए पूरा मजा ले रहा था।
अचानक मैंने बिल्लो से कहा- अपने होंठों से लण्ड को जितना कस कर दबा कर चूस सकती हो.. चूसो.. क्योंकि लण्ड से अब दवा निकलने ही वाली है और ध्यान रखना कि दवा की एक बूंद भी बाहर नहीं गिरे.. यह ध्यान रखने की बात है।
बस इतना कहते हुए मैंने बिल्लो का सर पकड़ लिया और पूरा का पूरा आठ इंच का लण्ड बिल्लो के गले में फंस गया।
मेरे लण्ड ने झटके से रस निकाल दिया। बिल्लो ने भी उसी ख्याल से रस पी लिया और मेरे माल को होंठों पर जीभ से अन्दर लेते हुए बोली- चाचा कितनी देर में यह दवा काम करना शुरू कर देगी?
बिल्लो खुद छूटने के लिए उतावली हो रही थी.. क्योंकि उसकी बुर तो खुद ही बहुत पनिया गई थी और उतना ही मजा ले रही थी.. परंतु वह जानती नहीं थी कि आठ इंच का लंबा और ख़ासा मोटा लण्ड बुर में जब घुसेगा.. तो कैसा दर्द होगा।
मैंने कहा- अब एक बार चलो पेशाब कर लो..
मैं बिल्लो को गोद में ले कर बाथरूम ले गया और मैंने ध्यान दिया कि उसकी बुर से कितना चिपचिपा रस निकलता है।
बिल्लो जब मूतने लगी.. तो मैंने बताया- देखो तुम्हारा रस है यह.. यही रस जितना अधिक निकलेगा.. तुम उतनी ही जल्दी मेरे मोटे लण्ड को अपने बुर में पूरा का पूरा ले सकोगी।
बिल्लो भी मेरी बातों में आ गई और उसने मुझे फिर से बिस्तर में चलाने को कहा।
मैं तो समझ चुका था कि बिल्लो को चुदाई का मजा आ रहा है। मैंने देर ना करते हुए बिल्लो को बिस्तर पर लिटाया और पूछा- प्यारी रानी.. चाचा का लण्ड इतना पसंद आया?
बिल्लो भी बोल पड़ी- मुझे नहीं मालूम था कि लण्ड जब बुर में घुसता है तो इतना मजा आता है।
यह कहकर वो जल्दी से बुर चोदने को कहने लगी।
लेकिन मैं चालाकी से काम लेते हुए बिल्लो की छोटी-छोटी चूचियों को बारी-बारी से चूस रहा था और मसल भी रहा था।
उसकी ‘आह.. आह्ह्ह्ह ह्ह..’ मुझे और अधिक काम की ताकत दे रही थी, चूचियों को मसलने से बिल्लो छटपटाने लगी और अपने बदन को इधर-उधर करने लगी।
मैं समझ गया कि बिल्लो अब पूरी तरह से उसका लण्ड लेने को तैयार है, मैंने बिल्लो की बुर को भी सहलाना शुरू कर दिया और एक उंगली बुर के अन्दर डाल कर चलाने लगा।
ऐसा करने से बिल्लो ने मेरा सर पकड़ लिया और मुझसे और ज़ोर से चिपक गई। उसके मुँह से ‘सी.. सी..’ की आवाज आने लगी।
मैं उसके मुँह से इस तरह से ‘सी.. सी..’ आवाज सुनते हुए पूछा- कहो बिल्लो रानी अब कैसा लग रहा है?
बिल्लो ने भी उसी अंदाज में कहा- चाचा इतना मजा आ रहा है.. लग रहा है आपका लण्ड को फिर से चूस लूँ।
मैंने कहा- ठीक है.. थोड़ा देर तुम्हें चोदते हैं.. फिर चूसना।
मैं तो जानता था कि पूरा लण्ड बिल्लो की बुर में जा नहीं सकता है.. इसलिए मैंने भी समझ से काम लिया और बिल्लो की बुर में लण्ड को रगड़ने लगा।
अब बिल्लो तो छटपटाने लगी.. और बोल पड़ी- ओह्ह.. चाचा.. अब देर न करो.. जल्दी से लण्ड को बुर में घुसा दो.. चाहे जितना दर्द होगा.. मैं सह लूँगी।
मैंने भी लण्ड को बुर के छेद में लगाया और ज़ोर से धक्का लगाया और लण्ड महाराज भी बिल्लो की कोरी बुर में फिसलते हुए आधे से अधिक घुस गए।
‘म..र.. ग..ई.. म..र… ग…ई… चाचा.. बहुत दर्द कर रहा है.. ओह्ह.. कुछ करो चाचा.. जितनी जल्दी हो सके कुछ करो..’
मैं बिल्लो के होंठों को चूसते हुए उसकी चूचियों को मसलने लगा। कुछ देर के बाद बिल्लो का दर्द कम हो गया.. तो उसने मरी सी आवाज में मुझसे पूछा- कितना लण्ड घुसा है चाचा?
मैंने फिर से बिल्लो को गोद में बैठा लिया और देखा कि बिल्लो लण्ड को पकड़ कर घुसाना चाहती है।
गोद में ही बैठा कर मैंने उसे चोदना शुरू कर दिया। अभी तो पूरा लण्ड गया नहीं था.. पर उतने लौड़े से ही मैंने चूत में धक्के लगाने शुरू कर दिए।
गोद में बैठकर बिल्लो बड़बड़ाने लगी- आह.. कितना मजा आ रहा है.. चाचा चोदो.. ज़ोर-ज़ोर से चोदो ना.. वो.. वो.. पूरा डाल दो.. मैं दर्द बर्दाश्त कर लूँगी.. चाचा पूरा लण्ड जबर्दस्ती घुसा दो..
दोस्तो, इस कच्ची कली की चूत चुदाई ने मुझे इतना अधिक कामुक कर दिया था कि मैं खुद को उसे हर तरह से रौंदने से रोक न सका। प्रकृति ने सम्भोग की क्रिया को इतना अधिक रुचिकर बनाया है कि कभी मैं सोचता हूँ कि यदि इसमें इतना अधिक रस न होता तो शायद इंसान बच्चे पैदा करने में बिल्कुल भी रूचि न लेता और यही सोच कर की सम्भोग एक नैसर्गिक आनन्द है.. मैं बिल्लो की चूत के चीथड़े उड़ाने को आतुर हो उठा.. आपके ईमेल की प्रतीक्षा में..
कहानी जारी है।
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