गलतफहमी-18

(Galatfahami- Part 18)

This story is part of a series:

दीवाली की छुट्टियाँ मना कर हम स्कूल पहुंचे। इस बार दीवाली की छुट्टियाँ मेरे जीवन के लिए सबसे खास छुट्टियों में से एक हो गई। रोहन ने मुझे जन्म दिन पर एक पतली सी आर्टिफिशियल पायल गिफ्ट की थी जो मुझे बहुत पसंद आई। मेरी आलमारी में वो आज भी संभाल कर रखी हुई है।

स्कूल में मुझे रोहन दिखा, उससे नजरें मिली और मैं शरमा गई।
तभी मुझे प्रेरणा नजर आई, उसने मुझे हाय कहा.. और मैं उसका हाथ पकड़ कर स्कूल के पीछे एक कोने में खींचते हुए ले गई और वो मुझे ‘अरे अरे.. अरे..! कहाँ ले जा रही है?’ कहती रही.. और एकांत में ले जाकर कहा- कमिनी.. कुत्ती..! धोखेबाज..! तू मेरी अच्छी सहेली बनती है और मुझे धोखे में रखती है..! जा आज से तू मुझसे बात मत करना।
तो प्रेरणा ने मुस्कुराते हुए कहा.. पहले बता तो सही, हुआ क्या है, इतने दिनों बाद मिल रही है, गर्मी की छुट्टियों में भी मिलने नहीं आई, किसी और के साथ चिपकी थी क्या..?? और अब अचानक मुझे धोखेबाज कह रही है।

मैं सकपका गई… मुझे अचानक ही चोरी पकड़े जाने का अहसास हुआ। फिर भी मैंने स्वर और कड़े करते हुए कहा- ज्यादा बातें मत बना..! सीधे-सीधे अपने और विशाल के बारे में बता!
तो प्रेरणा ने कहा… हम्म्म्म तो ये बात है..! खुद ही उसे मेरी गोद में बिठा दिया और अब बात आगे बढ़ गई तो मुझे कोस रही हो। मैं तो तुम्हें कब से ये बात बता देती पर मेरी बातें तुम सुन कर तुम बिना पार्टनर के बेचैन हो जाती, और शायद मेरे प्यार को समझ भी नहीं पाती। पर अब तुम भी उसी दहलीज पर खड़ी हो जहाँ पर मैं खड़ी हूं। अब तुम मेरी भावनाओं और प्यार को अच्छे से समझ सकती हो।
मैंने तुरंत कहा- तुम्हारा मतलब क्या है?
प्रेरणा ने कहा- अब इतनी भोली मत बन..! मुझे भी तेरे बारे में सब पता है..! कि तूने और रोहन ने गर्मी की छुट्टियाँ कैसे बिताई।
यह बात उसने ताना मारने के लहजे में कही थी।

अब मुझे रोहन पर बहुत गुस्सा आ रहा था, क्योंकि उसने ही हमारी बातें विशाल को बताई होंगी और विशाल ने प्रेरणा को…
मैंने दांत पीसते हुए कहा- कमीना रोहन..!
तो प्रेरणा ने कहा- उसे क्यों गाली दे रही हो.. ये बातें भला छुपती हैं क्या? कम से कम जिगरी दोस्तों से तो नहीं छुपती। और जरा सोच कि अब हम एक दूसरे का राज जान गई हैं तो एक दूसरे की मदद भी कर सकेंगी और बातें करके मन हल्का भी कर लेंगी।

मैंने उसे प्यार से गले लगा लिया, मेरी बेस्ट फ्रेंड अब और भी बेस्ट हो गई थी।

हम स्कूल के पीछे एक कोने में खड़े होकर बात कर रही थी इसलिए हमें पता भी नहीं चला कि कब प्राथना हुई और क्लास लग गई थी।
फिर हम दोनों क्लास में गई, क्लास टीचर अटेंडेंस ले चुकी थी, वो दोनों ही बहुत ही स्ट्रिक्ट थी, तो उसने हमें बैठने नहीं दिया और भगा दिया, हमने टीचर को मनाने की कोशिश की पर वो नहीं मानी, तो हमें मुंह लटका के वापस आना पड़ा.
हमने समय का ध्यान नहीं रखा और अब घर पे डांट का डर था, तो मैंने प्रेरणा से कहा- अब क्या करें?
तो उसने कुछ सोचते हुए कहा- आज की हमारी बातें अधूरी रह गई थी, चल कहीं बैठ कर वो पूरा करती हैं। फिर लंच टाईम में घर चले जायेंगी, पेट दर्द दे रहा था इसलिए आ गये कह देंगे। और अगर चोरी पकड़ी गई और पूछेंगे कि सुबह से अब तक कहाँ थी तो तुम मेरे घर में थी कह देना और मैं तुम्हारे घर में थी कह दूंगी।

प्रेरणा की बात मुझे ठीक लगी। पर मैं सोच रही थी कि ये सीधी सादी प्रेरणा अब बहाने बनाना भी सीख गई है। सच बात तो यह है कि आप किसी की सूरत देख कर नहीं कह सकते कि वो अंदर से कैसी है।
हम एक छोटे से पार्क में पेंड़ के नीचे बेंच पर बैठ गई, इससे मुझे उसका चेहरा नहीं दिख रहा था, तो मैंने उसे नीचे घास पर अपने सामने बिठा लिया और उसकी बातों के साथ उसके चेहरे को भी पढ़ने की कोशिश करने लगी।

प्रेरणा ने कहा- तू तो जानती ही है, मैं एक सामान्य सी लड़की हूं, पर मुझे भी तो अच्छा दिखने अच्छा रहने, आकर्षक लगने का मन होता है। तू याद कर जब हम टूअर के वक्त नदी से नहा कर निकली थी और तूने उस सीनियर लड़की की तारीफ की थी, तब उसने सुंदर और हॉट दिखने का क्या मंत्र बताया था?
मैं उस बात को कैसे भूल सकती थी, मैंने तुरंत कहा- उसने कहा था कि सैक्स करने से शरीर सुंदर होगा और हमारा अंग और निखर कर कामुक हो जायेगा।
तो प्रेरणा ने कहा- हाँ उसके शब्द अलग थे, पर तुमने सार बात समझ ली थी। वही बात मेरे मन में भी घर कर गई थी। और जब तुमने विशाल को मेरी सीट पर बिठाया तो मेरे लिए ये सुनहरा मौका था, पर मैं विशाल के पहल का इंतजार करने लगी, वैसे तो मैं विशाल को पहले से ही पसंद करती थी, पर उसके पास आने मौका तेरी वजह से मिला। वैसे एक बात कहूं… उस सीनियर ने सैक्स के बारे में सच ही कहा था.. देख मुझे पहले और अब की प्रेरणा में कितना अंतर है।

मैं प्रेरणा के जिस्म को निहारने लगी, प्रेरणा सच में एक कामुक लड़की बन चुकी थी, हाईट उसकी मुझसे कम ही थी वो पांच फुट एक इंच की दूधिया गोरी लड़की अब ब्रा में अपने स्तन कसने लगी थी, और स्तन भी सुडौल और बड़े नजर आ रहे थे, शायद उसने भी तीस नं. की ब्रा पहनी थी, कमर की कटाव के साथ उभरे कूल्हों का आभास, उसकी सुंदरता पर चार-चांद लगा रहा था, आँखों में काजल लगा रखा था, होंठ बाहर की ओर पहले से ही थे, पर अब विशाल के चूसने से वो रसीले हो गये थे।

मैंने जलन से मुंह बनाते हुए कहा- हाँ, बहुत सुंदर हो गई है। तू तो अप्सरा हो गई है।
तो उसने हंसते हुए कहा- तू चिढ़ती क्यों है, मैं अप्सरा भी नहीं हुई हूं और तुझसे सुंदर भी नहीं हूं, पर मैं पहले जैसी थी उससे तो काफी अच्छी हो गई हू ना। और यह कमाल सीनियर के उस मंत्र का ही है।

अब मुझे अपनी तारीफ सुन कर थोड़ा अच्छा लगा। फिर मैंने उससे पूरी बात विस्तार से बताने को कहा… मेरे मन में कौतूहल था की इन दोनों ने कब सैक्स किया..?? कहाँ किया..?? कैसे किया..?? ये भी मेरे ही उम्र के हैं, फिर इन्हें सैक्स की इतनी जानकारी कहाँ से मिली..??

प्रेरणा ने मुस्कुराहट के साथ एक गहरी सांस ली और बताना शुरू किया:

अरे यार..! शुरुआत तो टूअर के समय बस से हुई थी, ये बात तो तुम जान ही गई हो.. हुआ यूं कि जब तुमने विशाल को मेरे साथ बिठा दिया तब हम बात करने लगे, पर हम सामान्य बात ही कर रहे थे, पर जब रात को हमने शाल ओढ़ा तक मुझे अपनी जांघों पर विशाल के हाथ का स्पर्श हुआ। मैंने उसे एक दो बार हटाया पर उसका हाथ मेरी जांघों पर और ज्यादा फिसलने लगा।

मेरे अंदर भी सिहरन सी होने लगी। दिल धक-धक करने लगा, मैंने विशाल की ओर देखा, मुझे लगा कि वो अपनी इस हरकत की वजह से मुझसे नजरें चुरायेगा, पर ऐसा नहीं हुआ, उसने मेरी आँखों में आँखें डाल कर मुझे आई लव यू कह दिया, मैंने जवाब में एक कातिल सी मुस्कान बिखेरी और मुंह को दूसरी ओर कर लिया।

फिर विशाल की शैतानी बढ़ गई, उसने मेरे मम्मों को भी सहलाना शुरू कर दिया, और मेरी योनि को भी कपड़ों के ऊपर से दबा दिया।
उसकी शैतानी की हद तब पार हुई जब उसने मुझे हाथों में कपड़ों के ऊपर से ही अपना लिंग पकड़ा दिया।
मैं तो कांप गई।
किसी भी लिंग को पकड़ने का यह मेरा पहला मौका था। मैंने जल्दी से हाथ छुड़ाया।

और ये सब हम दोनों के बीच रात भर चलता रहा। बस में उसके अलावा कुछ नहीं हो सकता था, और उससे ज्यादा किसी बात की हमें जानकारी भी नहीं थी।
फिर घर वापस आने के बाद हमारी मुलाकात हुई, हमें ज्यादा एकांत जगह नहीं मिल पाती है, तो हम लोगों ने कई बार जंगल में जाकर मुलाकात की है। पर वहाँ बहुत ज्यादा डर लगता था और तब तक विशाल ने भी कहीं से नंगी तस्वीरों वाली पुस्तक का इंतजाम कर लिया था। शायद उसे उसके कोई पहचान के भैय्या सेक्स की टिप्स और ऐसी सारी अश्लील चीजें देते हैं।

मैंने कहा- वाह री प्रेरणा, तू तो अकेली ही मजे उड़ा रही है।
दरअसल उस पुस्तक को देखने का मुझे भी बहुत मन हो रहा था।

तब प्रेरणा ने कहा.. हाँ री, मैं तुझे भी दूंगी ना..! अभी तो उसे ही देख कर हम सेक्स करना सीख रहे हैं। अब तुझे भी सीखना है तो पुस्तक देख के सीख लेना। यार पर हम लोगों ने पुस्तक के सारे तरीके आजमा लिए। पर असल जिन्दगी में वैसा करना बहुत मुश्किल होता है। और पुस्तक में तो लिंग और चूत की साईज ऐसी दिखती है जो कि हमारी कल्पना से भी बाहर है। विशाल का लिंग तो उनके मुकाबले आधे से भी छोटा है। मुझे तो उस पुस्तक की तस्वीरें झूठी लगती है.. अब तू हमें ही देख ले.. हम लोग आज तक उस पुस्तक जैसा सेक्स नहीं कर पाये।

मैंने उसे रोकते हुए तुरंत कहा- रोहन ने तो कहा था कि तुम लोगों ने हर तरीके से सेक्स कर लिया है।
तब प्रेरणा ने कहा- अरे नहीं यार..! हम लोगों ने कोशिश भले की है पर हमसे होता नहीं है। हमने पांच सात बार कोशिश की है। कभी मुझे बहुत दर्द होता है तो मैं अपनी योनि में लिंग घुसाने नहीं देती, तो कभी वो अपनी पोजीशन सेट नहीं कर पाता, या घुसा नहीं पाता। हमने चूमा चाटी, दबाना छूना सब किया है पर लिंग का प्रवेश मेरे किसी द्वार पर नहीं हुआ है। हाँ मैंने लिंग चूसा जरूर है, और योनि चटवाई है, पर उससे ज्यादा बात आगे नहीं बढ़ सकी है।

मैंने गुस्सा दिखाते हुए कहा- तो फिर रोहन ने मुझसे झूठ क्यों कहा?
तो प्रेरणा ने कहा- तू तो लड़कों को जानती ही है, ये लड़की पटाते हैं तो दोस्तों को अपने गर्लफ्रेंड वाली अंदरूनी बात बढ़ा-चढ़ा के बताते हैं और खुद को तोप चंद साबित करते हैं। हो सकता है विशाल भी डींग मारने के लिए झूठ बोल रहा हो। और एक कारण यह भी हो सकता है कि रोहन तुझे सेक्स के लिए राजी करने के लिए विशाल और मेरा नाम लेकर उकसा रहा हो।

मैंने कहा- होने को तो दोनों बातें हो सकती हैं, पर मेरी समझ में यह नहीं आ रहा है कि तुम दोनों से कुछ क्यों नहीं हो सका, जबकि हमसे तो हो गया।

मेरी बात पूरी होने से पहले ही प्रेरणा का आश्चर्य भरा रियेक्शन आ गया- क्या तुम लोगों ने कर लिया? क्या तुमने अपनी योनि में लिंग घुसवा लिया?
फिर थोड़ा सामान्य होते हुए उसने कहा- हाँ तू तो मेरे से आठ महीने बड़ी भी है, और तेरे शरीर का विकास भी औरों की तुलना में ज्यादा है, और हो सकता है कि रोहन भी उम्र में बड़ा हो तभी तुम लोग कर पाये। नहीं तो हम लोग तो जब हाथ से करते हैं तब भी विशाल के लिंग से बहुत पतला पानी आता है। जबकि पुस्तक की तस्वीरों में तो वीर्य काफी गाढ़ा सा लगता है।

फिर मैंने ‘हम्म्म’ कहते हुए कहा- हाँ तू बिल्कुल सही कह रही है, ऐसा ही कुछ होगा। लेकिन हम लोगों ने भी सेक्स नहीं किया है। सिर्फ गुदा में ही लिंग डलवाई है।
प्रेरणा ने फिर कहा- अरे बाप रे.. मैंने तो सुना है कि वहाँ पर योनि से भी ज्यादा दर्द देता है?
तो मैंने कहा- अब मैंने योनि में तो लिंग डलवाया नहीं है, इसलिए दर्द कहाँ कम और कहाँ ज्यादा मैं नहीं बता सकती। और ऐसे भी रोहन ने मुझे बहुत कम दर्द देकर या कहो बिना दर्द के ही आनन्द दिया है। और लिंग योनि में घुसवाने से मेरे माँ बनने का डर रहता इसीलिए मैंने उसे अपनी योनि में कुछ नहीं करने दिया।

प्रेरणा ने हम्म्म् करके सहमति जताई।

पर मैं मन ही मन कुछ और सोच रही थी, मैं सोच रही थी कि क्या मैं सच में बाकी लोगों से जल्दी बड़ी हो रही हूं।
और यह सोचकर मैं बहुत खुश हो गई।
फिर यह सोचकर डर भी गई कि कहीं मैं अपने उम्र होने के पहले ही तो कुछ गलत नहीं करने लगी।
खैर जो भी हो, अब ओखल में सर रख के कुटने से क्या डरना!

मैंने प्रेरणा से पुस्तक देने को कहा.. उसने अगले हफ्ते देने का वादा किया और हम दोनों अपने घरों को वापस आ गये।

समय के साथ हम जवान होते जा रही थी, उस दिन के बाद मैंने हर दूसरे दिन प्रेरणा को अश्लील पुस्तक को लाने कहा.. पर प्रेरणा पुस्तक को स्कूल में नहीं ला सकती थी, तो उसने लगभग दस दिनों बाद संडे के दिन मेरे घर पर आकर मेरी नोट्स देने के बहाने चुपके से लाकर दिया। उसने उसे पालीथिन के अंदर तीन बार पेपर से लपेट कर उसमे रबर बैंड लगा कर रखा था। अभी मैंने उसे देखा भी नहीं था और पुस्तक को सिर्फ छू कर उसे सम्हाल के रखने का डर और उसको देखने की उत्तेजना में दिल धक-धक करने लगा।

प्रेरणा ने उसे जल्दी वापस करने को कहा.. तब मैंने आंखें नचाते हुए कहा.. तू तो अब इस पुस्तक को भूल ही जा..!
तो उसने कहा.. सोच ले, इससे अच्छी और भी पुस्तकें है मेरे पास तुझे वो भी चाहिए या नहीं..!
अब मैं क्या कहती… मुंह बना कर रह गई और वो अपने मुंह को चू चू चू करके बजाते हुए मेरा मजाक उड़ा के हंसने लगी।
फिर कुछ देर घर पर रही और चाय नाश्ता करके चली गई।

अब मैं रात होने का इंतजार करने लगी। पर उससे पहले मैंने जानबूझ कर अपनी छोटी बहन से झगड़ा किया क्योंकि वो मेरे साथ सोती थी, और आज मुझे एकांत चाहिए था, मेरी चाल कामयाब हुई, मेरे लड़ने की वजह से आज मेरी छोटी बहन माँ के पास सोने चले गई।
अब तो मैं कमरे में अकेली अपने मन की मालिक थी।

रात को मैंने जल्दी से खाना खा लिया और अपने कमरे में आ गई, दरवाजा खुला ही रखा था ताकि पापा कुछ सोचें ना… पर पर्दा गिरा हुआ था, माँ पापा के सोने तक मैं अपने कोर्स की किताब लेकर बैठी रही पर मेरा मन पढ़ाई में बिल्कुल नहीं लग रहा था।

उस समय सबके पास मोबाइल या इंटरनेट नहीं हुआ करते थे, तब हमारे लिए यही सब चीजें ही तो मनोरंजन या सीख की चीजें होती थी। मैंने माँ के कमरे के रोशनदान से लाईट बंद होते देखा और उसी के साथ ही ताल मिलाते हुए मैंने अपनी किताब बंद कर दी, मैंने उठकर दरवाजा भी बंद कर लिया।

मैंने हड़बड़ी से लेकिन सावधानी से प्रेरणा की दी हुई अश्लील पुस्तक निकाली और कमरे में अकेले होने के बावजूद डरते हुए पुस्तक को पेपर से अलग किया।

हाय राम…. मेरे मुंह से ये अचानक ही निकल गया था। उस पुस्तक के पहले पेज में ही पूर्ण नग्न और कामक्रीड़ा में लिप्त तस्वीरें थी, ऐसी तस्वीरें मैंने और पहले कभी नहीं देखी थी।
पुस्तक को खोलते ही मैंने एक बार दरवाजे की ओर और एक बार माँ के कमरे के रोशनदान को देखा, मैं डर के मारे बार-बार सावधानी के तहत नजर रखे हुई थी।
जब मुझे संतुष्टि हुई कि अब कोई डर नहीं है तब मैं पुस्तक पलट कर देखा, और मेरे मन में कौतूहल इतना था कि मैंने लगभग 50 पेज की पुस्तक 50 सेंकड में पलट कर देख डाली।

और अब तक मैं खुद में और उस पुस्तक में खोने लगी थी, मुझे कुछ पृष्ठों ने बरबस ही आकर्षित कर लिया था, अब मैंने सीधे उन्हीं पन्नों को खोल कर पुस्तक गोद में रख लिया और उसे बड़ी बारीकी से देखने लगी।
लंबा गोरा लिंग, मोटा काला लिंग, फैली हुई चूत साफ चिकनी जांघें, बालों भरी चूत, बड़े बड़े मम्मे… ये सब देख कर मेरी आँखें फटी की फटी ही रह गई। मन में ज्वार भाटे सी लहर उठने लगी, और पता नहीं मुझे क्या सूझा कि मैंने अपनी टीशर्ट अपने बदन से अलग कर दी।
कुछ देर और तस्वीरें देखने के बाद मैंने अपना लोवर भी निकाल दिया।

मेरा शरीर तपने लगा था, मेरी चूत ने रस बहा दिया था, मैंने एक हथ में पुस्तक पकड़ी और एक हाथ से पेंटी को साईड करते हुए चूत को सहलाने लगी।

कहानी जारी रहेगी..
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