मेरा पहला साण्ड-5
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गाण्ड मरवाने का चाव-1
जूही परमार
मैंने आज तक गाण्ड नहीं मरवाई। मैं राहुल से नहीं मरवाना चाहती थी, क्यूँकि राहुल का लंड कुछ ज्यादा ही बड़ा है।
जब तक मैं किसी छोटे लंड वाले से गाण्ड मरवा कर यह न समझ लूँ कि कितना दर्द होता है, मैं राहुल के साथ यह नहीं कर सकती थी।
मेरी गाण्ड के लिए साण्ड के तलाश चार दिन बाद जाकर पूरी हुई। मैं अब दो गबरू जवान मर्दों से चुद चुकी थी और धीरे-धीरे अब मुझे भी चूत चुदाई करने में मज़ा आने लगा था। पर गाण्ड की ठुकाई का एहसास अभी भी मेरे लिए बिलकुल अजीब था। क्यूंकि जब तक गाण्ड चुदी नहीं तब तक भला कैसे पता चलता कि गाण्ड की चुदाई में दर्द ज्यादा होता है या मज़ा ज्यादा।
अब मेरी आँखें हर लड़के को जो मेरी तरफ प्यार भरी निगाहों से देखता था, उसकी तरफ देख कर चुदाई के इशारे करती और खिलखिला कर हँस कर चली जाती। कई लड़के उसे प्यार का आमंत्रण समझने की गलती कर बैठे थे।
पर जानी… हमारी निगाहें तो किसी ऐसे की तलाश में थीं, जो मेरी गाण्ड का उद्घाटन करने में सफलता प्राप्त करे और हमें भी किसी असुविधा का सामने न करना पड़े।
मैंने लड़कों को ऊपर से नीचे तक तराशना शुरू कर दिया क्योंकि मुझे यह भी चैक करना था कि किसके लंड में कितना दम है और फिर काफी लड़कों की गर्ल-फ्रेंड्स तो मेरे ही हॉस्टल में रहती थीं। मेरी जो रूममेट थी, जो इन सब चुदक्कड़ लड़कियों की ठेकेदार थी, उससे अच्छा भला मुझे कौन इन मर्दों के बारे में बता सकता था। मुझे तो एक सीधे-साधे लड़के की तलाश थी, जो मेरी गाण्ड की सील बड़े आराम से तोड़े।
मैं भी अब धीरे-धीरे खुले विचारों वाली लड़की बनने लगी थी और अपने रूम-मेट के साथ धीरे-धीरे खुल कर इन सब के विषय में खुल कर बातें करने लगी।
बातों-बातों में उससे कहती- आज मेरी क्लास-मेट ने अपने बॉय-फ्रेंड के साथ सेक्स किया..!
इसी तरह से बातों की शुरुआत करती। एक दिन हम दोनों ब्लू फिल्म देख रहे थी, उसी बीच हीरो हीरोइन की गाण्ड मारने लगता है।
मैंने कहा- उसे लगता होगा न, जब कोई मर्द ऐसी जगह पर लंड डालता है और बेचारी लड़की को कितना दर्द हो रहा होगा… पीछे तो कितना छोटा सा छेद होता है..!
यह बात सुन वो ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगी और उसने पिक्चर रोक दी और फिर कहने लगी- इससे इंग्लिश में ऐनल-सेक्स कहते हैं। इसमें तो बड़ा मज़ा आता है। मुझे तो चुदाई से ज्यादा मज़ा ऐनल-सेक्स देखने में आता है।
मेरा मन भी उत्साहित होने लगा, पर मैंने ऐसे बर्ताव किया जैसे कुछ समझी ही नहीं।
मैंने पूछा- मतलब?
तो वो मुझे समझाने लगी- देखो, गाण्ड का छेद हमेशा खुला नहीं रहता, वो जब हम बाथरूम में जाते हैं और जोर लगाते हैं तभी खुलता है। पर वो छेद ऐसा होता है जिसमें आप जितना हाथ या लंड घुसाओगे, वो उतना ही खुलेगा… जैसे कि आपका मुँह। आप सेब काटने के लिए जितना बड़ा मुँह खोल पाओगे, उतना ही खा पाओगे… ठीक वैसे ही गाण्ड के छेद के साथ है। आप जितना बड़ा लंड अन्दर डाल पाओगे, वो उतना ही अन्दर घुसेगा।
मैंने कहा- पर दर्द भी तो कितना होता होगा !
जो वो बोली- अरे धत्त पगली, तू दर्द से बारे में सोच रही है। तू यह सोच जब हम बाथरूम जाते हैं और निकलते हैं तो कितना रिलैक्स लगता है… अब निकलने में इतना अच्छा लगता है तो ज़रा सोच कर देख, डालने में कितना मज़ा आता होगा।
मेरे मन ही मन गाण्ड चुदवाने की लालसा और बढ़ती ही जा रही थी।
मैंने फिर कहा- पर हमारे यहाँ कौन करता होगा? ऐसे यहाँ तो लोगों को यह करना पसंद ही नहीं है।
उसने कहा- तुझे क्या पता… मुझसे पूछ..! अपने कॉलेज में कौन इसका एक्सपर्ट है और कौन-कौन सबसे अधिक दमदार है, मुझे यह सब पता है।
मैंने कहा- अच्छा..!
फिर उसने आखिर वो पूछ ही लिया जो मैं पूछना चाहती थी?
‘चुदवाना है… तो बोलो, तुम्हारे छेद का उद्घाटन कॉलेज से सबसे बेस्ट लंड से करवाऊँगी… वो भी ऐसा की गाण्ड फटने तक याद रखोगी और लम्हा यादगार बना दूँगी।’
मैंने कहा- मुझे ऐसा कोई लंड नहीं चाहिए.. पता नहीं, कितना दर्द होगा… जब तुम उसकी उतनी तारीफ कर रही हो।
तो बोली- चल मैं तेरे लिए साधारण से लंड की जुगाड़ करती हूँ, जो तुझे बड़े आराम से चोदेगा और गाण्ड की सील भी तोड़ देगा। मुझे एक-दो दिन का समय दे, मैं तेरे लिये एक सीधा-साधा तड़कता-फड़कता लंड वाले की जुगाड़ करती हूँ।
मैं मन ही मन उछलने लगी, सोचने लगी कि अब कब मैं दुबारा चुदूँगी। अबकी बार मेरी चूत ही नहीं बल्कि मेरी गाण्ड में भी खुजली होने लगी थी। मैं गाण्ड उठा-उठा कर बैठ रही थी और अहसास कर रही थी कि कुछ ही दिनों के बाद में मेरी रानी अब तेरा भी उद्घाटन होने ही वाला है।
मेरी आँखों में पिक्चर का वो सीन घूमता रहा, जिसमें हीरो हीरोइन की गाण्ड मार रहा था। यही ख़यालात घूमते रहे और सब सोच कर इधर से उधर करवटें लेने लगी और मुझे पूरी रात नींद नहीं आई।
मैं अगले दिन कॉलेज भी नहीं गई। जैसे ही मेरी रूम पार्टनर कॉलेज गई, मैंने फट से हेयर रिमूवल क्रीम उठाई और बाथरूम गई और अपनी गाण्ड के बाल साफ़ करने लगी।
मैंने पीछे से हाथ लगाकर सारे बाल सफाचट कर दिए और अब मैंने ठान ली कि जब तक मेरी सील नहीं टूटेगी मैं रोज सुबह-शाम इसकी सफाई करूँगी, क्या पता कब मौका मिले।
नई-नवेली दुल्हन को चुदाई के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए। क्या पता दूल्हे का लंड कब खड़ा हो जाए और कब चुदाई का मौसम बन जाए।
वही हाल मेरी गाण्ड का भी था। दिन भर यही सोचती रही।
शाम को मेरी रूम-मेट जब कॉलेज से आई तो मैंने सोचा इससे पूछू कि मेरे लिए लंड की जुगाड़ हुई या नहीं। पर फिर मैंने बात टाल दी, अच्छा नहीं लगता… शायद वो गलत समझ बैठे। जब उसने कहा है कि करवा देगी इंतज़ाम, तो करवा देगी। मुझे उस पर भरोसा रखना चाहिए। इसलिए मैंने उसे कुछ नहीं बोला।
मैं चुपचाप बिस्तर पर लेटी रही। उसने अपने कपड़े बदले और बॉय-फ्रेंड जो कि सुनील था, जिसने मेरी चूत का उद्घाटन किया था, उससे फोन पर बतियाने लगी।थोड़ी देर बाद वो आई और मुझे उठाने लगी।
मैंने भी नींद से जागने का बहाना बना कर अंगड़ाई लेते हुए पूछा- क्या हुआ?
‘तू तो उठ तो सही।’
मैं उठ गई। फिर उसने मेरी गाण्ड दबाई और बोली- तेरे लिए जुगाड़ हो गया है।
मैं अकचका कर उठी और पूछा- मतलब?
तो बोली- अरे तेरी गाण्ड फाड़ने के लिए मैंने सीधा-साधा नार्मल सा लंड ढूँढ़ लिया है। मेरा बहुत अच्छा दोस्त है।
उसने मुझे अपने मोबाइल पर उसकी फोटो दिखाई। दिखने में ठीक-ठाक, पर उसने बताया कि वो बहुत रईस था। उसने बताया- बहुत पैसे वाला है, पर कोई गर्ल-फ्रेंड नहीं बनाई। लड़कियाँ मरती हैं इस पर, परन्तु इसे तो विदेशी माल ही पसंद आता है, भाड़े पर लाकर चोदता है। तुम्हारे लिए भी नहीं मान रहा था, पर जब मैंने उसे तुम्हारी फोटो दिखाई और बहुत मनाया, तब जाकर उसने ‘हाँ’ किया। तुम पहली इंडियन लड़की होगी, जिसके साथ वो चुदाई करेगा।
अब तो मन ही मन मेरे अन्दर लड्डू फूटने लगे थे। चूत और गाण्ड में सरसराहट सी होने लगी थी।
उसने कहा- संडे को वो तुम्हें लेने आएगा। आज फ्राइ-डे है, संडे तक तुम अपनी गाण्ड की सील तुड़वाने के लिए तैयार हो जाओ। अब तुम सो सकती हो, मैं जा रही हूँ।
अब मैं कमरे में बिल्कुल अकेली थी। मैं फट से बाथरूम गई, कपड़े उतार कर अपनी गाण्ड की सील तुड़वाने के सीन को सोचकर अपने मम्मों को दबाने लगी और तन में लगी आग को बुझाने की कोशिश में लग गई।
इस समय मेरे तन में लगी आग का इलाज़ तो सिर्फ पानी ही कर सकता था इसलिए मैंने फुव्वारा चालू किया और फव्वारे के नीचे खड़े होकर अपने तन-बदन को सहलाने लगी और चुदाई के बारे में सोच-सोच के मन को बहलाने लगी।
मैं करीब एक घंटे तक बाथरूम में नहाई, फिर बाहर आ गई।
थोड़ी देर बाद मेरी रूम-मेट भी वापिस आ गई, हमने ऊपर जाकर मेस में खाना खाया, फिर वो सो गई।
मुझे नींद नहीं आ रही थी, इसलिए मैंने उसका फोन ले लिया। उसके फ़ोन में बहुत सरे नंगे-नंगे लड़कों की फोटोज थीं। मैं उन्हें देखने लगी, फिर मैं उसमें से कुछ ब्लू-फिल्म्स के वीडियो चला कर देखने लगी और एक हाथ अपनी सलवार में डाल कर अपनी बुर खुजाने लगी।
जैसे-जैसे उसमें लड़का, लड़की की चुदाई कर रहा था, वैसे-वैसे मुझे लग रहा था मानो चुदाई उस लड़की की नहीं, मेरी हो रही है।
मेरा रोम-रोम कंप रहा था और बदन में फिर से एक आग सी मचने लगी थी।
मैंने अपनी चूत सहला कर उसे दिलासा दे रही थी, कुछ समय की बात है फिर तेरा भी नंबर आ जाएगा।
उसी बीच मेरी चूत ने दो बार पानी भी छोड़ा, पर मेरी तड़प वैसे ही थी जैसे प्यासे को पानी ही होती है।
देखते-देखते दो बज गए और फ़ोन की बैटरी खत्म होने लगी। मैंने उसका फ़ोन चार्ज पर लगा दिया और सो गई।
सुबह उठी तो देखा बारह बज गए हैं। जल्दी से मुँह-हाथ धोया, फ्रेश हुई और चली गई। आज शनिवार था और कॉलेज की भी छुट्टी थी, इसलिए ज्यादा टेंशन नहीं भी था।
मैं खाना खाने नीचे आई और बुक्स देखने लगी, पर मेरा मन कहाँ लगने वाला था। इसलिए मैंने सोचा जाकर नहा लेती हूँ।
नहा कर निकली तो मेरी रूम-मेट ने कहा- मेरे दोस्त का फ़ोन आया था, उसके घर में कोई नहीं है। कोई ऐतराज़ नहीं हो, तो तुम चली जाओ और अपनी गाण्ड का उद्घाटन करवा लो।
मैं अकबका गई और कुछ बोल न सकी और उसने मेरी खामोशी समझ ली। मुझे दिलासा दिया और कहा कि वो आधे घंटे में मुझे लेने आ रहा है।
मैं अलमारी से अपने सूट-सलवार निकलने लगी, तो मेरी रूमी ने मुझे रोक लिया और कहा- तू सलवार सूट न पहन, मेरे कपड़े पहन जा।
उसने मुझे अपनी लाल रंग की स्कर्ट और कफ्तान निकाल कर दिया और कहा- ये पहन जा, इसमें तू बहुत मॉडर्न दिखेगी.. और झट से निकालने में भी आसानी होगी।
मैंने जल्दी से कपड़े पहने और हम दोनों नीचे आ गए और उसका इन्तज़ार करने लगे।
थोड़ी देर में वो अपनी कार लेकर आया और मैं उसके साथ उसकी कार में बैठ कर चल दी।
कार में मैंने उसे अपना नाम बताया और फिर बातों का सिलसिला चालू हो गया। बातों-बातों में कब देवास आ गया पता ही नहीं चला। उसका घर देवास में था। उसने कार पार्क की, हम दोनों अन्दर चले गए। वो मेरे लिए जूस लेकर आया।
मैं जूस पीते-पीते सोचने लगी। वैसे तो सुहागरात से पहले दुल्हन दूल्हे के लिए दूध का गिलास लाती है, पर यहाँ तो माजरा ही अलग है। लगता है आज की रात दूल्हे को नहीं, दुल्हन को ताकत की जरुरत पड़ने वाली है, क्योंकि उसकी गाण्ड जो फटने वाली है। थोड़ी देर बाद वो वापस आया और हम दोनों बैठ कर बातें करने लगे।
कहानी जारी रहेगी।
आपको मेरी कहानी कैसी लग रही है, मुझे [email protected] पर मेल करके जरूर बताइएगा।
प्लीज इस कहानी के नीचे अपने कमेंट जरूर लिखिएगा, धन्यवाद।
आपकी प्यारी चुदक्कड़ जूही परमार
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