एक दिल चार राहें -11

(Free Kamukta Sex Story )

प्रेम गुरु 2020-07-23 Comments

This story is part of a series:

फ्री कामुकता सेक्स स्टोरी में पढ़ें कि मैं अपनी कमसिन कामवाली को तोहफे देकर लुभा रहा था. वो भी नयी जींस शर्ट, ब्रा पैंटी देखकर खुश हो रही थी.

जूते पहनाने के बाद मैंने उसकी जाँघों के ऊपरी हिस्से पर एक हल्की चपत लगाते हुए कहा “सानू अब जरा इन थोड़ी अदा से चलकर तो दिखाओ सही साइज के हैं या नहीं?”
सानिया ने कहा तो कुछ नहीं पर उसकी रहस्यमयी मुस्कान ने सब कुछ बता दिया था।
“क्यों साइज सही है ना?”
“हओ … मुझे ऐसे ही जूते पसंद थे?” उसने मेरी ओर देखते हुए कहा।
“देखो मुझे तुम्हारी पसंद का कितना ख्याल है?”
उसकी निगाहें बार-बार उन दूसरे पैकेट्स पर जा रही थी जो पॉलीथिन के लिफ़ाफ़े में पड़े थे।

अब आगे की फ्री कामुकता सेक्स स्टोरी:

मैंने टेबल पर रखे उन पैकेट्स को उठाया।
“क्या है इसमें?”
“तुमने तो गेस किया नहीं?”
“प्लीज आप बताओ ना?” अब तो उसकी उत्सुकता अपने चरम पर थी।

“देखो मैं अपनी इस सानूजान के लिए 2 जोड़ी ब्रा-पैन्टी, एक जीन्स पैन्ट और शर्ट और एक इम्पोर्टेड चोकलेट का पैकेट और आइस क्रीम लाया हूँ। देख कर बताओ कैसे हैं?” मैंने उसके गालों पर हल्की सी चुटकी काटते हुए कहा।
सानिया ने कुछ बोला तो नहीं अलबता मैंने महसूस किया सानिया के गाल सूर्ख (रक्तिम) जरूर से हो गए हैं और होंठ भी कुछ कांपने से लगे हैं।
और खास बात तो यह भी थी कि मेरे द्वारा उसके गालों पर चिकोटी काटना और सहलाना उसे तनिक भी बुरा नहीं लगा था।

सानिया अब उन पैकेट को जल्दी-जल्दी खोल कर देखने लगी। उसके चहरे पर आई मुस्कान ने तो सब कुछ बयान कर दिया था।
यानि चिड़िया चुग्गा देने के लिए तैयार है।

“ये पैन्ट और शर्ट तो बहुत सुन्दल (सुन्दर) है। मुझे ऐसी ही पैन्ट-शर्ट पसंद थी।”
“हम्म … और ये ब्रा पैन्टी?”
“हओ … बहुत बढ़िया है।” उसने ब्रा पैन्टी को अपने हाथों में पकड़ रखा था और कुछ सोचे जा रही थी।

“इनको देखने से काम नहीं चलेगा इनको पहनकर भी दिखाना होगा.”
“आपके सामने?”
“तो क्या हुआ?”

सानिया मुझे तिरछी निगाहों से देखती हुयी अब मंद-मंद मुस्कुराने लगी थी।

थोड़ी देर बाद वह बोली “आपको एक बात बताऊँ?”
“हाँ … जरूर!”
“आप किसी को बताओगे तो नहीं ना?”
“यार कमाल करती हो … तुम मेरी इतनी अच्छी दोस्त हो तो भला मैं तुम्हारी बात किसी ओर को कैसे बता सकता हूँ? … बोलो?”

“वो … वो.. प्रीति है ना?”
“कौन प्रीति?”
“ओहो … आपको बताया तो था? वो मेरी भाभी की छोटी बहन है ना?” उसने मेरे इस भुलक्कड़ और अनाड़ीपन पर थोड़ा चेहरा सा बनाते हुए कहा।
“ओह … हाँ तुमने बताया था जिसके सके कई सारे बॉयफ्रेंड हैं? … वही ना?” मैंने बॉय फ्रेंड वाली बात पर ज्यादा ही जोर दिया था।
“हओ.”
“हाँ … क्या किया उसने?”

“कल उसने मुझे मोबाइल पर अपनी फोटो भेजी.”
मुझे लगा सानिया कुछ बताना चाहती है पर वह बताते हुए कुछ झिझक सी रही है।

याल्ला … जरूर कोई इश्किया बात होगी। साले उसके बॉयफ्रेंड ने कहीं ठोक-ठाक तो नहीं दिया होगा?
यह सोच कर तो मेरी उत्सुकता और भी ज्यादा बढ़ गई।
“कैसी फोटो?”

“उसने भी सेम ऐसी ही नेट वाली ब्रा-पैन्टी पहन रखी थी.”
“ओह … अच्छा? … फिर?”
“वो बता रही थी कि यह ब्रा पैन्टी उसके बॉय फ्रेंड ने गिफ्ट दी है।“

“हा … हा … हा … ज्यादातर सच्चे बॉय फ्रेंड यही गिफ्ट देते हैं.” कहकर मैं हंसने लगा।
सानिया भी अब हंसने लगी थी।
अब वह इतनी भोली भी नहीं थी कि मेरी इस बात का मतलब ना समझ सकी हो।

“और क्या बोल रही थी?”
“वो मेले से भी पूछ लही थी?”
“क्या?”
“कि मुझे कोई गिफ्ट मिला या नहीं?”
“ओह … फिर तुमने क्या जवाब दिया?”
“किच्च!” मैंने मना कर दिया।

“अरे तुम्हें पहले भी इतने अच्छे गिफ्ट दिए थे तुम भी बता देती?”
“आप भी कमाल कलते हो?” उसने आश्चर्य से मेरी ओर देखते हुए उलाहना सा दिया।
“क्या मतलब?”
“अले … आप भी … ना … एक तरफ आप बोलते हो अपनी बात किसी को बताना नहीं और अब बोल रहे हो बताया क्यों नहीं? … बोलो?”
“ओह … हाँ … सॉरी यार … तुम वाकई बहुत समझदार हो … मैं तो इस बात को भूल ही गया था।”

सानू जान तो मेरी इस बात को सुनकर और अपनी समझदारी पर इतराने सी लगी थी।

“यार … तुम तो सच में गौरी से भी ज्यादा समझदार हो थैंक यू!” कह कर मैंने उसके हाथों को अपने हाथ में ले लिया।
सानिया को कोई ऐतराज़ नहीं हुआ। मेरा लंड पायजामे में उछल-उछल कर अपना आपा खोने लगा था।
मैंने देखा सानू जान भी नीची निगाहों से मेरे ठुमके लगाते लंड को देखे जा रहे थी। शायद उसके जिस्म को भी कामुकता का भान हो रहा था.

“ए सानूजान?” मैंने उसकी आँखों में झांकते हुए पूछा।
“हम्म?” आज उसने ‘हओ की जगह ‘हम्म’ किया था।

मैंने देखा उसकी आँखों में अजीब सी चमक और नशा सा भर गया है। उसकी आँखों की लालिमा कुछ और बढ़ गई है और साथ ही उसकी साँसें बहुत तेज हो चली है।

प्रिय पाठको और पाठिकाओ! अब इस चिड़िया को चुग्गा खिलाने का सही वक़्त आ गया था अब देरी करना ठीक नहीं था। भेनचोद ये किस्मत लौड़े लिए हमेशा तैयार ही रहती है। मैं इस बार कोई जोखिम नहीं लेना चाहता था। मैंने अपने मोबाइल का पॉवर स्विच ऑफ कर दिया।

मेरा जाल अब मुकम्मल रूप से बिछ चुका था। अब तो चिड़िया दाना चुगने के लिए जाल पर बैठ भी गई है अब तो बस मेरे डोरी खींचने की रस्म बाकी रह गई है।

“अरे सानू?”
“हओ?”
“यार तुमने एक बात तो बताई ही नहीं?”
“कौन सी बात?”

“तुम आज कुछ उदास भी लग रही हो और तुम्हारी आँखें भी लाल सी लग रही है? क्या बात हो गई?”
“वो.. वो …” कहते हुए सानिया रुक गई।
“प्लीज यार … अब बता भी दो?”
“वो मुझे रात को नींद नहीं आई.”
“क.. क्यों?”
“पता नहीं”

“एक बात बताऊँ?”
“क्या?”
“पिछली दो रातों में मुझे भी नींद नहीं आई.” मैंने उसकी आँखों में झांकते हुए कहा।

“मैं सच कहता हूँ मुझे तो सारी रात बस तुम्हारी ही याद आती रही। मैं सोच रहा था मेरी सानू ने तो मुझे ज़रा भी याद नहीं किया होगा?”
“हओ … मैंने तो आपको कित्ता याद किया … मालूम?”
“हट! … झूठ बोल रही हो?”

“नई में सच्ची बोलती … मैं भी सारी रात आपके बारे में ही सोचती लही थी.” सानिया ने अपने गले को छू कर कहा।
मुझे लगता है चिड़िया ने भी अब अपने पंख खोलकर इस सुनहरे सपनों के आसमान में उड़ना शुरू कर दिया है।

“तो तुमने फोन क्यों नहीं किया?”
“वो सबके सामने कैसे करती? बोलो?”
“हाँ यार यह बात तो सही है।” लौंडिया दिखने में भले ही लोल लगती हो पर इन बातों में बहुत होशियार भी है।

मैंने सानिया का एक हाथ अब भी अपने हाथों में पकड़ रखा था और उसे सहलाता जा रहा था।

“आपको प्रीति दीदी की एक बात और बताऊँ?”
“हां … बताओ?” कहकर मैंने उसे थोड़ा सा अपने और करीब कर लिया। अब तो उसकी जांघें मेरी जाँघों से सट सी गई थी। मैंने अपना एक हाथ उसकी जाँघों पर रख दिया था। उसकी कुंवारी बुर की खुशबू पाकर मेरा लंड तो ऐसे उछल रहा था जैसे पायजामे में उसका दम घुटा जा रहा है।

उसने पहले तो अपना गला खंखारा और फिर धीमी आवाज में कहा- वो मेरे से बोल रही थी तुम भी अपने बॉयफ्रेंड को पटा लो.
“अरे वाह … फिर तुमने क्या जवाब दिया?”
“किच्च!”

“अरे क्यों? बेचारी कितनी अच्छी राय दे रही थी और तुमने ना बोल दिया.” कहकर मैं हंसने लगा.
तो सानिया आश्चर्य से मेरी ओर देखने लगी।
लगता है इस प्रीति नामक बला ने हमारी इस सानूजान को और भी बहुत कुछ सिखाया और समझाया भी होगा।

“पर लड़कियां बॉय फ्रेंड को थोड़े ही पटाती हैं? वो तो लड़के पटाते हैं.”
“तुम कहो तो मैं ट्राई कर सकता हूँ?” मैंने हँसते हुए पूछा तो सानू जान ने शरमाकर अपनी मुंडी नीची कर ली।

“यार सानू? एक बात समझ नहीं आई?”
“क्या?”
“उसे यहाँ पर तुम्हारे काम करने के बारे में किसने बताया?”
“मुझे लगता है यह बात उसे भाभी ने ही बताई होगी.” सानिया ने कुछ सोचते हुए कहा।

“हम्म …” मैं अब प्रीति के बारे में सोचने लगा। यह लौंडिया तो जरूर बहुत बड़ी कातिल होगी। साली ने पता नहीं कितनों को चुग्गा और पानी पिलाया होगा। ऐसी चुलबुली हसीना को तो सारी रात दोनों तरफ से बजाने का एक मौक़ा मिल जाए तो खुदा कसम 72 हूरों का मज़ा इसी दुनिया में मिल जाए।

मैं सानिया से उसके बारे में और भी बहुत कुछ पूछना तो चाहता था पर फिलहाल मैंने अपना इरादा बदल लिया। आज तो बस मेरी सानू जान के सिवा मैं किसी और को याद करने के मूड में बिल्कुल भी नहीं था।

“यार सानू जान देखो! मैंने तुम्हें इतनी अच्छी-अच्छी गिफ्ट दी हैं पर तुमने तो मुझे कुछ भी नहीं दिया?” मैंने एक लम्बी साँस लेते हुए कहा।
“मेले पास क्या है देने के लिए?” उसने अपनी मुंडी झुकाए हुए कहा।

मैंने मन में सोचा ‘मेरी जान तुम्हारे पास तो बेशकीमती कैरूं का खजाना है और तुम कहती हो मेरे पास देने के लिए क्या है?’

और फिर उसकी मुंडी के नीचे अपनी अंगुलियाँ लगाकर उसे थोड़ा ऊपर उठाते हुए उसकी आँखों में झांकते हुए कहा- जान एक गिफ्ट मांगूं तो तुम मना तो नहीं करोगी ना?
“किच्च …” उसके कांपते होंठों से बमुश्किल यही आवाज निकली।

“सानू तुम्हारे होंठ बहुत खूबसूरत हैं … क्या मैं इन पर एक बार चुम्बन ले सकता हूँ?”

“वो … वो … मुझे शर्म आती है.” उसके अपनी पलकें झुका लीं थी और अपने दोनों हाथों को अपनी आँखों पर रख लिया था। उसका सारा शरीर जैसे झनझना सा उठा था।
इस्सस्स …

अब आप मेरी कामुकता का अंदाज़ा लगा ही सकते हैं।
रोमांच के मारे मेरे सारे शरीर में भी अजीब सी सनसनाहट दौड़ने लगी थी और गला सा सूखने लगा था। लंड तो प्री कम के तुपके छोड़-छोड़ कर पागल हुआ जा रहा था और सुपारा तो फूलकर इतना मोटा हो गया था कि मुझे लगने लगा कहीं यह अति उत्तेजना के मारे फट ही ना जाए।

सानिया के दिल की धड़कन भी इस कदर तेज हो गई थी कि मैं अपने कानों से साफ़ सुन सकता था। उसकी आँखें अब भी बंद थी और उसके अधर काँप से रहे थे।

अब मैं सोफे से उठकर खड़ा हो गया और सानिया के सामने आ गया। मेरे ऐसा करने पर सानिया भी उठकर खड़ी हो गई। मैंने उसके चहरे को अपने हाथों में पकड़ लिया। मैंने होले से अपने होंठों को उसके लबों पर रख दिए। एक मीठी खुशबू से मेरा सारा स्नायु तंत्र जैसे महक सा उठा।

मुझे लगता है सानू जान बाथरूम से वापस आते समय जरूर माउथ फ्रेशनर या चुइंगम खाकर आई है।

मैंने उसके होंठों पर पहले तो एक चुम्बन लिया और फिर धीरे-धीरे अपने होंठों को उसके अधरों पर रगड़ने लगा। सानिया तो बस आँखें बंद किए लम्बी लम्बी साँसें लेती रही।

अपना एक हाथ मैंने उसके सिर के पीछे कर लिया और दूसरे हाथ से उसकी पीठ को सहलाने लगा। उसके अधर अब भी मेरे होंठों के बीच फंसे पिस रहे थे।
मैंने पहले तो दोनों होंठों को अपने मुंह में भर लिया और फिर जोर जोर से उन्हें चूसने लगा।

थोड़ी देर बाद मैंने अपनी जीभ उसके मुंह में डाल दी अब तो सानू जान भी जोर-जोर से मेरी जीभ को चूसने लगी जैसे कोई आइस कैंडी हो। थोड़ी देर बाद उसने अपनी जीभ मेरे मुंह में डाल दी तो मैं उस रस भरी जीभ को चूसने लगा।

अब तो हम दोनों बारी- बारी एक दूसरे की जीभ चूसे जा रहे थे। जिस प्रकार वह मेरी जीभ चूस रही थी और चुम्बन में सहयोग कर रही थी मुझे लगता है यह सब उस जरूर उस प्रीति नामक पटाके का कमाल था।

कोई 5 मिनट तक हम एक दूसरे को ऐसे ही चूमते रहे। इस दौरान मैंने उसकी पीठ और कमर पर भी हाथ फिराना चालू रखा और बाद में तो उसके नितम्बों पर भी हाथ फिराना चालू कर दिया।
सानिया तो जैसे अपने होश में ही नहीं थी। मैंने एक हाथ से उसकी कमर पकड़ रखी और मेरा दूसरा हाथ धीरे-धीर उसके नितम्बों की खाई में फिसलने लगा।
और जैसे ही मैंने उसकी बुर को टटोलने की कोशिश की तो सानिया कामुकता से की एक हल्की सिसकारी सी निकल गई।
उसने अपनी जांघें जोर से भींच ली और उसका एक पैर थोड़ा सा ऊपर हो गया।

अब तो मेरी शातिर अंगुलियाँ उसकी सु-सु के बिल्कुल करीब जा पहुंची थी। उसकी बुर की गर्माहट और गीलापन मेरी अँगुलियों पर महसूस होने लगा था। मुझे लगता है सानिया ने मेरे खड़े लंड को अपनी नाभि के नीचे पेड़ू के पास महसूस तो कर ही लिया होगा।

मुझे विश्वास है कि फ्री कामुकता सेक्स स्टोरी में आपको जरूर मजा आ रहा होगा.
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फ्री कामुकता सेक्स स्टोरी जारी रहेगी.

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