कुंवारी लड़की की पहली चुदाई की लालसा- 2

(First Sex With Friend)

फर्स्ट सेक्स विद फ्रेंड का मजा मैंने अपने पुराने दोस्त से लिया … वो भी मेरी सगाई किसी दूसरे लड़के से होने के बाद … मैंने बड़ी मुश्किल से अपने दोस्त को सेक्स के लिए मनाया.

कहानी के पहले भाग
मंगेतर ने वासना भड़काई
में आपने पढ़ा कि मेरे मंगेतर ने मेरे साथ चूमा चाटी करके मेरी वासना बढ़ा दी थी. वह मुझे चोदना भी चाहता था पर वह मुझे चरित्रहीन ना समझे, इसलिए मैंने उसे चुदाई नहीं करने दी.
लेकिन मेरी अन्तर्वासना मुझे जीने नहीं दे रही थी. तो मैंने अपने पुराने दोस्त की मदद ली. उसे अपने साथ सेक्स के लिए मनाया.

अब आगे फर्स्ट सेक्स विद फ्रेंड:

मैंने उसके वीर्य अपनी शर्ट से हाथ से पौंछा और चिप चिप करते हुए जायजा लेने लगी।
वह हाम्फते हुए बोला- अब पहन लूं पैंट?
मैंने कहा- हाँ पहन ले।

फिर मैंने थोड़ा सोच के कहा- अब तू ही मेरी हवस पूरी कर!
वह बोला- क्या मतलब?

मैं बोली- मुझे सेक्स करना है तेरे साथ … चाहे कुछ भी हो जाए।
वह बोला- पर तेरी शादी होने वाली है किसी और से!
मैंने कहा- जब होगी तब देखेंगे, पर अभी मुझे सेक्स करना है तेरे साथ!

आखिर मैंने उसे मजा दिया था तो थोड़ी देर सोच के उसने भी कहा- ठीक है … पर किसी को नहीं बताएँगे।
मैंने कहा- प्रोमिस!

तब मैंने कहा- तो शुरू करें?
तो उसने कहा- पागल है क्या? तेरे घर में सब फॅमिली वाले हैं. उनके रहते नहीं कर सकते. कहीं बाहर चलेंगे टाइम निकाल के!
मैंने कहा- ठीक है।

उसने कहा- मैं अब घर जाता हूँ कुछ जुगाड़ कर के बता दूंगा, तब चलेंगे।

अब सब सेट हो गया था, मैंने और जय ने सेक्स करने का प्लान बना लिया था।

मैं रोज़ उसे मैसेज कर के पूछती थी क्या चल रहा है.

और आखिरकार एक दिन जय ने फोन कर के बताया उसने एक होटल में कमरा बुक किया है हम दोनों के लिए 2 दिन बाद का!
मैंने भी हामी भर दी।

मेरा पहला सेक्स था तो मैंने अच्छे से तैयारी करी।

एक दिन पहले ही अपने जिस्म के सारे अनचाहे बाल वक्सिंग से हटा दिये, चूत भी बिल्कुल चिकनी कर दी।

चुदाई के दिन मैंने अपने बैग में किताबें ना भर के एक सेक्सी सी ड्रेस रख ली और घर पर कॉलेज का बोल के निकल गयी।

प्लान यह था कि कोई हमें साथ में घूमते हुए ना देखे.
इसलिए मैं पहले होटल में जाऊँगी और फिर आधर पौने घंटे बाद जय भी आयेगा।

मैं कैब से होटल के पास पहुंची और फिर थोड़ा पैदल चल के होटल पहुँच गयी।

मैंने अपने मुंह चुन्नी से लपेट रखा था ताकि कोई पहचान ना ले।
मैं होटल के रिसिप्शन पे पहुंची तो वहाँ भी एक लड़की ही थी इसलिए मुझे ज्यादा शर्म नहीं आई … पर फिर भी थोड़ा डर तो लग ही रहा था।

मैंने अपनी चुन्नी उतारी और उसे आईडी दिखाई और उसने कहा- आपके साथ एक गेस्ट और हैं।
तब मैंने कहा- हाँ, उन्हें आने में टाइम लगेगा थोड़ा … तो आप मुझे चाबी दे दे।

उसने मुझे कमरे की चाबी दे दी मुसकुराते हुए।
मैंने भी मुसकुराते हुए चाबी ले ली.

उसने कहा- मेम, किसी चीज़ की जरूरत हो तो बताइएगा।
मैंने कहा- ठीक है।

फिर मैं अपने कमरे में आ गयी और राहत की सांस ली और पानी पिया।

फिर थोड़ी देर बाद मैंने जय को फोन कर के बता दिया कि मैं होटल पहुँच गयी हूँ।
उसने कहा कि वह भी निकल रहा है और आधे घंटे में आ जाएगा।

फिर मैंने अपने कॉलेज के कपड़े उतारे और वह सेक्सी सी लाल रंग की ड्रेस पहन ली और उसी हिसाब से मेकअप भी कर लिया।

मैंने शीशे में देखा तो बहुत सुंदर सेक्सी और प्यारी लग रही थी।

फिर मैंने टीवी ऑन किया और टाइमपास करने लगी।
पर सेक्स की उत्तेजना में मुझसे टाइम ही नहीं कट रहा था।

लगभग 25 मिनट बाद किसी ने दरवाजे को खटखटाया तो मैं खुश हो गयी और टीवी बंद कर के गेट खोला।
सामने मेरा दोस्त जो आज मेरी जवानी का उद्घाटन करने वाला था, खड़ा था।

वह मुझे इस सेक्सी अवतार में देख के हैरान रह गया और उसकी आंखों में हवस भी दिखाई देने लगी।

मैंने उसका हाथ पकड़ के अंदर खीच लिया और दरवाज़ा बंद कर दिया.

अब बंद कमरे में हम दोनों अकेले थे और शर्मोहया की दीवार गिरने लगी थी।

उसने कहा- मैंने सोचा नहीं था तुम इतनी हॉट और सेक्सी भी लग सकती हो, कभी उस नज़र से नहीं देखा ना!
मैंने कहा- आज जितनी गंदी नज़र से देखना है देख लो जी भर के!

फिर वह सोफ़े पे बैठ गया और हम थोड़ी बातें करने लगे।

उसने पूछा- तो फिर कैसे करना है?
मैंने कहा- नंगे हो कर करेंगे!

और उसे आँख मार दी।

उसने कहा- तो शुरू करें फिर आज का कार्यक्रम?
मैंने कहा- हाँ, मैं कब से तड़प रही हूँ इस दिन के लिए।

वह बोला- सेक्स तो मैं भी करना चाहता था पर सोचा नहीं था तुझे ही चोदने का मौका मिलेगा।
मैंने कहा- अब मौका मिला है तो मौके का फायदा उठाओ।

उसने कहा- पहले क्या करूँ?
मैंने कहा- मुझे नहीं पता शुरू कैसे करते हैं, मेरा तो पहली बार है।
उसने कहा- मेरा भी!

फिर मैंने कहा- चलो फिर शुरू करते हैं।

और मैं उसके सामने खड़ी हो गयी.
मुझे देख कर वह भी खड़ा हो गया मेरे सामने!

मैंने बोला- चलो किस से शुरू करते है, राकेश के साथ वही हुआ है।
उसने कहा- ठीक है!

कुछ पल मैंने उसकी आँखों में देखा और वह अपने होंठ मेरे होंठों के पास लाने लगा.
पर जैसे हमारी किस होने वाली थी, मेरी हंसी छूट पड़ी.
और मुझे देख के वह भी हंस पड़ा।

वह बोला- अजीब लग रहा है ना!
उसने कहा- हाँ चलो फिर कोशिश करते हैं।

फिर हम एक दूसरे के करीब आने लगे और मुस्कुरा रहे थे.
अब किस से पहले फिर हंसी आ जाती।

आखिरकार मैंने कहा- तू चूतिया है!
और उसके सिर को पकड़ कर अपने होंठ उसके होंठों पे रख कर ज़ोर से दबा दिये और हम किस करने लगे।

उसने भी मेरा सिर पकड़ लिया और किस करते रहे।
हमने आँखें बंद कर ली।

लगभग एक मिनट बाद हमारी किस और गहरी होती गयी और हमारे जिस्म भी आपस में सट गए।

उसके हाथ अब मेरे कंधों से होते हुए नीचे जाने लगे।
मैंने जोश में उसके हाथों को अपने बूब्स पे रख दिया और आगे उसने खुद ही उन्हें धीरे धीरे दबाना शुरू कर दिया।

उसका यूं मेरे बूब्स को धीरे धीरे मसलना और दबाना मुझे बहुत आनंद दे रहा था, मेरी चूत में बहुत खुजली हो रही थी चुदवाने की!

इसके बाद जय अपना हाथ मेरे पेट पर से सरकाते हुए धीरे धीरे मेरी चूत पे ले गया।

वह पूरी गर्म हो रही थी जिसे वह हल्के हल्के भींचने लगा।

अब मैं भी किस करते हुए अपने हाथ से उसके लंड को पैंट के बाहर से ही सहलाने लगी और वह खड़ा होने लगा।

फिर थोड़ी देर बाद हम हटे तो मैंने कहा- अब तुम कपड़े उतारो सारे!
उसने कहा- नहीं, पहले तुम उतारो।
मैंने कहा- तुम उतारो, फिर मैं नंगी होती हूँ।

उसने बात मान ली और धीरे धीरे अपने सारे कपड़े उतार दिये।
मैंने उसको नंगा देखा तो मेरे जिस्म में और गर्मी आने लगी।

फिर मैंने भी कहा- अब मेरी बारी!
और मैंने अपने टॉप को ऊपर को निकाल दिया।

मैंने अंदर सेक्सी लाल रंग की ब्रा पहनी थी जिसके अंदर से मेरे गोरे बूब्स झांक रहे थे।

इसके बाद मैंने अपनी शॉर्ट स्कर्ट भी साइड से चैन खोल कर नीचे को उतार दी।
अब मैं लाल बिकीनी में उसके सामने आधी नंगी थी और उसका लंड खड़ा होने लगा।

मैं उसको और उत्तेजित करने के लिए अपनी जांघों, पेट और बूब्स पर हाथ फेर रही थी और सेक्सी आह … आहह … की आवाजें निकाल रही थी।
वह इस सेक्सी फिल्म का मजा ले रहा था।

उसका लंड पूरा खड़ा हो चुका था।

फिर मैं घुटनों के बल चलती हुई उसकी टाँगों के पास आ गई और जीभ से उसके लंड को टट्टों से ऊपर सुपारे तक चाटा।
जय के पैरों में कंपकपी छूट गयी और उसने ‘आहह … सुहानी’ कहा।

मैंने पूछा- कैसा लगा?
उसने कहा- बहुत मजा आया।

फिर मैंने कहा- और मजा चाहिए क्या?
उसने कहा- हाँ प्लीज और कर ना!

फिर मैंने देर ना करते हुए उसके लंड के सुपारे को अपने लाल होंठों के बीच रखा और ऊपर से नीचे उसे मुंह में लेती चली गई।

जय की आंखेँ बंद हो गयी और मैं उसका लंड ऊपर से नीचे चूसने लगी।

मैंने 2-3 मिनट तक उसका लंड चूसना जारी रखा।

और अब उसने बोला- अरे रुक जा सुहानी … स्स … आहह… मेरा निकल जाएगा… प्लीज रुक जा!
मैं रुक गयी और उसके सामने खड़ी हो गयी।

फिर मैंने अपनी ब्रा उतारी और अपने दोनों बूब्स को उसके मुंह पे रख के भींच दिया और बोली- ले साले चूस इन्हें … कॉलेज में कितने लोगों की लार टपकती है इन्हें देख के, ले मजा ले।

वह बारी बारी मेरे दोनों बूब्स मुंह में भर भर के चूसने लगा।

उसके बाद उसने मेरी पैंटी की डोरी खोल के उसे उतार दी और मैं उसके सामने बिल्कुल नंगी हो गई।

फिर तो वह मेरी चूत पे टूट पड़ा और बुड़क भर भर के चाटने लगा।

ऐसे ही चाटने में उसने मेरा एक बार पानी निकाल दिया।

फिर मैंने कहा- कुत्ते की तरह चाटेगा ही या चोदेगा भी?
उसने कहा- अभी ले!

फिर उसने कहा- चल लेट जा मेरे सामने अपनी चूत खोल के आज इसका उदघाटन कर देता हूँ।
मैंने कहा- ठीक है!
और मैं उसके सामने टाँगें खोल के लेट गयी।

वह मेरे आगे आया और अपना लंड मेरी चूत पे घिसने लगा।
मुझे गर्म लंड के स्पर्श से बहुत मजा आ रहा था।

फिर मैंने कहा- डाल ना चूतिये, घिस घिस के क्या जिन्न निकालेगा चूत में से!
उसने कहा- डाल रहा हूँ … पहली बार है, सील टूटेगी तो दर्द होगा।
मैंने कहा- मुझे पता है कि थोड़ा दर्द होगा! मैं झेल लूँगी. तू डाल धीरे धीरे!

उसने अपने लंड का सुपारा मेरी चूत की दरवाजे पे सेट किया और मेरे घुटनों को पकड़ लिया।
फिर बस धीरे धीरे अंदर धकेलने लगा.

शुरू में तो बस थोड़ा खिचाव सा लगा पर फिर हल्का-हल्का सा दर्द उभरने लगा.
तो मैं ‘स्सी … स्सी …’ करने लगी।

वह बोला- अभी तो सील भी नहीं टूटी, अभी से स्सी स्सी?
मैंने कहा- तू चालू रख!
उसने कहा- चल फिर … एक ही झटके में तेरा ढक्कन खोल देता हूँ!

और इतना कह कर उसने तेज़ से लंड को अंदर झटका मारा, तो मेरी चूत की झिल्ली में उलझ गया और वह फट गयी.
इसके साथ ही मेरी ज़ोर की ‘स्सी … आ ऊईई … स्सी … स्सश … स्सी’ की दर्द भरी सिसकारी निकल गयी और मैं ऊपर को उचक गयी।

मैंने कहा- आई … स्सी … ये क्या जंगलीपना है, आराम से कर ना कुत्ते … आहह… स्सी!
उसने कहा- अरे जान, इसी दर्द में तो मजा है। अभी थोड़े और झटके लगेंगे दर्द भरे, फिर मजा आएगा।

मैंने कहा- स्सी… ठीक है… चोद ले फिर!

फिर उसने धीरे धीरे लंड निकाला और फिर एक झटके में पूरा अंदर घुसेड़ दिया।

मेरे को ऊपर को झटका लगा और ज़ोर से पट्ट की आवाज आई जिस्म टकराने की।
मेरे मुंह से ‘ऊई … स्सी’ निकल गयी।

इसके बाद उसने ऐसे ही 8-10 दर्द भरे झटके दिये और मेरी ‘आहह … आहहह … स्सी … आई …’ सिसकारी निकलती रही।

फिर वह खुद ही रुक गया और बोला- देख तेरी जवानी की शुरुआत हो गयी. अब तू कुँवारी नहीं रही. यह देख मेरा लंड!

मैंने देखा तो वह मेरी चूत के खून से लाल हो रहा था।

तब मैंने अपनी चूत पे हाथ फेरा तो वहाँ भी गीला और चिप-चिप हो रहा था।

कुछ देर में मेरा दर्द कम हुआ तो उसने बोला- अब दर्द के साथ मजा भी आएगा!

और फिर इसी पोजीशन में उसने अपने लंड रखा और धीरे धीरे अंदर घुसा दिया।

हालांकि दर्द इस बार भी हुआ … पर उतना नहीं!

फिर तो बस उसने पूरा डालना और पूरा निकालना चालू कर दिया और मैं बेड में ऊपर नीचे हिलती हुई ‘ऊन्ह … ऊह … ऊन्न्ह … आहह … आहह … स्सी … स्सी … स्सी … सी’ करती हुई अपनी चुदाई करवाने लगी।
कुछ देर में मेरा दर्द मीठे मीठे से दर्द में बदल गया और मेरी चूत उसके लंड को रगड़ने लगी टाइट होकर!

3-4 मिनट बाद वह थक गया तो लंड निकाल के साइड में सोफ़े पर बैठ गया।
अब मैंने कहा- चल बैठा रह … अब मेरी बारी!

और मैं उसकी तरफ मुंह करते हुए ही उसकी ऊपर बैठ गयी.
और उसने मेरे बूब्स पकड़ के हल्के हल्के दबाना और चूसना शुरू कर दिया।

मैं थोड़ा सा उठी और उसके खड़े लंड को अपनी चूत पे सेट कर के उसपर ‘स्सी … सी … स्सी … स्सी …’ करती हुई अंदर लेती हुई बैठ गयी।

फिर मैंने उसके गरदन को अपनी बाहों में भरा और ऊपर नीच हल्के-हल्के कूदते हुए चुदवाने लगी।
धीरे धीरे मैंने अपनी स्पीड बढ़ाई और कूद-कूद के ‘आहह … आह … आहह … स्सी … स्सी’ करते हुए चुदवाती रही।

मेरे खुले बाल ऊपर नीचे हिल रहे थे और मैं अपनी धुन में चुदे जा रही थी।

जय बोला- रुको रुको … प्लीज रुको।
मैं रुक गयी और पूछा- क्या हुआ?
उसने कहा- इतनी तेज़ चुदेगी तो मेरा जल्दी निकल जाएगा. थोड़ा आराम कर ले! देख कितनी सांस फूल गई है, थोड़ा आराम कर ले।
मैंने कहा- ओह सॉरी … सेक्स के जोश में भूल ही गयी।

फिर हम दोनों चुदाई रोक के सुस्ताने लगे और बैठ गए।
लगभग 5 मिनट हमने रेस्ट किया।

फिर वह बोला- मैं मूत के आया!
तो मैंने कहा- मैं करवाती हूँ!

फिर मैं और वह बाथरूम में गए और मैंने उसका ढीला सा हो चुका लंड पकड़ के उसे पेशाब कराया और फिर पानी से धोया।

मैंने कहा- ढीला हो गया ये तो?
उसने कहा- तो खड़ा कर न … यह भी बताना पड़ेगा।

मैं वहीं बाथरूम में घुटनों के बल बैठ गयी और उसका लंड चूसने लगी गप्प … गप्प!

2 मिनट में ही लंड तैयार था।

मैंने कहा- ये लो सरकार तुम्हारा लंड खड़ा हो गया।
उसने कहा- तो घूम जा फिर … यहीं चोद देता हूँ।

तब उसने मेरा हाथ पकड़ के मुझे घुमा दिया और कमर से धकेल के नीचे झुका दिया।

मैंने सहारे के लिए दीवार पे हाथ टिका दिये।

फिर उसने पीछे से चूत में लंड रखा और घप्प से अंदर घुसा दिया।
मेरी ज़ोर की स्सी… निकल गई।

फिर उसने तो बस पट्ट … पट्ट … ज़ोर ज़ोर से धक्के मार के चोदना शुरू कर दिया।
मुझे भी बहुत मजा आ रहा था.

बाथरूम में ‘आहह … आहह … आह … पट्ट … पट्ट’ की आवाजें आ रही थी।

उसने ऐसे हो चोदते हुए कहा- आहह … सुहानी देख शीशे में चुदवाते हुए कितनी मस्त लगती है तू!

मैंने साइड में शीशे में देखा तो कमाल का नजारा था।

सच में दोस्तो, शीशे में खुद को पूरी नंगी होकर चुदवाते हुए देखने का भी अलग ही मजा है.
मेरे खुले बाल, बड़े बड़े बूब्स, भरी भरी जांघें थर्र थर्र काँप रहे थे उसके झटकों से।

मुझे बहुत मजा आ रहा था और मेरी और उसकी साँसें फूल रही थी।

मैंने कहा- आहह … जय … आहह … और तेज़ … बहुत मजा आ रहआ … है और तेज़!

उसने भी अपनी स्पीड बढ़ा दी और बस मेरे पूरे शरीर की नस नस में आनंद भर गया; मेरी टाँगें थर्र-थर्र काँपने लगी और और मुझे चरम सुख की अनुभूति होने लगी।
फर्स्ट सेक्स विद फ्रेंड का पूरा मजा आ गया.

साथ ही साथ उसका भी निकलने को होने लगा.

मेरी चूत पानी से लबालब भर गयी और फ़च फ़च की आवाजें आने लगी और मैं झड़ने लगी।
इसके साथ ही उसने भी एक ज़ोर का झटका मारा और मेरी चूत में ही अपना वीर्य निकाल दिया।

इसके बाद भी वह झटक मार मार के बचा खुचा वीर्य भी मेरी चूत में भरता रहा और फिर निकाल के वहीं जमीन पर बैठ गया।
मैं भी झड़ चुकी थी तो उसके साथ ही जमीन पर बैठ गई उसके बगल में!

हम दोनों हाँफ रहे थे ज़ोर ज़ोर से और सम्पूर्ण सेक्स की खुशी दोनों के चेहरों पे थी।

मैंने उसका लंड ऐसे ही पकड़ रखा और कहा- थैंक यू डियर!
उसने कहा- यह तो दोस्ती का फर्ज़ था!

और फिर हल्का सा उचकने लगा तो मुझे लगा अभी और झड़ेगा.

पर साले की पेशाब की धार ऊपर को निकल गयी जो मेरी जांघों पे भी गिर गया।
मैंने कहा- छी … यार!

उसने कहा- छी क्यों … अभी इसी लंड से तो चुदी है. काम निकल गया तो छी?
मैंने कहा- ओह सॉरी!
उसने कहा- कोई बात नहीं!

और फिर तेज़ धार से मूत ऊपर को निकाल दिया जो मेरे ऊपर भी गिर गया।
फिर हम दोनों हंसने लगे।

जब सेक्स करके सुस्ता लिए तो हम दोनों ही वह शावर के नीचे नहाये और एक दूसरे को साफ भी किया.

मेरी चूत से उसका वीर्य भी बह के बाहर आ गया।
फिर मैंने पानी से चूत भी साफ करी और नहा धोकर हम अंदर कमरे में आ गए।

थोड़ी देर तक ऐसे ही नंगे बैठे रहे और फिर मैंने कॉलेज के कपड़े पहन लिए और अपना समान बैग में रख लिया.

शुरू में मुझे चलने में हल्का सा दर्द हो रहा था पर थोड़ी देर में नॉर्मल हो गयी।

आखिरकार इतने धमाकेदार सेक्स के बाद मैं होटल से निकली तो रिसैप्शनिस्ट ने मुझे खुश होकर धन्यवाद कहा।
मैंने भी मुस्कुराते हुए उसको थैंकयू कहा और कैब में बैठ कर अपने घर चली गयी।

फर्स्ट सेक्स विद फ्रेंड कहानी पर आपके विचार आमंत्रित हैं.
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फर्स्ट सेक्स विद फ्रेंड कहानी का अगला भाग: कुंवारी लड़की की पहली चुदाई की लालसा- 3

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