गदराई लड़की के जवान बदन का चोदन- 3
(First Kiss On Virgin Body)
फर्स्ट किस ऑन वर्जिन बॉडी … पहला स्पर्श होंठों का होंठों पर … उसके बाद जैसे जैसे उत्तेजना हावी होती गयी, कपड़े बदन से हटते गए और प्रेम वासना की राह पर चल पड़ा.
कहानी के दूसरे भाग
सेक्सी लड़की की चाहत और प्रणय निवेदन
में आपने पढ़ा कि
नीति ने कजरारी आँखों से मेरी आँखों में एक बार देखा. दोनों की नज़र टकराई और उसके आँखों की चमक में मुझे लालिमा नज़र आई!
मैं उसके गुलाबी होंठों के और करीब आ गया.
बात तो कुछ हो नहीं रही थी.
पर जैसे ही मेरे होंठ उसके होंठों के और पास आये, नीति ने एक पल को मुझे निहारा और अगले ही पल शर्मोहया से उसकी पलकें झुक सी गई.लव सेक्स फीलिंग से होश तो मैं खो ही चुका था, इसलिए मैंने उसके रस से भरे रेशम से होंठों को अपने होंठों से छुआ.
अब आगे फर्स्ट किस ऑन वर्जिन बॉडी:
फिर मैंने उसके होंठों को चूसना शुरू किया.
नीति के होंठों का रस और मेरे होंठों का रस से हम दोनों ही तृप्त हो रहे थे.
हम तो होश ही खो बैठे थे … बस एक दूसरे में खोये हुए थे।
तभी नीति की जीभ मेरे होंठों पर फिरने लगी तो मैंने उसकी जीभ को अपने होंठों से भर के अपने मुँह में लिया और चूसने लगा।
नीति के मुँह से जोर की सिसकारी निकली- आअह ऊऊम्म!
नीति की गर्म सांसों और मेरी सांसों का मिलन हो रहा था जो मुझे और गर्म कर रहा था.
अब मेरे बर्दाश्त से बाहर था तो मैंने उसके रस भरे होंठों को अपनी जीभ से चाट कर देखा.
फिर उसके निचले होंठ को अपने दोनों होंठों के बीच दबा कर चूसने लगा.
शायद नीति की कामुकता, इच्छा और प्यास थी जो इतने सालों से दबी हुई थी.
किसी मर्द के जिस्म का पहला सम्पर्क मिला तो उसने खुद से बेकाबू होकर मेरे सर को पकड़ा, मेरे ऊपरी होंठ को अपने रसीले होंठों में दबा लिया और चूसने लगी.
नीति के जिस्म में झुरझुरी से दौड़ रही थी.
उसके हाथ का कसाव मेरी बांहों में बढ़ गया.
उसके हाथ मेरे सर को अपने पास करने लगे नीति और मैं बेसब्री से एक दूसरे के होंठों को चूसे जा रहे थे.
मैं कभी ऊपर का होंठ चूसता तो कभी नीचे का होंठ!
मेरे हाथ उसकी पीठ पर थे, मेरी उंगलियों में अटक गई उसकी ब्रा की स्ट्रिप.
अगले ही पल उसकी हल्की हम्म्म की सिसकती आवाज़ आई- श्श्श … सर … ररर नहीं!
उसने ज़ोर से मेरे हाथ पकड़ कर रोक लिए.
हम अलग हो कर खड़े हो गए.
उसकी आँखें हया से झुकी थी, गर्म सांसों से उसकी उठती गिरती चूचियां … मैंने उसको अपनी बांहों में भर लिया.
हम दोनों के बीच कोई बात नहीं हो रही थी, पर एक दूसरे की बात समझ रहे थे.
उसकी बगल से मेरे हाथ स्वतः ही उसकी चूचियों पर चले गये.
और हल्का से दबाव जब चूचियों पर पड़ा तो ‘आआअ … उउउ आह … नहीं बस … यह गलत है’ की अस्फुट सी आवाजें निकली उसके मुख से!
मेरे हाथ उसकी चूचियों की गोलाई को समझने में लगे थे और नीति के हाथों की पकड़ मेरी कमर पर बढ़ती चली गई.
उसकी बांहों की जकड़ मेरे जोश को और बढ़ा रही थी.
इसमें कोई शक नहीं था कि नीति की सहमति भी थी.
हम दोनों ही प्यार के इस खेल पहली बार खेल रहे थे.
मैं जो कल्पना करता था, वह हकीकत में बदलने वाला था.
उसकी गर्म सांसें मेरे कंधे पर पड़ रही थी.
मेरा एक हाथ उसकी चूची पर था तो दूसरा हाथ उसकी पीठ को सहला रहा था.
नीति के हाथ मेरी पीठ पर थे जिनका दबाव अपनी चूची के मसले जाने पर बढ़ जाता था.
“आआह मत करो … कुछ हो रहा है हमें … आअह ह्ह्ह हरी … क्या कर रहे हो!”
अचानक नीति मेरे से अलग होकर वहीं काउच में बैठ गई.
उसका बदन कांप रहा था. भरी सांसों का शोर, उठती गिरती चूचियां, लाल होता चेहरा बस उसको कमनीय बना रहा था.
मेरा लण्ड काफी उत्तेजित था, हल्का दर्द भी था.
इतना तो मैं समझ गया था कि नीति को प्रथम सम्भोग से कोई ऐतराज़ नहीं है.
मैं उसके बगल में जा के बैठ गया और उसका हाथ अपने हाथ में ले लिया.
नीति सर झुकाये वैसे ही बैठी रहे जैसे किसी कश्मकश में हो, कुछ निर्णय लेने की कोशिश में हो!
मैं हल्के हाथों से उसका हाथ सहलाता रहा.
तभी उसने मेरी तरफ अपना मुँह किया और मेरे होंठों को अपने होंठों में भर लिया.
अब कहने सुनने को कुछ नहीं रहा गया था.
मैंने भी उसको किस करना शुरू किया.
यह चुम्बन कहीं ज्यादा वासना से भरा था.
मैं उसे बेइंतिहा चूमने लगा जैसे आज के बाद जीवन ही नहीं है.
पूरी शिद्दत से मैं नीति के होंठों का रस पी रहा था.
नीति भी पूरा साथ दे रही थी.
मेरे हाथ उसकी पीठ पर रेंग रहे थे.
मैं नीति को थोड़ा उठा के अपनी गोद में बैठा लिया.
नीति मेरी गोद में, मेरी कमर के दोनों तरफ उसके पैर, उसकी उभरी हुई चूचियां मेरी आँखों के सामने थी.
मेरे हाथ उसके पुष्ट चूतड़ों पर पहुंच गए, कामुकता में डूबा मैं उनको जोरों से मसलने लगा.
तब मेरे होंठों ने उसकी गर्दन को चूमना शुरू कर दिया.
नीति की सिसकारियां निकलने लगी- उफ्फ़ आह ह्हह आआ आईई ईईई!
फर्स्ट किस ऑन वर्जिन बॉडी से नीति तड़फ सी रही थी … वासना, कामुकता का पहला खुमार उसके जिस्म को जला रहा था.
उसका मादक और मांसल जिस्म मुझको भी जला रहा था.
मेरा लण्ड नीति की जांघों के बीच सर उठाये खड़ा था.
मैंने फिर से उसके होंठों को चूसना चालू कर दिया.
नीति की सिसकारियाँ बता रही थी कि वह इस चुम्मा चाटी को कितना एन्जॉय कर रही थी.
नीति तो जैसे होश खो बैठी थी.
शायद उसको इसी पहल का इंतज़ार था.
वह मुझको अपनी बांहों में जकड़े हुए थी.
पर मेरे दिमाग में उथलपुथल थी कि यह जो हो रहा है, क्या वह सच में नीति की मर्ज़ी से हो रहा है?
ये प्यार की खुमारी, जिस्म की प्यास का नशा जब उतरेगा तो नीति को ये सब अच्छा लगेगा या फिर कुछ और?
सच ही है कि प्यार अन्धा होता है.
और मैं नीति के प्यार में अन्धा था.
उसकी आँखों से कुछ भी पता चल नहीं रहा था तो मैंने भी उसी भावना में बहने की सोची.
जब होश आएगा तो तब की तब देखेंगे.
अभी तो दोनों के प्यार के घोंसले की नींव का पहला पत्थर रखने का समय था और मैं इन पलों को खोना नहीं चाहता था.
पर एक सवाल मेरे दिमाग में था कि क्या नीति मुझे आगे बढ़ने से रोकेगी?
क्या हम दोनों के जिस्म का मिलन आज हो पाएगा?
कहने को तो मैं नीति के होंठों को तो चूस रहा था, पर मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी कि मैं अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दूँ.
पर जैसे नीति मेरी धड़कनों की आवाज़ से समझ गई, उसने खुद ही अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी.
कुछ देर मुझे अपनी गर्म गर्म जीभ चुसाने के बाद नीति मेरी जीभ को भी अपने मुँह में ले गयी और उसे जोरों से चूसने लगी.
मैं तो चाह रहा था कि यह चुम्बन कभी ख़त्म ही ना हो.
नीति तो मेरे होंठों को छोड़ने को तैयार भी नहीं थी … उसके तेज़ धड़कते दिल की धड़कनों को साफ सुन पा रहा था मैं!
दोनों की सांसें भी भारी हो गयी थीं फिर भी हम एक दूसरे के होंठों को छोड़ने के लिए तैयार नहीं थे.
बड़ी मुश्किल से मैंने खुद को अलग किया और नीति ने अलग होते ही आंखें खोल दी.
मैंने नीति गोदी में उठा लिया, उसकी बांहों का हार मेरे गले में था.
कुछ क़दम दूर एक नर्म मुलायम सा स्प्रिंग वाला गद्दा हमारे इंतज़ार में था.
उसको मैंने हौले से लिटा दिया जैसे कोई बेशकीमती खज़ाना हो!
उसके ऊपर आकर मेरे हाथ उसके कमीज के अंदर रेंग गए.
पहली बार मैंने उसके नग्न जिस्म को छुआ था.
नीति ने सिसकारी भरी- प्लीज़ स्स्सीई ईईई आईई स्सीई ईईई अआई!
नीति की आँखों में एक सवाल सा दिखा, उसके माथे में थोड़ा सा बल भी दिखा.
पर मेरी आँखों में उसके लिए सिर्फ प्यार था.
मेरी आँखें उसको विश्वास दिला रही थी कि यह साथ कभी नहीं छूटेगा.
शायद मेरी आँखों से मिले जवाब से संतुष्ट होकर उसने अपने बदन को ढीला छोड़ दिया.
मैं नीति के ऊपर छा गया, अपने बदन को उसके बदन से रगड़ने लगा. उसकी चूचियां मेरे कठोर हाथों से मसली जा रही थी.
उसका गुलाबी होता चेहरा बहुत कुछ कह रहा था.
नीति 23 साल की भरपूर पूर्ण विकसित लड़की थी.
मैंने उसके शर्ट को थोड़ा पलट दिया और उसकी नाभि और पेट को नग्न कर दिया.
अपने तपते होंठ मैंने उसके नग्न जिस्म पर जैसे ही रखे, उसके चूतड़ और कमर उठ गई.
मेरे होंठ और गहराई से चिपक गए.
मेरे बालों को नीति के हाथों ने पकड़ रखा था और नीति के मुँह से जोर सी सिसकी निकली- आह्ह हिस्स!
हौले हौले मैं उसके पेट को चूम रहा था; नाभि में जीभ को अंदर तक डाल रहा था.
“उफ्फ़ आह ह्हह ऊहह उम्म्” उसकी सिसकारियाँ निकल रही थी, साथ में वह कह रही थी- बस सश्सस … अब नहीं … रुक जाओ हरी!
एक ऐसा विरोध जिसमें उसका जिस्म साथ नहीं दे रहा था.
कभी वह हाथ पकड़ती तो कभी शरीर हिलाती.
नीति मेरे हर स्पर्श को महसूस कर रही थी
धीरे धीरे मैं ऊपर की तरफ सरकने लगा, साथ ऊपरी कुरता भी सरका रहा था.
पर चूचियों के पहाड़ रास्ते में रोड़ा बन के खड़े थे.
मैंने एक हाथ से नीति को उठाया और कुर्ती निकालने लगा.
अब जैसे जैसे कमीज ऊपर जा रही थी, वैसे वैसे ही उसके बदन की चमक से मेरी आंखों को चौंधिया रही थी.
नीति मेरी तरफ देखती हुई धीरे धीरे हाथ ऊपर करती जा रही थी जैसे वह आने वाले पलों को समझ रही थी और उसके लिए सहमति दे रही थी.
काले रंग की ब्रा में कसी उसकी चूचियां आज़ाद होने के लिए फड़फड़ाने लगी.
नीति के सहयोग से कुछ ही पल बाद कुर्ती काउच पर पड़ी थी और नीति सिर्फ ब्रा में लेटी शर्म से आँखों पर अपने हाथों को रखे गहरी सांस ले रही थी.
हर साँस के साथ ब्रा में कैद चूचियां उठ गिर रही थी जैसे उसको अपने नग्न जिस्म का अहसास हो.
मैं एकटक उसके नर्म रेशम से दमकते जिस्म को देखता ही जा रहा था.
सफ़ेद गुलाब की पखुड़ियों जैसा बेदाग़ बदन, बीच में ब्रा में कैद 34″ की दो पर्वत चोटियां, उन चोटियों के बीच गहरी घाटी, आगे रेशम सी ढलान, उसके आगे पतली गर्दन, उसके ऊपर सुर्ख लाल लरज़ते होंठ, कजरारी आँखें जिनको उसने बंद कर रखा था.
बिखरे हुए बाल … उफ क़यामत का नज़ारा था.
एक बार नीति ने आँखें खोली पर मुझे अपने बदन को मदहोशी में एकटक देखता पाकर उसने आँखें बंद कर ली.
पर उसने मेरे एक हाथ को पकड़ लिया और उसके हाथ पकड़ते ही मैं जैसे होश में आ गया.
मेरे सर स्वतः झुक गया और ब्रा से ऊपर के निर्वस्त्र जिस्म पर मैंने अपने गर्म होंठों की मोहर लगा दी.
“स्सीईई … अआई ईई … आईईईई … उफ्फ़ आआह उह्ह … ससीसी सर!” उसके हाथ मेरे सर पर आ गए.
मेरा दिल उसकी चूचियों में ही अटका था.
पर ब्रा उसकी चूचियों के दीदार को रोक रही थी.
तो गर्दन से उसकी चूचियों के पास चूमते हुए एक हाथ अंदर पीठ की तरफ सरका दिया.
मेरे गर्म होंठों की मुहर उसके गर्म जिस्म पर लगती जा रही थी.
नीति ‘आअह उफ ईई उफ्फ़ आआ आआह हहह उफ्फ रुको … मत करो प्लीज् … हरी’ अस्फुट आवाजें निकल रही थी.
मेरे हाथों ने ब्रा का हुक तब तक खोल दिया था.
ब्रा ढीली हो गई तो मैं उसको भी निकाल दिया.
उफ्फ गोरा शफ्फाक रंग … परफेक्ट गोल सीधे खड़े किशमिश जैसे चूचुक … और चांदी के सिक्के बराबर उसका गुलाबी रंग का ऐरोला!
रस भरे होंठों से ज्यादा रस तो उसकी गोरी तनी हुई चूचियों में था.
सफ़ेद इतनी की हल्की सी लाल नीली नसें भी नज़र आ रही थी.
गुलाबी निप्पल को चूमने का लोभ मैं छोड़ नहीं पाया.
नुकीली जीभ से मैंने जैसे ही निप्पल के शिखर को छुआ, नीति सिसकार उठी- उइ मां … आइ … उह … इमां … आह … श्श … उफ़ … अंह अस्स ह्ह्ह … उईई!
फिर मैं पूरी जीभ से उसको चाटने लगा.
आनंद से भरपूर वासना में डूबी नीति ने सिसकारियों से मेरे होंठों का स्वागत किया- उम्मां … आइ … उह … ऊइ मां!
इन आवाज़ों को बढ़ाने के लिए मैं दूसरे हाथ को उसकी दूसरी चूची को थाम कर दबाने लगा.
लगता था कि खुद नीति ने उनको न कभी टच किया, न ही मसला होगा.
कसी हुई परफेक्ट शेप की चूचियां जैसे इतने बरस सिर्फ मेरा इंतज़ार कर रही थी कि आओ और मसलो, निचोड़ लो … रसीली चूचियों का रस पी जाओ!
नीति तो प्यार के नशे में, जिस्म की कामुकता में अपने पहले संसर्ग में मदहोश ही हो गयी थी.
और इस आलम को मैं कम नहीं होने देना चाहता था तो देर तक बारी बारी से उसकी चूचियां मसलता और चूसता रहा.
कभी एक चूची को हथेली में भरकर भींचने लगता और दूसरे बूब को मुँह में लेकर चूसने लगता. तो कभी दूसरी चूची को चूसता!
मसल मसल कर उसकी चूचियां लाल हो गई थी, निप्पल उतेज़ना से खड़े हो गए थे.
मेरा तो दिल इन रसीली चूचियों को छोड़ने का नहीं था … न ही शायद नीति का!
एक तरफ जहाँ उसका एक हाथ मुझको रोक रहा था, वहीं दूसरी तरफ उसका दूसरा हाथ मेरे सर को चूचियों में दबा रहा था कि चूस लो मेरी चूचियों को रस, खा जाओ इन्हें!
‘उईई … श्श्शश … आआह्ह … ईईई … श्श्श्श … आआह्ह’ की जोरों से सिसकारियां निकालती हुई वह मेरे सर को जोर से दबा रही थी.
मैं हल्के से उसके निप्पल को काटता तो वह ‘ओह्ह आउच आह ईई … ईईईश्श आउच’ करने लगती.
धीरे धीरे मैं पुनः नीचे सरकता हुआ आ गया और उसके पेट पर किस करने लगा.
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