एक सुहागरात ऐसी भी- 1

(Ek Jawan ladki Ek Jawan Ladka)

वैभव 7 2023-08-01 Comments

एक जवान लड़की और एक जवान लड़का … दोनों की सोच एक जैसी कि पहला सेक्स अपने साथी के साथ शादी के बाद ही करेंगे. संयोग से उन दोनों की ही शादी हो गयी.

नमस्कार दोस्तो, कैसे हो?
मैं वैभव, उम्र 34 वर्ष, म.प्र. के एक छोटे शहर का रहने वाला हूँ।
अन्तर्वासना का मैं पिछले 10 वर्ष से नियमित पाठक हूँ।

मैं अपनी पहली कहानी आप सभी के सामने रख रहा हूँ।
आपको मैं भरोसा दिलाता हूं कि यदि आप धैर्यपूर्वक कहानी को पढ़ेंगे तो आपको बहुत ही अलग आनन्द आएगा।

कहानी काल्पनिक मानकर पढ़ें पर कहानी को आप वास्तविकता से जोड़ पायेंगे।

एक जवान लड़की कामिनी एक शहर छोटे शहर की इक्कीस वर्षीय खूबसूरत युवती है जिसको बनाने वाले ने बहुत ही फुऱसत से बनाया है.
5’7″ ऊंचाई, काले लंबे बाल, गोरा रंग, तीखे नैन नक्श, भरा हुआ गदराया शरीर मानो यौवन हर अंग से टपक रहा हो।

संस्कारी पहनावे में जब वह घर से निकलती है तो जो भी उसको देखता है, देखता ही रह जाता है।

कामिनी मर्दों की नजरों को खूब समझती है पर उसने कभी किसी को नजर भर के नहीं देखा।
वह एक सभ्य घर की संस्कारी लड़की है।
उसने अपने मन में कभी गलत ख्याल भी नहीं आने दिया और अपनी सभी जिज्ञासाओं को केवल अपनी मां से ही साझा किया था।

उसकी केवल एकमात्र सहेली कुमकुम है जो बिल्कुल उसके जैसी ही है और उसके साथ ही पढ़ती है।

कामिनी जब कभी नहाते समय खुद के नंगे बदन को देखती है तो यौवन की सिरहन उसके रोमांचित कर देती है.
फिर वह खुद पर काबू रखती है और खुद से वादा करती है कि वह अपना सब कुछ अपने होने वाले पति के लिए बचाकर रखेगी, शादी के बाद वह अपनी हर एक तमन्ना पूरी करेगी।

अभी हाल ही में उसका स्नातक का परिणाम आया है, जिसमें उसने अपने कॉलेज में पहला स्थान प्राप्त किया है।

एक जवान लड़का कल्पेश एक 24 वर्षीय नौजवान है और अपने माता पिता का इकलौता बेटा है।
उसकी ऊंचाई 6′, गोरा और गठीले बदन का मालिक है वह।

पढ़ाई वह में शुरू से अच्छा रहा था और अपना पूरा ध्यान पढ़ाई में ही लगाया था।
पढ़ाई के अलावा उसको एक ही शौक था जिम में कसरत करने का!

चाहे कुछ भी हो, वह अपनी कसरत कभी नहीं भूलता था।
इसकी वजह से उसका शरीर काफी अच्छा हो गया था।

वह कभी दोस्ती, यारी या प्यार के चक्कर में नहीं पड़ा।
कल्पेश ने सोच रखा था अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के बाद ही दम लेगा।

कल्पेश ने शादी होने तक ब्रह्मचर्य व्रत लिया था।
वह कभी हस्तमैथुन नहीं करता था जिससे उसका शरीर और भी बलिष्ठ हो गया था।
कभी-कभी स्वप्न दोष जरूर उसको हो जाता था।

कल्पेश की मेहनत रंग लायी उसका चयन जल्द ही एक सरकारी अधिकारी के पद पर हो गया।
जैसे ही वह अधिकारी बनकर एक बड़े शहर में पदस्थ हुआ, उसके घर शादी के लिए रिश्ते आने लगे।

एक दिन चौधरी हिम्मत सिंह अपने पुराने मित्र चौधरी कर्ण सिंह से मिलने उनके घर गये.
वहां उन्होंने चर्चा में अपने मित्र कर्ण सिंह को अपनी समस्या बताई, बोले- लड़का अधिकारी हो गया है तो कई रिश्ते आ रहे हैं पर अभी तक कोई लड़की उसको पसंद नहीं आई है। हम चाहते हैं जल्द से जल्द कोई लड़की पसंद आ जाए और शादी करके वे अपनी जिम्मेदारी से निवृत हो जाएं।

तभी चौधरी कर्ण सिंह की बेटी कामिनी चाय लेकर आई।
चौधरी हिम्मत सिंह ने जैसे ही कामिनी को देखा, लड़की उन्हें भा गई।
उन्होंने कामिनी को बैठने को कहा और कुछ औपचारिक बातें हुई।

जैसे ही कामिनी उठकर गई, उन्होंने अपने दोस्त कर्ण सिंह से कहा- अगर हम समधी बन जाएं कैसा रहे।
कर्ण सिंह बोले- आपने तो मेरे मुंह की बात कह दी।

उन्होंने एक दूसरे को गले लगाया और कामिनी का एक फोटो मांगा।
दोनों ने कल्पेश और कामिनी के फोटो अपने अपने फोन गैलरी से साझा कर दिए और दोनों मित्रों ने अपने अपने परिवार में रिश्ते की बात बताई.
तो उनको भी बड़ी प्रसन्नता हुई.

कल्पेश और कामिनी ने भी एक दूसरे को पसंद कर लिया और फिर शुभ मुहूर्त देखकर दोनों की सगाई पक्की कर दी।

कुछ दिनों बाद शादी की तारीख थी।

कल्पेश और कामिनी के फोन नम्बर एक दूसरे के फोन म दर्ज हो चुके थे और सूरतें एक दूसरे के दिल में।
दोनों रोज घंटों प्यार भरी बातें करते और अपने भविष्य के सुनहरे सपने बुनते।

अब एक दिन भी एक दूसरे से दूर रहना एक साल की तरह लग रहा था।

शादी की तैयारियां चलती रहीं और आखिर वो दिन आ गया जब कल्पेश बारात लेकर कामिनी के घर पहुंच गया।

जब कामिनी ने झरोखे से कल्पेश को घोड़े पर देखा तो वह किसी राजकुमार की तरह लग रहा था।

कामिनी को देखकर कल्पेश भी होशोहवास खो बैठा और एकटक उसे देखता ही रहा।

वह मानो स्वर्ग से उतरी हुई कोई अप्सरा हो ऐसे दमक रही थी।

बड़ी ही धूमधाम से दोनों की शादी हुई।
चौधरी हिम्मत सिंह और कर्ण सिंह ने दिल खोलकर खर्च कया।

आखिर कामिनी विदा होकर अपने ससुराल पहुंच गई।

नयी बहू का ससुराल में सभी ने बड़े जोश और उल्लास के साथ स्वागत किया।

आवभगत करने में रात के ग्यारह बज गये थे और सब थक भी बहुत गये थे.
सबने साथ खाना खाया और सब सोने चले गए।

आज कामिनी और कल्पेश को अलग अलग कमरे में सोना था क्योंकि कल सुबह दूल्हा दुल्हन को कुल देवी की पूजा करने जाना था.
और कुछ रिश्तेदार भी रुके हुए थे।

सभी सुबह जल्दी उठकर नहा धो कर सभी पूजा के लिए गये।
दूल्हा दुल्हन ने कुल देवी की पूजा की और दोपहर 12:00 बजे तक सब वापस आ गये।

सब ने दोपहर का खाना खाया और सब आराम करने चले गये।

कल्पेश और कामिनी भी अलग अलग कमरे में आराम करने चले गए.
थके होने की वजह से जल्दी ही नींद के आगोश में चले गये।

जब कामिनी की नींद खुली तब शाम के छः बजे थे और ज्यदातर रिश्तेदार चले गये थे।

कल्पेश की मौसी की बहू कुमुद भाभी और एक ताऊ की बहू रजनी भाभी और बुआ ही रह गये थे।

कामिनी जैसे ही सोकर उठी, कुमुद भाभी चाय लेकर आ गई.

जब कामिनी चाय पी रही थी, तब भाभी ने छेड़ते हुए कहा- बहू रानी, नींद पूरी कर ली या नहीं? क्योंकि आज ठीक से सो नहीं पाओगी।

कामिनी शर्मा गयी और मुस्कुरा कर रह गई।

कल्पेश अभी भी सो रहा था।

कामिनी की थकान और सुस्ती जा चुकी थी अब वह भी रात के बारे में सोच रही थी।
उसके मन में कौतूहल हो रहा था।

तभी रजनी भाभी ने उसकी तंद्रा को तोड़ा और बोली- चलो चलकर नहा लो!
भाभी उसके कपड़े और सामान देकर बाथरूम तक छोड़कर आयी।

कल्पेश भी जाग गया था.
कविता भाभी ने उसको चाय दी और कहा- आज आपकी कसरत बैडरूम में होगी. हमने सभी तैयारियां कर लीं हैं, देवरानी तैयार हो रही है। रजनी भाभी ने बैड लगवा दिया है और फूल बाला आता ही होगा सुहाग सेज़ सजाने।

कल्पेश भाभी से कुछ कह ना सका और कपड़े लेकर बाथरूम में घुस गया।
भाभी हंसने लगी।

कामिनी ने ब्रश किया और नहाने के लिए सारे कपड़े उतार कर खुद को शीशे में देखा.
आज भी उसको सिरहन होने लगी, वह पानी से खुद को ठंडा करने की नाकाम कोशिश करने लगी।

उसने अपनी योनि पर हाथ घुमाया तो बाल महसूस हुए.
उसने शादी के दिन ही वैक्स कराया था।
फिर भी वह आज तैयारी में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती थी।

उसने अपने बैग से हेयर रिमूवर क्रीम निकाली और झांटों पर लगा ली।

आज झांट साफ करने में बहुत उसे अच्छा लग रहा था.
कुछ ही देर में उसने सारे बाल हटा दिए।

बाथ टब में बैठकर अपने एक एक अंग को अच्छे से साफ करने लगी।

आज कामिनी ने हर तरह के महकने बाले प्रसाधनों का इस्तेमाल किया।
सर्दी का मौसम था और गर्म पानी शरीर में अलग ही रोमांच पैदा कर रहा था।

कल्पेश ने भी ब्रश किया, दाढ़ी, बगलों और झांटों को साफ किया.
आज कल्पेश का लिंग पूरे तनाव में आ गया था और बाथरूम की छत को देख रहा था।

कल्पेश भी आज खुशबू बाले साबुन से नहाया।
कल्पेश ने अपना खास इसी दिन के लिए लाया हुआ सफेद कुर्ता पायजामा और नये अंडर गारमेंट पहने और परफ्यूम लगाया और अपनी कार लेकर बाजार चला गया।

कामिनी भी नहा चुकी थी।
उसका हर अंग आज दमक रहा था।

उसने अपने शरीर पर लोशन लगाया और खास आज के लिए खरीदकर लायी सुर्ख लाल 34 डी साइज की ब्रा पहनी और थोंग पहनी जो केवल योनि और गुदा छिद्र को ढक रही थी।

कामिनी के भारी नितंबो की दरार में रेखा सी खिंच गयी थी।

इसके बाद उसने एक लाल टाइट पेटीकोट पहना जिसमें उसके भरे नितंब और सुडौल जांघें और भी आकर्षक लग रहीं थीं।

लाल बैकलैस ब्लाउज पहनकर लाल साड़ी जो सुहागरात के लिए खरीदकर लायी थी।

तब दोनों भाभियां भी कमरे और सेज़ को अच्छी तरह सजवाकर आ गयी थी।
भाभियों ने खिलखिलाकर कहा- देखो दुल्हन को खेलने की इतनी जल्दी है कि खुद ही तैयार हो रही है।

कामिनी शर्माकर बोली- न…न…नहीं … वो आप दिखी नहीं इसलिए!
भाभियां हंसती हुई बोली- अरे हम आपकी सेज़ और कमरा सजवा रही थीं, ऐसा न हो कि कुछ कमी रह जाए। अब आपका कमरा और बैड तैयार है बस आपकी धमाचौकड़ी का इंतजार कर रहा है।

तब भाभियां कामिनी को गहने पहनाने लगी सारे गहने पहनाने के बाद उसके बाल बनाए और उसका अच्छे से मेकअप किया और कामिनी के हर अंग को परफ्यूम किया।

रजनी भाभी एक थाली में हल्का खाना लेकर आ गयी और दुल्हन को खाना खिलाने लगी.
पर उसका मन खाने का नहीं था, उसकी आंखें कल्पेश को ढूंढ रही थीं।

कामिनी ने फिर भी इतना खाना खा लिया ताकि रात भर एनर्जी बनी रहे।

तब तक कुमुद भाभी केशर बाला दूध बनाकर ले आई.
अब दोनों भाभियां दुल्हन को लेकर दूसरे तल पर सुहागरात बाले कमरे में पहुंची.

दूध का गलास मेज पर रख कर भाभी ने अपने साथ लाई अगरबत्तियां जलाकर हर कोने में लगा दीं।

उन्होंने कामिनी को बैड पर बैठा दिया और रजनी भाभी बोली- यह कमरा ठीक है न … यहां आप दोनों को कोई परेशान करने वाला नहीं है. इस तल पर कोई नहीं आता. कमरे में अटैच टायलेट भी है. सीढ़ियों वाला दरवाजा बंद कर देना और दिल खोलकर मजे करना, कोई आपकी चीखें भी नहीं सुनेगा।

रजनी भाभी बोली- मेरी सुहागरात में सबने मेरी आहें सुन ली थीं, आज भी भाभियां मुझे चिढ़ाती हैं।
कुमुद भाभी बोली- हमें तो भाभियों और दीदियों ने संभोग करते देख लिया था।

कामिनी उनकी बातों को ध्यान से सुन रही थी और शर्मा रही थी।

तभी नीचे गाड़ी की आवाज आयी।
कुमुद भाभी बोली- शायद भैया आ गये. हम उन्हें लेकर आती हैं. तुम घूंघट कर लो।

कल्पेश आ गया था।
उसके हाथ में एक बैग था जिसमें मुंह दिखाई के लिए एक गोल्ड रिंग थी उसे कल्पेश ने अपनी जेब में डाल लिया।

बैग में कुछ गुलाब के फूल, गज़रा डार्क चॉकलेट, कुछ पान और रसगुल्ले और कुछ छोटी छोटी चीजें थीं।

रजनी भाभी ने बैग लेते हुए कहा- क्या बात है भैया, जंग जैसी तैयारी करके आये हो।
कुमुद भाभी बोली- जंग नही तो क्या है … दुल्हन के मैदान में देवर जी के योद्धा को रातभर लड़ना है.

कल्पेश शर्मा गया।

रजनी भाभी बोली- खाना लगा दूं भैया?
कल्पेश बोला- नहीं भाभी, मैं दोस्तों के साथ खाकर आया हूँ।

कुमुद भाभी ने सारा सामान एक ट्रे में लगाया और रजनी ने एक टोकरी में कुछ फल रखे जैसे स्ट्राबेरी, सेब, केले!
और कल्पेश को लेकर सुहागरात कक्ष में पहुंची.

सारा सामान टेबल पर रखकर और दोनों को शुभकामनाएं देकर नीचे चली गईं।

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