प्यारी मोना-1
(Pyari Mona- Part 1)
मैं हूँ विक्की! हरियाणवी हूँ, पर उड़ीसा में पला-बड़ा हुआ और मुंबई में जॉब करता था… आज मैं दिल्ली में जॉब करता हूँ।
उम्र 24 साल,.पेशे से इंजिनियर, लम्बाई 6’2′, वजन 68 किलो और देखने में मध्यम, पर बातें बहुत मीठी!
यह मेरी पहली कहानी है अन्तर्वासना पर! आशा करता हूँ कि आप सभी को पसंद आएगी।
बात उन दिनों की है जब मैं अपने इंजीनियरिंग के दूसरे साल में था, मेरे कॉलेज में नए जूनियर आये थे और हम पर रैंगिंग का भूत सवार था। हम लोग बस मौका ढूँढते थे कि कब मौका मिले और हम रैंगिंग ले किसी जूनियर की! पर मुझे लड़कियों की चूचियाँ देखने में ही मजा आता था.. मैं रैंगिंग नहीं लेता था। मेरे दोस्त रैंगिंग लेते थे और मैं डेस्क पर बैठ कर आराम से चूची-दर्शन करता था। आप लोग समझ ही गए होंगे कि नेत्र चोदन में कितना मजा आता है।
खैर मैं अपनी कहानी पर आता हूँ!
उसी दौरान मैंने एक जूनियर लड़की मोना को देखा, कद 5’6′, चूची मस्त गोल-गोल करीब 32 की, कमर 24 की, और कूल्हे 36 के! उसको देखते ही मेरा लंड खड़ा हो गया, मेरे दोस्त उसकी रैंगिंग ले रहे थे और उससे डांस करने को कह रहे थे।
और वो सच में एक कमाल की डांसर थी। वो क्लास रूम में भी मस्त डांस कर लेती थी। मेरा मन उसे भोगने का होने लगा। मैंने अपनी योजना बना ली।
चूँकि मैं अपने कॉलेज का छात्र-प्रधान था, मुझे बहुत शक्तियाँ प्राप्त थी। उसी समय अक्टूबर में हमारे कॉलेज़ में वार्षिक-उत्सव होता है और मुझे इसी मौके की तलाश थी। मैंने बिना उसे बताये ही डांस के लिए उसका नाम दे दिया। जब उसने सूचि में अपना नाम देखा तो वो खुशी से पागल हो गई। पर उसे पता नहीं था कि यह काम मैंने किया है, तो उसके मन में यह जानने के लिए बहुत उत्सुकता थी कि उसका नाम किसने दिया है, पर मैंने अपनी फ़ील्डिंग बहुत अच्छी सेट की हुई थी इसीलिए मेरे किसी दोस्त ने उसे नहीं बताया।
खैर वो वार्षिक-उत्सव का दिन आ गया। उसने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया और वो कॉलेज की नृत्य-सम्राज्ञी चुन ली गई।
उत्सव के आखिरी दिन मैंने अपने भाषण में उसकी जम कर तारीफ की और कहा- हमारे कॉलेज में ऐसे गुणियों के आ जाने से हमारा कॉलेज का नाम रोशन होगा। मैं धन्यवाद देना चाहूँगा रवि का जिसने इस प्रतिभा को ढूंढा है!
रवि मेरा दोस्त है, मैंने अपनी योजना कुछ ऐसे ही बनाई थी।
उत्सव के ख़त्म होते ही वह रवि से मिली और उसे धन्यवाद दिया पर रवि ने उसे कहा- धन्यवाद मुझे नहीं विक्की से बोलो क्योंकि तुम्हारा नाम उसने ही दिया था। और फिर रवि ने मेरे बारे में अच्छी खासी डींगें हाँक दी उसके सामने कि ‘विक्की ऐसा है…विक्की वैसा है…वगैरह-वगैरह!’ और वो मुझ से प्रभावित हो गई थी।
अब मुझे बस इंतज़ार करना था उसके मुझसे मिलने आने का!
और मुझे ज्यादा इन्तज़ार नहीं करना पड़ा। करीब एक घंटे बाद उसका फ़ोन आया मेरे मोबाइल पर!
मैं- हेलो, कौन?
वो- हेल्लो! विक्की बोल रहे हो?
मैं- हाँ… आप कौन?
‘मैं मोना!!…आपकी जूनियर…आपने जो भी मेरे लिए किया, उसके लिए धन्यवाद!’
‘अरे कुछ नहीं यार.. कॉलेज की प्रतिभा कि खोज निकालना और मौका देना मेरा काम है यार… इससे ही तो हमारे कॉलेज का नाम रोशन होगा। चलो अभी मैं व्यस्त हूँ.. बाद में कॉल करता हूँ!’
इतना कह कर मैंने फ़ोन काट दिया।
दो दिन बाद वो मुझसे मिलने कॉलेज में मेरे अड्डे पर पहुँच गई। रवि के साथ और मुझे फ़िर से धन्यवाद किया।
मैंने कहा- सिर्फ धन्यवाद से काम नहीं चलेगा… एक पार्टी तो बनती ही है न!
उसने हँस कर पूछा- क्या चाहए पार्टी में?
मैंने कहा- बस एक कोल्ड ड्रिंक!
और फिर कोल्ड ड्रिंक पीने के बाद मैंने उसे उसकी क्लास तक छोड़ दिया।
अब वो मुझ से आकर्षित हो चुकी थी…क्योंकि मैंने उसकी बहुत मदद की थी- उसके गुणों को सबके सामने लाने में, पढ़ाई में, हर चीज़ में…
धीरे-धीरे वो मेरे प्यार के जाल में फंस गई और हम कॉलेज में घंटों साथ बिताने लगे।
एक दिन उसने मुझे प्रोपोज कर ही दिया.. वो था दिसम्बर 24 और मैंने उसे हाँ कह दिया… हमारे प्यार की गाड़ी चल निकली।(हालाँकि मैं सिर्फ उसे चोदना चाहता था पर वो यह नहीं जानती थी)
फिर उस दिन मैंने उसके गाल पकड़ कर उसके माथे पर चूम लिया.. उसने अपनी आँखें बंद कर ली थी…
मैंने उसके गालों पर चूम लिया तो उसके गाल शर्म से लाल हो रहे थे…
और फिर मैंने उसको छोड़ दिया उसकी क्लास में…
अब मैं बस मौके की तलाश में था। उसे पूरा यकीन हो गया था कि मैं उससे प्यार करता हूँ और मुझे उसके शरीर से कोई लेना देना नहीं है। वो मुझ पर पूरा भरोसा कर चुकी थी।
फिर नव वर्ष के दिन मैंने उसे एक डेट के लिए बुलाया…आर वो झट से मान गई… उस दिन मैंने उसे चोदने का मन बना लिया था।
मेरे लिए वो लाल टॉप और जींस पहन कर आई थी और बाल उसके कूल्हों तक खुले हुए थे। क्या क़यामत लग रही थी वो!
मैंने इस डेट के लिए अपने दोस्त की कार ले ली थी। मैंने उसे उसके घर के पास से कार में बैठाया और मैं उसे लेकर में उड़ीसा के एक मशहूर पर्वतीय स्थल ‘देओगढ़’ ले गया। वहाँ पर मेरे नाम पर पहले से ही एक कमरा बुक था। हम दोनों ने चेक-इन किया। फिर फ्रेश होकर हम घूमने चले गए। तब सुबह के दस बज रहे थे। फिर एक पहाड़ के ऊपर, जहाँ कोई नहीं था, वहाँ पर मैंने उसके गाल को चूम लिया!
वो शरमा गई!
फिर मैंने उसे कहा- आँखें बंद कर लो!
उसने कर ली!
शेष कहानी दूसरे भाग में!
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