पूजा, मेरा पहला प्यार

(Pooja Mera Pahla Pyar)

sheru137 2010-04-26 Comments

प्रेषक : शमशेर कुमार

दोस्तो, मेरा नाम शमशेर कुमार है, मैं हरियाणा से हूँ। मेरी उम्र 18 साल है, सन् 2011 में 10+2 पास की हैँ बल्कि प्रथम आया हूँ।

बात उस समय की है जब मेरी अध्यापिका एक टैस्ट ले रही थी मैंने सबसे पहले टैस्ट दे दिया और क्लासरुम के दरवाजे के आगे जा बैठा।

मेरी कक्षा की सबसे होशियार छात्रा पूजा को गुस्सा आया मुझ पर कि मैंने उससे पहले टैस्ट अध्यापिका को दे दिया। पूजा टैस्ट देकर उठी और उसी दरवाजे से जाने लगी जहाँ मैं बैठा था। मैं भी एकदम से उठने लगातो पूजा की और मेरी टक्कर हो गई, मुझसे पूजा के शरीर पर, उसकी चूची और कूल्हों पर हाथ अनजाने में लग गया। सर्दियों के दिन थे, पूजा मुझे काफी गर्म लगी। मैं सर्दियों में केवल शर्ट पहन कर स्कूल जाता था। पूजा हंस कर चली गई शायद पूजा को मेरा छूना अच्छा लगा।

मैं भी अन्दर गया पूजा और मैं कमरे में अकेले थे। पूजा मुझसे बातें करने लगी !

पूजा बहुत खूबसूरत थी, पहले मैंने पूजा से कभी ऐसे बात नहीं की थी। खैर पूजा ने मेरा फोन नंबर ले लिया और वह हर रोज स्कूल से जाते ही मुझे फोन करने लगी। हम पढ़ाई की बातें कम सेक्स की बातें ज्यादा करते थे। हम दोनों में प्यार हो गया। स्कूल में हम आँखों में आँखें डाल कर बातें करते थे। मैं मौका मिलते ही पूजा को अपनी बाहों में भर लेता था, पूजा भी यही चाहती थी।

उसके बाद पूजा मुझे अपने घर बुलाने लगी। पूजा के घर से आगे एक मंदिर था, एक और मंदिर पूजा के घर के बिल्कुल करीब था। मैं हर रोज शाम को दोनों मंदिरों में जाने लगा ताकि किसी को शक न हो। मैं सुबह चार बजे उठ कर मंदिर जाने लगा। पूजा ने एक दिन चार बजे शाम को मुझे अपने घर बुलाया, कहा- हमारे घर पर आज कोई नहीं है, तुम जल्दी आना।

मेरे घर से पूजा का घर का रास्ता केवल दस मिनट का ही है। मैं 3 बज कर 50 मिनट पर घर से निकला। अब चार बज चुके थे मैं पूजा के घर के बाहर देख रहा था कि मोहल्ले में कोई है तो नहीं।

तभी पूजा के घर के अन्दर देखा तो पूजा ने मुझे अन्दर आने का इशारा किया। मैं अन्दर चला गया।

पूजा ने मुझे बैठने को कहा लेकिन मैंने उसे बाहों में भर कर चूमना शुरु कर दिया।

पूजा ने कहा- थोड़ा सबर करो !

फिर पूजा ने मुझसे चाय के लिए कहा तो मैंने मना करते हुए कहा- तुम अपने हाथों से सिर्फ़ एक गिलास पानी पिला दो ! उसके बाद मैं तुम्हारे लाल-2 होंठों का रस पिऊँगा। क्या पिलाओगी मुझे?

“क्यों नहीं? इसीलिये तो बुलाया है।”

पूजा पानी ले आई मैंने पानी पी लिया। फिर पूजा मेरी गोद में बैठ गई, कहने लगी- मुझसे जुदा न होना ! मैं सहन नहीं कर पाऊँगी।

मैंने कहा- पूजा, मैं सिर्फ़ तुमसे प्यार करता हूँ, तुझे किसने कहा कि मैं तुझसे जुदा हो जाऊँगा?

पूजा ने कहा- डर लगता है।

“कुछ नहीं होगा, मैं सिर्फ़ तुझसे शादी करूँगा ! अगर तुम्हारी शादी किसी और के साथ हो गई तो मैं मर जाऊँगा।”

पूजा ने मेरा हाथ पकड़ कर कहा- हम दोनों साथ मरेंगे !

फिर मैंने पूजा की चूचियों को मसलना शुरु किया तो पूजा ने भी मेरे होंठों को चूमना शुरु कर दिया, दोनों को काफी मजा आ रहा था।

फिर मैंने पूजा का कमीज उतार दिया, उसने नीचे कुछ भी नहीं पहना था। अब पूजा की चूचियाँ मेरी आँखों के सामने थी जो गोल और काफी छोटी थी।

चूचियों के मसलने से पूजा पर नशा छाने लगा, पूजा ने मेरी पैंट की ज़िप खोली, मेरे लोले को बाहर निकाल कर हाथ से सहलाने लगी।

मैं पूजा की चूत को कपड़ों के ऊपर से ही सहलाने लगा। यह खेल पंद्रह मिनट तक चला। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉंम पर पढ़ रहे हैं।

मैंने कहा- मेरा निकलने वाला है।

पूजा ने कहा- निकलने दो।

फिर मेरे लोले से पिचकारी लगी और मेरा माल पूजा की चूचियों पर जा गिरा।

पूजा हंसने लगी।

मेरा लोला पूजा जैसी कली के लिये काफी बड़ा था। पूजा के घर वालों का आने का वक्त हो रहा था तो हमने जल्दी से कपड़े पहने, मैंने पूजा की चूचियों को तौलिए से साफ किया ओर मौका देख कर उसके घर से निकल गया।

मुझे पूजा ने रात को फोन किया कहा कि सुबह चार बजे मंदिर के पीछे मिलेंगे।

मैंने कहा- ठीक है जाने मन ! आय लव यू।

हमारे बीच फोन पर लगभग एक घण्टा बात हुई। रात भर दोनों को नींद नहीं आई, चार बजे मैं मंदिर के पीछे पहुँच गया।थोड़ी देर बाद पूजा भी आ गई, आते ही मुझे चूमने लगी, कहने लगी- आज मेरी चूत मारो, इस पर सिर्फ़ तेरा अधिकार है।

फिर मैंने पूजा की चूचियो को मसलना शुरु कर दिया, पूजा मेरे लोले को सहलाने लगी। यह खेल दस मिनट तक चलता रहा।

पूजा काफी गर्म हो चुकी थी, कह रही थी- जल्दी करो, दिन निकलने से पहले चलना होगा।

उसके इतना कहने के बाद मैंने चारों तरफ देखा तो एक तखत पर नजर पड़ी। फिर हमने कपड़े उतारने शुरु किये और दोनों बिल्कुल नंगे हो गये, दोनों के कपड़े तखत पर बिछा कर लेट गए।

पूजा ने कहा- देर मत करो।

मैंने भी देर नहीं ,की पूजा की चूत को फोन की लाइट जला कर देखा। पूजा की चूत बिल्कुल बन्द थी, पूजा पहले से ही तेल लगा कर आई थी। मैं पूजा की चूत में उंगली से सहलाने लगा तो पूजा उछलने लगी।

मैंने देर न करते हुए पूजा के दोनों पैर अपने कंधों पर रखे और लोले को चूत पर रगड़ने लगा।

उसने कहा- अब घुसेड़ दो अन्दर !

फिर मैंने जोर से धाक्का मार लोले का सुपारा एक ही झटके में अन्दर कर दिया, फिर बिना देरी किये दूसरा धक्का मारा तो आधा लण्ड अन्दर चला गया।

पूजा दर्द से कराहने लगी, उसकी चूत से खून आने लगा, फिर भी मैं अपने काम में लगा रहा। फिर मैंने तीसरा धक्का मारा और पूरा लण्ड अन्दर !

फिर पूजा के मुँह से किलकारी निकली, मैंने उसके मुँह पर हाथ रखा और कहा- सब ठीक हो जाएगा।

फिर पांच मिनट रुकने के बाद धक्के लगाने शुरु किये तो पूजा को भी मजा आने लगा, वह भी मेरा साथ देने लगी। लगभग बीस मिनट बाद मैं और पूजा दोनों इकट्ठे ही झड़ गये मैं पूजा की चूत में ही झड़ गया।

इस खेल में हम दोनों को बड़ा मजा आया और पूजा काफी खुश दिख रही थी !

अब दिन निकलने को था तो हम दोनों अपने-अपने घर चल दिये।

इसके बाद हम हफ़्ते में दो बार सेक्स कर ही लेते हैं।

मेरी कहानी कैसी लगी, मुझे इमेल करें !

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