पलक की चाहत-7
(Palak Ki Chahat-7)
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इस बार उसके मुँह से दर्द से एक चीख निकल ही गई थी, मैंने उसकी टांगो को छोड़ कर दोनों हाथों को उसके दोनों स्तनों पर रख कर उसके स्तन दबाने लगा और होंठों से उसके होंठों को चूसने लगा। मैं थोड़ी देर तक यही करता रहा और उसे भी आराम मिलने लगा था और पलक ने भी मेरे कंधो और बालों पर अपने हाथ चलाना शुरू कर दिए थे।
जब मुझे लगा कि पलक का दर्द कम हो गया है तो मैंने नीचे से धक्का मारा और पलक ने भी एक मस्ती भरी सिसकारी ली तो मुझे यकीन हो गया कि अब उसे कोई दर्द नहीं है।
मैंने पलक के होंठों को चूमना बंद किया तो वो बोली- अब मेरी अगली चाहत बताने का वक्त है।
मैंने पूछा- वो क्या?
तो उसने पास में से दूसरी चादर उठाई और बोली- अब हम इसे ओढ़ कर करेंगे बाकी का काम।
वो चाहत तो मेरी भी थी तो पलक ने उस चादर को मुझे औढ़ा दिया और अब चादर के बाहर सिर्फ हम दोनों के सर दिख रहे थे।
पलक ने मेरी कमर को अपनी टांगों में लपेट लिया और मैंने उसकी पीठ को एक हाथ में लपेटा हुआ था और दूसरे हाथ से मैं उसके जूड़ा बने बालों को सहला रहा था। पलक ने अपने दोनों हाथों से मुझे जकड़ रखा था, मैं नीचे से धक्के मार रहा था।
और उस हालत में वो चिकनी चादर और मजा बढ़ा रही थी। हर धक्के पर उसके मुँह से एक आह निकल रही थी।
हम दोनों ने इसी तरह से चार पांच मिनट किया होगा कि वो झड़ने लगी, उसका बदन झटके मारने लगा और मैं उसके हर झटके पर उसे धक्के मार रहा था। मेरा हर धक्का उसे चरमसुख के और पास ले जा रहा था।
जब वो पूरी तरह से झड़ गई तो पहले जैसी ही निढाल सी हो गई, मैं अभी भी बाकी था पर इस बार मेरा मन रुकने का नहीं था..
मैंने कहा- पलक साथ दे पायेगी मेरा?
तो बोली- बस दो मिनट दे दे…
मैंने कुछ नहीं कहा पर उसके एक स्तन को मुँह में लेकर पीने लगा और दूसरे स्तन को हाथ से दबाने लगा।
मैंने थोड़ी ही देर यह किया होगा कि वो फिर से जोश में आ गई और उसने मुझे फिर से पकड़ कर दबाना शुरू कर दिया और मैंने भी धक्के मारना शुरू कर दिया।
मैं अब पूरी ताकत से धक्के मार रहा था और वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी। इस बीच कभी मैं उसके दूध पीने लगता था, कभी हाथों से दबाता था और कभी उसके होंठों को चूसने लगता था।
हम दोनों थोड़ी देर तक इसी तरह से एक दूसरे से प्यार करते रहे और फिर जब मुझे लगा कि मैं छुटने वाला हूँ तो मैंने पलक से कहा- मैं छूटने वाला हूँ, मुझे निकालना पड़ेगा, मैंने कंडोम नहीं लगाया है।
वो बोली- मैं भी आने वाली हूँ और तू अंदर ही आ जा, चिंता की बात नहीं है।
उसकी बात सुन कर मैंने उसे और तेज धक्के लगाना शुरू कर दिए और उसका बदन भी अकड़ना शुरू हो गया। तभी मैं सारा वीर्य उसकी चूत में फव्वारे की तरह छोड़ने लगा और वो मेरे साथ ही झड़ने लगी। हम दोनों एक दूसरे को कस कर पकड़ कर एक साथ झड़ने का आनन्द लेते रहे।
जब हम दोनों अलग हुए तो दोनों पसीने से भीगे हुए थे जबकि कमरे में एसी चल रहा था।
पलक ने कहा- मैं बाथरूम हो कर आती हूँ !
वो उठने लगी तो दर्द के मारे उससे उठते नहीं बन रहा था।
मैंने उसे कहा- रुक !
और मैंने पलक को गोद में उठाया और बाथरूम में लेकर गया। उसने जब पेशाब करना शुरू किया तो पेशाब के साथ थोड़ा खून भी आया, उसे देख कर पलक बोली- यह कब तक आता रहेगा?
मैंने कहा- सिर्फ पहली बार है बाबू ! उसके बाद नहीं आएगा, चिंता मत कर।
पेशाब करने के बाद उसे काफी आराम मिला।
हम दोनों बाहर आ गए पर मुझे तेज भूख और प्यास लगने लगी थी, मैंने पलक को बताया तो वो बोली- मुझे भी भूख लगी है।
रात को बारह बजे खाने के लिए बोलना तो मुश्किल ही था लेकिन पलक इसकी भी तैयारी करके आई हुई थी।
उसने मुझे बताया कि बैग में उसने आधा किलो गुलाब जामुन का डिब्बा और साथ ही नमकीन भी रखा है।
पानी कमरे में तो था ही, हमने रास्ते के लिए जो पानी रखा था वो भी था तो पानी की कमी भी नहीं थी और खाने की भी नहीं।
हम दोनों गुलाब जामुन और नमकीन के बड़े शौक़ीन हैं तो हमने साथ में गुलाबजामुन खाए और नमकीन भी..
कभी कभी यह भी हुआ कि मेरे मुँह का गुलाब जामुन मेरे मुँह से लेकर उसने खा लिया और उसके मुँह का गुलाब जामुन मैंने खा लिया।
हम दोनों इसी तरह से खाते हुए भी एक दूसरे से प्यार कर रहे थे और प्यार से खिला रहे थे।
जब हम दोनों भरपेट खा चुके तब तक मैं फिर से तैयार हो चुका था और शायद पलक भी तैयार ही थी।
पलक ने पानी पिया और वो कुल्ला करने के लिए बाथरूम में चली गई और उसके बाद मैं भी कुल्ला करने बाथरूम में आ गया।
मैं कुल्ला कर रहा था तो पलक ने मुझे पीछे से पकड़ लिया, अपने सर को मेरे कंधे पर रख दिया और मेरे लण्ड को हाथों से सहलाने लगी… जो रही सही कसर थी वो भी पूरी हो गई और मेरा लण्ड पूरी तरह से तैयार हो चुका था।
मैंने घूम कर उसे माथे पर चूम लिया।
उसने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे बिस्तर पर लेकर आ गई, पलंग पर लिटा दिया..
कपड़े तो हमने पहने ही नहीं थे।
पलक 69 की स्थिति में हुई और उसने मेरा लण्ड चूम लिया, फिर मेरी तरफ मुण्डी घुमा कर बोली- तू यही चाहता था ना?
मैंने कोई जवाब देने के बजाय उसकी चूत को चूसना शुरू कर दिया और उसने मेरे लण्ड को… हम दोनों इसी मुद्रा में एक दूसरे को मजा देते रहे…
और थोड़ी देर में ही पलक चरम स्थिति पर आ चुकी थी, यह बात मैं उसके अकड़ते बदन को देख कर महसूस कर सकता था !
मैंने उसे और जोर से चूसना शुरू कर दिया दूसरी तरफ पलक आनन्द के मारे मेरे लण्ड को चूस ही नहीं पा रही थी पर मैं उसकी चूत को जीभ से चाट रहा था।
मैंने उसे एक मिनट और चूसा होगा कि वो झड़ने लगी और उसका नमकीन सा रस मेरे मुँह में आने लगा। पर पिछली बार की तरह इस बार वो पस्त नहीं हुई थी बल्कि झड़ने के बाद उसने मेरे लण्ड को और जोर से चूसना शुरू कर दिया था और मैं उसकी चूत को वैसे ही चाट रहा था।
थोड़ी देर बाद वो बोली- अब और नहीं सहन होता सैंडी ! अब अंदर डाल दे ना !
और वो पलट का नीचे आ गई और मैं उसके ऊपर चढ़ गया।
मैंने उसे कहा- तू इसे जगह पर लगा दे अपने हाथों से ! और मैं इसके अंदर जाने पर तेरे चेहरे को देखना चाहता हूँ।
पलक ने अपने नाजुक हाथ में मेरे लण्ड को पकड़ कर चूत पर रख लिया और मैंने बिना कुछ सोचे समझे धक्का मार दिया।
जैसे ही मैंने धक्का मारा, पलक की आँखें बंद हो गई, उसने होंठों को दांतों से दबा लिया और मुझे कस कर पकड़ लिया, मैं कुछ सेकंड के लिए रुका और फिर मैंने धक्के मारना शुरू कर दिए और वो भी नीचे से हर धक्के पर मेरा साथ दे रही थी।
हम दोनों ने पूरे जोश के साथ धक्कम पेल चुदाई शुरू कर दी और थोड़ी देर में पलक एक बार और झड़ गई। उसके तुरंत बाद ही मैं भी झड़ने लगा।
मैं झड़ कर पलक के ऊपर ही लेट गया और पलक ने मेरे ऊपर कम्बल डाल कर मुझे वैसे ही अपने ऊपर लिटाए रखा।
हम दोनों को कब नींद आ गई, पता ही नहीं चला।
उसके बाद अगले पूरे दिन हम दोनों साथ में महेश्वर घूमते रहे और अगली पूरी रात एक दूसरे से प्यार।
इस कहानी के बाद मैं अपनी और पलक की आगे की कहानी और उसके बाद पलक की सहेली सरिता के साथ मेरे रिश्तों की कहानी लिखने वाला था।
लेकिन इस कहानी को पढ़ने के बाद पलक चाहती है कि अंकित और उसकी जो एक अधूरी कहानी वो भी सामने आये !
तो अगली कहानी वो लिखूँगा और उसके बाद बाकी की कहानियाँ लिखूँगा।
अपनी राय मुझे मेल कीजिए !
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